जनजातीय कार्य मंत्रालय
एनईएसटीएस ने एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए 'अमेज़ॅन फ्यूचर इंजीनियर प्रोग्राम' शुरू किया
Posted On:
22 OCT 2024 7:00PM by PIB Delhi
नेशनल एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (एनईएसटीएस) ने आज आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और त्रिपुरा में 50 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में 'अमेज़ॅन फ्यूचर इंजीनियर प्रोग्राम' के तीसरे चरण का शुभारंभ किया। तीसरे चरण में ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कोडिंग, ब्लॉक प्रोग्रामिंग और एआई सत्रों पर एक ओरीएन्टेशन होगा।
एनईएसटीएस के आयुक्त श्री अजीत कुमार श्रीवास्तव ने नई दिल्ली में चार दिन के शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के साथ-साथ ईएमआरएस कोडर्स एक्सपो का भी उद्घाटन किया। यह पिछले शैक्षणिक वर्ष के दौरान ईएमआरएस की शीर्ष 20 कोडिंग परियोजनाओं की एक प्रदर्शनी है।
एनईएसटीएस के आयुक्त श्री अजीत कुमार श्रीवास्तव ने उभरती हुई तकनीकों को पढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल के साथ आदिवासी शिक्षकों को सशक्त बनाने के महत्व के बारे में बताया। समारोह के दौरान एनईएसटीएस के आयुक्त ने शीर्ष 3 छात्र कोडिंग परियोजनाओं को उनकी रचनात्मकता और नवाचार के लिए सम्मानित किया। साथ ही शीर्ष 3 आईटी शिक्षकों को पूरे वर्ष उनके समर्पण और मार्गदर्शन के लिए सम्मानित किया।
अमेज़ॅन फ्यूचर इंजीनियर प्रोग्राम का तीसरा चरण भारत में 410 प्रस्तावित ईएमआरएस में शुरू किया जाएगा। यह इंजीनियर प्रोग्राम दो साल से चल रहा है। यह अब तक कक्षा 6 से 8 तक के 7,000 से अधिक छात्रों को कंप्यूटर विज्ञान और ब्लॉक प्रोग्रामिंग से परिचित करा चुका है। इसमें पिछले चरणों में 50 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। तीसरे चरण में कक्षा 6 से 9 तक के छात्रों के लिए ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कोडिंग को शामिल करने के लिए पाठ्यक्रम का विस्तार किया जाएगा। इसके अतिरिक्त कक्षा 10 के छात्रों के लिए प्रोजेक्ट-आधारित वर्चुअल सत्र प्रदान किए जाएंगे, जो सीबीएसई एआई कौशल पाठ्यक्रम के साथ होंगे।
एनईएसटीएस देश भर में आदिवासी छात्रों के लिए तकनीकी साक्षरता को बढ़ावा देने और शिक्षा को आधुनिक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इन क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से एनईएसटीएस का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आदिवासी छात्र एस टी ई एम क्षेत्रों में भविष्य के करियर के लिए अच्छी तरह से तैयार हों। इससे भारत की तकनीकी उन्नति बढ़ावा मिलेगा।
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