ग्रामीण विकास मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने शहरी भूमि अभिलेखों के लिए सर्वेक्षण- पुनःसर्वेक्षण में आधुनिक प्रौद्योगिकियों पर दो दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र को आज नई दिल्ली में संबोधित किया


प्रशासनिक उपकरणों से कहीं अधिक, सटीक भूमि - रिकॉर्ड सामाजिक आर्थिक नियोजन, सार्वजनिक सेवा वितरण और संघर्ष समाधान की रीढ़ हैं: डॉ. पेम्मासानी

अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में सर्वेक्षण-पुनः सर्वेक्षण तकनीक, भू-स्थानिक उपकरण, ड्रोन और विमान प्रौद्योगिकी और जीआईएस एकीकृत समाधान में प्रगति सहित नवाचारों की श्रृंखला की खोज की गई: राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी

Posted On: 22 OCT 2024 5:16PM by PIB Delhi

केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्र शेखर पेम्मासानी ने शहरी भूमि अभिलेखों के लिए सर्वेक्षण- पुनःसर्वेक्षण में आधुनिक प्रौद्योगिकियों पर दो दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र को आज नई दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (डीएआईसी) में संबोधित किया। राज्य मंत्री ने अपने भाषण के दौरान इस बात पर जोर दिया कि प्रशासनिक उपकरणों से अधिक, सटीक भूमि रिकॉर्ड - सामाजिक आर्थिक नियोजन, सार्वजनिक सेवा वितरण और संघर्ष समाधान की रीढ़ हैं। इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में सर्वेक्षण-पुनःसर्वेक्षण तकनीकों, भू-स्थानिक उपकरणों, ड्रोन और विमान प्रौद्योगिकियों तथा जीआईएस एकीकृत समाधानों में प्रगति सहित अनेक नवाचारों पर चर्चा की गई। इस कार्यशाला में साझा की गई सामूहिक अंतर्दृष्टि भारत में स्मार्ट और अधिक कुशल शहरी प्रबंधन प्रणाली के निर्माण के लिए आधारशिला के रूप में कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने शहरी भूमि सर्वेक्षण के लिए अभिनव समाधान की खोज करने के मिशन में वैश्विक विशेषज्ञों और नेताओं को एक साथ लाया है।

डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि जैसे-जैसे ग्रामीण भूमि अभिलेख विकसित होते हैं, शहरों के तेजी से शहरीकरण की मांग को पूरा करने के लिए शहरी भूमि प्रबंधन में भी वृद्धि होनी चाहिए और भूमि प्रशासन को समान विकास सुनिश्चित करने के लिए गति बनाए रखनी चाहिए। अब हम शहरी शासन में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं जहाँ प्रौद्योगिकी अवसर से मिलती है। ड्रोन, विमान आधारित सर्वेक्षण और उपग्रह इमेजरी जैसे उपकरण अद्वितीय परिशुद्धता प्रदान करते हैं, ये प्रौद्योगिकियां ऑर्थो रेक्टीफाइड इमेज (ओआरआई), भू-संदर्भित मानचित्र प्रदान करती हैं जो पृथ्वी की सतह के लिए सटीक और सत्य दोनों हैं। इन उपकरणों को तैनात करके हम मानवीय त्रुटियों को कम करते हैं, दक्षता बढ़ाते हैं और ऊंची इमारतों, घनी वनस्पतियों और जटिल भूमि उपयोग पैटर्न वाले सबसे चुनौतीपूर्ण शहरी वातावरण में लगातार अद्यतित डेटा एकत्र करते हैं। इन छवियों को जीआईएस प्लेटफ़ॉर्म में एकीकृत करने से डेटा को कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि में बदल दिया जाएगा, जिससे शहरी नियोजन, रियल एस्टेट विकास, बुनियादी ढाँचा प्रबंधन और यहाँ तक कि अभूतपूर्व सटीकता के साथ आपदा की तैयारी भी संभव हो सकेगी।

केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) जैसी पहलों के माध्यम से महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने कहा कि भारत ने 6.25 लाख से ज़्यादा गांवों में अधिकारों के अभिलेखों (आरओआर) का डिजिटलीकरण किया है, विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) शुरू की है, जिसे भू-आधार के नाम से भी जाना जाता है, और राजस्व और पंजीकरण प्रणालियों के बीच सहज एकीकरण बनाया है। हालाँकि, जैसे-जैसे ग्रामीण भूमि अभिलेख विकसित होते हैं, शहरी भूमि प्रबंधन को भी तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण की माँगों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। शहर ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज रूप से फैल रहे हैं, और भूमि प्रशासन को समान विकास सुनिश्चित करने के लिए गति बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शहरी भूमि प्रबंधन केवल एक तकनीकी अभ्यास नहीं है बल्कि यह आर्थिक विकास, औद्योगिक विकास और सामाजिक सद्भाव की नींव है।

 डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि इसके अलावा स्थानिक रूप से सक्षम भूमि रिकॉर्ड बनाकर हम ओवरलैपिंग स्वामित्व दावों, असंगत भूमि मूल्यांकन और सीमा विवादों जैसे दीर्घकालिक मुद्दों को हल कर सकते हैं। समय आ गया है कि पारंपरिक महंगे और समय लेने वाले सर्वेक्षणों से आगे बढ़कर शहरी शासन में एक नए युग के लिए इन उन्नत तकनीकों को अपनाया जाए। केंद्रीय राज्य मंत्री को यह जानकर खुशी हुई कि इस कार्यशाला में प्रभावशाली केस स्टडीज शामिल हैं और दुनिया भर के कई देशों - अमेरिका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, जर्मनी, भारत और अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने शहरी भूमि प्रबंधन की चुनौतियों पर काबू पाने के अपने अनुभव साझा किए। यह कार्यशाला अंत नहीं बल्कि एक परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत है। यहाँ प्राप्त अंतर्दृष्टि शहरी भूमि अभिलेखों को आधुनिक बनाने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को आकार देगी। हम स्थानीय निकायों और राज्य अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण पहलों के साथ चुनिंदा शहरों में पायलट परियोजनाओं के निर्माण की कल्पना करते हैं। इस कार्यशाला से विदा लेते हुए, आइए हम यहाँ चर्चा की गई ज्ञान प्रौद्योगिकियों और समाधानों को लागू करने की साझा प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर शहरी भूमि प्रबंधन की एक पारदर्शी, कुशल और न्यायसंगत प्रणाली बनाएंगे। डॉ. पेम्मासानी ने इस बात पर जोर दिया कि शहरी भूमि प्रबंधन केवल एक तकनीकी अभ्यास नहीं है और यह आर्थिक विकास, औद्योगिक विकास और सामाजिक सद्भाव की नींव है।

केंद्रीय मंत्री ने भूमि संसाधन विभाग और सभी अधिकारियों को इस अनूठी पहल और आधुनिक भारत की क्षमताओं को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए बधाई दी।

भूमि संसाधन विभाग ने "राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित शहरी आवास सर्वेक्षण (नक्शा)" नामक एक पायलट कार्यक्रम को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य एक वर्ष की अपेक्षित अवधि के भीतर सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लगभग 130 शहरों में भूमि रिकॉर्ड तैयार करना है, जिसके बाद अगले 5 वर्षों की अपेक्षित अवधि के भीतर लगभग 4900 शहरी स्थानीय निकायों में संपूर्ण प्रक्रिया पूरी करने के लिए और चरण अपनाए जाएंगे।

कार्यशाला का आयोजन भूमि अभिलेखों के निर्माण और संकलन पर अन्य देशों के विशेषज्ञों से परामर्श करने, हितधारकों, विशेष रूप से राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के लाभ के लिए नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा करने और समझने के उद्देश्य से किया गया था। कार्यशाला में शहरी भूमि पार्सल और संपत्तियों के मानचित्रण के लिए हवाई फोटोग्राफी का उपयोग करके सटीक और कुशल ऑर्थो रेक्टिफाइड इमेज जेनरेशन के साथ उन्नत भूमि मानचित्रण पर चर्चा की गई। कार्यशाला के दौरान उद्योग भागीदारों और यूएसए, स्पेन, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, यूके, जापान और ऑस्ट्रेलिया के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यशाला में सफल केस स्टडीज, अभिनव दृष्टिकोण, नीतिगत ढांचे, तकनीकी प्रगति और हितधारक भागीदारी पर प्रस्तुतियाँ दी गईं।

यह कार्यशाला शहरी भूमि सर्वेक्षण के महत्वपूर्ण विषय पर दुनिया भर से और देश के भीतर से विशेषज्ञों और नेताओं का एक उत्कृष्ट समागम रही है। इसमें शहरी भूमि अभिलेखों के लिए सर्वेक्षण-पुनः सर्वेक्षण में आधुनिक प्रौद्योगिकियों में प्रगति और नवाचारों पर चर्चा की गई और साथ ही भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों फर्मों द्वारा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया जो हमारे देश के शहरी क्षेत्रों में भूमि प्रशासन में क्रांति ला सकती हैं।

*****

सु. सिं.


(Release ID: 2067099) Visitor Counter : 229


Read this release in: English , Urdu , Gujarati , Tamil