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परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने लद्दाख के हानले में एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की सबसे ऊंची चेरेनकोव वेधशाला एमएसीई का उद्घाटन किया


एमएसीई परियोजना न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में बल्कि लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास को समर्थन देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है: डीएई सचिव और परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ. अजीत कुमार मोहंती

Posted On: 08 OCT 2024 3:32PM by PIB Delhi

परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने 4 अक्टूबर 2024 को लद्दाख के हान्ले में सबसे बडी एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (एमएसीई) वेधशाला का उद्घाटन किया। 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एमएसीई एशिया का सबसे बडी और दुनिया की सबसे ऊंची दूरबीन है। इस दूरबीन का निर्माण भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) ने इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और अन्य भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से स्वदेशी रूप से किया है। एमएसीई वेधशाला का उद्घाटन परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के प्लेटिनम जुबली वर्ष समारोह का एक हिस्सा था। इस कार्यक्रम की शुरुआत लद्दाख के हान्ले में एमएसीई स्थल पर डॉ. मोहंती द्वारा स्मारक पट्टिकाओं के अनावरण के साथ हुई, जिसके साथ ही एमएसीई वेधशाला का आधिकारिक रूप से उद्घाटन किया गया।

अपने उद्घाटन भाषण में, डीएई सचिव डॉ. मोहंती ने एमएसीई दूरबीन की सफलता के लिए किए गए सामूहिक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एमएसीई वेधशाला भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और यह हमारे देश को वैश्विक स्तर पर ‘कॉस्मिक रे’ से जुड़े अनुसंधान में अग्रणी बनाती है। उन्होंने कहा कि यह दूरबीन हमें उच्च-ऊर्जा गामा किरणों का अध्ययन करने की अनुमति देगी, जिससे ब्रह्मांड की सबसे ऊर्जावान घटनाओं की गहरी समझ का मार्ग प्रशस्त होगा। डॉ. मोहंती ने कहा कि एमएसीई परियोजना न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में बल्कि लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास का समर्थन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने छात्रों को खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में अवसरों की तलाश के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. मोहंती ने आशा व्यक्त की कि एमएसीई परियोजना भारतीय खगोलविदों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। डॉ. मोहंती ने इस क्षेत्र में भारत के ‘कॉस्मिक रे’ अनुसंधान को प्रेरित करने वाले  डॉ. होमी जे. भाभा समेत भारत के अग्रणी योगदानों को भी श्रद्धांजलि दी।

डीएई सचिव और एईसी के अध्यक्ष ने 4 अक्टूबर 2024 को लद्दाख के हान्ले में एमएसीई वेधशाला का उद्घाटन किया।

डीएई सचिव और एईसी के अध्यक्ष 4 अक्टूबर 2024 को एमएसीई स्थल पर भाभा पट्टिका का अनावरण किया

डीएई सचिव और एईसी के अध्यक्ष डॉ. अजीत कुमार मोहंती का उद्घाटन भाषण

डीएई के अतिरिक्त सचिव श्री अजय रमेश सुले ने हानले डार्क स्काई रिजर्व (एचडीएसआर) के भीतर पर्यटन और वैज्ञानिक गतिविधियों के बीच संतुलन के महत्व पर बल दिया और छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए) की निदेशक डॉ. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने डीएई और आईआईए की कई घटक इकाइयों के बीच उपयोगी सहयोगात्मक प्रयासों का उल्लेख किया।

केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख के मुख्य वन संरक्षक श्री सज्जाद हुसैन मुफ़्ती ने हानले डार्क स्काई रिजर्व की मुख्य विशेषताओं और सामुदायिक सहभागिता पर ध्यान केंद्रित करने की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने डीएई की वैज्ञानिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए प्रशासन की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया।

बीएआरसी के भौतिकी समूह के निदेशक डॉ. एसएम यूसुफ ने अपने स्वागत भाषण में भारत की अंतरिक्ष और ब्रह्मांडीय किरण अनुसंधान क्षमताओं को आगे बढ़ाने में एमएसीई दूरबीन के महत्व पर जोर दिया। बीएआरसी के खगोल भौतिकी विज्ञान प्रभाग के प्रमुख डॉ. के.के यादव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया, जिसके बाद अत्याधुनिक एमएसीई नियंत्रण कक्ष का दौरा किया गया। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने खगोलविदों और तकनीशियनों की टीम के साथ बातचीत की।

4 अक्टूबर 2024 को एमएसीई वेधशाला के उद्घाटन के दौरान मंच पर उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

(बाएं से दाएं: डीएई के अतिरिक्त सचिव श्री एआर सुले; डीएई सचिव और एईसी अध्यक्ष डॉ. एके मोहंती; केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख में मुख्य वन संरक्षक श्री हुसैन मुफ्ती; आईआईए की निदेशक प्रोफेसर अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम, बीएआरसी के भौतिकी समूह के निदेशक डॉ. एसएम यूसुफ)

इस अवसर पर एमएसीई परियोजना की यात्रा का एक सचित्र संकलन भी जारी किया गया। डॉ. मोहंती ने नम्बरदारों (ग्राम प्रधानों) के प्रतिनिधियों, स्कूल के प्रधानाध्यापक और हैंडल गोम्पा के आदरणीय लामा को सम्मानित किया।

कार्यक्रम के दौरान विशेष चित्र संकलन का विमोचन

एमएसीई दूरबीन पर एक विशेष फिल्म दिखाई गई, जिसमें परियोजना के दौरान की गई वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को दर्शाया गया। दिन का समापन एमएसीई वेधशाला के निर्देशित दौरे के साथ हुआ, जिसमें उपस्थित लोगों को विश्व स्तरीय वेधशाला का एक विशेष नज़ारा देखने को मिला, जो भारत को वैश्विक उन्नत खगोल विज्ञान मानचित्र पर स्थापित करता है।

एमएसीई दूरबीन का उद्घाटन भारतीय खगोल भौतिकी और ब्रह्मांडीय किरण अनुसंधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, एमएसीई दूरबीन उच्च-ऊर्जा गामा किरणों का निरीक्षण करेगी, जो ब्रह्मांड में सबसे ऊर्जावान घटनाओं, जैसे सुपरनोवा, ब्लैक होल और गामा-रे विस्फोटों को समझने के वैश्विक प्रयासों में योगदान देगी। यह सुविधा वैश्विक वेधशालाओं की पूरक होगी, जिससे मल्टी-मैसेंजर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

एमएसीई परियोजना का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत के योगदान को आगे बढ़ाना और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में भारत की स्थिति को मजबूत करना है। यह वेधशाला भारतीय वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगी और उन्हें खगोल भौतिकी में नए क्षेत्रों की खोज करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

कार्यक्रम के दौरान सामुदायिक प्रतिनिधियों का अभिनंदन

गणमान्य व्यक्तियों का एमएसीई नियंत्रण कक्ष का दौरा

एमएसीई दूरबीन का उपयोग करके रात्रिकालीन अवलोकन

5 अक्टूबर 2024 को एमएसीई स्थल पर बीएआरसी के भौतिकी समूह की टीम के साथ डीएई सचिव और एईसी अध्यक्ष डॉ. अजीत कुमार मोहंती

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