स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
डिजिटल स्वास्थ्य को सक्षम बनाने की दिशा में परिवर्तनकारी तीन-वर्षीय यात्रा का प्रतीक है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
67 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए) बनाए गए हैं
42 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड एबीएचए से जोड़े गए हैं
17,000 से अधिक निजी सुविधाओं सहित 1.3 लाख से अधिक सुविधाएं एबीडीएम -सक्षम
3.3 लाख स्वास्थ्य सुविधाएं और 4.7 लाख स्वास्थ्य सेवा व्यवसायी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता रजिस्ट्री में सफलतापूर्वक पंजीकृत किए जा चुके हैं
Posted On:
27 SEP 2024 5:27PM by PIB Delhi
सुदृढ़ डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की स्थापना के विजन के साथ 27 सितंबर 2021 को आरंभ किए गए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) ने स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में देश के डिजिटल स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम में व्यापक बदलाव लाने के उद्देश्य से तीन साल की परिवर्तनकारी यात्रा का आगाज किया। यह डिजिटल स्वास्थ्य व्यवहार में अंतर-परिचालन को सक्षम बनाने के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) का लाभ उठाता है।
इसके उद्देश्य के मूल को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) से तलाशा जा सकता है, जिसमें पहुंच, स्वास्थ्य-केंद्रित दृष्टिकोण और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के लिए विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित थे। इसके बाद नेशनल हेल्थ स्टैक (2018) आया जिसमें डिजिटल स्वास्थ्य के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य पहचानकर्ता और सत्यापित रजिस्ट्री जैसे घटक शामिल थे, और इसके बाद एबीडीएम के कार्यान्वयन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने वाला नेशनल डिजिटल हेल्थ ब्लूप्रिंट (2019) लाया गया ।
एबीडीएम की प्रमुख विशेषताएं:
नागरिकों के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य पहचानकर्ता: प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य एबीएचए आईडी, जो स्वास्थ्य रिकॉर्ड को संग्रहीत और प्रबंधित करने हेतु मजबूत और भरोसेमंद पहचान स्थापित करती है।
स्वास्थ्य सेवा व्यवसायी रजिस्ट्री (एचपीआर): आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में संलग्न सभी स्वास्थ्य व्यवसायियों का व्यापक संग्रह। यह उन्हें भारत के डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम से जुड़ने में सक्षम बनाएगा।
स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (एचएफआर): देश भर की विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों में स्वास्थ्य सुविधाओं का समग्र संग्रह। इसमें अस्पताल, क्लीनिक, नैदानिक प्रयोगशालाएं और इमेजिंग सेंटर, फ़ार्मेसी आदि सहित सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं शामिल हैं।
स्वास्थ्य सूचना विनिमय और सहमति प्रबंधक (एचआईई-सीएम): नागरिकों को अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक सुरक्षित पहुंच और साझा करने का अधिकार देता है, यह सुनिश्चित करता है कि डेटा विनिमय सूचित सहमति से संचालित हो।
एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफ़ेस (यूएचआई): यह स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश और प्रदायगी को सुगम बनाता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा संबंधी अंतःक्रियाएं सुव्यवस्थित होती हैं और सेवा तक पहुंच में सुधार होता है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज (एचसीएक्स): दावा प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाते हुए बीमा भुगतान इकोसिस्टम को मानकीकृत करता है।
डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: इस कदम के मूल में स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा, गोपनीयता और निजता हैं। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (डीपीडीपी अधिनियम) के अनुरूप, एबीडीएम की संघीय संरचना रोगी के स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी की सुरक्षा, गोपनीयता और उसके सुरक्षित साझाकरण को सुनिश्चित करती है।
अंतर-परिचालन या इंटरऑपरेबिलिटी: स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम में विभिन्न हितधारकों के बीच डेटा के सुरक्षित आदान-प्रदान को सक्षम करके निर्बाध और कुशल स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी की सुविधा प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, तीन गेटवे -स्वास्थ्य सूचना सहमति प्रबंधक (एचआईई-सीएम), राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज (एनएचसीएक्स) और एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफ़ेस (यूएचआई)- अंतर-परिचालन की सुविधा प्रदान करते हैं।
पारदर्शिता: यह व्यक्तियों को सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच कायम करने का विकल्प प्रदान करती है, निर्धारित दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल के अनुपालन को सुगम बनाती है, तथा सेवाओं के मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता और प्रदान की जा रही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
एबीडीएम के तहत प्रमुख कदम:
स्कैन और शेयर: एक क्यूआर-कोड आधारित ओपीडी पंजीकरण सेवा है, जिससे रोग उक्त सुविधा के क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं और अपनी जनसांख्यिकीय जानकारी साझा कर सकते हैं। इससे पंजीकरण काउंटर पर लगने वाली लंबी कतारों में कमी आती है तथा अधूरे और गलत डेटा की प्रविष्टि होने में कमी आती है। इसने 5 करोड़ से ज़्यादा ओपीडी टोकन दर्ज किए हैं, जिससे प्रतीक्षा समय एक घंटे से घटकर आधे घंटे रह गया है, जिससे 2.5 करोड़ मानव-घंटों की बचत हुई है।
डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (डीएचआईएस): अनुकूलन को बढ़ावा देने और पारिस्थितिकी तंत्र को एबीडीएम इकोसिस्टम में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 1 जनवरी 2023 से वित्तीय प्रोत्साहन शुरू किए गए। यह 4 करोड़ तक के प्रोत्साहन अर्जित करने का अवसर देती है तथा निजी और सार्वजनिक प्रतिभागियों के बीच महत्वपूर्ण पहुंच प्राप्त कर चुकी है। यह पहल डिजिटल स्वास्थ्य पद्धतियों को अपनाने और लागू करने को प्रोत्साहित कर रही है।
निजी क्षेत्र के अपनाने के लिए माइक्रोसाइट: माइक्रोसाइट पहल का उद्देश्य विशेष रूप से निजी क्षेत्र के प्रदाताओं के लिए एबीडीएम अपनाने की दिशा में विभिन्न चुनौतियों से निपटना है, इसके तहत 100 के प्रारंभिक लक्ष्य को पार करते हुए 106 माइक्रोसाइटों को सफलतापूर्वक परिचालित किया गया है।
एंड टू एंड एबीडीएम अपनाने का परीक्षण : इस परीक्षण का उद्देश्य पूरे भारत में विभिन्न सुविधाओं के स्तर पर सार्वजनिक और निजी सुविधाओं को एंड टू एंड एबीडीएम अपनाने के माध्यम से डिजिटल बनाना है। इसका उद्देश्य इन सुविधाओं को मॉडल एबीडीएम सुविधाओं में बदलना है, जो भविष्य के डिजिटलीकरण प्रयासों के लिए एक बेंचमार्क का काम करेंगी। 27 जुलाई से सितंबर 2024 तक, कुल 131 स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं को भागीदारी के लिए चुना गया है।
एबीडीएम की उपलब्धियां:
67 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए ) बनाए गए हैं, जो नागरिकों को सुरक्षित पहुंच और स्वास्थ्य रिकॉर्ड साझा करने के लिए विशिष्ट डिजिटल स्वास्थ्य आईडी प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, 42 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड एबीएचए से जोड़े गए हैं, जिससे चिकित्सा इतिहास तक सहज पहुंच संभव हुई है और स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी में वृद्धि हुई है।
अपनी शुरुआत के बाद से प्रमुख निजी और सार्वजनिक प्रतिभागियों को शामिल करके इसने डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। प्रयोगशालाओं, फार्मेसियों, डिजिटल समाधान कंपनियों सहित 236 से अधिक निजी संस्थाओं ने एबीडीएम इकोसिस्टम के साथ एकीकृत होते हुए अंतर-परिचालन हासिल करने के लिए हाथ मिलाया है। सार्वजनिक क्षेत्र, एम्स दिल्ली और एम्स भोपाल जैसे संस्थान और कई अन्य संस्थान स्कैन और शेयर ओपीडी पंजीकरण बनाने की दिशा में शीर्ष प्रदर्शनकर्ता के रूप में उभरे हैं। विभिन्न प्रमुख निजी स्वास्थ्य सेवा श्रृंखलाओं के योगदान सहित इन प्रयासों ने एबीडीएम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में, 17,000 से अधिक निजी सुविधाओं सहित 1.3 लाख से अधिक सुविधाएं एबीडीएम –सक्षम हैं।
पंजीकृत स्वास्थ्य सेवा व्यवसायियों और स्वास्थ्य सुविधाओं के व्यापक संग्रह सहित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता रजिस्ट्री (एनएचपीआर) के शुभारंभ के साथ, 3.3 लाख स्वास्थ्य सुविधाएं और 4.7 लाख स्वास्थ्य सेवा पेशेवर सफलतापूर्वक पंजीकृत हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर (एनएमसी) और राष्ट्रीय दंत चिकित्सा परिषद के लिए राष्ट्रीय दंत चिकित्सा रजिस्टर (एनडीआर) जैसे पोर्टल विकसित किए हैं।
परिवर्तन की ओर अग्रसर:
एबीडीएम डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को संवर्धित करने के लिए कई साझेदारियों का लाभ उठाकर परिवर्तन को प्रेरित करने और अपना दायरा बढ़ाने में सक्षम रहा है। स्वास्थ्य सेवा के लिए एआई में डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के विकास हेतु आईआईटी कानपुर के साथ सहयोग करने से लेकर चिकित्सा पाठ्यक्रम में डिजिटल स्वास्थ्य शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज (एमयूएचएस) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने तक, संगठन ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन लाने के अपने प्रयासों का विस्तार किया है। इसके अतिरिक्त, डिजिटल स्वास्थ्य सीखने के दृष्टिकोण से, एबीडीएम ने डिजिटल स्वास्थ्य प्रथाओं को बेहतर ढंग से समझने और अपनाने के लिए हितधारकों को प्रशिक्षण देने और संवेदनशील बनाने के माध्यम से परिवर्तन को आगे बढ़ाया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने एक व्हाट्सएप चैटबॉट पेश किया है, जो एबीडीएम में शामिल हितधारकों को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोगकर्ता के अनुकूल मंच के रूप में काम करता है।
इसके अलावा, विभिन्न संस्थाएं और कदम स्वास्थ्य सेवा के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में डिजिटल स्वास्थ्य के एकीकरण की वकालत कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स (एनएबीएच) ने एचआईएस/ईएमआर सिस्टम के लिए अपने डिजिटल स्वास्थ्य मानकों का पहला संस्करण लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य भारत में डिजिटल स्वास्थ्य तकनीकों को अपनाने में तेज़ी लाना है। इसके अलावा, eSwasthya Dham पोर्टल को एबीडीएम के साथ एकीकृत किया गया है, जिससे चार धाम यात्रियों को इसका लाभ मिल रहा है।
एबीडीएम एक निर्बाध डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम की परिकल्पना करता है, जहां प्रत्येक भारतीय नागरिक की अपने स्वयं के स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुंच हो। प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक विशिष्ट स्वास्थ्य एबीएचए आईडी, एक मजबूत और भरोसेमंद पहचान स्थापित करते हुए विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और संस्थानों में सभी स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं को जोड़ने में मदद करेगी। एबीएचए के माध्यम से, नागरिक पंजीकरण कराने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं पर लंबी कतारों से बचने से लेकर डॉक्टर से मुलाकात का समय लेने की सुविधा तक जैसे कई डिजिटल स्वास्थ्य लाभ उठा सकते हैं। इस मिशन के तहत, डिजिटल स्वास्थ्य प्रथाओं को अपनाने की सुविधा के लिए स्वास्थ्य व्यवसायियों को नैदानिक निर्णय सहायता प्रणाली (सीडीएसएस) उपलब्ध कराई जा रही है। इस पहल का उद्देश्य नैदानिक निर्णय लेने को बढ़ाना, रोगी से संबंधित परिणामों में सुधार और स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी को सुव्यवस्थित करना है। इसके अलावा, यह स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को रोगी के इतिहास तक आसान पहुंच प्रदान करेगा, जिससे वे अधिक सुविचारित निर्णय लेने में सक्षम होंगे, जिसकी बदौलत बेहतर निदान और उपचार परिणाम प्राप्त होंगे।
अपने हितधारकों के लिए रजिस्ट्रियों की त्रिमूर्ति (एबीएचए, एचपीआर और एचएफआर) और गेटवे की त्रिमूर्ति (एचआईईसीएम, यूएचआई और एनएचसीएक्स) के माध्यम से सत्य का एकमात्र स्रोत बनाकर, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भारत की स्वास्थ्य सेवा के परिदृश्य में बदलाव लाने की अपार क्षमता रखता है।
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एमजी/आरपीएम/केसी/आरके
(Release ID: 2059748)
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