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भारत ने वाशिंगटन डीसी में आईपीईएफ सप्लाई चैन काउंसिल एंड क्राइसिस रिस्पांस नेटवर्क की बैठक में पहली बार उपस्थित होकर भाग लिया


एक सशक्त आपूर्ति श्रृंखला को सुविधाजनक बनाने के लिए सेमीकंडक्टर, बैटरी पर केंद्रित महत्वपूर्ण खनिजों और रसायनों के लिए तीन कार्य योजना दल बनाए गए

लॉजिस्टिक सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लॉजिस्टिक और माल की आवाजाही पर उप-समिति की स्थापना की गई

आपूर्ति श्रृंखला संबंधी अनुभव और जोखिम का विश्लेषण करने के लिए डेटा और एनालिटिक्स पर उप-समिति की स्थापना की गई

क्राइसिस रिस्पांस नेटवर्क बैठक में आपातकालीन सिमुलेशन संबंधी क्रियाकलाप प्रस्तुत किए गए

Posted On: 23 SEP 2024 6:13PM by PIB Delhi

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 12 सितंबर, 2024 को वाशिंगटन डीसी में आयोजित इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फोरम (आईपीईएफ) की आपूर्ति श्रृंखला परिषद की पहली बैठक में उपस्थित होकर भाग लिया। इसके बाद बाद 13 सितंबर, 2024 को क्राइसिस रिस्पांस नेटवर्क की बैठक हुई। इन औपचारिक बैठकों से पहले एक सशक्त आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित विभिन्न विषयों पर पैनल चर्चा हुई, जिसमें समर्पित आपूर्ति श्रृंखला केंद्र के निर्माण और स्केल जैसे टूल के विकास सहित अमेरिका की पहलों पर विशेष ध्यान दिया गया।

 

अमेरिका सप्लाई चैन काउंसिल का अध्यक्ष अमेरिका है, जबकि भारत इसका उपाध्यक्ष है। इस बैठक में काफी प्रगति हुई। काउंसिल ने एक वर्षीय कार्य योजना को अपनाया, जिसमें पूरे वर्ष के लिए काउंसिल द्वारा की जाने वाली कार्रवाई का विवरण दिया गया। इसके अलावा, प्रमुख उपलब्धियां तीन क्षेत्रों अर्थात् सेमीकंडक्टर; बैटरी पर ध्यान देने के साथ महत्वपूर्ण खनिज; और रसायन से संबंधित तीन कार्य योजना टीमों की स्थापना थीं।

 

भागीदार देशों द्वारा हेल्थकेयर/ फार्मा क्षेत्र से संबंधित एक और कार्य योजना टीम स्थापित करने पर भी मुख्य रूप से सहमति व्यक्त की गई। अध्यक्ष द्वारा अंतिम रूप दिए जाने के बाद कार्य योजना टीम उसके लिए काम करना शुरू कर देगी। इन क्षेत्रों की पहचान भागीदार देशों द्वारा अधिसूचित महत्वपूर्ण क्षेत्रों और प्रमुख वस्तुओं की सूची से की गई थी। इच्छुक भागीदार देश कार्य योजना टीमों की स्थापना के एक महीने के भीतर कार्य योजना टीमों में शामिल हो सकते हैं। ये कार्य योजना टीमें उन विशिष्ट महत्वपूर्ण क्षेत्रों और प्रमुख वस्तुओं से संबंधित एक सशक्त आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए भागीदार देशों के बीच संभावित सहयोगी और सहकारी प्रयासों पर काउंसिल के लिए अपनी सिफारिशें तैयार करने के उद्देश्य से जल्द ही काम शुरू करेंगी।

 

 

इन क्षेत्रों में कार्य योजना टीमों का गठन आज अधिकांश महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं में अत्यधिक प्रासंगिक है, क्योंकि इनकी सघन आपूर्ति और कोविड-19 महामारी के दौरान सामना किए गए महत्वपूर्ण व्यवधानों से प्राप्त अनुभव को देखते हुए। आईपीईएफ के सभी भागीदारों के लिए इन क्षेत्रों में चुनौतियां और अनुकूलताएं दोनों हैं। कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं:

 

सेमीकंडक्टर इको-सिस्टम के लिए, किसी के पास कुशल कार्यबल हो सकता है, जैसे कि चिप डिजाइन के लिए डिजाइन इंजीनियर, अन्य लोग निर्माण और विनिर्माण, विकसित इंफ्रास्ट्रक्चर आदि के लिए अधिक पूंजी निवेश प्रदान करने की स्थिति में हो सकते हैं। दुनिया ने तकनीकी प्रगति और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों की मांग में तेजी से वृद्धि देखी है। एक स्थायी और कम कार्बन वाले भविष्य की ओर इस प्रतिमान बदलाव ने महत्वपूर्ण खनिजों की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने के महत्व को सामने ला दिया है।

 

स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, परिवहन, दूरसंचार, उर्वरक, फार्मास्यूटिकल सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशिष्ट महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग अपरिहार्य है। प्रमुख चुनौतियों में से एक इसकी संघनता और वैश्विक बाजार की गतिशीलता के कारण आपूर्ति संबंधी जोखिम है, जिसके परिणामस्वरूप मूल्य अस्थिरता और अनिश्चितता हो सकती है। इससे आपूर्ति में व्यवधान हो सकता है। इसी तरह, बढ़ती आबादी उच्च पैदावार के लिए सीमित कृषि भूमि पर अत्यधिक दबाव डालती है और इस संदर्भ में, कृषि-रसायनों की एक सशक्त आपूर्ति श्रृंखला अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। एक अनुमान के अनुसार, कृषि रसायन बाजार (उर्वरक, कीटनाशक, सहायक पदार्थ और पादप विनियामक) 2023 तक 235.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से 2028 तक 282.2 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 3.7 प्रतिशत वर्ष दर वर्ष आधार पर है।

 

एक अन्य प्रमुख उपलब्धि नवीनतम मुद्दों के लिए दो उप-समितियों की स्थापना थी। जबकि रसद और माल की आवाजाही पर उप-समिति आईपीईएफ क्षेत्र में रसद सेवाओं और रसद संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के प्रयासों के साथ-साथ व्यापार सुविधा से जुड़ी कार्य प्रणालियों को बढ़ाने के प्रयासों की सुविधा प्रदान करेगी, डेटा और एनालिटिक्स पर उप-समिति आपूर्ति श्रृंखला संबंधी जोखिमों के लिए विश्लेषणात्मक दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान करने के लिए आईपीईएफ देशों द्वारा पहले से किए गए कार्यों को आगे बढ़ाएगी। इस संदर्भ में, भारत ने पुनः कौशल विकास और उच्च कौशल विकास के लिए कार्यबल के विकास की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिस पर सकारात्मक रूप से विचार किया जा रहा है।

 

 

आईपीईएफ सप्लाई चैन काउंसिल की बैठक के बाद, कोरिया गणराज्य की अध्यक्षता में क्राइसिस रिस्पांस नेटवर्क (सीआरएन) की बैठक 13 सितंबर, 2024 को आयोजित की गई। बैठक के दौरान, क्षमता निर्माण के हिस्से के रूप में, सीआरएन ने एक इमरजेंसी सिमुलेशन एक्सरसाइज (टेबल टॉप एक्सरसाइज) आयोजित किया, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला संबंधी व्यवधान शामिल था, जो आईपीईएफ देशों द्वारा कुछ रसायनों के आयात और उपयोग को प्रभावित करता है और आईपीईएफ में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। सीआरएन तत्काल आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों को दूर करने पर केंद्रित है।

 

भारत सहित आईपीईएफ भागीदार देश अपनी रुचि के कार्य योजना टीमों और उपसमितियों में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि वे आईपीईएफ क्षेत्र में एक सशक्त आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से कार्रवाई योग्य नीतियों और सिफारिशों को विकसित करने के लिए सहयोगी और सहकारी तरीके से एक साथ काम करते हैं।

 

आईपीईएफ (इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में 14 देशों का बहुपक्षीय समूह) के तहत एक सशक्त आपूर्ति श्रृंखला समझौता (स्तंभ II समझौता) 24 फरवरी, 2024 से प्रभावी हुआ। इस समझौते का उद्देश्य क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना है। इस समझौते के तहत, तीन संस्थागत निकाय बनाए गए हैं, अर्थात् सप्लाई चैन काउंसिल (एससीसी), क्राइसिस रिस्पांस नेटवर्क (सीआरएन) और लेबर राइट्स एडवाइजरी बोर्ड (एलआरएबी), जो समझौते के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विशिष्ट कार्य करते हैं।

इन आईपीईएफ बैठकों के दौरान, क्षेत्र में एक सशक्त आपूर्ति श्रृंखला की सुविधा के लिए उनके विचारों और आगे के रास्ते को समझने के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, मलेशिया, इंडोनेशिया और कोरिया गणराज्य के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी आयोजित की गईं।

सप्लाई चैन काउंसिल की अगली बैठक दिसंबर, 2024 में आयोजित की जाएगी।

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एमजी/ एआर/ एसकेएस/ डीके


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