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उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव चिंताजनक है, लैंगिक न्याय के लिए पुरुष मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है


"लक्षणात्मक विकृति" जैसी टिप्पणियां महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बर्बरता को कम करके आंकती हैं और यह बेहद शर्मनाक है-उपराष्ट्रपति

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण एक युगांतरकारी कदम है; अतीत के गौरव को वापस पाने के लिए एक बड़ा प्रयास है- उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने आगाह किया, इवेंट मैनेजमेंट के जरिए प्रतिष्ठित हैसियत हासिल करने वाले स्वार्थी लोगों से सतर्क रहें

उपराष्ट्रपति ने कहा, हाल के वर्षों में महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में आमूलचूल बदलाव आया है

उपराष्ट्रपति ने महिलाओं से आग्रह किया, चुनौतियों का सामना करें और बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ें

Posted On: 16 SEP 2024 9:08PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज पुरुष मानसिकता में बदलाव लाने और व्यापक लैंगिक संवेदनशीलता के लिए अपील की। दिल्ली के ताज पैलेस होटल में आज नेटवर्क 18 समूह द्वारा आयोजित "महिला सशक्तिकरण के लिए समग्र दृष्टिकोण" विषय पर शीशक्ति2024 में अपना संबोधन देते हुए, श्री धनखड़ ने समाज में फैले सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव पर ध्यान देने पर जोर दिया। 

उन्होंने कहा  “हमारी महिलाएं शासन के हर हिस्से में भागीदारी कर रही हैं। वे समर्पण, प्रतिबद्धता और प्रतिभा का उदाहरण दे रही हैं। लेकिन लैंगिक समानता अभी भी उनसे दूर है। किसी भी व्यवस्था में, जिसमें मेरे सामने मौजूद व्यवस्था भी शामिल हैकिसी न किसी तरह, यह लैंगिक समानता हमसे दूर होती जा रही है। लैंगिक भेदभाव स्पष्ट तौर खत्म हो गया है, लेकिन यह सूक्ष्म रूपों में आ गया है। सूक्ष्म रूप, जिससे आप लड़ नहीं सकते, जिसे आप परिभाषित नहीं कर सकते और यही वह क्षेत्र है, जिस पर हमें सबसे ज्यादा प्रहार करना है। सूक्ष्म भेदभाव प्रत्यक्ष भेदभाव से कहीं अधिक खतरनाक है। क्योंकि प्रत्यक्ष भेदभाव का आप विरोध कर सकते हैं। लेकिन सूक्ष्म भेदभाव का विरोध करना मुश्किल होता है। बड़े पैमाने पर पुरुष की सोच में बदलाव की जरूरत है। मानवीय गतिविधि के हर पहलू में गैर-भेदभावपूर्ण समान अवसर लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए सबसे जरूरी है।”

महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर की गई "लक्षणात्मक विकृति" जैसी टिप्पणियों को बेहद शर्मनाक और ऐसे जघन्य अपराधों की बर्बरता को कम करने के आंकने के समान बताते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, "हमें इस तरह के पागलपन भरे विचारों को पूरी तरह से नकारना और तिरस्कार करना चाहिए, जो कोलकाता अस्पताल में ड्यूटी के दौरान एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की बर्बरता को कम करके आंकते हैं और कुछ लोग इसे लक्षणात्मक विकृति कहते हैं, यह कितने शर्म की बात है। हम अपनी अंतरात्मा के प्रति जवाबदेह हैं, हमारा हृदय द्रवित होना चाहिए। ये मुद्दा प्रायश्चित्त करने का है, सुधार की मुद्रा में आने का है।”

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण के प्रावधान की सराहना करते हुए, श्री धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि यह एक युगांतरकारी कदम है। समग्र महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह अब तक का सबसे प्रभावशाली कदम है। उन्होंने कहा, "यह नीतियों के विकास और विधायिका व कार्यपालिका में ठोस भागीदारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा"।

इवेंट मैनेजमेंट के जरिए प्रतिष्ठित हैसियत हासिल करने वाले स्वार्थी लोगों से सतर्क रहने के लिए आगाह करते हुए श्री धनखड़ ने रेखांकित किया, ''पत्रकारिता से लेकर सभी क्षेत्रों में, अपने देश में, हमने लोगों को प्रतिष्ठित व्यक्ति का दर्जा दे दिया है, नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है, किस लिए? क्योंकि वे इवेंट मैनेजमेंट में अच्छे हैं? क्या वे उनके मामले ठीक तरह से सुलझाते हैं? वो इसलिए महान बन जाते हैं क्योंकि हम सतर्क नहीं हैं, फिर वे हमारे मार्गदर्शक बन जाते हैं और फिर वे कहते हैं कि ओह... जो बांग्लादेश में हुआ वो यहां भी हो सकता है। मैं आपसे कहता हूं कि सोच में बदलाव न केवल लैंगिक न्याय के लिए जरूरी है, बल्कि सोच में बदलाव राष्ट्रवाद के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के लिए भी जरूरी है। हम लोगों को स्वार्थी और पक्षपातपूर्ण हितों के लिए दिन-ब-दिन राष्ट्रीय हित की अनदेखी करने की अनुमति नहीं दे सकते! इस देश में हमें यह समझना होगा कि हम 5000 वर्ष से भी अधिक पुरानी सभ्यता हैं, जो सद्गुणों और उदारता से गहराई से जुड़ी हुई है...''

अपने संबोधन में श्री धनखड़ ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि हाल के वर्षों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न सकारात्मक कार्यों के जरिए प्रयास किए जा रहे हैं और महिला विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास में आमूलचूल बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि बेटी पढ़ाओ, मुद्रा योजना और रक्षा क्षेत्र में महिलाओं के प्रवेश और अंतरिक्ष, समुद्र या स्थल, सभी क्षेत्रों में उनके योगदान ने परिदृश्य को बड़े पैमाने पर बदल दिया है।

उन्होंने कहा "मैं ये नहीं कहूंगा कि बीते एक दशक में ये आमूलचूल बदलाव आया है। लोग इसे एक राजनीतिक बिंदु के रूप में लेंगे, लेकिन ये ऐसा ही है- बेटी पढ़ाओ, मुद्रा ने महिलाओं को एक प्रकार की स्वतंत्रता दी है। वे अब नौकरी देने वाली हो गई हैं। वो स्वयं को नौकरी दे रही हैं और दूसरों को नौकरी दे रही हैं- एक बड़ा बदलाव और इसके चलते ये आदर्श बदलाव महिलाओं के विकास से महिला के नेतृत्व में विकास तक पहुंच गया है। कुछ पुरुषों को छोड़ दें, तो बाकी सभी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बजट प्रस्तुत किए जाने की प्रशंसा की है। उन्होंने सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनकर इतिहास रचा है, और उन्होंने मोरारजी देसाई को भी पीछे छोड़ते हुए एक नया रिकॉर्ड बनाया है।" 

महिलाओं से अपील करते हुए श्री धनखड़ ने कहा, ''कृपया उन चुनौतियों का सामना करें और आपकी प्रगति में आने वाली बाधाओं को पार करके आगे बढ़ें और मैं आपको बता दूं कि बाधाएं कुछ भी नहीं हैं, केवल आपको नेतृत्व करना है। बदलाव का समय आ गया है, आपको बदलाव चाहने की बजाय बदलाव लाने की चाह करनी होगी। आप गाड़ी में बैठने वाली यात्री नहीं हैं, आप ड्राइवर हैं और इसलिए इसे चलाएं।''

भारत की संरचनात्मक लोकतांत्रिक व्यवस्था पर ध्यान खींचते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि गांव के स्तर पर, प्रादेशिक स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर भारत का लोकतंत्र संरचनात्मक है और 1.4 मिलियन महिलाएं पंचायती राज में निर्वाचित होती हैं।

उन्होंने कहा "लोकतंत्र अपने आप में एक तंत्र है जो न तो अमीर वर्ग के लिए है, न ही विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए है, न विशेषाधिकार प्राप्त वंश के लिए है, लोकतंत्र प्राथमिक रूप से किसके लिए है? ये उनके लिए है जो कमजोर हैं, जो चुनौतियों का सामना करते हैं, जिनको सहारे की जरूरत है, ताकि असली प्रतिभा जो चुनौतियों की वजह से बाधित है, वह दूर हो जाए।"

लैंगिक समानता के लिए शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री धनखड़ ने कहा, "मैं शिक्षा का उत्पाद हूं! शिक्षा प्रारंभिक बिंदु है. शिक्षा मिलेगी तो असमानता की जंजीरें टूट जाएंगी। कई लोगों ने ठीक ही कहा है, आप एक लड़के को शिक्षित करते हैं - तो आप एक को शिक्षित करते हैं। आप लड़की को शिक्षित करते हैं - तो आप एक परिवार को शिक्षित करते हैं और ये जमीनी हकीकत है। मैंने हमेशा से ये माना है, यही जाना है और मुझे पूरा यकीन है कि कोई इससे इनकार नहीं कर सकता। असमानताओं को दूर करने, समान अवसर पैदा करने और समानता लाने के लिए शिक्षा सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र है। यह बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और परिणाम उत्साहजनक हैं।"

श्री धनखड़ ने कहा, "मैं शिक्षा का देन हूं! शिक्षा शुरुआती बिंदु है। अगर शिक्षा उपलब्ध होगी तो असमानता की जंजीरें टूट जाएंगी। कई लोगों ने सही कहा है, आप एक लड़के को शिक्षित करते हैं- आप एक को शिक्षित करते हैं। आप एक लड़की को शिक्षित करते हैं- आप एक परिवार को शिक्षित करते हैं और यह एक जमीनी हकीकत है। मैंने हमेशा विश्वास किया है और सहमति व्यक्त की है और मुझे यकीन है कि कोई भी असहमत नहीं होगा। शिक्षा ही सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र है जो समानता लाने, असमानता को दूर करने और एक समान स्थिति बनाने में मदद करती है। यह बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और परिणाम उत्साहजनक हैं।"

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