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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने मनुष्यों पर नैदानिक परीक्षणों के पहले चरण को आगे बढ़ाने के लिए उद्योग और शैक्षणिक भागीदारों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए


सभी नागरिकों के लिए किफायती और सुलभ अत्याधुनिक उपचारों की खोज में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर: केंद्रीय मंत्री श्री जे पी नड्डा

यह साझेदारी नैदानिक विकास में भारत की आत्मनिर्भरता स्थापित करने और स्वदेशी दवा एजेंटों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है

Posted On: 14 SEP 2024 12:05PM by PIB Delhi

भारत के नैदानिक ​​अनुसंधान इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान  परिषद (आईसीएमआर) ने अपने नैदानिक ​​परीक्षणों के नेटवर्क के पहले चरण के तहत कई प्रायोजकों के साथ समझौता ज्ञापन को औपचारिक रूप दिया है। ये समझौते आशाजनक अणुओं के मनुष्यों पर नैदानिक ​​परीक्षणों की शुरुआत का पहला कदम है। इनमे  ऑरिजेन ऑन्कोलॉजी लिमिटेड के साथ मल्टीपल मायलोमा के लिए एक छोटे अणु पर सहयोगात्मक अनुसंधान, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड के साथ जीका वैक्सीन के विकास के लिए साझेदारी, मायनवैक्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस वैक्सीन परीक्षण का समन्वय और इम्यूनोएक्ट के साथ क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया के एक नए संकेत के लिए सीएआर-टी सेल थेरेपी उन्नति अध्ययन शामिल हैं। यह पहल भारत को फार्मास्युटिकल एजेंटों के नैदानिक ​​विकास में अग्रणी रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, श्री जे पी नड्डा ने आईसीएमआर और प्रमुख उद्योग और शैक्षणिक भागीदारों के बीच रणनीतिक सहयोग की सराहना की। उन्होंने इसे सभी नागरिकों के लिए सस्ती और सुलभ अत्याधुनिक उपचार की खोज में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस पहल से भारत को स्वास्थ्य सेवा नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में उभरने में मदद मिली है।

स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर  के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने परियोजना की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर देते हुए कहा, “यह सहयोग रणनीतिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से भारत में नैदानिक ​​अनुसंधान को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पहला चरण क्लीनिकल ​​परीक्षण बुनियादी ढांचे की स्थापना, स्वदेशी अणुओं और अत्याधुनिक उपचारों के विकास को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण घटक है। हमें सुनिश्चित करना है कि भारत नए और किफायती स्वास्थ्य सेवा समाधानों के विकास में अग्रणी रहते हुए इस नेटवर्क का और विस्तार करे ।” डॉ. बहल ने आईसीएमआर की पहलों के व्यापक प्रभाव पर भी प्रकाश डाला, जैसे नेटवर्क फॉर फेज़ 1 क्लिनिकल ट्रायल्स, इंटेंट नेटवर्क और मेडटेक मित्र, जो सरकार के "विकसित भारत" के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। उन्होंने सभी के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल के लिए संगठन की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में भारत बायोटेक के सहयोग से कोवैक्सिन के विकास में आईसीएमआर की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया।

चरण 1 क्लिनिकल परीक्षणों के लिए आईसीएमआर नेटवर्क में भारत के रणनीतिक रूप से स्थित चार संस्थान शामिल हैं- केईएमएच और जीएसएमसी, मुंबई; ऐसीटीआरईसी, नवी मुंबई; एसआरएम एमसीएच एंड आरसी, कट्टनकुलथुर; और पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़-आईसीएमआर मुख्यालय, जो नई दिल्ली में एक केंद्रीय समन्वय इकाई द्वारा समर्थित है। इस नेटवर्क को प्रत्येक परीक्षण स्थल पर मजबूत बुनियादी ढांचे और समर्पित जनशक्ति द्वारा समर्थित, सुचारू और प्रभावी संचालन सुनिश्चित करते हुए, प्रारंभिक चरण के नैदानिक ​​​​परीक्षण करने की भारत की क्षमता बनाने और बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इन समझौतों पर हस्ताक्षर करने से आईसीएमआर ने उद्योग जगत  के साथ मजबूत साझेदारी को मजबूत किया है। यह भारत में एक मजबूत नैदानिक ​​​​परीक्षण ईकोसिस्टम के निर्माण के लिए संस्थान के समर्पण को रेखांकित करता है, प्रारंभिक चरण के परीक्षणों से लेकर विपणन तक नई दवाओं को विकसित करने की क्षमता को बढ़ावा देता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय संसाधनों पर निर्भरता कम होती है और अंततः सभी के लिए सस्ती, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल के मिशन को आगे बढ़ाया जाता है।

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