श्रम और रोजगार मंत्रालय
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केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने रोजगार सृजन और श्रम सुधारों को बढ़ावा देने पर क्षेत्रीय बैठक की अध्यक्षता की


सरकार कार्यबल के सभी वर्गों के समावेशी विकास और कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है

Posted On: 30 AUG 2024 7:21PM by PIB Delhi

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज बेंगलुरु में छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों - कर्नाटक, तमिलनाडु , तेलंगाना, केरल, पुड्डुचेरी और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के साथ एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में कर्नाटक के श्रम मंत्री श्री संतोष लाड भी मौजूद थे। सहकारी संघवाद की भावना पर जोर देते हुये श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ नियोजित छह क्षेत्रीय बैठकों की श्रृंखला में यह पहली बैठक है।

बैठक में श्रम सुधारों, ई-श्रम पोर्टल, भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों (बीओसीडब्ल्यू) और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने पर चर्चा की गयी, जो कार्यबल के सभी वर्गों के समावेशी विकास और कल्याण के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सुश्री शोभा करंदलाजे ने अपने संबोधन में श्रम सुधारों के सफल क्रियान्वयन में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज की बैठक का उद्देश्य राज्यों के साथ मिलकर काम करना, कमियों की पहचान करना, चिंताओं का समाधान करना और सहयोगात्मक तरीके से आगे की राह तैयार करना था। उन्होंने सभी भाग लेने वाले राज्यों को अन्य राज्यों के साथ और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समग्र दृष्टिकोण के साथ अपने कदम पंक्तिबद्ध करने के लिये प्रोत्साहित किया। इस तथ्य को रेखांकित करते हुये कि श्रमिक राज्यों में काम में लगे हुये हैं, उन्होंने असंगठित श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने में राज्यों की भूमिका पर प्रकाश डाला और राज्य के अधिकारियों को ई-श्रम सहित मंत्रालय की ओर से बनाये गये विभिन्न तंत्रों का उपयोग करने के लिये प्रेरित किया।

श्री संतोष लाड ने श्रम कल्याण के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और आश्वासन दिया कि राज्य-विशिष्ट नियमों का विकास समयबद्ध और समग्र तरीके से किया जायेगा।

श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव सुश्री सुमिता डावरा ने बैठक के लिये संदर्भ निर्धारित करते हुये श्रम क्षेत्र में सुधार के लिये ‘सरकार का समग्र’ दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि राज्यों को देश भर में एकरूपता और अनुपालन में आसानी सुनिश्चित करने के लिये केंद्रीय श्रम संहिताओं के साथ राज्य-विशिष्ट नियमों का सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है , और यह उद्योग, श्रमिक यूनियनों और अन्य हितधारकों के परामर्श से किया जाना चाहिये।

उन्होंने असंगठित श्रमिकों के लिये वन-स्टॉप-सॉल्यूशन के रूप में ई-श्रम पोर्टल की स्थापना के लाभों को प्रदर्शित करते हुये राज्यों से सामाजिक सुरक्षा और कल्याण उपायों तक आसान पहुंच के माध्यम से असंगठित श्रमिकों के कल्याण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये बहुत जरूरी दो-तरफ़ा एकीकरण प्रक्रिया में सक्रिय रुख अपनाने का अनुरोध किया। गुणवत्तापूर्ण नौकरियों का सृजन करने और रोज़गार के सटीक आकलन के महत्व पर ज़ोर देते हुये, उन्होंने उल्लेख किया कि मंत्रालय राज्य-स्तरीय रोज़गार सृजन पहलों और परिणामों को जानने के लिये एक वैज्ञानिक अवसरंचना तैयार करेगा।

बैठक के दौरान, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से अपेक्षाओं पर प्रकाश डाला गया, जो इस प्रकार हैं :

  1. एनसीएस पोर्टल पर मॉड्यूल के माध्यम से डीजीई को रोज़गार रिटर्न और जॉब-फेयर विवरण का समय पर और नियमित रूप से प्रस्तुत करना।
  2. ई-श्रम पोर्टल के साथ समयबद्ध दो-तरफ़ा एकीकरण,
  3. रोज़गार डेटा निर्माण और गुणवत्तापूर्ण नौकरियां सृजित के लिये एक केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना,
  4. राज्य के नियम बनाने के लिये परामर्शी दृष्टिकोण अपनायें।

भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक (बीओसीडब्ल्यू) के लिये मुख्य बिंदुओं में कल्याण कवरेज का विस्तार करना, ऑडिट सुनिश्चित करना और पंजीकरण बढ़ाने तथा पीएमजेजेबीवाई/पीएमएसबीवाई/पीएमजेएवाई/पीएमएसवाईएम जैसी केंद्रीय कल्याण योजनाओं के कवरेज को भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों तक बढ़ाने के लिये ई-श्रम के साथ डेटा को एकीकृत करना शामिल था। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उपकर संग्रह बढ़ाने और आदर्श कल्याण योजनाओं के अनुपालन के लिये प्रोत्साहित किया गया।

रोजगार सृजन , रोजगार कार्यालयों के आधुनिकीकरण, शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी बनाने और उद्योग सहयोग पर चर्चा की गयी। सर्वोत्तम अवसंरचना उपयोग के माध्यम से कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) सेवाओं में
सुधार , राज्य कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) सोसायटियों का गठन और निधि प्रवाह को सुव्यवस्थित करने पर भी जोर दिया गया।

प्रत्येक मुद्दे पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और भारत सरकार के अधिकारियों के बीच व्यापक संवादात्मक सत्र आयोजित किये गये। राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की चिंताओं पर चर्चा की गयी , प्रश्नों का समाधान किया गया और भविष्य की कार्रवाई के लिये सुझाव दिये गये। विभिन्न राज्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं को भी साझा किया गया।

श्रम और रोजगार मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री कमल किशोर सोन ने राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारियों को उनकी भागीदारी के लिये धन्यवाद दिया और श्रम सुधार पहलों को लागू करने में निरंतर सहयोग का आग्रह किया। उन्होंने इन प्रयासों के लिये भारत सरकार की ओर से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।

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एमजी/एआर/एसवी


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