कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय

श्रीलंका के सिविल सेवकों के लिए 5वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम मसूरी के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) में प्रारंभ


कार्यक्रम में श्रीलंका के प्रमुख मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले 39 मिडिल कैरियर सिविल सेवक शामिल

डीजी एनसीजीजी और सचिव डीएआरपीजी ने कहा- "भारत में डिजिटल शासन प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने का एक अनुकरणीय मॉडल, यह प्रतिभागियों को शिक्षण के लिए मूल्यवान अनुभव प्रदान करता है"

Posted On: 23 AUG 2024 1:17PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) ने श्रीलंका के मिडिल-कैरियर सिविल सेवकों के लिए 5वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया। दो सप्ताह का यह कार्यक्रम 19 अगस्त, 2024 से 30 अगस्त, 2024 तक आयोजित किया जा रहा है और इसमें श्रीलंका के 39 मिडिल-कैरियर सिविल सेवक हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें वरिष्ठ सहायक सचिव, सहायक सचिव, अवर प्रभागीय सचिव, क्षेत्रीय उपायुक्त और विभिन्न सरकारी विभागों जैसे महिला मामलों के मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय, श्रीलंका विकास प्रशासन संस्थान (एसएलआईडीए) और अन्य के निदेशक शामिल हैं।

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कार्यक्रम के तीसरे दिन श्री वी. श्रीनिवास, आईएएस, महानिदेशक, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) और सचिव, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने भाग लेने वाले सिविल सेवकों के साथ बातचीत की। अपने संबोधन में उन्होंने भारत में अनुकरणीय शासन मॉडल पर जोर दिया, जिसने प्रशासनिक प्रथाओं में एक उच्च मानक स्थापित किया है। ई-ऑफिस जैसी पहलों की सफलता का उल्लेख करते हुए, जहां 3.7 मिलियन फाइलें डिजिटल रूप से प्रबंधित की जाती हैं और डिजिटल इंडिया पहल के तहत आधार को एकीकृत किया जाता है, श्री वी. श्रीनिवास ने बताया कि कैसे आधार जैसे इन नवाचारों ने शासन दक्षता को काफी बढ़ाया है। उन्होंने लोक कल्याण पर स्वास्थ्य सेवा योजनाओं के परिवर्तनकारी प्रभाव पर भी प्रकाश डाला। श्रीयुत श्रीनिवास ने कार्यक्रम के डिजाइन पर भी जोर दिया, जो प्रतिभागियों को सांस्कृतिक बारीकियों और साझा शासन प्रथाओं की व्यापक समझ प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन प्रतिभागियों को अपने नागरिकों के लाभ के लिए सुशासन मॉडल को अपनाने और लागू करने के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। दो सप्ताह के इस कार्यक्रम में शासन के बदलते प्रतिमान, डिजिटल इंडिया, सेवा का अधिकार: जीवनयापन में आसानी, स्वामित्व योजना के तहत भूमि अभिलेख प्रबंधन, आकांक्षी जिला कार्यक्रम, 2030 तक सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने का दृष्टिकोण, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, जैसे विषयों को शामिल करते हुए कई तरह के सत्र शामिल हैं। प्रतिभागी वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), उत्तर प्रदेश के शामली में जिला प्रशासन, वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, प्रधानमंत्री संग्रहालय और ताजमहल की यात्रा भी करेंगे।

यह उल्लेख करना उचित है कि एनसीजीजी ने अब तक श्रीलंका के 174 वरिष्ठ और मध्य-कैरियर अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है। 2014 में स्थापित राष्ट्रीय सुशासन केंद्र को भारत और अन्य देशों के सिविल सेवकों को प्रशिक्षित करने का काम सौंपा गया है। पिछले कुछ वर्षों में, केंद्र ने बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, इरिट्रिया, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिजी, मोजाम्बिक और कंबोडिया जैसे विभिन्न देशों के अधिकारियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है।

कार्यक्रम का समन्वय डॉ. ए.पी. सिंह, डॉ. एम.के. भंडारी, एसोसिएट कोर्स कोऑर्डिनेटर और एनसीजीजी में संकाय, श्री संजय दत्त पंत, कार्यक्रम सहायक, मोनिशा, वाईपी और एनसीजीजी टीम द्वारा किया जा रहा है।

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