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राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) और महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचएस) ने डिजिटल स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए


एनएचए और एमयूएचएस के बीच साझेदारी डिजिटल स्वास्थ्य शिक्षा को चिकित्सा पाठ्यक्रम में एकीकृत करने और अधिक संबंद्ध एवं प्रभावी स्वास्थ्य सेवा इको-सिस्टम की नींव रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है: श्री जे पी नड्डा

“यह साझेदारी न केवल चिकित्सा छात्रों और पेशेवरों के कौशल को बढ़ाएगी बल्कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के व्यापक कार्यान्वयन को भी आगे बढ़ाएगी, जिससे अंततः लाखों भारतीयों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल तक बेहतर पहुंच मिलेगी”

एमयूएचएस द्वारा बनाया गया डिजिटल स्वास्थ्य फाउंडेशन कोर्स डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को डिजिटल स्वास्थ्य की बुनियादी बातों की व्यापक समझ प्रदान करेगा

एमओयू में भविष्य में ऐसे और पाठ्यक्रम विकसित करने का प्रस्ताव है

Posted On: 13 AUG 2024 4:50PM by PIB Bhopal

देश में डिजिटल स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे पी नड्डा की उपस्थिति में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) और महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचएस) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर आज हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत एमयूएचएस एनएचए को अपना डिजिटल हेल्थ फाउंडेशन कोर्स (डीएचएफसी) देगा और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) की शुरुआत के लिए एनएचए द्वारा सुझाए गए अतिरिक्त डिजिटल स्वास्थ्य कार्यक्रमों का सह-विकास करेगा। एनएचए एक अंतर-संचालन योग्य डिजिटल स्वास्थ्य इको-सिस्टम के विकास के लिए देश में डिजिटल स्वास्थ्य परिदृश्य पर सरकारी नीति का संचालन करता रहेगा। समझौता ज्ञापन में भविष्य में ऐसे और पाठ्यक्रम विकसित करने का भी प्रस्ताव है।

इस अवसर पर श्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा, “एनएचए और एमयूएचएस के बीच साझेदारी डिजिटल स्वास्थ्य शिक्षा को चिकित्सा पाठ्यक्रम में एकीकृत करने और संबद्ध एवं प्रभावी स्वास्थ्य सेवा इको-सिस्टम की नींव रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा, “यह साझेदारी न केवल मेडिकल छात्रों और पेशेवरों के कौशल को बढ़ाएगी बल्कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के व्यापक कार्यान्वयन को भी आगे बढ़ाएगी, जिससे लाखों भारतीयों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल तक बेहतर पहुंच मिलेगी।

उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) को प्रभावी ढंग से लागू कर सकें, समय-समय पर उनकी कार्य कुशलता बढ़ाने की आवश्यकता है। यह समझौता ज्ञापन न सिर्फ इस दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि देश में डिजिटल शिक्षण परिदृश्य में भी योगदान देगा।” श्री नड्डा ने स्वास्थ्य कर्मियों की कार्य कुशलता सुनिश्चित करने के लिए ‘आवश्यकता-आधारित’ पाठ्यक्रम बनाने के लिए आगे आने के लिए एमयूएचएस की सराहना की और कहा कि “एनएचए इसे लागू करने का काम करेगा जो हमारे देश में स्वास्थ्य सेवा इको-सिस्टम को मजबूत करने में मदद करेगा”।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की सीईओ श्रीमती दीप्ति गौर मुखर्जी ने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य एक उभरता हुआ क्षेत्र है और स्वास्थ्य इको-सिस्टम में सभी हितधारकों के लिए इसके बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज के साथ हमारी साझेदारी पूरे भारत में डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को अपनाने में तेजी लाने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य के स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर बेहतर रोगी परिणामों और कुशल स्वास्थ्य सेवा देने के लिए इन तकनीकों का अच्छी तरह से लाभ उठा सकेंगे।

एमयूएचएस की कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर (सेवानिवृत्त), पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम ने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य आज स्वास्थ्य सेवा में सबसे आगे है, और इस युग में डिजिटल स्वास्थ्य और रोगी देखभाल में इसके उपयोग को समझना अनिवार्य है। एमयूएचएस के लिए यह गर्व का क्षण है कि महाराष्ट्र भारत का वह पहला राज्य है जिसने सभी मेडिकल छात्रों के लिए डिजिटल स्वास्थ्य सेवा पाठ्यक्रम शुरू किया है। हम राष्ट्रीय स्तर पर एनएचए का समर्थन करने के लिए तत्पर हैं।

डिजिटल हेल्थ फाउंडेशन कोर्स (डीएचएफसी) स्वास्थ्य पेशेवरों को डिजिटल परिवर्तन और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन अपनाने के लिए तैयार करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। कोइता फाउंडेशन के सहयोग से एमयूएचएस द्वारा बनाया गया डीएचएफसी डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को डिजिटल स्वास्थ्य की बुनियादी बातों की व्यापक समझ प्रदान करता है। डीएचएफसी पाठ्यक्रम को प्रमुख डॉक्टरों और विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। डीएचएफसी को सार्वजनिक स्वास्थ्य इको-सिस्टम में हितधारकों के अनुकूल तैयार किया गया है।

डीएचएफसी को मेडिकल छात्रों, सेवारत डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को मिशन कर्मयोगी के आई-गॉट प्लेटफॉर्म सहित विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा, जो डिजिटल स्वास्थ्य प्रमाणन और निरंतर चिकित्सा शिक्षा क्रेडिट के अवसर प्रदान करेगा। यह उन्हें अपने संबंधित क्षेत्रों में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करेगा।

इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, कोइता फाउंडेशन के निदेशक और राष्ट्रीय अस्पताल एवं स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मान्यता बोर्ड (एनएबीएच) के अध्यक्ष श्री रिजवान कोइता और एमयूएचएस के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि:

डिजिटल स्वास्थ्य भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक बन रहा है। 27 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सक्रिय सहयोग के माध्यम से एक मजबूत डिजिटल स्वास्थ्य इको-सिस्टम स्थापित करना है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य विभिन्न स्वास्थ्य सेवा संस्थाओं-अस्पतालों, क्लीनिकों, प्रयोगशालाओं, फ़ार्मेसियों, स्वास्थ्य बीमा कंपनियों और अन्य को एकीकृत करना है ताकि रोगी देखभाल, पहुंच और सामर्थ्य में सुधार हो सके। डिजिटल स्वास्थ्य और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए डॉक्टरों, नर्सों, फ्रंटलाइन वर्कर्स, पैरामेडिक्स और मेडिकल छात्रों सहित स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच व्यापक प्रशिक्षण और जागरूकता की आवश्यकता है।

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