कोयला मंत्रालय
कोयला आयात पर निर्भरता
Posted On:
07 AUG 2024 4:17PM by PIB Bhopal
घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है। वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में घरेलू कोयला उत्पादन बढ़कर 997.26 मिलियन टन (एमटी) हो गया, जिससे पिछले वित्त वर्ष (2022-23) की तुलना में 11.65 प्रतिशत की वृद्धि है। चालू वित्त वर्ष में जुलाई 2024 तक कोयला उत्पादन 321.41 मिलियन टन था, जो पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि की तुलना में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। यद्धपि, वर्तमान आयात नीति के अनुसार कोयले को ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के अंतर्गत रखा गया है और उपभोक्ता लागू शुल्क के भुगतान पर अपने अनुबंध समझौते के अनुसार अपने पसंदीदा स्रोत से कोयला आयात करने के लिए स्वतंत्र हैं। सरकार ने घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाने और कोयले के आयात को प्रतिस्थापित करने के लिए अनेक उपाय शुरू किए हैं।
(i) वार्षिक अनुबंध मात्रा (एसीक्यू) को मानक आवश्यकता के 100 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है, उन मामलों में जहां एसीक्यू को या तो मानक आवश्यकता (गैर-तटीय) के 90 प्रतिशत तक कम कर दिया गया था या जहां एसीक्यू को मानक आवश्यकता (तटीय विद्युत संयंत्र) के 70 प्रतिशत तक कम कर दिया गया था। एसीक्यू में वृद्धि से घरेलू कोयले की आपूर्ति बढ़ेगी, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
(ii) शक्ति नीति के पैरा बी (viii) (ए) के प्रावधानों के अंतर्गत पावर एक्सचेंजों में किसी भी उत्पाद के माध्यम से या दीप पोर्टल के माध्यम से पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से अल्पावधि में उस लिंकेज के माध्यम से उत्पादित बिजली की बिक्री के लिए कोयला लिंकेज प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त, 2020 में शुरू की गई गैर-विनियमित क्षेत्र (एनआरएस) लिंकेज नीलामी नीति में संशोधन के साथ एनआरएस लिंकेज नीलामी में कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि को 30 साल तक की अवधि के लिए संशोधित किया गया है। शक्ति नीति के संशोधित प्रावधानों के अंतर्गत विद्युत संयंत्रों को अल्पावधि के लिए प्रस्तावित कोयले तथा एनआरएस लिंकेज नीलामी में 30 वर्ष तक की अवधि के लिए कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि में वृद्धि से कोयला आयात प्रतिस्थापन की दिशा में सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
(iii) सरकार ने 2022 में निर्णय लिया है कि पावर सेक्टर के सभी मौजूदा लिंकेज धारकों की पूर्ण पीपीए आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोयला कंपनियां उपलब्ध कराएंगी। विद्युत क्षेत्र के लिंकेज धारकों की पूर्ण पीपीए आवश्यकता को पूरा करने के सरकार के निर्णय से आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी।
(iv) सरकार ने एनआरएस लिंकेज नीलामी के अंतर्गत वाशरी डेवलेपर्स और ऑपरेटर (डब्ल्यूडीओ) रूट से कोकिंग कोल का उपयोग करके इस्पात नामक एक नया उप-क्षेत्र बनाने की स्वीकृति दी है। संपूर्ण संविदा अवधि के लिए चिन्हित खदानों से इस्पात क्षेत्र को दीर्घावधि कोयला लिंकेज के आश्वासन के साथ नए उप-क्षेत्र के सृजन से देश में धुले हुए कोकिंग कोयले की उपलब्धता बढे़गी और देश में इस्पात उद्योग द्वारा घरेलू कोकिंग कोयले की खपत में वृद्धि होगी, जिससे कोकिंग कोयले के आयात में कमी आएगी।
(v) कोयला आयात प्रतिस्थापन के उद्देश्य से कोयला मंत्रालय में 29.05.2020 को एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है। विद्युत मंत्रालय, रेल, पोत-परिवहन, वाणिज्य, इस्पात, खान, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), कोयला कंपनियों और बंदरगाहों के प्रतिनिधि इस आईएमसी के सदस्य हैं। अंतर-मंत्रालयी समिति की अब तक ग्यारह बैठकें आयोजित की गई हैं। आईएमसी के निर्देशों पर कोयला मंत्रालय द्वारा एक आयात डाटा प्रणाली विकसित की गई है ताकि मंत्रालय कोयले के आयातों का पता लगा सके। कोयले की और अधिक घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाते हैं।
(vi) कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं -
- कोयला ब्लॉकों के विकास में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा नियमित समीक्षा।
- परमाणु खनिजों को छोड़कर कैप्टिव खान मालिकों (परमाणु खनिजों को छोड़कर) को ऐसी अतिरिक्त राशि के भुगतान पर केन्द्र सरकार द्वारा यथानिर्धारित तरीके से खान से संबद्ध एंड यूज संयंत्र की आवश्यकता को पूरा करने के बाद खुले बाजार में अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 प्रतिशत तक बेचने में सक्षम बनाने के लिए खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 [एमएमडीआर अधिनियम] बनाना।
- कोयला खदानों के प्रचालन में तेजी लाने के लिए कोयला क्षेत्र के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल।
- कोयला खानों के शीघ्र प्रचालन के लिए विभिन्न अनुमोदन/स्वीकृतियां प्राप्त करने के लिए कोयला ब्लॉक आबंटियों के सहयोग के लिए परियोजना निगरानी इकाई।
- राजस्व साझाकरण के आधार पर वाणिज्यिक खनन की नीलामी 2020 में शुरू की गई। वाणिज्यिक खनन स्कीम के अंतर्गत उत्पादन की निर्धारित तिथि से पूर्व उत्पादित कोयले की मात्रा के लिए अंतिम प्रस्ताव पर 50 प्रतिशत की छूट की अनुमति दी गई है। कोयला गैसीकरण या द्रवीकरण (अंतिम प्रस्ताव पर 50 प्रतिशत की छूट) पर प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं।
- वाणिज्यिक कोयला खनन के निबंधन और शर्तें कोयले के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं होने के साथ बहुत उदार हैं, बोली प्रक्रिया में नई कंपनियों को भाग लेने की अनुमति है, अग्रिम राशि में कमी की गई है, मासिक भुगतान के प्रति अग्रिम राशि का समायोजन, कोयला खानों को प्रचालना योग्य बनाने के लिए लचीलापन प्रोत्साहित करने के लिए उदार दक्षता मानक, पारदर्शी बोली प्रक्रिया, ऑटोमेटिक रूट से 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) और राष्ट्रीय कोयला सूचकांक पर आधारित राजस्व हिस्सेदारी मॉडल।
यह जानकारी आज लोकसभा में केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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