कोयला मंत्रालय
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घरेलू खपत के लिए उच्च श्रेणी के कोयले की मांग

Posted On: 07 AUG 2024 4:16PM by PIB Bhopal

सभी श्रेणियों के कोयले की मांग का अनुमान लगाने के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति (आयात प्रतिस्थापन के उद्देश्य से गठित) की विभिन्न बैठकें आयोजित की जाती हैं। अर्थव्यवस्था में वृद्धि को देखते हुए सीमेंट, एल्युमीनियम, स्पंज आयरन जैसे खपत वाले उद्योगों में उच्च श्रेणी के कोयले की पर्याप्त मांग है।

राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 ने कच्चे इस्पात के उत्पादन में वित्त वर्ष 17 के 101 मिलियन टन (एमटी) से बढ़कर वित्त वर्ष 2030 तक 300 मीट्रिक टन होने का अनुमान लगाया है। वर्तमान में वित्त वर्ष 24 में 148 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का उत्पादन हुआ है। इस्पात उत्पादन में वृद्धि से भारत के धातुकर्म कोकिंग कोयले की मांग बढ़ने की उम्मीद है।

2024-25 तक अखिल भारतीय कोयला उत्पादन को 1 बिलियन टन (बीटी) के स्तर तक बढ़ाने और 2026-27 तक कोल इंडिया लिमिटेड के उत्पादन को 1 बीटी तक ले जाने की योजना तैयार की गई है। कोयले की उपलब्धता में परिणामी वृद्धि से इन श्रेणी के कोयले की मांग को उपलब्ध सीमा तक पूरा किया जा सकेगा।

कोकिंग कोल के आयात के विकल्प के रूप में, इस्पात क्षेत्र द्वारा कोकिंग कोल के वर्तमान घरेलू मिश्रण को वर्तमान 10-12% से बढ़ाकर 30-35% तक किया जाएगा। तदनुसार, कोयला मंत्रालय ने राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 में अनुमानित घरेलू कोकिंग कोल की मांग को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष 22 में मिशन कोकिंग कोल की शुरुआत की है। कोयला मंत्रालय ने 2030 तक घरेलू कच्चे कोकिंग कोल उत्पादन को 140 मीट्रिक टन तक बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए हैं।

कोकिंग कोल की आपूर्ति: वित्त वर्ष 24 के दौरान, घरेलू वॉशड् कोकिंग कोल की आपूर्ति 5.4 मीट्रिक टन प्रति वर्ष थी, जिसमें सीआईएल से 2.22 मीट्रिक टन प्रति वर्ष शामिल है। नई वाशरी की स्थापना के साथ, देश 2030 तक इस्पात क्षेत्र को लगभग 23 मीट्रिक टन प्रति वर्ष वॉशड् कोकिंग कोल की आपूर्ति करने में सक्षम होगा।

यह जानकारी केंद्रीय कोयला और खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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एमजी/एआर/आरपी/जेके


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