विधि एवं न्‍याय मंत्रालय
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कानूनी भाषा को सरल बनाने के लिए उठाए गए कदम

Posted On: 01 AUG 2024 4:37PM by PIB Delhi

भारत सरकार के संबंधित प्रशासनिक मंत्रालयों/विभागों द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों के आधार पर और भारत सरकार में संसदीय प्रक्रिया मैनुअल में संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार विधायी विभाग को कानूनों का मसौदा तैयार करने का अधिकार है।

विधायी विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है कि विधायी प्रारूपण सरल, स्पष्ट, सटीक और शुद्ध हो। अभिव्यक्तियों की स्पष्टता और उपयुक्त शब्दों एवं अभिव्यक्तियों के उपयोग के उद्देश्य से भी प्रयास किए जा रहे हैं।

विधायी विभाग ने भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि विधायी नीतियों को सरल और समझने में आसान भाषा में तैयार किया जाए। इसके अलावा मसौदा तैयार करने वालों को उपयुक्त प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
इंस्टीट्यूट ऑफ लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग एंड रिसर्च {विधान प्रारूपण एवं अनुसंधान संस्थान} (आईएलडीआर) आम लोगों के लिए इसे सुलभ बनाने के लिए सरल/ आसान भाषा में मसौदा तैयार करने पर ध्यान देता है। इसके साथ ही विधायी प्रारूपण में प्रशिक्षण प्रदान करता है।
मानक कानूनी शब्दावली में सरल शब्द शामिल किए गए हैं। केवल उन्हीं शब्दों, अभिव्यक्तियों एवं वाक्यांशों को शामिल किया जाता है जिन्हें केंद्रीय अधिनियमों आदि का हिंदी व्याख्यान तैयार करते समय विशिष्ट संदर्भों के अनुसार अंग्रेजी शब्दों के हिंदी पर्यायवाची के रूप में तय किया गया है। कानूनी शब्दावली में केंद्रीय अधिनियमों में उपयोग किए गए कानूनी या तकनीकी प्रकृति के शब्दों, अभिव्यक्ति और वाक्यांशों को तय करते समय हिंदी के पर्यायवाची शब्दों को इस तरह रखने का प्रयास किया गया है कि वे सरल और आसानी से समझने योग्य हों और जिनका अर्थ अंग्रेजी शब्द के अनुसार सटीक बैठता हो।

सरकारी संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है और नागरिक कानूनों को सरल बनाने पर कोई मात्रात्मक खर्च नहीं किया गया है।

विधि एवं न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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एमजी/एआर/आरकेजे


(Release ID: 2041075)
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