पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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समुद्री प्रजातियों का संरक्षण

Posted On: 01 AUG 2024 1:09PM by PIB Bhopal

समुद्री प्रजातियों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में शामिल हैं:

  1. वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत देश के तटीय राज्यों और द्वीपों में समुद्री प्रजातियों के संरक्षण के लिए संरक्षित क्षेत्रों का एक नेटवर्क बनाया गया है।
  • II. समुद्री प्रजातियों के संरक्षण का ध्यान रखने के लिए 106 तटीय और समुद्री स्थलों की पहचान की गई है तथा उन्हें महत्वपूर्ण तटीय और समुद्री जैव विविधता क्षेत्रों (आईसीएमबीए) के रूप में प्राथमिकता दी गई है।
  1. कई संकटग्रस्त समुद्री प्रजातियों को शिकार के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हुए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I और II में सूचीबद्ध किया गया है।
  • IV. मंत्रालय ने अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में प्रवेश, तलाशी, गिरफ्तारी और हिरासत के लिए भारतीय तट रक्षकों को सशक्त बनाने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन किया है।
  1. मंत्रालय ने भारत में समुद्री कछुओं और उनके रहने के स्थानों के संरक्षण के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय समुद्री कच्छप कार्य योजना जारी की है।
  • VI. मंत्रालय ने ‘मेरिन मेगाफौना स्ट्रेंडिंग मेनेजमेंट गाइडलाईन्स’ 2021 के तहत समुद्री मेगाफौना के फंस जाने को मद्दनजर रखते हुए उनके प्रबंधन की व्यवस्था की है।
  1. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत प्रख्यापित तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना, 2019 में मैंग्रोव, समुद्री घास, रेत के टीले, कोरल और कोरल रीफ, जैविक रूप से सक्रिय मडफ्लैट्स, कछुओं के घोंसले के मैदान और हॉर्स शू केकड़ों के आवास जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसए) के संरक्षण और प्रबंधन योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है।
  2. मंत्रालय कोरल और मैंग्रोव के संरक्षण के लिए समुद्री राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत धन मुहैया करा रहा है।
  • IX. मंत्रालय वन्यजीवों और समुद्री जीवों सहित उनके आवास के संरक्षण के लिए केंद्र प्रायोजित योजना ‘वन्यजीव आवासों का विकास’ के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  1. राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण के तहत मंत्रालय ने डुगोंग और उनके आवासों के संरक्षण के लिए परियोजना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की।
  • XI. सरकार समुद्री प्रजातियों के संरक्षण के उद्देश्य से अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से विश्वविद्यालयों/शोध संस्थानों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है।

पंजाब राज्य सहित विभिन्न राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में मीठे पानी के इको-सिस्टम को संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम इस प्रकार हैं:

  1. वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत कई मीठे पानी की आर्द्रभूमि को संरक्षित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
  • II. मंत्रालय ने आर्द्रभूमि की अधिसूचना, संरक्षण और प्रबंधन के लिए आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2017 को अधिसूचित किया है।
  1. मंत्रालय ने आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 को लागू करने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश प्रकाशित किए हैं। उपर्युक्त दिशा-निर्देश प्रत्येक अधिसूचित आर्द्रभूमि के प्रबंधन को एक एकीकृत प्रबंधन योजना (आईएमपी) द्वारा निर्देशित करने की सिफारिश करते हैं, जो अन्य बातों के साथ-साथ पारिस्थितिक चरित्र में परिवर्तनों का पता लगाने और प्रबंधन की प्रभावशीलता को मापने के लिए निगरानी आवश्यकताओं का वर्णन करती है।
  • IV. मंत्रालय देश में चिह्नित आर्द्रभूमियों (झीलों सहित) के संरक्षण और प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों के बीच लागत साझाकरण के आधार पर राष्ट्रीय जलीय इको-सिस्टम संरक्षण योजना (एनपीसीए) नामक एक केंद्र प्रायोजित योजना को कार्यान्वित कर रहा है।
  1. मंत्रालय ने आर्द्रभूमियों पर ज्ञान साझा करने, सूचना प्रसार की सुविधा के लिए "भारतीय आर्द्रभूमि पोर्टल" (indianwetlands.in) लॉन्च किया है।
  • VI. जून, 2024 तक, देश में 82 आर्द्रभूमियां हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थलों के रूप में नामित किया गया है, जिनमें से 6 पंजाब राज्य में हैं।
  1. आर्द्रभूमियों के मूल्यों और कार्यों तथा उनके संसाधनों के उपयोग के बारे में समाज के सभी वर्गों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए राज्यों के सहयोग से प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को राष्ट्रीय स्तर पर विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है।

यह जानकारी आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने दी।

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