वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

पीएम गतिशक्ति के तहत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की 76वीं बैठक में पांच प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया

एनपीजी ने सड़क और रेल अवसंरचना परियोजनाओं का मूल्यांकन किया

Posted On: 26 JUL 2024 1:56PM by PIB Bhopal

पीएम गतिशक्ति के तहत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की 76वीं बैठक कल नई दिल्ली में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अपर सचिव श्री राजीव सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित की गई। रेल मंत्रालय (एमओआर) और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) की परियोजनाओं का मूल्यांकन पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) में उल्लिखित एकीकृत योजना के सिद्धांतों के साथ उनके संयोजन के लिए किया गया।

 

वाराणसी - दीन दयाल उपाध्याय खंड तीसरी और चौथी लाइन

उत्तर प्रदेश राज्य में भारतीय रेलवे की हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन के वाराणसी-पंडित दीन दयाल उपाध्याय खंड, एक दोहरी विद्युतीकृत यात्री और माल लाइन, तीसरी और चौथी लाइनों को जोड़ने के साथ विस्तार के लिए तैयार है। लगभग 16.72 किलोमीटर की लंबाई वाली यह ब्राउनफील्ड परियोजना बढ़ती यातायात भीड़ पर ध्यान देगी और इसका उद्देश्य क्षमता और औसत गति में सुधार करना है जो कोचिंग और मालगाड़ियों दोनों के लिए परिचालन दक्षता में सुधार करने में मदद करेगी।

160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए डिज़ाइन की गई नई लाइनें विद्यमान मार्ग के समानांतर चलेंगी। कुल मिलाकर, तीसरी और चौथी लाइनों को जोड़कर वाराणसी-पंडित दीन दयाल उपाध्याय खंड का विस्तार वर्तमान भीड़भाड़ के मुद्दों को हल करने और भविष्य में यातायात वृद्धि का समर्थन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाता है।

 

खरसिया - नया रायपुर - परमलकासा डबल लाइन

छत्तीसगढ़ राज्य में मुंबई-हावड़ा ट्रंक रूट के खरसिया-परमलकासा खंड में 277.917 किलोमीटर की नई डबल लाइन के साथ महत्वपूर्ण उन्नयन होगा। यह परियोजना खरसिया जंक्शन (बिलासपुर-झारसुगुड़ा खंड) से परमलकासा (दुर्ग-नागपुर खंड) तक क्षमता का विस्तार करेगी, जो खरसिया से 186.65 किलोमीटर दूर नया रायपुर से जुड़ेगी, जिससे परिवहन और परिचालन दक्षता में सुधार होगा।

प्राथमिक लक्ष्य वर्तमान लाइनों पर अत्यधिक भीड़भाड़ को कम करना है, जहाँ विद्यमान क्षमता उपयोग 100 प्रतिशत से अधिक है। नई लाइन इन क्षमता बाधाओं को कम करने और भविष्य में, विशेष रूप से आस-पास के क्षेत्रों से कोयला, लोहा, खाद्यान्न, उर्वरक और सीमेंट यातायात में अपेक्षित वृद्धि के साथ यातायात वृद्धि का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह परियोजना 8 यात्री ट्रेनों और 19-27 मालगाड़ियों की सहायता करेगी, जो क्षेत्र के परिवहन नेटवर्क के लिए इसके रणनीतिक महत्व को उजागर करती है।

 

नागालैंड में विद्यमान राष्ट्रीय राजमार्ग-202 को सिंगल लेन रोड से 2 लेन पेव्ड शोल्डर तक चौड़ा करना

नागालैंड राज्य में लगभग 244 किमी की लंबाई के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग-202 के प्रस्तावित विस्तार का उद्देश्य पाँच महत्वपूर्ण जिलों: मोकोकचुंग, तुएनसांग, शमटोर, किफिर और फेक में कनेक्टिविटी में सुधार करना है। यह परियोजना तुएनसांग जिला शहर में किमी 90.450 पर राष्ट्रीय राजमार्ग -702बी तक विस्तारित होगी, जो म्यांमार सीमा तक महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और भारत-म्यांमार व्यापार को मजबूत करेगी।

इसका रणनीतिक महत्व अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट होने के कारण है, जो अखेगवो-अवांगकु और डैन उप-केंद्रों और जिला मुख्यालय नोकलाक के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्रों तक पहुंच को सुगम बनाता है। परियोजना सड़क इम्फाल शहर से गुजरे बिना मणिपुर और मोरेह को जोड़ने वाला एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगी, जिससे क्षेत्रीय पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह नागालैंड के पूर्वी भाग में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

इस सड़क से जुड़े प्रमुख भौगोलिक स्थानों में मोकोकचुंग, तुएनसांग, जुन्हेबोटो, शमाटोर, किफिर और फेक शामिल हैं, जो इन क्षेत्रों को दीमापुर में मेगा फूड पार्क और दीमापुर और वोखा में एसईजेड जैसे प्रमुख आर्थिक केंद्रों से जोड़ते हैं। यह रणनीतिक अवसंरचना विकास भारत-म्यांमार व्यापार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने और नागालैंड और उसके पड़ोसी राज्यों के समग्र विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

 

बसनाघाट से बालूगांव होते हुए समरंग तक राष्ट्रीय राजमार्ग -715ए को दो लेन का बनाया जाना

राष्ट्रीय राजमार्ग -715ए पर प्रस्तावित सड़क विकास परियोजना असम राज्य के मोरीगांव जिले के बसनाघाट से समरंग के पास भारत-भूटान सीमा तक फैली हुई है, जिसकी कुल लंबाई 91.48 किमी है। इस खंड में असम राज्य में राष्‍ट्रीय राजमार्ग -715ए के बसनाघाट (मोरीगांव के पास) से बालूगांव (राष्ट्रीय राजमार्ग -15 पर खारुपेटिया के पास) होते हुए समरंग (भारत-भूटान सीमा) तक सुधार शामिल है।

राष्ट्रीय राजमार्ग -715ए दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों को जोड़ता है: राष्ट्रीय राजमार्ग -27, जो पोरबंदर से सिलचर तक पूरे भारत में पूर्व-पश्चिम दिशा में विस्तारित है, और राष्‍ट्रीय राजमार्ग -15, जो असम में बैहाटा को अरुणाचल प्रदेश में वाकरो से जोड़ता है। इस विकास का उद्देश्य क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाना, यात्रा दक्षता को अनुकूलित करना और भारत और भूटान के बीच व्यापार और रसद को सुविधाजनक बनाना है। इस परियोजना में पेव्डशोल्डर्स वाली एक नई दो-लेन वाली सड़क का निर्माण और विद्यमान एकल/मध्यवर्ती लेन खंडों में सुधार करना शामिल है।

इस परियोजना के निर्माण से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच संपर्क में सुधार, व्यापार को सुविधाजनक बनाने और आवश्यक सेवाओं तक पहुँच के जरिए इस क्षेत्र को बहुत लाभ होगा। ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल वाणिज्य के लिए नए रास्ते खोलेगा, विशेष रूप से मोरीगांव और दरंग में कृषि उत्पादकों को बाजारों तक माल के परिवहन की सुगमता के कारण लाभ हासिल होगा।

 

मणिपुर में राष्‍ट्रीय राजमार्ग -102ए पर शांगशाक-तेंगनौपाल रोड

इस परियोजना में राष्ट्रीय राजमार्ग -102ए पर विद्यमान शांगशाक से तेंगनौपाल रोड को चौड़ा करने और मणिपुर राज्य में 40-50 किमी प्रति घंटे की डिज़ाइन की गई गति के साथ 188.8 किमी की लंबाई वाले हार्ड शोल्डर के साथ 2-लेन में सुधार लाने का प्रस्ताव है। इस परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और लॉजिस्टिक्स आवश्यकताओं को पूरा करना है।

यह परियोजना सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग-102 और राष्ट्रीय राजमार्ग-202 को जोड़ेगी, जो राज्य की राजधानी इंफाल को उखरुल और तेंगनौपाल जैसे प्रमुख शहरों से कनेक्ट करेगी। इस संयोजन को मल्टीमॉडल प्रभाव पर विचार करने और जारी सीमा सड़क परियोजनाओं के साथ एकीकृत करने के लिए अनुकूलित किया गया है, जिसमें 'सजंगशक-नम्पिशा रोड' और राष्ट्रीय राजमार्ग -102 के माध्यम से नम्पिशा और टेंग्नौपाल कनेक्शन शामिल हैं। इस रणनीतिक संयोजन से क्षेत्र में समग्र कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना को बढ़ाने, माल और यात्रियों की सुगम और अधिक कुशल आवाजाही की सुविधा मिलने की उम्मीद है।

इस परियोजना के पूरा होने से मणिपुर और भारत के व्यापक उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उत्तर-दक्षिण लॉजिस्टिक्स गलियारा स्थापित होगा। इस गलियारा से भारत और म्यांमार के बीच सीमा पार व्यापार और आवाजाही को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जो बढ़ती गतिशीलता मांगों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) ने पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों के परिप्रेक्ष्य से सभी पांच परियोजनाओं: मल्टीमॉडल अवसंरचना का एकीकृत विकास, आर्थिक और सामाजिक नोड्स के लिए अंतिम-मील कनेक्टिविटी, इंटरमॉडल कनेक्टिविटी और परियोजनाओं का समन्वित कार्यान्वयन- का मूल्यांकन किया। इन परियोजनाओं से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने, परिवहन के विभिन्न साधनों को एकीकृत करने और पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक लाभ और जीवन को सुगम बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है, जिससे इन क्षेत्रों के समग्र विकास में योगदान मिलेगा।

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एमजी/एआर/एसकेजे/एमबी



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