वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

सरकार स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रयास कर रही है


30 जून 2024 तक, डीपीआईआईटी द्वारा 1.4 लाख से अधिक स्टार्टअप को मान्यता प्रदान की गई

Posted On: 26 JUL 2024 5:12PM by PIB Delhi

सरकार ने देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं। नवाचार, स्टार्टअप को बढ़ावा देने और देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के उद्देश्य से सरकार ने 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल शुरू की।

19 फरवरी 2019 की जीएसआर अधिसूचना 127 (ई) के तहत निर्धारित पात्रता शर्तों के अनुसार, संस्थाओं को उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत 'स्टार्टअप' के रूप में मान्यता दी जाती है। डीपीआईआईटी ने 30 जून 2024 तक 1,40,803 संस्थाओं को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी है। डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश (यूटी)-वार विवरण अनुलग्नक-I में दिया गया है।

सरकार ने देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं। ऐसी सरकारी पहलों का विवरण अनुलग्नक II में दिया गया है ।

अनुलग्नक- I

डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश-वार संख्या निम्नलिखित है:

 

क्र.सं.

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश

डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या

1.

अंडमान व निकोबार द्वीप समूह

59

2.

आंध्र प्रदेश

2,252

3.

अरुणाचल प्रदेश

38

4.

असम

1,318

5.

बिहार

2,786

6.

चंडीगढ़

489

7.

छत्तीसगढ

1,517

8.

दादर नगर हवेली और दमन दीव

53

9.

दिल्ली

14,734

10.

गोवा

520

11।

गुजरात

11,436

12.

हरियाणा

7,385

13.

हिमाचल प्रदेश

484

14.

जम्मू और कश्मीर

855

15.

झारखंड

1,305

16.

कर्नाटक

15,019

17.

केरल

5,782

18.

लद्दाख

16

19.

लक्षद्वीप

3

20.

मध्य प्रदेश

4,500

21.

महाराष्ट्र

25,044

22.

मणिपुर

151

23.

मेघालय

52

24.

मिजोरम

32

25.

नगालैंड

66

26.

ओडिशा

2,484

27.

पुदुचेरी

152

28.

पंजाब

1,539

29.

राजस्थान

4,960

30.

सिक्किम

11

31.

तमिलनाडु

9,238

32.

तेलंगाना

7,336

33.

त्रिपुरा

123

34.

उत्तर प्रदेश

13,299

35.

उत्तराखंड

1,138

36.

पश्चिम बंगाल

4,627

 

कुल

1,40,803

 

अनुलग्नक- II

देश भर में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का विवरण निम्नानुसार है:

  1. स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान: स्टार्टअप इंडिया के लिए एक एक्शन प्लान 16 जनवरी 2016 को जारी किया गया। इस एक्शन प्लान में 19 एक्शन आइटम शामिल हैं, जो “सरलीकरण और सहायता”, “वित्त पोषण सहायता और प्रोत्साहन” और “उद्योग-अकादमिक भागीदारी और इनक्यूबेशन” जैसे क्षेत्रों तक विस्तारित हैं। इस एक्शन प्लान ने देश में एक जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के लिए परिकल्पित सरकारी सहायता, योजनाओं और प्रोत्साहनों की नींव रखी।
  2. स्टार्टअप इंडिया: आगे का रास्ता: स्टार्टअप इंडिया: स्टार्टअप इंडिया के 5 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 16 जनवरी 2021 को आगे की दिशा निर्धारित की गई, जिसमें स्टार्टअप्स को व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने, विभिन्न सुधारों को क्रियान्वित करने में प्रौद्योगिकी की अधिक भूमिका, हितधारकों का क्षमता निर्माण और एक डिजिटल आत्मनिर्भर भारत को सक्षम बनाने के लिए कार्रवाई योग्य योजनाएं शामिल हैं।
  3. स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस): उद्यम के शुरुआती चरण में उद्यमियों के लिए पूंजी की आसान उपलब्धता आवश्यक है। इस चरण में आवश्यक पूंजी अक्सर अच्छे व्यावसायिक विचारों वाले स्टार्टअप के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। इस योजना का उद्देश्य अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिए स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। 2021-22 से शुरू होने वाली 4 साल की अवधि के लिए एसआईएसएफएस योजना के तहत 945 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
  4. स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफएफएस) योजना: सरकार ने स्टार्टअप्स की फंडिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एफएफएस की स्थापना की है। डीपीआईआईटी निगरानी एजेंसी है जबकि भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) एफएफएस के लिए संचालन एजेंसी है। योजना की प्रगति और धन की उपलब्धता के आधार पर 14वें और 15वें वित्त आयोग के अवधि में 10,000 करोड़ रुपये की कुल राशि उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई है। इसने न केवल उद्यम के शुरुआती चरण, सीड स्टेज और विकास चरण में स्टार्टअप्स के लिए पूंजी उपलब्ध कराई है, बल्कि घरेलू पूंजी जुटाने, विदेशी पूंजी पर निर्भरता कम करने और घरेलू और नए उद्यम पूंजी कोष को प्रोत्साहित करने के मामले में उत्प्रेरक की भूमिका भी निभाई है।
  5. स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (सीजीएसएस): सरकार ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और सेबी पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोषों के तहत वेंचर डेट फंड (वीडीएफ) द्वारा डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को दिए गए ऋणों को क्रेडिट गारंटी प्रदान करने के लिए स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी योजना की स्थापना की है। सीजीएसएस का उद्देश्य योग्य ऋणधारकों अर्थात डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को वित्तपोषित करने के लिए सदस्य संस्थानों (एमआई) द्वारा दिए गए ऋणों के विरुद्ध एक निर्दिष्ट सीमा तक क्रेडिट गारंटी प्रदान करना है।
  6. नियामक सुधार: सरकार द्वारा वर्ष 2016 से अब तक कारोबार को आसान बनाने, पूंजी जुटाने में आसानी और स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए अनुपालन बोझ कम करने के लिए 55 से अधिक नियामक सुधार किए गए हैं,
  7. खरीद में आसानी: खरीद को आसान बनाने के लिए, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों को गुणवत्ता और तकनीकी विनिर्देशों को पूरा करने के अधीन सभी डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स के लिए सार्वजनिक खरीद में पूर्व टर्नओवर और पूर्व अनुभव की शर्तों में ढील देने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) स्टार्टअप्स से सरकार द्वारा उत्पादों और सेवाओं की खरीद को भी सुविधाजनक बनाता है और बढ़ावा देता है।
  8. श्रम और पर्यावरण कानूनों के तहत स्व-प्रमाणन: स्टार्टअप्स को निगमन की तारीख से 3 से 5 वर्ष की अवधि के लिए 9 श्रम और 3 पर्यावरण कानूनों के तहत अपने अनुपालन को स्वयं प्रमाणित करने की अनुमति है।
  9. 3 वर्षों के लिए आयकर छूट: 1 अप्रैल 2016 को या उसके बाद निगमित स्टार्टअप आयकर छूट के लिए आवेदन कर सकते हैं। मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स जिन्हें अंतर-मंत्रालयी बोर्ड प्रमाणपत्र दिया जाता है, उन्हें निगमन के बाद से 10 वर्षों में से लगातार 3 वर्षों की अवधि के लिए आयकर से छूट दी जाती है।
  10. स्टार्टअप्स के लिए त्वरित निकासी: सरकार ने स्टार्टअप्स को 'फास्टट्रैक फर्म' के रूप में अधिसूचित किया है, जिससे उन्हें 90 दिनों के भीतर परिचालन समाप्त करने की सुविधा मिलेगी, जबकि अन्य कंपनियों के लिए यह समय सीमा 180 दिन है।
  11. अधिनियम (2019) की धारा 56 की उप-धारा (2) के खंड (VII)(बी) के प्रयोजन के लिए छूट: डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(viiबी) के प्रावधानों से छूट के लिए पात्र है।
  12. बौद्धिक संपदा संरक्षण के लिए सहायता: स्टार्टअप्स को पेटेंट आवेदन की त्वरित जांच और निपटान के लिए पात्र माना जाता है। सरकार ने स्टार्ट-अप्स बौद्धिक संपदा संरक्षण (एसआईपीपी) शुरू किया है, जो स्टार्टअप्स को केवल वैधानिक शुल्क का भुगतान करके उचित आईपी कार्यालयों में पंजीकृत सुविधा प्रदाताओं के माध्यम से पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क के लिए आवेदन दाखिल करने की सुविधा प्रदान करता है। इस योजना के तहत सुविधा प्रदाता विभिन्न आईपीआर पर सामान्य सलाह देने और अन्य देशों में आईपीआर की सुरक्षा एवं संवर्धन के बारे में जानकारी देने के लिए जिम्मेदार हैं। सरकार किसी भी संख्या में पेटेंट, ट्रेडमार्क या डिजाइन के लिए सुविधा प्रदाताओं की पूरी फीस वहन करती है और स्टार्टअप केवल देय वैधानिक शुल्क का खर्च वहन करते हैं। स्टार्टअप्स को अन्य कंपनियों की तुलना में पेटेंट दाखिल करने में 80 प्रतिशत और ट्रेडमार्क भरने में 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाती है।
  13. स्टार्टअप इंडिया हब: सरकार ने 19 जून 2017 को स्टार्टअप इंडिया ऑनलाइन हब लॉन्च किया जो भारत में उद्यमशीलता इकोसिस्टम के सभी हितधारकों के लिए एक-दूसरे को खोजने, मिलने और एक-दूसरे के साथ जुड़ने के लिए अपनी तरह का एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है। ऑनलाइन हब स्टार्टअप, निवेशक, फंड, मेंटर, शैक्षणिक संस्थान, इनक्यूबेटर, एक्सेलरेटर, कॉरपोरेट, सरकारी निकाय और बहुत कुछ होस्ट करता है।
  14. भारतीय स्टार्टअप्स के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंच: स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत प्रमुख उद्देश्यों में से एक है विभिन्न जुड़ाव मॉडल के माध्यम से भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को वैश्विक स्टार्टअप इकोसिस्टम से जोड़ने में मदद करना। यह अंतर्राष्ट्रीय सरकारों के बीच भागीदारी, अंतरराष्ट्रीय मंचों में भागीदारी और वैश्विक कार्यक्रमों की मेजबानी के माध्यम से किया गया है। स्टार्टअप इंडिया ने लगभग 20 देशों के साथ संपर्क स्थापित किया हैं जो भागीदार देशों के स्टार्टअप्स के लिए एक आसान लैंडिंग प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करते हैं और परस्पर सहयोग को बढ़ावा देने में सहायता करते हैं।
  15. स्टार्टअप इंडिया शोकेस: स्टार्टअप इंडिया शोकेस देश के सबसे होनहार स्टार्टअप्स के लिए एक ऑनलाइन डिस्कवरी प्लेटफॉर्म है, जिसे वर्चुअल प्रोफाइल के रूप में प्रदर्शित स्टार्टअप्स के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से चुना जाता है। इस प्लेटफॉर्म पर दिखाए गए स्टार्टअप्स अपने क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ बनकर उभरे हैं। ये नवाचार विभिन्न अत्याधुनिक क्षेत्रों जैसे कि फिनटेक, एंटरप्राइजटेक, सोशल इम्पैक्ट, हेल्थ टेक, एडटेक आदि में फैले हुए हैं। ये स्टार्टअप महत्वपूर्ण समस्याओं का समाधान कर रहे हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण नवाचार दिखा रहे हैं। इकोसिस्टम के हितधारकों ने इन स्टार्टअप का पोषण और समर्थन किया है, जिससे इस प्लेटफॉर्म पर उनकी उपस्थिति को मान्यता मिली है।
  16. राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद: सरकार ने जनवरी 2020 में राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद के गठन की अधिसूचना जारी की, ताकि देश में नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के लिए आवश्यक उपायों पर सरकार को सलाह दी जा सके, ताकि सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें। पदेन सदस्यों के अलावा, परिषद में कई गैर-आधिकारिक सदस्य भी हैं, जो स्टार्टअप इकोसिस्टम के विभिन्न हितधारकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  17. राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार (एनएसए): राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार ऐसे उत्कृष्ट स्टार्टअप्स और इकोसिस्टम को मान्यता देने एवं पुरस्कृत करने की एक पहल है जो रोजगार सृजन या धन सृजन की उच्च क्षमता वाले अभिनव उत्पाद या समाधान और स्केलेबल उद्यम बना रहे हैं, जो अपना एक सामाजिक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। सभी फाइनलिस्ट को विभिन्न ट्रैक जैसे कि निवेशक कनेक्ट, मेंटरशिप, कॉर्पोरेट कनेक्ट, सरकारी कनेक्ट, अंतर्राष्ट्रीय बाजार पहुंच, विनियामक सहायता, दूरदर्शन पर स्टार्टअप चैंपियंस और स्टार्टअप इंडिया शोकेस आदि में सहायता प्रदान की जाती है।
  18. राज्यों का स्टार्टअप रैंकिंग ढांचा (एसआरएफ): राज्यों का स्टार्टअप रैंकिंग ढांचा प्रतिस्पर्धी संघवाद की ताकत का दोहन करने और देश में एक समृद्ध स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के लिए एक अनूठी पहल है। रैंकिंग करने का मुख्य उद्देश्य राज्यों को अच्छी प्रथाओं की पहचान करने, सीखने और बदलने में सुविधा प्रदान करना, स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए राज्यों द्वारा नीतिगत उपायों को प्रदर्शित करना और राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।
  19. दूरदर्शन पर स्टार्टअप चैंपियंस: दूरदर्शन पर स्टार्टअप चैंपियंस कार्यक्रम एक घंटे का एक साप्ताहिक कार्यक्रम है जिसमें पुरस्कार विजेता/राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की कहानियां दिखाई जाती हैं। इसे दूरदर्शन नेटवर्क चैनलों पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों में प्रसारित किया जाता है।
  20. स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक: सरकार राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस यानी 16 जनवरी के आसपास स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक का आयोजन करती है, जिसका प्राथमिक लक्ष्य देश के प्रमुख स्टार्टअप, उद्यमियों, निवेशकों, इनक्यूबेटरों, फंडिंग संस्थाओं, बैंकों, नीति निर्माताओं और अन्य राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों को एक साथ लाकर उद्यमिता का उत्सव मनाना और नवाचार को बढ़ावा देना है।
  21. एएससीईएनडी (ऐसेंड) के अंतर्गत (स्टार्टअप क्षमता एवं उद्यमशीलता में तेजी लाना), सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों में स्टार्टअप और उद्यमशीलता पर जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिसका उद्देश्य उद्यमशीलता के प्रमुख पहलुओं पर सक्षम ज्ञान को बढ़ाना और दृढ़ करना तथा इन राज्यों में एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने की दिशा में प्रयास जारी रखना था।
  22. स्टार्टअप इंडिया इन्वेस्टर कनेक्ट पोर्टल को स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत सिडबी के साथ मिलकर विकसित किया गया है, जो एक मध्यस्थ मंच के रूप में कार्य करता है जो विभिन्न उद्योगों, कार्यों, चरणों, क्षेत्रों और पृष्ठभूमि के उद्यमियों को पूंजी जुटाने में मदद करने के लिए स्टार्टअप और निवेशकों को जोड़ता है। पोर्टल को विशेष रूप से देश में कहीं भी स्थित शुरुआती चरण के स्टार्टअप को अग्रणी निवेशकों/उद्यम पूंजी निधियों के सामने खुद को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से बनाया गया है।
  23. राष्ट्रीय मेंटरशिप पोर्टल (एमएएआरजी) : देश के हर हिस्से में स्टार्टअप्स के लिए मेंटरशिप तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए, स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत मेंटरशिप, सलाह, सहायता, लचीलापन और विकास (एमएएआरजी) कार्यक्रम विकसित और लॉन्च किया गया है।
  24. एमईटीवाई स्टार्ट-अप हब (एमएसएच): इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईटीवाई) के तहत पूरे भारत में डीप टेक स्टार्टअप इंफ्रास्ट्रक्चर को आपस में जोड़ने के लिए एक नोडल इकाई, 'मेती स्टार्ट-अप हब' (एमएसएच) की स्थापना की गई है। एमएसएच इनक्यूबेटर्स और स्टार्टअप्स को उनकी स्केलेबिलिटी, मार्केट आउटरीच आदि में सुधार करने में सहायता कर रहा है और इसने विभिन्न हितधारकों के साथ साझेदारी भी स्थापित की है, जिससे नवाचार और तकनीकी उन्नति पर आधारित अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
  25. टीआईडीई 2.0 योजना: उद्यमियों के लिए प्रौद्योगिकी इनक्यूबेशन और विकास (टीआईडीई 2.0) योजना वर्ष 2019 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य आईओटी, एआई, ब्लॉक-चेन, रोबोटिक्स आदि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके आईसीटी स्टार्टअप्स का समर्थन करने में लगे इनक्यूबेटरों को वित्तीय और तकनीकी सहायता के माध्यम से तकनीकी उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इस योजना को उच्च शिक्षा संस्थानों और प्रमुख अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) संगठनों में इनक्यूबेशन गतिविधियों को बढ़ावा देने के व्यापक उद्देश्य के साथ तीन-स्तरीय संरचना के माध्यम से इनक्यूबेटरों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है
  26. डोमेन विशिष्ट उत्कृष्टता केंद्र : एमईटीवाई ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और नए एवं उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को अपनाने के लिए क्षमताएं विकसित करने के लिए राष्ट्रीय हित के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) संचालित किए हैं। ये डोमेन विशिष्ट सीओई नवाचार के लोकतंत्रीकरण और प्रोटोटाइप के कार्यान्वयन के माध्यम से भारत को उभरते हुए नवाचार केंद्र बनाने में सहायक और मददगार के रूप में कार्य करते हैं।
  1. जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी): एक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की उद्योग-अकादमिक इंटरफेस एजेंसी स्वच्छ ऊर्जा और उभरती प्रौद्योगिकियों सहित सभी जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी स्टार्टअप का समर्थन कर रही है। बायोटेक इग्निशन ग्रांट (बिग), लघु व्यवसाय नवाचार अनुसंधान पहल (एसबीआइआरआई) और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग भागीदारी कार्यक्रम(बीआईपीपी) सहित इसकी प्रमुख योजनाओं के तहत उत्पाद/प्रौद्योगिकी विकास के लिए स्टार्टअप और कंपनियों को परियोजना आधारित वित्तपोषण प्रदान किया जाता है। स्टार्टअप और कंपनियों को बायोइनक्यूबेटर्स नर्चरिंग एंटरप्रेन्योरशिप फॉर स्केलिंग टेक्नोलॉजीज (बायोनेस्ट) योजना के माध्यम से इनक्यूबेशन सहायता भी प्रदान की जाती है।
  1. समृद्ध योजना : मेती (एमईआईटीवाई) ने संभावित सॉफ्टवेयर उत्पाद-आधारित स्टार्टअप्स का चयन करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए मौजूदा एवं आगामी त्वरक को समर्थन देने के उद्देश्य से उत्पाद नवाचार, विकास और वृद्धि (समृद्धि) के लिए एमईआईटीवाई का 'स्टार्ट-अप एक्सेलेरेटर' कार्यक्रम शुरू किया है।
  1. अगली पीढ़ी इनक्यूबेशन योजना (एनजीआईएस) : एनजीआईएस को सॉफ्टवेयर उत्पाद इकोसिस्टम का समर्थन करने और सॉफ्टवेयर उत्पाद पर राष्ट्रीय नीति (एनपीएसपी) 2019 के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर ध्यान देने के लिए अनुमोदित किया गया है।
  2. ई एंड आईटी में अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट संरक्षण के लिए समर्थन (एसआईपी-ईआईटी) योजना : एमईआईटीवाई ने "ई एंड आईटी में अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट संरक्षण के लिए समर्थन (एसआईपी-ईआईटी)" नामक एक योजना शुरू की है जो भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और स्टार्टअप द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट फाइलिंग को प्रोत्साहित करती है ताकि नवाचार को प्रोत्साहित किया जा सके और वैश्विक आईपी के मूल्य व क्षमताओं को पहचाना जा सके।
  3. पूर्वोत्तर क्षेत्र उद्यमिता एवं स्टार्टअप शिखर सम्मेलन (एनईआरईएस) : कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में उभरते स्टार्टअप्स और महत्वाकांक्षी उद्यमियों को एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से उद्यमिता और स्टार्टअप शिखर सम्मेलन एनईआरईएस का आयोजन किया। एनईआरईएस का उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों में उद्यमी प्रतिभाओं को प्रेरित करना और स्टार्टअप उद्यमियों को अपने व्यावसायिक विचारों को पेश करने के लिए एक मंच प्रदान करके और स्टार्टअप्स के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों का समाधान करके उन्हें बढ़ावा देना था। कार्यक्रम महत्वाकांक्षी और वर्तमान उद्यमियों/स्टार्टअप्स को भाग लेने और अपने व्यावसायिक विचारों एवं योजनाओं को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसने उन्हें अच्छे तरीकों के बारे में और अधिक जानने और साथी स्टार्टअप के साथ नेटवर्क बनाने में भी मदद की। इस कार्यक्रम ने स्टार्टअप्स और उद्यमियों के लिए सलाहकारों और एक ऐसे इकोसिस्टम से समर्थन प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया है जो उनके व्यवसाय के विकास का सहयोग करते हैं।
  4. अटल नवाचार मिशन: अटल नवाचार मिशन (एआईएम) सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसे नीति आयोग द्वारा देश भर में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया है। एआईएम ने युवा प्रतिभाओं में जिज्ञासा, रचनात्मकता और कल्पना को बढ़ावा देने और डिजाइन माइंडसेट, कम्प्यूटेशनल सोच, अनुकूली शिक्षा, भौतिक कंप्यूटिंग, तीव्र गणना, माप आदि जैसे कौशल विकसित करने के उद्देश्य से अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) की स्थापना की है।
  5. नवाचारों के विकास एवं दोहन के लिए राष्ट्रीय पहल (एनआईडीएचआई): विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने (ज्ञान आधारित और प्रौद्योगिकी संचालित) विचारों और नवाचारों को सफल स्टार्टअप में विकसित करने के लिए 2016 में नवाचारों के विकास एवं दोहन के लिए राष्ट्रीय पहल (एनआईडीएचआई) नामक एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया था।
  6. रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स): रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा आईडीईएक्स का शुभारंभ किया गया, जिसका उद्देश्य उद्यमों जैसे एमएसएमई और स्टार्टअप्स, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और शिक्षाविदों को शामिल करके और अनुसंधान एवं विकास के लिए अनुदान प्रदान करके रक्षा और एयरोस्पेस में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना और नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है।

यह जानकारी केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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