विद्युत मंत्रालय

थर्मल पावर क्षमता का विस्तार

Posted On: 25 JUL 2024 5:09PM by PIB Delhi

वर्ष 2031-32 तक अनुमानित बिजली की मांग को पूरा करने के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा उत्पादन योजना अध्ययन किए गए हैं। अध्ययन के परिणामों के अनुसार यह परिकल्पना की गई है कि 2032 में देश की आधार भार आवश्यकता को पूरा करने के लिए आवश्यक कोयला और लिग्नाइट आधारित स्थापित क्षमता 283 गीगावाट होगी, जबकि वर्तमान स्थापित क्षमता 217.5 गीगावाट है। इस पर विचार करते हुए भारत सरकार ने 2031-32 तक  अतिरिक्त न्यूनतम 80 गीगावाट कोयला आधारित क्षमता स्थापित करने का प्रस्ताव किया है।

राष्ट्रीय विद्युत योजना में विचार किए जाने के अनुसार नई कोयला आधारित तापीय क्षमता की स्थापना के लिए अनुमानित पूंजी लागत 8.34 करोड़ रुपये/मेगावाट (2021-22 मूल्य स्तर पर) है। इसलिए तापीय क्षमता वृद्धि पर 2031-32 तक न्यूनतम 6,67,200 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।

(i) कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों पर निर्भरता को कम करने के लिए भारत सरकार ने गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की योजना बनाई है। भारत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (आईएनडीसी) में 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत ऊर्जा स्थापित क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में भारत पहले ही गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित संसाधनों से 45.5 प्रतिशत स्थापित क्षमता हासिल कर चुका है। इस लक्ष्‍य को प्राप्त करने के लिए देश में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

ऑटोमेटिक रूट के अंतर्गत 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति;

• 30 जून 2025 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए सौर और पवन ऊर्जा की अंतर-राज्यीय बिक्री के लिए इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क की छूट;

वर्ष 2029-30 तक नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) के लिए प्रक्षेप पथ की घोषणा;

बड़े पैमाने पर आरई परियोजनाओं की स्थापना के लिए नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर्स को भूमि और पारेषण (ट्रांसमिशन) कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए अल्ट्रा मेगा नवीकरणीय ऊर्जा पार्कों की स्थापना;

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम), सोलर रूफटॉप फेज II, 12000 मेगावाट सीपीएसयू स्कीम फेज-II;

नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर स्कीम के तहत नई ट्रांसमिशन लाइनें बिछाना और नई सब-स्टेशन क्षमता बनाना;

सोलर फोटोवोल्टिक प्रणाली/यंत्रों की संस्थापना के लिए मानकों की अधिसूचना;

निवेश आकर्षित करने और सुविधा प्रदान करने के लिए परियोजना विकास प्रकोष्ठ की स्थापना;

ग्रिड से जुड़ी सौर पीवी और पवन परियोजनाओं से विद्युत की खरीद के लिए शुल्‍क आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए मानक बोली दिशानिर्देश;

सरकार ने आदेश जारी किए हैं कि साख पत्र (एलसी) अथवा अग्रिम भुगतान के आधार पर विद्युत प्रेषित की जाएगी ताकि वितरण लाइसेंसियों द्वारा आरई उत्पादकों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके;

हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस नियम 2022 के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की अधिसूचना;

एक्सचेंजों के माध्यम से नवीकरणीय विद्युत की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम) प्रारंभ;

भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू किया गया;

अक्षय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक आरई विद्युत बोलियों के लिए निर्धारित प्रक्षेप पथ की अधिसूचना आरई बोलियों के 50 गीगावॉट के वार्षिक लक्ष्य के साथ।

 

(ii) ताप विद्युत संयंत्रों के उत्सर्जन स्तर को कम करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिनांक 07.12.2015 की अधिसूचना के माध्यम से और इसके बाद के संशोधनों ने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों से सस्‍पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम), एसओएक्स और एनओएक्स जैसे ढेर उत्सर्जन को कम करने के संबंध में मानदंडों को अधिसूचित किया है। इन मानकों को पूरा करने के लिए ताप विद्युत संयंत्र इलेक्ट्रो स्टेटिक प्रेसिपिटेटर (ईएसपी), फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी), एनओएक्स कम्‍बस्‍टन मोडिफिकेशन आदि जैसी तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।
  • सबक्रिटिकल थर्मल इकाइयों पर कुशल सुपरक्रिटिकल/अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देना।
  • विद्युत मंत्रालय ने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में को-फायरिंग के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए बायोमास के उपयोग पर एक नीति जारी की है। इस नीति में तकनीकी व्यवहार्यता का आकलन करने के बाद कोयले के साथ मुख्य रूप से कृषि अवशिष्टों के बायोमास की 5-7 प्रतिशत  को-फायरिंग का अधिदेश दिया गया है।

2014 से कोयला, गैस, पनबिजली और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न बिजली के प्रतिशत का विवरण अनुलग्नक के रूप में संलग्न है।

यह जानकारी आज लोकसभा में विद्युत राज्य मंत्री श्री श्रीपाद नाइक ने एक लिखित उत्तर में दी।

अनुलग्नक के लिए यहां क्‍लिक करें

***

एमजी/एआर/एजी/ओपी



(Release ID: 2037112) Visitor Counter : 38


Read this release in: English