विद्युत मंत्रालय

कोयला आधारित बिजली उत्पादन और उत्सर्जन

Posted On: 25 JUL 2024 4:59PM by PIB Delhi

पिछले पांच वर्षों में भारत के कोयला आधारित बिजली उत्पादन और उत्सर्जन के आंकड़ों के बारे में विवरण नीचे दिया गया है:

वर्ष

कोयले से बिजली उत्पादन (बिलियन यूनिट में)

कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (मिलियन मीट्रिक टन में)

2018-19

987.68

897.28

2019-20

 988.72

897.28

2020-21

959.72

867.92

2021-22

 951.88

853.82

2022-23

1043.83

943.04

 

भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से विस्तार और विकास के साथ, बिजली की मांग में भी अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। भारत में बिजली की मांग में वर्ष 2021-22 और 2022-23 के लिए लगभग 9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। बिजली के उत्पादन में वृद्धि के अनुरूप कुल उत्सर्जन में वृद्धि हुई है।

हालांकि, ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी के कारण, ग्रिड की कार्बन पर निर्भरता कम हो रही है। 2013-14 से 2022-23 तक भारत में ग्रिड बिजली के औसत कार्बन उत्सर्जन के घटक में लगभग 9 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी आई है।

थर्मल पावर प्लांट (टीपीपी) के उत्सर्जन के स्तर को कम करने के लिए, सरकार द्वारा निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:

कुशल अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल/सुपरक्रिटिकल इकाइयों की स्थापना - सबक्रिटिकल थर्मल इकाइयों की तुलना में कुशल अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल/सुपरक्रिटिकल इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देना, क्योंकि ये इकाइयां अधिक कुशल हैं और बिजली उत्पादन की प्रति इकाई उनका उत्सर्जन सबक्रिटिकल इकाइयों की तुलना में कम है। 30.06.2024 तक क्रमशः 65,290 मेगावाट (94 यूनिट) और 4,240 मेगावाट (06 यूनिट) की कुल क्षमता वाली सुपरक्रिटिकल/अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल इकाइयों को चालू किया गया है।

बायोमास को-फायरिंग - विद्युत मंत्रालय ने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में को-फायरिंग के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए बायोमास के उपयोग पर एक नीति जारी की है। नीति में तकनीकी व्यवहार्यता का आकलन करने के बाद, कोयले के साथ मुख्य रूप से कृषि अवशेषों के 5-7 प्रतिशत बायोमास को को-फायरिंग करना अनिवार्य है। जून 2024 तक, पूरे भारत में कुल मिलाकर 8.14 लाख टन बायोमास को को-फायर किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप थर्मल पावर प्लांट से लगभग 0.97 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्सर्जन में कमी आई है।

स्टैक उत्सर्जन में कमी - पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिनांक 07.12.2015 की अधिसूचना और उसके बाद के संशोधनों के माध्यम से कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट से सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम), एसओएक्स और एनओएक्स जैसे स्टैक उत्सर्जन को कम करने के संबंध में मानदंड अधिसूचित किए हैं। इन मानकों को पूरा करने के लिए, थर्मल पावर प्लांट इलेक्ट्रो स्टैटिक प्रीसिपिटेटर (ईएसपी), फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी), एनओएक्स कंबशन मोडिफिकेशन आदि जैसी तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।

• 267 इकाइयों वाले लगभग 18,802.24 मेगावाट की क्षमता वाले अकुशल और पुराने थर्मल पावर प्लांट पहले ही 30.06.2024 तक बंद हो चुके हैं।

एनटीपीसी लिमिटेड ने विंध्याचल थर्मल पावर स्टेशन में 20 टन प्रति दिन (टीपीडी) क्षमता वाली पायलट कार्बन कैप्चर परियोजना शुरू की है।

भारत अपने इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (आईएनडीसी) के तहत वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से कुल मिलाकर लगभग 50 प्रतिशत स्थापित विद्युत क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित संसाधनों से 45.5 प्रतिशत स्थापित क्षमता पहले ही प्राप्त कर ली है।

यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में विद्युत राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक ने दी।

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