पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

ग्रेट निकोबार परियोजना का पर्यावरणगत प्रभाव

Posted On: 25 JUL 2024 1:34PM by PIB Delhi

केंद्र सरकार ने दिनांक 27.10.2022 के पत्र के माध्यम से ग्रेट निकोबार द्वीप में सतत विकास के लिए 130.75 वर्ग किलोमीटर वन भूमि के डायवर्जन के लिए सैद्धांतिक/चरण-1 की मंजूरी दे दी है। डायवर्ट की गई वन भूमि के बदले प्रतिपूरक वनरोपण किया जाता है। इसके अतिरिक्त, डायवर्जन के लिए प्रस्तावित क्षेत्र का 50 प्रतिशत से अधिक यानी 65.99 वर्ग किलोमीटर हरित विकास के लिए आरक्षित है, जहां किसी भी पेड़ को काटने की परिकल्पना नहीं की गई है। यह उम्मीद की जाती है कि विकास क्षेत्र का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा हरा और खुला स्थान बना रहेगा और इसलिए प्रभावित होने वाले पेड़ों की संख्या 9.64 लाख से कम रहेगी।

केंद्र सरकार द्वारा दी गई मंजूरी में निर्धारित शर्तों के अनुसार, वनस्पतियों और जीवों पर विकास के प्रभाव की भरपाई के लिए पर्याप्त शमन उपाय ईसी/एफसी शर्तों का हिस्सा हैं। पर्यावरण मंजूरी (ईसी) के तहत निर्धारित विशेष शर्तों में डब्ल्यूआईआई, जेडएसआई, बीएसआई और आईसीएफआरई से इनपुट के साथ ग्रेट निकोबार द्वीप के इकोसिस्टम के लिए जैव विविधता संरक्षण/प्रबंधन योजना तैयार करने का प्रावधान है।

परियोजना के कारण लेदरबैक कछुओं के प्रजनन क्षेत्र में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा रहा है। बड़े घोंसले वाले क्षेत्रों (पश्चिमी भाग) को लेदरबैक कछुओं के घोंसले के लिए वैसे ही रखा गया है। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में समुद्री कछुओं से संबंधित अनुसंधान करने और उसकी निगरानी करने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) द्वारा स्थापित अनुसंधान इकाई ईसी की विशेष स्थितियों का एक महत्वपूर्ण घटक है।

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ज़ेडएसआई) द्वारा तैयार की गई कोरल संरक्षण योजना ग्रेट निकोबार द्वीप (जीएनआई) के आसपास कोरल कॉलोनियों के लिए संरक्षण कार्यनीतियों के साथ-साथ प्रभावित कोरल के लिए स्थानांतरण कार्यनीतियों पर ध्यान देती है। सलीम अली पक्षी विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र (एसएसीओएन) और डब्ल्यूआईआई द्वारा निर्धारित स्थानिक निकोबार मेगापोड के लिए व्यापक अध्ययन और संरक्षण उपाय भी ईसी की शर्तों में से एक है। अंडमान एवं निकोबार वन विभाग को संरक्षण उपायों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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