राष्ट्रपति सचिवालय
azadi ka amrit mahotsav

राष्ट्रपति ने उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास की 96वीं पुण्यतिथि पर हुए समारोह की शोभा बढ़ाई

प्रविष्टि तिथि: 06 JUL 2024 8:34PM by PIB Delhi

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज (6 जुलाई 2024) ओडिशा के भुवनेश्वर में उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास की 96वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में शामिल हुईं।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि यह मायने नहीं रखता कि कोई व्यक्ति कितना लंबा जीवन जीता है, बल्कि यह मायने रखता है कि वह कैसा जीवन जीता है। यानी किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा का मूल्यांकन समाज और देश के लिए उसके योगदान के आधार पर ही किया जाता है। उन्होंने कहा कि पंडित गोपबंधु दास ने अपने छोटे से जीवनकाल में कितने अच्छे काम किए, यह सोचकर आश्चर्य होता है। उन्होंने कहा कि समाज सेवा, साहित्य, शिक्षा और पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने पंडित गोपबंधु दास को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति ने कहा कि पंडित गोपबंधु दास यह अच्छी तरह जानते थे कि उचित शिक्षा के बिना कोई भी समाज या राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता। इसीलिए उन्होंने पुरी जिले के सत्यबाड़ी में मुक्ताकाश स्कूल की स्थापना की, जिसे वन विद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। छात्रों को शुरू से ही प्रकृति से परिचित कराने का उनका तरीका बहुत महत्वपूर्ण है। पंडित गोपबंधु ने वन विद्यालय के माध्यम से छात्रों के समग्र विकास पर जोर दिया। उनके विचार में शिक्षा का मतलब केवल किताबी ज्ञान नहीं है, बल्कि शिक्षा से छात्रों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास भी होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 1919 में पंडित गोपबंधु दास ने समाज समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया था। इस प्रकाशन के माध्यम से उन्होंने ओडिशा में स्वतंत्रता का संदेश फैलाया। उन्होंने इस अखबार के माध्यम से लोगों की समस्याओं को भी उठाया। समाज में लिखे गए उनके संपादकीय ने ओड़िया साहित्य को समृद्ध किया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि पंडित गोपबंधु दास राष्ट्रवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करते थे। उनकी कविताएं और गद्य देशभक्ति और विश्व कल्याण का संदेश देते हैं। वे ओड़िया गौरव के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रवाद के लिए भी समर्पित थे। पंडित गोपबंधु ने लिखा था, “मैं भारत में जहां भी रहूं, मुझे विश्वास होना चाहिए कि मैं घर पर हूं।” राष्ट्रपति ने कहा कि हमें गोपबंधु जी की इस अखिल भारतीय सोच से प्रेरणा लेनी चाहिए।

***

एमजी/एआर/एमपी/एसएस


(रिलीज़ आईडी: 2031353) आगंतुक पटल : 293
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: Odia , English , Urdu , Hindi_MP , Punjabi , Tamil