उप राष्ट्रपति सचिवालय
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी), तिरुवनंतपुरम के 12वें दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ
Posted On:
06 JUL 2024 3:40PM by PIB Delhi
मुझे पता है कि यह एक यादगार पल है, जिसे संजोकर रखना चाहिए। मैं इसके लिए आप सभी का आभारी हूं।
संस्थान के पूर्व छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों और योगदान के माध्यम से अपने शैक्षणिक संस्थान को सम्मान दिलाया है और उनके साथ हमारा जुड़ाव बढ़ रहा है।
मैं पूर्व छात्रों को बधाई देता हूं। हर संस्थान के पूर्व छात्र एक थिंक टैंक का गठन करते हैं, और वह थिंक टैंक असाधारण उपलब्धियां हासिल कर सकता है। इसे अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के पूर्व छात्रों द्वारा अनुकरणीय बनाने की आवश्यकता है।
मैं लंबे समय से इस विचार में विश्वास करता रहा हूं कि हमारे पास पूर्व छात्र संघों का एक परिसंघ होना चाहिए। यदि आपके जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों, जैसे कि आईआईटी, आईआईएम, जेएनयू और कई अन्य के पूर्व छात्र संघों का एक परिसंघ है, तो मेरा विश्वास करें, यह एक वैश्विक थिंक टैंक होगा, और यह हमारी नीति-निर्माण में योगदान दे सकता है। कहीं न कहीं शुरुआत तो करनी ही होगी; इससे बेहतर कोई जगह नहीं है।
यह वे लोग हैं, जो किसी संस्थान के सच्चे बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में काम करते हैं। वे ही किसी संस्थान को वह बनाते हैं, जो वह है।
बुनियादी ढांचा महत्वपूर्ण तो ही है, लेकिन भावना और सार तत्व का महत्व उससे कहीं ज्यादा। इसलिए, यह मानव संसाधन है, संकाय की ताकत है जो किसी संस्थान की रीढ़ की ताकत निर्धारित करती है। आपके पास ऐसे उल्लेखनीय और सक्षम संकाय हैं, आप भाग्यशाली हैं।
माननीय राष्ट्रपति, कुलाधिपति, प्रतिष्ठित संकाय सदस्य, प्रिय छात्र, उनके परिवार के सदस्य, उनके मित्र, कर्मचारी और इस संस्थान से जुड़े मानव संसाधन के हर हिस्से को मेरा अभिवादन।
यह मेरे लिए एक अनूठी तरह की खुशी है। मैंने कुछ अवसरों पर दीक्षांत समारोह में भाषण दिए हैं और कुछ अवसरों पर नहीं दिए हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में, मैं लगभग तीन दर्जन विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति रहा और 11 विश्वविद्यालयों का दौरा किया। यह अवसर बहुत अलग है, क्योंकि ये संस्थान बहुत अलग है। इसका कामकाज अलग है, इसका विजन अलग है और इसका विजन हमारे विकास ढांचे की जमीनी वास्तविकता से संबंधित है। इसलिए, मैं भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे युवा प्रतिभाओं के साथ बातचीत करने का यह महत्वपूर्ण अवसर दिया जो हमारे राष्ट्र के भाग्य को आकार देंगे।
अंतरिक्ष और विज्ञान से जुड़ी कई चीजें अमूर्त हैं। हम इसके आयामों को जानने में असमर्थ हैं, लेकिन दूसरों के लिए जो रहस्यपूर्ण और अमूर्त है, उसे मूर्त रूप देने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह हमारे देश में एक अरब या उससे अधिक लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे, आपके दिल और दिमाग में है। यह संस्थान एशिया का पहला अंतरिक्ष विश्वविद्यालय होने पर गर्व कर सकता है और मुझे कोई संदेह नहीं है कि आने वाले दशकों में यह जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, वह सबसे प्रतिष्ठित वैश्विक विश्वविद्यालय होगा।
इसे एक व्यापक दृष्टि के साथ डिजाइन किया गया है; आईआईएसटी ज्ञान और सीखने की एक बहुत ही विशिष्ट श्रेणी में स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट कार्यक्रमों में एकीकृत शैक्षिक अनुभव प्रदान करता है।
मैं इस बात के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं कि शिक्षा बदलाव का सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र है। यह समानता को बढ़ावा देती है, असमानताओं को दूर करती है। सकारात्मक परिवर्तन का इसका तंत्र हमारे युवाओं को चुनौतियों को स्वीकार करने और उन अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाता है, जो हमारे समय में बहुत ज्यादा हैं।
दोस्तों, यह दिन वर्षों की कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता का समापन है। आपने अपने शिक्षकों के क्रोध को भी झेला होगा; वे कई मौकों पर बहुत सख्त रहे होंगे, लेकिन ऐसा हर क्रोध आपके लिए अमृत होगा और यह एहसास आपको अपने जीवन के हर पल में होगा, जब आप बाहर निकलेंगे।
जैसा कि कुलाधिपति ने सही कहा है, यह मत सोचिए कि यह सीखने का अंत है। सीखना कभी खत्म नहीं होता। जब तक आप जीवित हैं, आपको सीखना जारी रखना होगा। एक बार जब आप सीखना बंद कर देंगे, तो आपके जीवन में गिरावट तेज हो जाएगी।
एक स्थिर स्थिति बनाए रखने के लिए भी, आपको सीखना होगा, और जब आप ऊपर की ओर बढ़ते हैं, तो आपको और भी अधिक सीखना होगा। सीखना हमारे जीवन का एक हिस्सा है; यह कभी रुकता नहीं।
इस संस्थान को वास्तव में विश्वस्तर पर मान्यता प्राप्त प्रतिभाओं द्वारा संचालित होने का सौभाग्य प्राप्त है। इस संस्थान की शुरुआत और विकास में योगदान देने वाली प्रत्येक प्रतिभा ने राष्ट्र के विकास में अपनी छाप छोड़ी है।
इस संस्थान की क्या खासियत है! भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, आईआईएसटी के पहले कुलाधिपति थे। इस संस्थान को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और प्रो. यू.आर. राव जैसी कई प्रतिष्ठित हस्तियों से उत्कृष्ट समर्थन प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है।
इस संस्थान की आभा तब से एक वृद्धिशील स्तर पर है। यह भारत में अपनी तरह का एकमात्र संस्थान है, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के लिए विशिष्ट विषयों में बीटेक की डिग्री प्रदान करता है। यह हमारे वैज्ञानिक उत्थान में पर्याप्त रूप से परिलक्षित होता है।
मित्रों, भारत ने पिछले दशक में महत्वपूर्ण प्रगति की है और इस दशक के दौरान, वैश्विक चुनौतियां और महामारी थी। भारत एक चमकता सितारा बन गया है और इसे वैश्विक मान्यता मिली है, वैश्विक मंच पर अवसर और गंतव्य-देश के लिए भारत एक पसंदीदा स्थान है।
आईएमएफ, विश्व बैंक और इसी तरह की संस्थाओं से मान्यता मिली है। यह आपके लिए एक सुखद इकोसिस्टम बनाता है, जहां आप अपनी प्रतिभा का पूरा उपयोग कर सकते हैं और अपनी आकांक्षाओं और सपनों को साकार कर सकते हैं।
मैं आपसे अपील करता हूं: अपने आस-पास के परिदृश्यों और अवसरों पर नज़र डालें। अपनी सीमाओं को तोड़ें, क्योंकि, निस्संदेह, वैश्विक स्तर पर, भारत आशा और संभावनाओं का देश है और विश्व इसे पहचानता है।
मेरे युवा मित्रों, आप शासन में सबसे बड़े हितधारक हैं। जब हम विकसित भारत की बात करते हैं, तो हम 2047 में आपकी भागीदारी की बात करते हैं। हम में से बहुत से लोग यहां नहीं होंगे, लेकिन आप ड्राइवर की सीट पर होंगे, आप पायलट की सीट पर होंगे, आप नियंत्रित कर रहे होंगे कि कौन उन पदों पर होगा। आपकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, हमेशा ध्यान रखें कि आपको बदलाव लाना है- एक ऐसा बदलाव, जो देश के लिए अच्छा हो, एक ऐसा बदलाव, जिसका आपने सपना देखा है।
इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि आपको एक ऐसा बदलाव लाना है जो देश के लिए अच्छा हो, एक ऐसा बदलाव जिसका आपने सपना देखा है।
मैं आपका ध्यान हेराक्लिटस की ओर आकर्षित करना चाहता हूं, वे सुकरात युग से पहले के दार्शनिक थे। उन्होंने ही कहा था कि "जीवन में एकमात्र स्थिर चीज़ परिवर्तन है" और उन्होंने इसे अपने दरबार में बहुत ही तर्कसंगत तरीके से लागू किया। उन्होंने दरबार में जो कहा था "कोई भी व्यक्ति कभी भी एक ही नदी में दो बार नहीं उतरता, क्योंकि यह वही नदी नहीं है, जिससे वह व्यक्ति गुजरता है और वह वही व्यक्ति नहीं है"।
इसलिए, हर क्षण चीजें बदल रही हैं, लेकिन उस बदलाव से आपको नहीं हिलना चाहिए। आपको बदलाव की कमान संभालनी होगी और बदलाव की कमान संभालने का एकमात्र तरीका प्रौद्योगिकी की कमान संभालना, नवोन्मेषी मोड में रहना और लीक से हटकर सोचना है।
यह प्रमुख संस्थान अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का प्रतीक है और आप इस रोमांचक यात्रा का अहम हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं। दहन विश्लेषण, जलवायु अध्ययन, एआई अनुप्रयोग, उपग्रह इमेजरी और बैटरी प्रौद्योगिकी में आपकी परियोजनाएं भारत की नवोन्मेषी ताकत का उदाहरण हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप सीमाओं को आगे बढ़ाते रहें और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नई उपलब्धियां हासिल करने के लिए भावी पीढ़ियों को प्रेरित करते रहें।
आइए हम ऐसे समय की आकांक्षा करें, जो स्वयं से प्रतिस्पर्धा करे और हम दूसरों से प्रतिस्पर्धा न करें। जब मैं कहता हूं कि भारत को दूसरों से नहीं, बल्कि खुद से ही प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, क्योंकि हमें धरती पर सर्वश्रेष्ठ बनना है और यह चांद मांगना नहीं है, हमने हज़ारों वर्ष पहले इस स्थिति का आनंद लिया था, जिसे पूरी दुनिया ने मान्यता दी थी और अकेले भारत में ही ऐसी क्षमता और ज्ञान व बुद्धि का भंडार है, जो इस तरह के चरमोत्कर्ष को ला सकता है, जो न केवल हमारे देश के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए सुखदायक होगा, क्योंकि यह देश वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करता है।
अकादमिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान का एक अनूठा मेल पेश करते हुए, आईआईएसटी ने इसरो के सहयोग से एक पाठ्यक्रम तैयार किया है। यह साझेदारी 21वीं सदी के अंतरिक्ष उद्योग के लिए व्यावहारिक कौशल के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास के अत्याधुनिक ज्ञान को सुनिश्चित करती है और इस उद्योग का एक बहुत ही महत्वपूर्ण वित्तीय आयाम है। यह दोस्ती आईआईएसटी और इसरो में क्या गुल खिलाएगी आप देखते रह जाएंगे। इसका असर भारत पर ही नहीं, भारत के बाहर भी पड़ेगा और दुनिया इस दोस्ती का कमाल देख रही है।
अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की यात्रा को इसके महत्वाकांक्षी मिशनों, अभूतपूर्व खोजों और वैज्ञानिक प्रगति के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता द्वारा परिभाषित किया गया है।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में हमारी हालिया उपलब्धियों ने वैश्विक प्रशंसा अर्जित की है। वर्ष 2023 में, चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 सहित इसरो के सभी सात प्रक्षेपण सफल रहे। कुल 5 भारतीय उपग्रह, 46 विदेशी उपग्रह और 8 रॉकेट बॉडीज़ (पीओईएम-2 सहित) अपनी इच्छित कक्षाओं में स्थापित किए गए, यह सब उपलब्धि सिर्फ एक वर्ष में हासिल की गई।
यह केवल इसरो की वजह से है कि भारत, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 को सफलतापूर्वक उतारने वाला दुनिया का पहला देश होने का गर्व कर सकता है।
चांद पर इसरो ने शिव शक्ति पॉइंट और तिरंगा उकेर दिया। यह क्षण इतिहास में हमेशा के लिए अंकित हो जाएगा तथा हमारे गौरवपूर्ण सुखद विचारों में गहराई से बैठ जाएगा।
उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक भारत द्वारा मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) है, जो इसे मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई राष्ट्र बनाता है और अपने पहले प्रयास में ऐसा करने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र है। मेरा दिल टूट जाता है, जब कभी-कभी पार्टियों और उद्देश्यों के लिए जानकार लोग हमारे विकास को कम आंकते हैं, जिसकी दुनिया में हर कोई सराहना कर रहा है। मैं उन लोगों के लिए महसूस करता हूं कि ऐसा तब नहीं होना चाहिए जब भारत के हित की बात आती है, जब इस देश के विकास के इतिहास की बात आती है, जब इस देश की प्रतिष्ठा की बात आती है।
भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, वैश्विक क्षेत्र में अपने लिए एक जगह बनाई है।
मुझे इसरो सुविधाओं का दौरा करने और इसके अध्यक्ष के साथ बातचीत करने का अवसर मिला। मेरा विश्वास करें कि मैं प्रेरित और ऊर्जावान था। लोगों द्वारा जो किया जा रहा है, वह अद्भुत है। वे मिशन मोड में इतने जुनूनी हैं। किसके लिए? 1.4 मिलियन लोग। उन्हें मेरा सलाम!
चाहे वह भारत का पहला सौर मिशन, आदित्य-एल1 हो या आगामी महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष यान मिशन, गगनयान, प्रत्येक उपलब्धि ने भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के वैश्विक मंच पर पहुंचा दिया है।
इसके अतिरिक्त, चंद्रयान मिशन ने चंद्रमा की सतह के नए पहलुओं को उजागर करते हुए चंद्र अन्वेषण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
ये उपलब्धियां अंतरिक्ष के अज्ञात क्षेत्रों का पता लगाने के लिए भारत की तकनीकी क्षमता और दृढ़ संकल्प को रेखांकित करती हैं।
हमारे अंतरिक्ष मिशन और इस क्षेत्र में उपलब्धियां वास्तव में "21वीं सदी की दुनिया में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली अंतरिक्ष कार्यक्रमों में से एक का नेतृत्व करने का प्रयास करने वाले एक प्रौद्योगिकी-निर्माण राष्ट्र के रूप में हमारी पहचान को परिभाषित करती हैं।"ये मेरे शब्द नहीं हैं। ये इसरो के अध्यक्ष के शब्द हैं। मैं उनसे शत-प्रतिशत सहमत हूं और विज्ञान की दुनिया में एक राष्ट्र के रूप में पहचान इन उपलब्धियों से परिभाषित होती है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशनों की सफलता ने भारत के कूटनीतिक सॉफ्ट पावर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और लाखों लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर किया है।
जब आप अपनी पेशेवर यात्रा शुरू करते हैं, तो याद रखें कि अंतरिक्ष उद्योग एक रोमांचक कायापलट से गुजर रहा है। पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान जैसे नए प्रतिमान उड़ान भर रहे हैं, उपग्रहों का विशाल नेटवर्क पूरी दुनिया को कवर कर रहा है और मानव अंतरिक्ष उड़ान इस परिदृश्य को फिर से परिभाषित कर रही है।
अंतरिक्ष जैसे ये नज़ारे कभी खत्म नहीं होते। आप अपनी प्रतिभा का उपयोग करके वह हासिल कर सकते हैं, जो मेरी उम्र के लोगों के विचार से परे है। आप इसे जमीनी हकीकत में बदल सकते हैं।
आने वाले दशकों में अंतरिक्ष अन्वेषण में अभूतपूर्व तेजी देखने को मिलेगी। भारत, अपने मजबूत अंतरिक्ष कार्यक्रम और कुशल पेशेवरों के बढ़ते पूल के साथ, इस रोमांचक यात्रा में एक प्रमुख देश बनने के लिए अच्छी स्थिति में है।
मित्रों, मेरी बात मान लीजिए, यह सदी भारत की है। हमें इस बारे में कोई संदेह नहीं है और क्योंकि भारत पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और इस बढ़ने को रोक नहीं सकता है, यह बढ़ना क्रमिक है और यह बढ़ना आपके द्वारा संचालित होगा, जब हम बाहर निकलेंगे और 2047 में चरमोत्कर्ष पर पहुंचने वाले मैराथन मार्च में शामिल होंगे। आप महत्वपूर्ण हितधारक होंगे, उस मार्च की प्रेरक शक्ति जो सिर्फ़ सफलता में ही परिणत होगी। व्यक्तिगत रूप से, मुझे लगता है कि 2047 से पहले भारत विकसित भारत होगा। मुझे इस बारे में कोई शंका नहीं है।
मुझे बताया गया है कि इसरो द्वारा विकसित लिथियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकी देश में इलेक्ट्रिक वाहन इकोसिस्टम के विकास में उपयोगी हो सकती है। केन्द्र सरकार ने कुछ खनिजों के संबंध में पहल की है, ताकि उन्हें निजी क्षेत्र में रखा जा सके और यही कारण है कि हम लिथियम के साथ जुड़े हुए हैं। हमारी अगली पीढ़ी की स्थिति सोडियम के साथ भी आ रही है। इसलिए, मुझे कोई संदेह नहीं है कि आप वैश्विक स्तर पर सोडियम के साथ जुड़े होंगे।
प्रिय मित्रों, हमारी स्थिति और भू-राजनीतिक ताकत केवल भौतिक कौशल से ही नहीं, बल्कि हमारी प्रयोगशालाओं से निकलने वाले बौद्धिक और तकनीकी नवाचारों से भी निर्धारित होगी। तकनीकी उन्नति में निवेश करने वाला देश सुरक्षित सीमाएं सुनिश्चित करता है। पारंपरिक युद्ध के दिन बीत गए हैं।
मित्रों, हम ऐसे युग में रह रहे हैं जहां माहौल खराब रहा, आर्थिक स्थिति पीड़ादायक थी, विदेशी मुद्रा कम हो रही थी और सोने को स्विस बैंकों में भौतिक रूप में रखना पड़ता था। मैं उस समय की बात कर रहा हूं, जब मैं 1989 में संसद का सदस्य था। मैं एक केंद्रीय मंत्री था। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार लंदन और पेरिस शहर से भी छोटा था। हमारे पास विदेशी मुद्रा भंडार 1 बिलियन से दो बिलियन डॉलर के बीच था और अब हमारे पास 660 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। हम 5 कमजोर अर्थव्यवस्थाओं से निकलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था के पांच बड़े देशों में शामिल हो चुके हैं और अब हम तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं। हमें यह मानने में संकोच नहीं करना चाहिए कि यह दूरदर्शी नेतृत्व के कारण हुआ है, एक ऐसा नेतृत्व जिसने दृढ़तापूर्वक इस देश के लिए नीति-निर्माण का काम किया है। जब आप 1.4 अरब की आबादी वाले देश की तरह राजनीतिक यात्रा करते हैं, तो उसमें कुछ खामियां तो होती ही हैं और मुझे कोई संदेह नहीं है कि अगले 5 वर्षों के दौरान, इस देश का शासन हमारे देश को एक ऐसे रास्ते पर ले जाएगा, जहां हमें यह देखना होगा कि हमारे पीछे कौन है और इस पूरी प्रक्रिया में आपका स्थान बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रिय मित्रों, आज (वर्तमान में) आपके पास भ्रष्टाचार मुक्त सक्षम इकोसिस्टम है। सहायक नीतियां एक जीवंत अंतरिक्ष इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा दे रही हैं, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही हैं जो भारत को अंतरिक्ष की दौड़ में और भी आगे ले जाएगी। मित्रों, जब तक आप अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित नहीं करते, तब तक कुछ नहीं हो सकता। एक समय था जब हम प्रौद्योगिकी का इंतजार करते थे। जरा सोचिए कि अब भारत और सबसे विकसित देशों के बीच शायद ही कोई प्रौद्योगिकी अंतर रह गया है। हमारे वैज्ञानिक समुदाय को धन्यवाद। मैं इस मंच से देश के कॉरपोरेट क्षेत्र से आग्रह करता हूं कि वे अत्यंत सौम्य, सजग रहें और अनुसंधान व विकास को पूरा समर्थन दें और उन्हें यह एहसास होना चाहिए कि इस अनुसंधान और विकास से अंततः लाभ होगा। उन्हें सबसे ज़्यादा फ़ायदा होगा, क्योंकि जब इसे व्यापक जनकल्याण के लिए प्रचलन में लाना होगा, तो वे ही ऊर्जा के एकमात्र उत्प्रेरक हैं जो इसे आगे बढ़ा सकते हैं। इसलिए, मैं अपील करता हूं कि आपको ऐसा करने की ज़रूरत है।
परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियां- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (आईओटी), मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और इसी तरह की अन्य प्रौद्योगिकियां अवसर और चुनौतियां दोनों हैं। ये ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में आपको पूरी तरह से अवगत होना चाहिए।
क्वांटम कंप्यूटिंग मशीन-हम दुनिया के उन कुछ देशों में से हैं, जहां 6000 करोड़ का आवंटन किया गया है। आपको किसी और से ज़्यादा की ज़रूरत है। क्वांटम कंप्यूटिंग- 80000 करोड़ की प्रतिबद्धता के साथ हमारा ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और इसमें 8 लाख करोड़ के निवेश से 6 लाख नौकरियां पैदा करने की क्षमता है। हमारे पास पर्याप्त है। एक समस्या जो मैं देखता हूं वह यह है कि जब अवसरों की बात आती है तो हमारी युवा प्रतिभाएं अलग-थलग होकर काम करती हैं। उन्हें लगता है कि उनका अवसर केवल कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणामों के संबंध में है, लेकिन अब ऐसा नहीं है। फिर उन्हें यह बताने की आवश्यकता है कि सबसे अच्छा बने-बनाए खांचों से बाहर निकलना है। आपको सर्वोत्तम लाभ के बारे में पूरी तरह से जागरूक होने की आवश्यकता है। ये अवसर चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन लाभ ज्यामितीय आयाम होंगे और मुझे यकीन है कि आप इस पर ध्यान देंगे। हम अपने पिछले गौरव को पुनः प्राप्त करने के मिशन पर हैं, जो केवल आप जैसे लोगों द्वारा ही किया जा सकता है।
मुझे अपना छात्र जीवन याद है। छात्रवृत्ति ने मुझे सैनिक स्कूल में रहने का अवसर दिया। मैं आपको बता दूं कि मुझे उन राज्यों में आना बहुत पसंद है, केरल उनमें से एक है, जहां मेरे शिक्षक रहते हैं, मेरे पसंदीदा शिक्षक। उन्होंने मुझे मार्गदर्शन दिया, उन्होंने मुझे संभाला था, वे केरल से हैं, मिस रत्नावली नय्यर। जब भी मैं इस जगह आता हूं, तो मैं इसे श्रद्धांजलि देने के लिए तीर्थयात्रा से कम नहीं मानता। मैं उनके घर गया हूं। हम उनके संपर्क में हैं। मैंने संसद की एक बहुत ही प्रतिष्ठित सदस्य पीटी उषा जी से अनुरोध किया कि वे यह देखें कि मेरे शिक्षक दिल्ली में जहां मैं रहता हूँ, नई संसद भवन का दौरा करें ताकि हम वहां धन्य महसूस कर सकें और आप सभी को मेरा संदेश डॉक्टर कलाम हर जगह क्यों है? लोग उनमें एक शिक्षक देखते हैं, डॉक्टर एस राधाकृष्णन को एक दार्शनिक के रूप में याद नहीं किया जाता है, भारत के पूर्व राष्ट्रपति को 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर एक शिक्षक के रूप में याद किया जाता है।
डॉ. कलाम के शब्द आईआईएसटी के मूल सिद्धांतों से गहराई से मेल खाते हैं: "सपने देखो, सपने देखो, सपने देखो। सपने विचारों में बदल जाते हैं और विचार कार्य में परिणत होते हैं।" स्वामी विवेकानंद के इस आह्वान के साथ कि 'जागो, लक्ष्य को हासिल करने के लिए निरंतर बढ़ते रहो'। अगर दोनों एक साथ मिल जाएं, तो यह अंतरिक्ष यान इस अंतरिक्ष में किसी भी मंजिल पर पहुंचेगा जो एक गौरवशाली क्षण होगा।
यह एक ऐसी संस्था है, जहां सपने विचारों के रूप में पंख लगाते हैं और क्रांतिकारी कार्यों में बदल जाते हैं। इसलिए अलग हटकर सोचें। कभी तनाव न लें, कभी दबाव न लें, कभी असफलता से न डरें; असफलता सफलता की ओर एक और कदम है। अगर आपको किसी सबूत की जरूरत है, तो चंद्रयान-2 असफलता नहीं थी, यह चंद्रयान-3 की सफलता की ओर एक कदम था। जिस दिन चंद्रयान-2 को चांद पर उतरना था, मैं पश्चिम बंगाल का राज्यपाल था। आधी रात हो चुकी थी। मैं और मेरी पत्नी दोनों साइंस सिटी गए थे। हम 500 युवा लड़के-लड़कियों के साथ थे। हम सभी चंद्रयान-2 को देख रहे थे और काफी करीब पहुंच गए थे, लेकिन लैंडिंग आसान नहीं थी और चारों तरफ सन्नाटा था। प्रधानमंत्री का संदेश आया कि हम काफी हद तक सफल हो चुके हैं और चंद्रयान-3 के साथ सफलता मिली। इसलिए असफलता से कभी न डरें। असफलता के डर से अगर आप अपना पूरा दिमाग एक महान विचार के लिए एक पार्किंग स्थल बना दें, तब आप न केवल अपने लिए, बल्कि मानवता के लिए भी अन्याय कर रहे हैं। इसलिए, प्रयास करना कभी बंद न करें।
मित्रों, समापन से पहले मुझे अपनी एक चिंता साझा करनी चाहिए, जिसका सामना मैंने आज (6 जुलाई, 2024) सुबह किया। मुझे उम्मीद है कि ऐसा नहीं हुआ होगा। जब जानकार दिमाग जानबूझकर गुमराह करते हैं, तो हमें सावधान रहने की जरूरत है। हमारे पास मंच पर जानकार लोग हैं और हमारे पास संकाय में भी जानकार लोग हैं। यदि आप कुछ अलग कहते हैं जिस पर आपको विश्वास नहीं है तो हर कोई आप पर विश्वास करेगा क्योंकि आप ऊंचे पद पर हैं। इसलिए आज सुबह जब मैंने एक अखबार पढ़ा तो एक जानकार व्यक्ति जो इस देश का वित्त मंत्री रहा है, लंबे समय तक सांसद रहा है और वर्तमान में राज्यसभा का सदस्य है। वह मुझे चौंका गया, क्योंकि मुझे बहुत गर्व हुआ कि इस संसद ने एक महान काम किया है। इसने हमें तीन ऐसे कानून देकर औपनिवेशिक विरासत से मुक्त किया है, जो युगांतकारी आयाम के हैं।
दंड विधान से हम न्याय विधान तक आ गए हैं। संसद के प्रत्येक सदस्य को सदन के पटल पर योगदान देने का अवसर मिलता है। संसद के इस सज्जन ने वित्त मंत्री के रूप में बहुत अच्छी पृष्ठभूमि प्राप्त की है और वे जो कहते हैं "नए कानून अंशकालिक लोगों द्वारा तैयार किए गए" क्या हम संसद में अंशकालिक लोग हैं। संसद के लिए अक्षम्य बेतुकी बात। भारी मन से मैं आपके साथ साझा कर रहा हूँ कि इस सज्जन ने अपनी शक्ति का उपयोग नहीं किया, उन्होंने बहस के दौरान अपने स्वरयंत्र को उचित आराम दिया। न केवल उन्होंने मेरे कानूनी बिरादरी के अपने प्रतिष्ठित सहयोगियों को राष्ट्र की मदद करने के लिए आगे नहीं आने दिया, बल्कि उन्हें संसद में अपनी बात रखने का अवसर मिला।
यह संवैधानिक कर्तव्य और दायित्व को निभाने में उनकी विफलता थी और हम ऐसे व्यक्ति को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं, जो ऊंची आवाज में बोल रहा है, लोगों को समझाने का समय आ गया है, ताकि तंत्र स्थापित किया जा सके। मैं शब्दों से परे स्तब्ध हूं और इसलिए कृपया उन दिमागों से सावधान रहें जो जानबूझकर एक रणनीति के रूप में, एक कथा के माध्यम से हमारे देश को नीचे गिराने की कोशिश करते हैं, हमारी संस्थाओं को नीचा दिखाते हैं, हमारी प्रगति को कम आंकते हैं, दीवार पर लिखे शब्दों को नहीं देखते हैं, वे आलोचना के लिए आलोचना करते हैं। मेरे पास इतने मजबूत शब्द नहीं हैं कि मैं इस तरह की कथा को व्यक्त कर सकूं। संसद के सदस्य को अंशकालिक के रूप में लेबल किया जा रहा है। आखिरकार यह संसद ही है, जो कानून बनाने का अंतिम स्रोत है। समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व वहां होता है। जब अभिव्यक्ति की बात आती है, तो पूरा देश जगह पाता है। अपने कर्तव्य की विफलता और चूक, कमीशन, कर्तव्य की उपेक्षा का कार्य जिसे कभी भी समझाया नहीं जा सकता है, आपको खुद को जवाबदेह ठहराना चाहिए। मैं इसके लेखक को संबोधित कर रहा हूं, जो अंशकालिक लोगों द्वारा आपकी अंतरात्मा के लिए बनाया गया था। मैं इस मंच से उनसे संसद सदस्यों के प्रति इन अपमानजनक, मानहानिकारक, अत्यधिक अपमानजनक टिप्पणियों को वापस लेने की अपील करता हूँ। मुझे उम्मीद है कि वे ऐसा करेंगे।
मुझे विश्वास है कि आप में से प्रत्येक 'विकसित भारत@2047' को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हम एक साथ, पूर्ण विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ, इस साझा विजन की ओर आगे बढ़ रहे हैं। मैं आप सभी को आगे के सफल और संतुष्टिदायक करियर के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूं।
धन्यवाद। जय हिंद!
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