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18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सिनेमैटोग्राफर सनी जोसेफ और आर.वी. रमानी का इन-कन्वर्सेशन सेशन में बौद्धिक जुगलबंदी देखने को मिली


सिनेमा, सामाजिक जरूरतों और खामियों को दर्शाने वाला एक आइना है: सनी जोसेफ

मॉर्डन डॉक्यूमेंट्रीज में काल्पनिक तत्व सामान्य होते जा रहे हैं: आर. वी. रमानी

Posted On: 19 JUN 2024 6:13PM by PIB Delhi

18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) में आज सिनेमा को लेकर गंभीर और मजेदार बातचीत देखने-सुनने को मिली। इन-कन्वर्सेशन ‘बियॉन्ड बाउंड्रीज’ में प्रसिद्ध फिल्मकार और सिनेमैटोग्राफर आर.वी. रमानी और सनी जोसेफ शामिल हुए। इस शानदार सत्र में सिनेमैटोग्राफी की कला और दर्शन पर गहन चर्चा की गई, जिसने दर्शकों को गहन अंतर्दृष्टि और विचारोत्तेजक चर्चाओं से मंत्रमुग्ध कर दिया।

सत्र की शुरुआत करते हुए सनी जोसेफ ने नैरिटव सिनेमा में मौलिकता के महत्व पर जोर दिया, जिसमें एकता और एकता की भावना देखने को मिलती है। समाज सुधारक श्री नारायण गुरु को उद्धृत करते हुए, उन्होंने कहा, "जो प्यार करता है, वह जीता है," सिनेमा की तुलना "प्रति सेकंड 24 बार प्यार" से की। उनका कहना था कि सिनेमा, चाहे फीचर फिल्म हो या डॉक्यूमेंट्री, सामाजिक जरूरतों और खामियों को दर्शाने वाले आइने के रूप में काम करता है।

सनी जोसेफ ने उन विषयों और आबोहवा का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया जहां फिल्म निर्माता शूटिंग करते हैं, यह एक सबक है जो उन्होंने अपने गुरु, निर्देशक जी. अरविंदन से सीखा है। उन्होंने डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग के दौरान न्यूनतम व्यवधान की वकालत की, और साथ ही सुझाव दिया कि विषयों की भाषा को समझने से वास्तविक भावनाओं और लय को पकड़ने में मदद मिलती है। सिनेमैटोग्राफी और संपादन के बीच संबंधों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे एडिटर्स शॉट्स के भीतर अंतर्निहित लय को समझते हैं, इन दो कला रूपों के परस्पर संबंध पर जोर देते हैं।

(फोटो: 18वें एमआईएफएफ में चर्चा सत्र में प्रख्यात फिल्मकार और सिनमैटोग्राफर सनी जोसेफ)

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता श्री आर.वी. रमानी ने सिनेमैटोग्राफी के प्रति अपने दृष्टिकोण को साझा किया, जो विषय और व्यवस्था के प्रति सहानुभूति पैदा करने के इर्द-गिर्द घूमता है। उन्होंने बताया कि कैसे फिल्मांकन के दौरान अनप्लांड, सहज क्षण अक्सर जादुई, मैजिकल ट्रांसफॉर्मेटिव सीन बन जाते हैं। रमानी के लिए, फिल्म की अवधारणा को समझना महत्वपूर्ण है; उनका मानना ​​है कि जब संभावनाओं की तलाश की जाती है तो शॉट का अंत स्वाभाविक रूप से सामने आता है।

दोनों फिल्मकारों ने सिनेमैटोग्राफी के उभरते परिदृश्य पर चर्चा की। सनी जोसेफ ने डिजिटल कैमरा तकनीक में हुई प्रगति की प्रशंसा की, जिसने काम का बोझ कुछ हद तक कम किया है और सिनेमैटोग्राफरों को अधिक स्वतंत्रता दी है। उन्होंने समकालीन सिनेमा में प्रयोगात्मक फिल्मों की कमी की आलोचना करते हुए युवा फिल्मकारों को प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।

(फोटो: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार और सिनेमैटोग्राफर आर.वी. रमानी 18वें एमआईएफएफ में एक बातचीत सत्र में)

आर.वी. रमानी का कहना था कि आधुनिक डॉक्यूमेंट्री में फिक्शनल एलिमेंट सामान्य हो गए हैं, खासकर स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म पर। उन्होंने तर्क दिया कि अगर अच्छी स्क्रिप्ट हाथ में है तो निर्माता खोजने में आसानी होती है। हमेशा सिनेमा में फिक्शनल एलिमेंट डालने की जरूरत नहीं होगी। फिल्म का कॉन्सेप्ट और फिल्ममेकर्स का विजन फिल्म निर्माण के लिए पर्याप्त है।

इस सत्र में सनी जोसेफ और आर.वी. रमानी की प्रशंसित कृतियों के वीडियो क्लिप दिखाए गए, जिनमें देवथकल, पिरवी, चिल्ड्रन ऑफ मिनी जापान, ए स्कूल ऑफ माई ओन, बियॉन्ड द व्हील्स, फेस लाइक ए मैन और विंडफॉल ऑफ ग्रेस शामिल हैं। दृश्य और बौद्धिक उत्तेजनाओं के इस मिश्रण ने विचार और कल्पना की जुगलबंदी प्रदान की, जिससे श्रोताओं को गहरी प्रेरणा मिली।

सनी जोसेफ

सनी जोसेफ, प्रख्यात सिनमैटोग्राफर और भारतीय फिल्म एवं टीवी संस्थान (एफटीआईआई) से ग्रेजुएट हैं। उन्होंने फिक्शन और नॉन-फिक्शन सिनेमा दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 65 फीचर फिल्मों और इतनी ही संख्या में डॉक्यूमेंट्री और लघु फिल्मों सहित एक प्रभावशाली पोर्टफोलियो के साथ, सनी ने इंडस्ट्री के कुछ सबसे प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया है। उनकी उल्लेखनीय फिक्शन कृतियों में पिरवी, वस्तुहारा, निज़ालकुथु, ट्रेन टू पाकिस्तान और काहिनी शामिल हैं, जबकि उनकी प्रशंसित डॉक्यूमेंट्रीज में सहज, आयुर्वेद, गॉडेसेज और लाइट अप द स्काई शामिल हैं। जोसेफ ने इंडियन सोसाइटी ऑफ सिनेमैटोग्राफर्स के अध्यक्ष और महासचिव रहे हैं और वह इसके कोषाध्यक्ष के रूप में काम कर रह हैं।

आर. वी. रमानी

आर.वी. रमानी, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और सिनेमैटोग्राफर हैं। उन्होंने डॉक्यूमेंट्रीज फिल्म निर्माण की दुनिया में अपने लिए एक अलग पहचान बनाई है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रमानी की डॉक्यूमेंट्रीज फिल्में अपनी अनूठी, प्रभाववादी शैली के लिए जानी जाती हैं जो अभिव्यक्ति के विभिन्न पहलुओं की खोज करती हैं। मुंबई विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक रमानी का सफर फोटो पत्रकारिता से शुरू हुई, इससे पहले उन्होंने फिल्म और टीवी इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से मोशन पिक्चर फोटोग्राफी में विशेषज्ञता हासिल की, जहां से उन्होंने 1985 में स्नातक किया। पिछले कुछ वर्षों में, उनके काम और पूर्वव्यापी कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में दिखाए गए हैं, जिससे उन्हें दुनिया भर में प्रशंसा और पहचान मिली है।

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