सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे मियावाकी वृक्षारोपण पद्धति अपनाकर हरित आवरण को बढ़ाएगा

Posted On: 18 JUN 2024 3:42PM by PIB Bhopal

राष्ट्रीय राजमार्गों को हरित आवरण से परिपूर्ण करने के लक्ष्य को साकार करने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्गों से सटे भूखंडों पर मियावाकी वृक्षारोपण करने की एक अनूठी पहल करेगा। मियावाकी वृक्षारोपण के लिए दिल्ली-एनसीआर में और उसके आसपास विभिन्न स्थानों पर कुल 53 एकड़ से अधिक भूमि क्षेत्र की पहचान की गई है।

राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे मियावाकी वृक्षारोपण के लिए प्रस्तावित कुछ स्थलों में द्वारका एक्सप्रेसवे के हरियाणा खंड पर 4.7 एकड़ भूमि क्षेत्र, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के दिल्ली-वडोदरा खंड पर सोहना के पास 4.1 एकड़ भूमि क्षेत्र, हरियाणा में अंबाला-कोटपुतली कॉरिडोर के एनएच 152डी पर चाबरी और खरखरा इंटरचेंज पर लगभग 5 एकड़ भूमि क्षेत्र, एनएच-709बी पर शामली बाईपास पर 12 एकड़ से अधिक भूमि, गाजियाबाद के पास ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर दुहाई इंटरचेंज पर 9.2 एकड़ भूमि क्षेत्र और उत्तर प्रदेश में एनएच-34 के मेरठ-नजीबाबाद खंड के पास 5.6 एकड़ भूमि क्षेत्र शामिल हैं।

चयनित स्थलों पर तैयारी शुरू हो चुकी है और आगामी मानसून सत्र के दौरान वृक्षारोपण का कार्य शुरू किया जाएगा। यह कार्य अगस्त 2024 के अंत तक पूर्ण हो जाएगा।

मियावाकी वृक्षारोपण को मियावाकी पद्धति के नाम से भी जाना जाता है। जापान का यह अनूठा दृष्टिकोण पारिस्थितिकी बहाली और वनीकरण विकास की पद्धति है। इस पद्धति का उद्देश्य कम समय में घने, देशी और जैव विविधता वाले वनों का निर्माण करना है। ये वन भूजल को बनाए रखते हैं और भूजल स्तर को रिचार्ज करने में मदद करते हैं। इस पद्धति से, पेड़ दस गुना तेजी से बढ़ते हैं और वृक्षारोपण ध्वनि और धूल अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं। मियावाकी वृक्षारोपण पद्धति को सफल रूप से लागू करने के लिए, स्थानीय जलवायु और मिट्टी की स्थितियों में जीवित रहने वाले पौधों की स्वदेशी प्रजातियों के रोपण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

मियावाकी वनों का विकास एक लचीले पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में योगदान देगा, जिससे पर्यावरण और स्थानीय समुदाय दोनों को कई तरह के लाभ मिलेंगे। इसके कई दीर्घकालिक लाभ भी होंगे, जिसमें सूक्ष्म जलवायु स्थितियों में सुधार जैसे वायु और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार शामिल है। यह जैव विविधता संरक्षण, हरित आवरण के तेजी से विकास, कुशल कार्बन अवशोषण, मिट्टी की बहाली और स्थानीय वनस्पतियों और जीवों के लिए आवास निर्माण में भी मदद करेगा। दिल्ली/एनसीआर में मियावाकी वृक्षारोपण की सफलता के आधार पर, पूरे देश में इसी तरह का पैटर्न दोहराया जाएगा।

मियावाकी पद्धति का उपयोग करते हुए, हरित आवरण में वृद्धि से न केवल राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे रहने वाले नागरिकों के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में वृद्धि होगी, बल्कि एनसीआर में राष्ट्रीय राजमार्गों की सुंदरता बढ़ेगी और यात्रा के दौरान आनंद में भी वृद्धि होगी।

 

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