नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

भारतीय सौर ऊर्जा निगम ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के एसआईजीएचटी कार्यक्रम के अंतर्गत हरित अमोनिया उत्पादकों के चयन के लिए आरएफएस जारी किया है


उत्पादन और आपूर्ति के लिए हरित अमोनिया की कुल उपलब्ध क्षमता 5.39 लाख मीट्रिक टन/वर्ष के लिए प्रतिस्पर्धी बोली शुरू की गई

Posted On: 08 JUN 2024 8:00PM by PIB Delhi

भारत ने देश में हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव की मांग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक प्रयास के मोड 2ए के तहत लागत आधारित प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से भारत में हरित अमोनिया के उत्पादन के लिए हरित अमोनिया उत्पादकों के चयन के लिए चयन हेतु अनुरोध (आरएफएस) जारी किया है।

हरित अमोनिया उत्पाद को बड़ा बढ़ावा

उत्पादन और आपूर्ति के लिए हरित अमोनिया की कुल उपलब्ध क्षमता 5.39 लाख मीट्रिक टन (एमटी)/वर्ष के लिए ई-बोली के माध्यम से बोली लगाई जाएगी, जिसके बाद ई-रिवर्स नीलामी प्रक्रिया होगी। उत्पादित हरित अमोनिया उर्वरक कंपनियों को आपूर्ति की जाएगी।

आरएफएस को यहां देखा जा सकता है।

ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन के लिए रणनीतिक पहल (एसआईजीएचटी)

एमएनआरई ने पहले एनजीएचएम के हरित अमोनिया उत्पादन (मोड 2ए के तहत) की खरीद के लिए प्रोत्साहन - घटक II: एसआईजीएचटी कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए योजना दिशानिर्देश जारी किए थे। एसईसीआई को इस योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।

एसआईजीएचटी कार्यक्रम के तहत, एमएनआरई ने पहले ही 4.12 लाख मीट्रिक टन (एमटी)/वर्ष हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता और 1.5 गीगावाट/वर्ष इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण क्षमता आवंटित की है।

राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन 4 जनवरी 2023 को वित्तीय वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। यह स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से भारत के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य में योगदान देगा और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा रूपांतरण के लिए प्रेरणा का काम करेगा। इस मिशन से अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण डीकार्बोनाइजेशन होगा, जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत को ग्रीन हाइड्रोजन में प्रौद्योगिकी व बाजार नेतृत्व संभालने में सक्षम बनाया जाएगा।

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