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एनएफडीसी इंडिया ने डॉक फिल्म बाजार 2024 के पहले संस्करण में पहली बार डॉक सह-निर्माण बाजार परियोजनाओं के लिए अपने चयन की घोषणा की
छह देशों की 15 परियोजनाएं भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय भाषाओं की विविध श्रृंखला को प्रदर्शित करती हैं
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31 MAY 2024 6:39PM by PIB Delhi
मुंबई में 16-18 जून, 2024 के दौरान आयोजित की जाने वाली डॉक फिल्म बाजार के पहले संस्करण में डॉक सह-निर्माण बाजार के आधिकारिक चयन की जानकारी दे दी गई है।
अपने उद्घाटन संस्करण के लिए, डॉक फिल्म बाजार ने डॉक सह-निर्माण बाजार के एक हिस्से के रूप में 15 परियोजनाएं पेश की हैं, जो दक्षिण एशिया के प्रवासियों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए एक सर्व-वैश्विक गाथा को सामने लाती हैं। परियोजनाओं की यह श्रृंखला भारत, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, स्विट्जरलैंड और नेपाल सहित विभिन्न देशों से निकली विभिन्न संस्कृतियों एवं क्षेत्रों के कथानकों की एक समृद्ध चित्रपट का प्रतिनिधित्व करती है। चयनित फिल्म निर्माता ‘ओपन पिच’ में अंतरराष्ट्रीय व भारतीय निर्माताओं, वितरकों, फेस्टिवल प्रोग्रामरों, फाइनेंसरों और बिक्री एजेंटों के सामने अपनी परियोजनाएं पेश करेंगे। इन परियोजनाओं को मेहमानों एवं प्रतिनिधियों के साथ आमने-सामने का संवाद करने का अवसर भी मिलेगा।
एमआईएफएफ के महोत्सव निदेशक एवं डॉक फिल्म बाजार के संयुक्त सचिव तथा एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक श्री पृथुल कुमार ने कहा कि “डॉक फिल्म बाजार के सबसे महत्वपूर्ण वर्गों में से एक, डॉक सह-निर्माण बाजार, सावधानीपूर्वक चयनित परियोजनाओं के लिए धन एवं सहायता प्रदान करता है। डॉक फिल्म बाजार में पहले डॉक सह-निर्माण बाज़ार के लिए हमें 10 देशों से 27 भाषाओं में 62 संकल्पनाएं प्राप्त हुईं। फिल्म उद्योग से संबंधित समिति के सदस्यों ने गंभीरतापूर्वक इन संकल्पनाओं की पड़ताल की और 15 परियोजनाओं का चयन किया। हम चुने गए फिल्म निर्माताओं को शुभकामनाएं देते हैं और आशा करते हैं कि सह-निर्माण के सही भागीदार इन परियोजनाओं को पहचानेंगे ताकि वे अपनी कलात्मक यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें।”
डॉक सह-निर्माण बाजार 2024 के लिए चयनित परियोजनाएं हैं -
1 - अरावन कूठ- परफॉरमेंस ऑफ लाइफ | भारत | अंग्रेजी
निर्माता: डॉ. अनुपमा के पी - अनुपमा के पी वर्तमान में कालीकट विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने 2020 में भारत के हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के संचार विभाग से पीएचडी प्राप्त की। उन्होंने भारत के तमिलनाडु में मनाए जाने वाले अरावन महोत्सव पर पीएचडी की है और मौजूदा वृतचित्र की प्रेरणा इसी पीएचडी शोध से मिली है। उन्होंने ‘सेकंड प्राइज़’ (रंदम सम्मानम) नाम की एक मलयालम लघु फिल्म का निर्माण भी किया है।
निदेशक: श्रीराज राजीव एस - श्रीराज राजीव एस केरल के रहने वाले एक लेखक हैं और भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे के फीचर फिल्म पटकथा लेखन विभाग के पूर्व छात्र हैं। श्रीराज एक मलयालम लघु फिल्म ‘रंदम सम्मानम/द्वितीय पुरस्कार’ के लेखक व निर्देशक दोनों हैं। इस लघु फिल्म का प्रीमियर केरल के 11वें अंतरराष्ट्रीय वृत्तचित्र एवं लघु फिल्म महोत्सव, 2018 (आईडीएसएफएफके) में हुआ था और इसे विभिन्न फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया है। एफटीआईआई, पुणे में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 2017 में पटकथा लेखन के लिए इनलाक्स फाउंडेशन छात्रवृत्ति हासिल की। वह क्रिस्टो टॉमी द्वारा निर्देशित और एसआरएफटीआई, कोलकाता द्वारा निर्मित राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता (2016) लघु फिल्म 'कामुकी/स्वीटहार्ट' के सह-लेखक हैं। उनका पहला मलयालम उपन्यास, ‘चिल्लुकन्नु’ (ग्लास आई), 2022 में एक प्रमुख मलयालम प्रकाशन संस्थान एच एंड सी पब्लिकेशन द्वारा उनकी 75वीं वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में प्रकाशित किया गया था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मलयालम के अग्रणी समाचार चैनलों में से एक, इंडियाविजन सैटेलाइट कम्युनिकेशन में एक प्रसारण पत्रकार के रूप में की।
2 - बाईचुंग – द स्टोरी ऑफ इंडियाज फुटबॉल लीजेंड | भारत | आदिवासी, अंग्रेजी, हिंदी, नेपाली
निर्माता: अनादि अथाले और अर्फी लांबा
अनादि अथाले ने 2014 में फिल्म एडिटिंग में विशेषज्ञता के साथ भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान से स्नातक की उपाधि हासिल की। फिल्म स्कूल के ठीक बाद, उन्होंने एक फिल्म सामूहिक, ह्यूमनट्रेल पिक्चर्स के हिस्से के रूप में फिल्मों का निर्माण शुरू किया। वह गैर-काल्पनिक (नॉन-फिक्शन) एवं काल्पनिक (फिक्शन) फिल्मों से जुड़े रहे हैं और विभिन्न रूपों एवं कथानकों के जरिए फिल्म निर्माण के माध्यम को तलाश रहे हैं। निर्माता के रूप में उनकी पहली फिल्म 'मोर मन के भरम' ने 17वें मुंबई फिल्म महोत्सव में जूरी का विशेष पुरस्कार जीता। उनकी दूसरी फिल्म, 'रालांग रोड' का प्रीमियर 52वें कार्लोवी वेरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में मुख्य प्रतियोगिता के हिस्से के रूप में हुआ। सह-निर्माता के रूप में उनकी नवीनतम लघु फिल्म, ‘द फर्स्ट फिल्म’ का प्रीमियर हाल ही में बोगोशॉर्ट्स फिल्म फेस्टिवल, कोलंबिया में हुआ। वर्तमान में वह एक निर्माता एवं संपादक के रूप में विभिन्न फिल्मों में काम कर रहे हैं।
अर्फी लांबा बॉम्बे बर्लिन फिल्म प्रोडक्शंस (बीबीएफपी) के सह-संस्थापक हैं, जो मुंबई और बर्लिन में स्थित है। बीबीएफपी ने 2011 में अपनी यात्रा शुरू की और उन्होंने अब तक तीन फीचर फिल्मों का निर्माण/सह-निर्माण किया है, जो भारत और जर्मनी में विभिन्न यूरोपीय टीवी चैनलों के लिए निर्मित की गईं हैं। उन्होंने कुछ लघु फिल्मों और विज्ञापनों का निर्माण भी किया है। उनके पहले फीचर ‘लोएव’ (टालिन ब्लैक नाइट्स, एसएक्सएडब्ल्यू, बीएफआई फ्लेयर, नेटफ्लिक्स) ने नेटफ्लिक्स के साथ पांच साल का लाइसेंसिंग सौदा पूरा कर लिया है। उनकी दूसरी फीचर फिल्म मिडी ज़ेड द्वारा बनाई गई ‘द रोड टू मांडले’ (वेनिस, टीआईएफएफ, बीएफआई, टोक्यो) थी, जिसमें वे जर्मन सह-निर्माता थे, जिसे 30 से अधिक देशों में रिलीज़ किया गया था। इसके बाद अक्षय इंडिकर की पहली फिल्म ‘त्रिज्या’ (शंघाई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह, टालिन ब्लैक नाइट्स, 3 एएनटीए नामांकन, साउंड डिजाइन के लिए राष्ट्रीय व राज्य पुरस्कार) थी जो अभी मूबी पर उपलब्ध है।
निदेशक: कर्मा तकापा - कर्मा तकापा ने भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान, पुणे से निर्देशन एवं पटकथा लेखन में विशेषज्ञता के साथ स्नातक की उपाधि हासिल की। उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा की फीचर फिल्म ‘मोर मन के भरम’ (2015) का सह-निर्देशन किया, जिसका प्रीमियर 17वें एमएएमआई, 2015 में हुआ और विशेष जूरी पुरस्कार जीता। निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म, रालांग रोड (2017) का प्रीमियर चेक गणराज्य में 52वें कार्लोवी वैरी आईएफएफ की मुख्य प्रतियोगिता में हुआ और यह फिल्म दुनिया भर के कई समारोहों में गई। उनकी पिछली फिल्मों में लघु फिल्मों और वृत्तचित्त्रों की एक श्रृंखला शामिल है, जिसमें कथानक के विभिन्न रूपों के साथ प्रयोग और स्थानों की खोज का समावेश है। इस खोज में सिक्किम राज्य में स्थित उनका गृहनगर भी शामिल है। सयानी गुप्ता और शुभम अभिनीत उनकी अगली फिल्म ‘ऊपर नीचे’ वर्तमान में पोस्ट प्रोडक्शन के चरण में है। उन्होंने हाल ही में अमित कुमार द्वारा निर्देशित अमेज़ॅन प्राइम सीरीज की ‘ द लास्ट ऑवर’ में देव का मुख्य किरदार निभाया। उन्होंने सुजॉय घोष द्वारा निर्देशित नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘जाने जान’ (2023) में सुंदर का किरदार भी निभाया है।
3 - भालू आ गए | भारत | छत्तीसगढ़ी, अंग्रेजी, हिंदी
निर्माता: अगस्त्य भाटिया - अगस्त्य पिछले आठ वर्षों से एक निर्माता के रूप में भारत के मुंबई में काम कर रहे हैं। उन्होंने विभिन्न प्रोडक्शन हाउसों के साथ विभिन्न परियोजनाओं की संकल्पना और निर्माण किया है। एक स्वतंत्र फिल्म निर्माता के रूप में उनके अनुभवों ने उन्हें विभिन्न परियोजनाओं के शुरू से लेकर कार्यान्वन तक के प्रबंधन की गहन समझ प्रदान की है, जिससे उन्हें कंटेंट के टुकड़े बनाने और टीमों को प्रबंधित व विकसित करने के मामले में अग्रिम पंक्ति में स्थान मिला है। इसने उन्हें मेटा, वाइस मीडिया, गूगल, वायाकॉम 18, कोंडे नास्ट ट्रैवलर, लोरियल आदि जैसी वैश्विक पहुंच वाली कंपनियों के साथ सहयोग करने को प्रोत्साहित किया है। अगस्त्य को गैर-काल्पनिक (नॉन-फिक्शन) कहानियां बनाने का शौक है जो सीधे संबंधित क्षेत्र के संवाद और नीतियों को प्रभावित करती हैं। इसके परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र में "यकजाह" नामक एक शांति-निर्माण संगठन के साथ एक दशक लंबी साझेदारी हुई है, जो युवाओं को कहानी कहने, उपचार और विभिन्न समुदायों के बीच संवाद के जरिए हिंसक कट्टरपंथ में सक्रिय भागीदारी से हटाकर विकासशील कार्यों में संलग्न करने में मदद करती है।
निर्देशक: नमन सरैया - संस्कृति और पहचान के अंतर्संबंधों की खोज करते हुए, सरैया का काम संगीत, लिंग, मानसिक स्वास्थ्य, राजनीति, जाति एवं वर्ग, प्रौद्योगिकी और भोजन तक फैला हुआ है। वह ‘क्या बोलता बंटाई’, जो भारत में गली रैप के उदय को दर्शाता है और भारत में बंदूक संस्कृति की खोज करने वाली एक फीचर, जिसका शीर्षक ‘प्वाइंट ब्लैंक’ है, के निर्देशक हैं। यह फीचर वाईस वर्ल्ड न्यूज़ के लिए एक सर्व-एशिया श्रृंखला का हिस्सा है। हाल ही में, नमन ने डिस्कवरी+ के लिए ‘माई डॉटर जॉइन्ड ए कल्ट’ का निर्देशन किया, जो स्वामी नित्यानंद के अपराधों की पड़ताल करने वाली तीन भागों में समाहित एक पुरस्कार विजेता डॉक्यू-सीरीज़ है। नमन के वृत्तचित्र और फोटो भारत तथ दुनिया भर के विभिन्न समारोहों में दिखाए गए हैं। निकिता राणा के साथ बनाया गया उनकी हालिया कृति, ‘डिस इज अ फोटो डंप’, को मुंबई अर्बन आर्ट फेस्टिवल 2022-23 के लिए एसटी+आर्ट इंडिया फाउंडेशन द्वारा कमीशन किया गया था। एक निर्माता के रूप में, उनकी पहली फिल्म ‘गुड बाय, हैलो’ दुनिया भर के विभिन्न फिल्म समारोहों में प्रदर्शित हुई और काफी प्रशंसा बटोरी। इस फिल्म का एशिया प्रीमियर एमएएमआई 2023 में हुआ था।
4 - हिमालय की पीठ पर | भारत | गढ़वाली, हिंदी, कुमाऊंनी
निर्देशक और निर्माता: अरुण फुलारा - अरुण फुलारा भारत के मुंबई में रहने वाले एक लेखक और फिल्मकार हैं। उनकी लघु फिल्में ‘संडे’ (2020), ‘माई मदर्स गर्लफ्रेंड’ (2021), और ‘शेरा’ (2022) ने दुनिया भर के फिल्म समारोहों में व्यापक रूप से प्रदर्शित की गईं हैं और उनकी फिल्मों ने 2020 में कशिश एमआईक्यूएफएफ, रीलिंग: द शिकागो एलजीबीटीक्यू+ इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (2021), केरल के अंतरराष्ट्रीय वृत्तचित्र एवं लघु फिल्म महोत्सव (2021) सहित कई फिल्म समारोहों में पुरस्कार हासिल किए हैं। वह वर्तमान में अपनी पहली फीचर फिल्म - माई होम इज़ इन द हिल्स - पर काम कर रहे हैं, जो एक उत्तर भारतीय हिमालयी गांव पर आधारित एक आधुनिक नाटक है और प्रवासन के संदर्भ में जादुई यथार्थवाद में डूबा हुआ है। सुदूर हिमालयी गांव में रहने वाले और कड़ी सर्दी में अपने बगीचे की देखभाल करने वाले एक बुजुर्ग दंपति पर आधारित उनकी वृतचित्र ‘वाल्देन’ वर्तमान में पोस्ट-प्रोडक्शन में चरण है। उन्होंने पूर्व में बुसान, रॉटरडैम, तेलिन और गोथेनबर्ग में आयोजित फिल्म समारोहों में प्रदर्शित अज्जी और भोंसले जैसी पुरस्कार विजेता फिल्मों के प्रसिद्ध फिल्मकार देवाशीष मखीजा के सहायक के रूप में काम किया था।
5 - कलारी | भारत, स्विट्जरलैंड | मलयालम
निर्माता: एस्तेर वैन मेसेल - 1965 में वियना में जन्मी और स्विट्जरलैंड में पली-बढ़ी एस्तेर वैन मेसेल ने तेल अवीव विश्वविद्यालय में फिल्म एवं टीवी तथा इतिहास का अध्ययन किया। 1990 में, वह वार्नर ब्रदर्स इज़राइल डिस्ट्रीब्यूशन में शामिल हो गईं और जल्द ही वहां प्रबंधन का पद संभाला। एस्तेर वैन मेसेल ने 1998 में ज्यूरिख में और 1999 में बर्लिन में फर्स्ट हैंड फिल्म्स की स्थापना की। विश्व स्तर की यह बिक्री कंपनी दुनिया भर की लगभग 150 चुनी गई फिल्मों और 200 से अधिक निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करती है। यह कंपनी 2013 से स्विस सिनेमाघरों में फिल्में वितरित कर रही है और 2018 से निर्माता के रूप में भी काम कर रही है। एस्तेर वैन मेसेल नियमित रूप से कार्यशालाओं में पढ़ाती हैं, कार्यक्रमों का संचालन करती हैं तथा जूरी में काम करती हैं और वैश्विक स्तर की एक निर्णय निर्धारक के रूप में, वह ओएफआई की मूल्यांकन समितियों में तीन वर्षों तक तथा बीएके की समितियों में चार वर्षों तक रहीं और 2023 की यूरोपीय फिल्म पुरस्कार की जूरी में होंगी, जहां वह एक नियुक्त सदस्य हैं।
निर्देशक: सतिंदर सिंह बेदी और मारिया कौर बेदी
भारत में जन्मे सतिंदर सिंह बेदी एक फिल्म निर्देशक और लेखक हैं। वह जनवरी 2022 से स्विट्जरलैंड और भारत के बीच आवाजाही करते रहते हैं। वित्तीय क्षेत्र में काम करने के बाद, उन्होंने 2008 में फिल्म निर्माण की ओर रुख किया। उन्होंने 2015 में प्रसिद्ध भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई, पुणे) में अपना प्रशिक्षण पूरा किया। उनकी मध्यम लंबाई की फिल्म ‘कामाक्षी’ का प्रीमियर बर्लिन में हुआ। इस फिल्म को दुनिया भर के 40 फिल्म समारोहों में दिखाया गया और इसने 20 पुरस्कार जीते। उन्होंने 2016 में क्योटो फिल्ममेकर्स लैब और 2019 में ज्यूरिख फिल्म फेस्टिवल मास्टर क्लास में भी भाग लिया। मारिया कौर बेदी के साथ, उन्होंने 2022 में काव्यात्मक वृत्तचित्र ‘द कर्स’ की शूटिंग की, जिसे प्रिक्स डी सोल्यूर एवं जर्मन कैमरा अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था और इसने कलात्मक अवधारणा के लिए ज्यूरिख फिल्म पुरस्कार 2023 हासिल किया।
मारिया कौर बेदी (पूर्व में मारिया सिग्रिस्ट) एक स्विस फिल्म निर्देशक हैं, जिनका ध्यान नायिका-प्रधान प्रेरक फिल्म परियोजनाओं पर रहता है। ज्यूरिख यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स और रोड आइलैंड स्कूल ऑफ डिजाइन (यूएसए) में फिल्म निर्देशन का अध्ययन करने के बाद, उन्होंने सुसान बैट्सन, स्लावोमिर इदजियाक और जूडिथ वेस्टन जैसे फिल्म उद्योग के अनुभवी दिग्गजों के साथ कार्यशालाओं के माध्यम से अपनी शिक्षा जारी रखी। मारिया कौर बेदी ने स्विट्जरलैंड, जर्मनी, पोलैंड तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में काम किया है और ‘गुडबाय बॉयफ्रेंड’, ‘गर्ल एंड बॉय ऑन द रॉक्स!’ और ‘बीट्रिक्स’ जैसी लघु फिल्मों के साथ अंतरराष्ट्रीय महोत्सव में सफलता हासिल की है। उनकी अत्यधिक प्रशंसित टेलीविजन फिल्म ‘डाई आइंजिगेन’ को प्राइम टाइम के दौरान एसआरएफ 2 पर कई बार प्रसारित किया गया था। लत और प्यार के बारे में उनकी काव्यात्मक वृतचित्र ‘द कर्स’ (2022) को प्रिक्स डी सोल्यूर और जर्मन कैमरा अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था और इसने कलात्मक अवधारणा के लिए ज्यूरिख फिल्म पुरस्कार 2023 हासिल किया था।
6 - लम हौडोंग (एनिमेशन) | भारत | मणिपुरी
निर्माता: कोंग्ब्रेलात्पम यसोबंता शर्मा - मणिपुर के इम्फाल के कोंग्ब्रेलात्पम यसोबंता शर्मा साउंड डिजाइन, फिल्म संपादन, सिनेमैटोग्राफी, निर्देशन और पटकथा लेखन में उत्कृष्टता रखने वाले एक बहुमुखी फिल्मकार हैं। जनसंचार और पत्रकारिता में रुचि रखते हुए, उन्होंने सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में अपने कौशल को और निखारा। यसोबंता की उपलब्धियों में “जो भी हो सोहो” और “कम्युनिटी ऑन व्हील” जैसे प्रशंसित काम शामिल हैं, जो उनकी विविध प्रकार की कहानी कहने की क्षमताओं को प्रदर्शित करते हैं। विशेष रूप से, उनकी मलयालम लघु फिल्म “निनाचिल्लाकलिल” ने मुंबई शॉर्ट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में जीत हासिल की। इसके अतिरिक्त, एनएफडीसी द्वारा वित्त पोषित लघु एनीमेशन फिल्म के लिए ब्लो ब्रिसस मीडिया एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के साथ यसोबंता का सह-निर्माण इस अप्रैल में पूरा होने वाला है। अपनी रचनात्मकता और उद्यमिता के माध्यम से, यसोबंता शर्मा भारतीय सिनेमा में लहरें पैदा कर रहे हैं, अपनी प्रभावशाली कहानी के साथ परिवर्तन एवं एकता को प्रेरित कर रहे हैं।
निदेशक: त्रिशूल युमनाम मणिपुर के इम्फाल के त्रिशूल युमनाम एनीमेशन, निर्देशन एवं पटकथा लेखन से जुड़े होने के अलावा ग्राफिक डिजाइन तथा 3डी एनीमेशन की अतिरिक्त जानकारी रखने वाले एक बहुआयामी फिल्मकार हैं। उन्होंने शिलांग स्थित अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि हासिल की और सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में अपने कौशल को निखारा। कहानी कहने में उनकी रुचि उनके बचपन की कहानियों और वीडियो गेम के कारण है। वर्तमान में, वह एनएफडीसी द्वारा निर्माणाधीन एक लघु एनीमेशन फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं और अभी भी अधिक फिल्मों के लिए नए विचारों व कहानियों पर काम कर रहे हैं। हाल ही में, वह उत्तर पूर्व के उन छात्रों के पहले बैच में शामिल थे, जिन्होंने एनएफडीसी द्वारा संचालित 3डी एनीमेशन में प्रशिक्षण पूरा किया और एमएएसी, राजौरी दिल्ली के मार्गदर्शन में कई “स्टूडेंट ऑफ द मंथ” पुरस्कार जीते। एक फिल्मकार और कहानीकार के रूप में, वह जीवन से प्रेरित नई एवं मौलिक कहानियां कहने की इच्छा रखते हैं और उपलब्ध किसी भी आधुनिक माध्यम एवं प्रारूप का उपयोग करने से नहीं कतराते हैं।
7 - लीजेंड ऑफ अब्बक्का | भारत | अंग्रेजी, कन्नड़
निर्माता: सतवेशा बोस - सतवेशा बोस एक लेखिका-निर्देशक-निर्माता हैं, जो कहानी कहने और दृश्य संचार में अपनी विशेषज्ञता का उपयोग कर प्रभावशाली और सार्थक कथाओं को जीवंत बना देती हैं और विभिन्न शैलियों में ‘महिला की चुनौती’ को फिर से परिभाषित करती हैं। रेड आइस फिल्म्स, राइजिंग सन फिल्म्स, फिल्म फिलॉसफी और वाइब्रेंट वर्क्स में व्यापक अनुभव के साथ, सतवेशा बोस ने कोका कोला, हुंडई, यूनिलीवर, सैमसंग, डोमिनोज पिज्जा, कैडबरीज, मैरिको, डाबर, मेट्रो शूज़, टाटा स्टील, आईबीएम लंदन, एमटीवी और वायाकॉम सहित विभिन्न कंपनियों के लिए कई विज्ञापन, कॉरपोरेट फिल्में और संगीत वीडियो का सफलतापूर्वक निर्माण किया है। मोहन नाडार ने लंदन, एशिया और यूरोप में स्थित कार्यालयों के साथ टीपीएचक्यू (द प्रोडक्शन हेडक्वार्टर लिमिटेड) के साथ पिछले छह वर्षों में 50 फिल्मों का निर्माण किया है। उच्च कमाई वाली बॉलीवुड फिल्मों के निर्माण में योगदान देने से लेकर, मोहन नाडार मुख्यधारा के सिनेमा में प्रभावशाली रहे हैं, ब्लॉकबस्टर का प्रदर्शन और वितरण कर रहे हैं, और स्वतंत्र और क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों की अपनी श्रृंखला तैयार कर रहे हैं। उनकी नवीनतम परियोजना ‘शेरनी’ द्विपक्षीय संधि के तहत बनाया गया पहला आधिकारिक भारत-ब्रिटेन सह-निर्माण है।
निर्देशक: साइरस खंबाटा - साइरस मुंबई से हैं। उन्होंने आर.ए. पोदार कॉलेज से बी.कॉम किया और सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, कोलकाता से निर्देशन और पटकथा लेखन में स्नातक की उपाधि हासिल की। फिल्म स्कूल से पहले, उन्होंने ज़ी सिनेमा के लिए काम किया जहां उन्होंने 200 से अधिक प्रोमो संपादित किए। उनकी लघु फिल्म ‘चुंग पाओ चाइनीज चिली सॉस’ को बर्लिनेल टैलेंट कैंपस में चुना गया और एमआईएफएफ में प्रदर्शित किया गया। उन्होंने पीएसबीटी प्रायोजित, मैसूर मल्लिगे और कोका कोला वित्त पोषित जल परियोजना जैसे वृत्तचित्रों में सहयोग किया है। उन्होंने निर्देशक सागर बल्लारी और रजत कपूर के साथ भेजा फ्राई, कच्चा लिंबू और मिथ्या जैसी फीचर फिल्मों पर काम किया है। उन्होंने 2015 में रिलीज हुई फीचर फिल्म ‘यहां सबकी लगी है’ का सह-लेखन, सह-निर्देशन, सह-निर्माण और संपादन किया है। वाइब्रेंट वर्क्स में, उन्होंने वायाकॉम, पार्ले, पिडिलाइट, कैडबरीज, कोका कोला, हार्पर कॉलिन्स, रेमंड ग्रुप, टाटा विस्तारा, नल्ली, हार्पर-कॉलिन्स, ओ एंड एम, बीबीडीओ, कोका-कोला और एचएक्यू होल्डिंग्स जैसे ग्राहकों के लिए कई फिल्मों के निर्देशन और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
8 - ल्हासा मा सून छा | भारत, नेपाल| अंग्रेजी, नेपाली, तिब्बती
निर्माता: सुरभि दीवान एवं जैस्मीन लवली जॉर्ज
सुरभि दीवान एक स्वतंत्र फिल्म निर्देशक, लेखिका और निर्माता हैं। उनकी फिल्में सामाजिक-राजनीतिक संघर्ष, विस्थापन, स्मृति और पहचान के बीच अंतरसंबंधों की खोज करती हैं। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में ‘ए थिन वॉल’ (65 मिनट, डॉक, 2015), ‘डॉटर ऑफ नेपाल’ (34 मिनट, डॉक, 2018) और ‘ट्रांस कश्मीर’ (62 मिनट, डॉक, 2022) शामिल हैं। सुरभि ने अपनी नई दिल्ली स्थित प्रोडक्शन कंपनी, पेंटेड ट्री पिक्चर्स के साथ पुरस्कार विजेता सामाजिक और व्यावसायिक ऑडियो-विजुअल कंटेंट का भी निर्माण किया है। वह वीडियो कंसोर्टियम की नई दिल्ली चैप्टर की एक सदस्य हैं। वह बिचित्रा कलेक्टिव और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वीमेन इन रेडियो एंड टेलीविज़न, इंडिया चैप्टर की सदस्य भी हैं। सुरभि ने रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, न्यूयॉर्क से फिल्म में एमएफए के साथ स्नातक की उपाधि हासिल की और दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज से राजनीति विज्ञान में बीए की डिग्री प्राप्त की।
जैस्मीन लवली जॉर्ज एक नारीवादी रणनीतिकार हैं जो पिछले 10 वर्षों से दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में काम कर रही हैं। उन्होंने हिडन पॉकेट्स कलेक्टिव की स्थापना की, जोकि प्रजनन और तकनीकी न्याय पर केन्द्रित एक गैर सरकारी संगठन है। वह ग्लोबल साउथ में सामाजिक आंदोलनों के लिए धन जुटाना और वित्तीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करना चाहती हैं।
9 - म्यूजिक फ्रॉम द रूफ ऑफ द वर्ल्ड | भारत, यूनाइटेड किंगडम, यूएसए | अंग्रेजी, हिंदी, नेपाली, तिब्बती
निर्देशक और निर्माता: प्राची होता - प्राची होता हाल ही में लंदन फिल्म स्कूल (एलएफएस) से स्नातक हुई हैं, जहां उन्होंने ऑस्कर और बाफ्टा विजेता फिल्मकारों के सानिध्य में निर्माण, वृत्तचित्र निर्देशन, साउंड रिकॉर्डिंग और संपादन में विशेषज्ञता हासिल की है। एलएफएस से स्नातक होने के बाद से, उन्होंने ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट (बीएफआई) के सहयोग से कई ब्रिटिश स्टार्टअप, प्रबंधित गेम एवं फिल्म समारोहों के लिए विज्ञापनों का निर्माण किया है और इटली, चेक गणराज्य, फ्रांस, यूके तथा भारत में फिल्मों का निर्माण किया है। उनकी स्नातक फिल्म ‘पास्ट इम्परफेक्ट’ एक पुरस्कार विजेता ब्रिटिश चित्रकार रिचर्ड ट्वोज पर आधारित एक लघु वृत्तचित्र है। ट्वोज ने अपने दर्दनाक बचपन को चित्रित करने हेतु अपनी कला का उपयोग किया था। हाल ही में इसे वृतचित्र को ब्रिटिश फिल्म उद्योग के सदस्यों के लिए बीएफआई में प्रदर्शित किया गया था।
10 - रोमांसिंग द डांस | भारत, रूस | अंग्रेजी, रूसी
निर्माता: अनास्तासिया वोस्क्रेसेंस्काया - फिल्म उद्योग में पीआर विशेषज्ञ के रूप में पिछले पांच वर्षों सहित, फिल्म निर्माण और पीआर प्रचार के क्षेत्र में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव। 20 से अधिक परियोजनाओं का कार्यान्वन, जिनमें शामिल हैं: फिल्मों के राष्ट्रीय वितरण के लिए निर्माण एवं पीआर समर्थन “होली आर्किपेलागो” (2023), “सेलेस्यल तवरिडा" (2022), युवा रचनात्मक पेशेवरों के लिए डॉक्यूमेंट्री स्क्रीन फेस्टिवल (2020), प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और रूसी फिल्म समारोहों में टू कैप्टन फिल्म कंपनी की भागीदारी के लिए पीआर समर्थन, जिसमें शामिल हैं: मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (2022, 2020), इंडियन फिल्म बाजार (2023)। इसके परिणामस्वरूप वृत्तचित्र फिल्मों की सफल रिलीज़, 3,500 से अधिक समाचार, टीवी रिपोर्ट एवं साक्षात्कार के साथ-साथ प्रमुख फिल्म आलोचकों और फिल्म विशेषज्ञों की समीक्षाओं का प्रकाशन। इन परियोजनाओं को सोशल नेटवर्क पर व्यापक कवरेज मिला है।
निदेशक: सर्गेई देबिजेव - पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता, पटकथा लेखक और सामाजिक प्रभावकार। वह उस फिल्म शैली के पुरोधा हैं जो वैश्विक दर्शकों के लिए गहन अर्थों के साथ-साथ असाधारण भावनात्मक प्रभाव वाली काव्यात्मक छवियां बनाती हैं। देबिजेव सिनेमाई दुनिया में रूस के सबसे प्रभावशाली वृत्तचित्र निर्देशकों में से एक हैं। उन्होंने आधुनिक समय के प्रमुख मुद्दों पर 30 से अधिक फीचर फिल्मों और वृत्तचित्रों कहानियों का निर्देशन किया है। उनमें से कई को प्रतिष्ठित घरेलू व अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहो में पुरस्कार और डिप्लोमा से सम्मानित किया गया। सेलेस्यल तवरिडा, जो उनकी उत्कृष्ट कृतियों की सूची में भी है, को सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म के रूप में 27वें शंघाई टीवी फेस्टिवल मैगनोलिया अवार्ड्स और सर्वश्रेष्ठ संपादन के लिए डॉक्यूमेंट्री फिल्म के 11वें चीन अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया था।
11 – द वेली ऑफ हेल्थ | भारत| अंग्रेजी, राजस्थानी, तमिल
निर्देशक और निर्माता : शंकर नारायणन कृष्णन -शंकर नारायणन एक भूतपूर्व कॉरपोरेट पेशेवर हैं, जिन्होंने कॉरपोरेट क्षेत्र में कई वर्षों तक काम करने के बाद फ़िल्म निर्माण के अपने असली लक्ष्य की तरफ रुख किया। अपनी पत्नी से मिले समर्थन से प्रोत्साहित होकर, उन्होंने फ़िल्म निर्माण के अपने सपनों को साकार करने की यात्रा शुरू की। शंकर ने उल्लेखनीय हिंदी और मलयालम फीचर फ़िल्मों में मधुमिता, देवेन मुंजाल और अजय गोविंद जैसे प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ सहायक निर्देशक के रूप में काम किया है; इसके अलावा, वह एक पटकथा लेखक के तौर पर भी काम किया है। उन्हें लघु फिल्मों के निर्देशन का भी अनुभव हासिल है और फिलहाल वह अपनी पहली फीचर फिल्म पर काम कर रहे हैं।
12 -थ्रू ए ब्रोकन ग्लास | भारत | अंग्रेजी
निर्देशक और निर्माता : मधु महांकाली -मधु महांकाली ने भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे से स्नातक की डिग्री हासिल की है तथा सिनेमेटोग्राफी में डिप्लोमा प्राप्त किया है। मधु ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में 15 फीचर फिल्मों के लिए फोटोग्राफी निर्देशक के रूप में काम किया है। उन्होंने एक लघु फिल्म 'द जर्नी' का निर्देशन किया, जिसने 2007 में कई कान्स के शॉर्ट फिल्म कॉर्नर जैसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भाग लिया था और हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार तथा फेस्टिवल डू सिनेमा डे पेरिस में विशेष जूरी पुरस्कार जीता। उन्होंने एक फीचर फिल्म ‘परंपरा’ का निर्माण और निर्देशन किया, जिसे 2014 में रिलीज़ किया गया। इस फिल्म को कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया और इसने 2014 में इंडोनेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्लैटिनम पुरस्कार जीता। ‘सॉलिट्यूड’ शीर्षक से विकासशील परियोजना को 2016 में हांगकांग एशिया फिल्म वित्त मंच (एचएएफ-2016) के लिए चुना गया था, जहां मधु ने निर्माता-निर्देशक के रूप में भी भाग लिया था।
13 - ट्रैप्ड | भारत | अंग्रेजी, हिंदी
निर्माता : आर्या मेनन -फिल्म निर्माता आर्या मुंबई में रहती हैं, जिन्हें हार्दिक मेहता की वृतचित्र ‘फेमस इन अहमदाबाद’ के लिए जाना जाता है। इस वृतचित्र ने 2015 में राष्ट्रीय पुरस्कार (भारत) में सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता था। वह भारत के पहले नेटफ्लिक्स शो ‘सेक्रेड गेम्स’ S01 एवं S02 और 'डिकूपल्ड' S01 की सीरीज निर्माता थीं। वह फीचर फिल्म ‘एके बनाम एके’ में विक्रमादित्य मोटवाने की सहायक निर्देशक थीं और अभी तक रिलीज नहीं हुई फीचर फिल्म ‘कंट्रोल’ (2024) की निर्माता हैं। उनके अन्य कामों में उपमन्यु भट्टाचार्य और कल्प संघवी द्वारा जलवायु परिवर्तन के बारे में एक एनिमेटेड लघु फिल्म 'वेड', मंजरी माकिजानी (अमेरिकन फिल्म इंस्टीट्यूट - डायरेक्टर्स वर्कशॉप फॉर विमेन) द्वारा एक लघु फिल्म 'आई सी यू' शामिल हैं।
निर्देशक : अजितेश शर्मा नई मिसाल कायम करते हुए अजितेश ने फेसबुक की बहुप्रशंसित ओरिजिनल सीरीज "होमस्पन" के साथ निर्देशन की ओर कदम बढ़ाया। इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज ने उत्तराखंड के कुशल कारीगरों पर प्रकाश डाला, इस क्षेत्र की सांस्कृतिक ताने-बाने को दर्शाया और इसे गूगल आर्ट्स एंड म्यूजियम द्वारा अधिग्रहित किया गया। समीक्षकों द्वारा प्रशंसित वृतचित्र "वोम्ब – वीमेन ऑफ माय बिलियन” के साथ उनका निर्देशन कौशल चमकता रहा। यह वृतचित्र कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल चलने वाली एक महिला की यात्रा की कहानी बताती है, जिसका मकसद भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को समझना है। अवेडेशियस ओरिजिनल्स और प्रियंका चोपड़ा जोनास द्वारा निर्मित ‘वोम्ब’ जल्द ही अमेजन प्राइम पर रिलीज़ होने वाली है। अजितेश ने उत्तराखंड के मंदिरों के बारे में वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी के लिए "डिवाइन ट्रेल्स" नाम की एक वृतचित्र का भी निर्देशन किया है। एशियन एकेडमी क्रिएटिव अवार्ड्स 2023 में नामांकित यह मार्मिक वृतचित्र, स्क्रीन पर आकर्षक कथाओं को जीवंत करने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित करती है।
14 – अंब्रेलाज ऑफ एक्रोबैट्स |भारत, अमेरिका | तमिल
निर्माता : शौनक सुर - एसआरएफटीआई के पूर्व छात्र शौनक फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कई तरह के काम कर रहे हैं, जिनमें स्वतंत्र फीचर फिल्मों, विज्ञापन फिल्मों और वृतचित्रों के अनुभव शामिल है। रेजिंग फिल्म्स में निर्माता के रूप में, वह वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए बनाई जाने वाली तीन फीचर फिल्मों के सह-निर्माता हैं।
निर्देशक : मुकेश सुब्रमण्यम - पोटैटो ईटर्स कलेक्टिव के सह-संस्थापक मुकेश सुब्रमण्यम भारत के चेन्नई में रहने वाले एक स्वतंत्र फिल्म निर्माता और पटकथा लेखक हैं। फिलहाल मुकेश अपनी पहली वृतचित्र ' अंब्रेलाज ऑफ द एक्रोबैट्स' बनाने में जुटे हुए हैं। हाल ही में, इसे 2024 डॉकएजकोलकाता एशियन फोरम फॉर डॉक्यूमेंट्री में काफी प्रशंसा मिली और उन्होंने एक होनहार पहली बार के फिल्म निर्माता के रूप में प्रतिष्ठित डॉकएज लुमियर पुरस्कार तथा ढाका डॉकलैब पुरस्कार जीता। इसके अतिरिक्त, इस वृतचित्र को '23 में लेट्सडॉक फेलोशिप प्रोग्राम के लिए चुना गया था। उनका अनुवाद कार्य आर्थर सी. क्लार्क की विज्ञान-फाई लघु कहानी पर आधारित चेन्नई पुस्तक मेला, 2023 में प्रकाशित हुआ था। उनकी पहली फीचर पटकथा, 'फिलोमी', जो वन्नानिलवन के प्रशंसित तमिल आधुनिक क्लासिक उपन्यास 'कदलपुराथिल' से रूपांतरित है, को 2021 में एनएफडीसी सह-निर्माण बाजार में चुना गया था।
15 – विस्पर्स ऑफ द डेजर्ट विंड | भारत | हिंदी
निर्माता : कविता बहल - एक बहु- पुरस्कार विजेता स्वतंत्र फिल्मकार कविता को 2022 में प्रतिष्ठित ‘चिकन एंड एग अवार्ड’ (यूएसए) के लिए नामित किया गया था। भारत के प्रमुख अखबार इंडियन एक्सप्रेस के साथ उनके छह साल के कार्यकाल और उग्रवाद से ग्रस्त उत्तर-पूर्व भारत से दो साल की रिपोर्टिंग ने उनकी नजर को पारखी बनाया। वर्ष 1996 में, उन्होंने नंदन सक्सेना के साथ टॉप क्वार्क फिल्म्स की सह-स्थापना की। उनकी फिल्में हाशिये पर रहने वाले लोगों के जीवन का एक समृद्ध ताना-बाना हैं। कविता को दुर्गम परिस्थितियों के भंवर में फंसे लोगों के धैर्य का उत्सव मनाने वाली फिल्मों की त्रयी के लिए तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है। कविता हमारी अधिकांश फिल्मों के लिए शोध, फिल्मांकन, निर्देशन और निर्माण से जुड़ी हैं। वह दो बार भारत के अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की जूरी में और एक बार ट्रेंटो फिल्म महोत्सव – इटली की जूरी में शामिल रही हैं। वह एक टेडेक्स वक्ता भी हैं। कविता और नंदन ने 2007 में 'क्वार्क वर्कशॉप्स' की स्थापना की।
निर्देशक : नंदन सक्सेना -नंदन सक्सेना पुरस्कार विजेता स्वतंत्र फिल्म निर्माता और डीओपी हैं, जिनके नाम 40 से अधिक फिल्मों का रिकार्ड दर्ज है। अन्य पुरस्कारों के अलावा, उन्हें तीन बार भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किया गया है। नंदन ने अल जजीरा, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस, दूरदर्शन, ज़ी जैसे प्रसारकों के लिए वृतचित्र और रियलिटी बेस्ड प्रोग्रामिंग के लिए एक निर्देशक / डीओपी / छायाकार के रूप में काम किया है। उनकी फिल्में आज के समय का मार्मिक चित्रण हैं, जो अक्सर वृतचित्र और सिनेमा के बीच की पतली रेखा को धुंधला कर देती हैं। वर्ष 1996 में, उन्होंने कविता के साथ मिलकर टॉप क्वार्क फिल्म्स का गठन किया। उन्होंने वैसी पुरस्कार विजेता और संवेदनशील फिल्मों का निर्माण किया है, जिन्होंने सामाजिक बदलाव और नीति सुधार को उत्प्रेरित किया है - लोगों को समान रूप से हंसाया और रुलाया है। नंदन क्वार्क वर्कशॉप्स नाम के मंच, जिसकी स्थापना उन्होंने व कविता ने मिलकर 2007 में किया था, के जरिए फिल्म निर्माताओं और छायाकारों को सक्रिय रूप से सलाह देते हैं। वह एक उत्साही फोटोग्राफर और टेडेक्स वक्ता भी हैं।
स्रोत: एनएफडीसी
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