रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
डॉ. मनसुख मंडाविया ने जन औषधि केंद्रों के लिए ऋण सहायता कार्यक्रम का शुभारंभ किया
2014 में केवल 80 जन औषधि केंद्रों से बढ़कर आज देश भर में इनकी लगभग 11,000 इकाइयाँ संचालित हो रही हैं: डॉ. मनसुख मंडाविया
"अनुमान है कि प्रतिदिन 10 से 12 लाख लोग जन औषधि केंद्रों पर आते हैं, जिससे उन्हें महत्वपूर्ण बचत और आवश्यक औषधियों तक पहुंच मिलती है"
"सिडबी और पीएमबीआई के बीच समझौता ज्ञापन छोटे और नए उद्यमियों के लिए एक आशीर्वाद के रूप में उभरेगा क्योंकि इसमें देश में जन औषधि केंद्रों के नेटवर्क को और मजबूत और आधुनिक बनाने की क्षमता है"
एमओयू के अंतर्गत जन औषधि केंद्रों के छोटे उद्यमियों के लिए सिडबी द्वारा 2 लाख रुपये रुपये तक की क्रेडिट सीमा के लिए परियोजना ऋण पर अत्यंत प्रतिस्पर्धी और किफायती ब्याज दर की पेशकश की जाएगी
Posted On:
12 MAR 2024 2:05PM by PIB Delhi
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने आज यहां जन औषधि केंद्रों के लिए एक ऋण सहायता कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस संबंध में, उन्होंने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी-एसआईडीबीआई) और फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) के बीच एक समझौता ज्ञापन के आदान-प्रदान की अध्यक्षता की। उन्होंने जन औषधि केंद्रों को ऋण सहायता के लिए एक वेबसाइट https://jak-prayaasloans.sidbi.in/home भी शुरू की ।
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुएकि डॉ मंडाविया ने कहा, “जो औषधियां सस्ती और सुलभ हैं, वे किसी भी समाज के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता हैं और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इन्हें गरीबों के लिए 'संजीवनी' बताया है। 2014 में केवल 80 जन औषधि केंद्रों से आज देश भर में इनकी लगभग 11,000 इकाइयाँ संचालित हो रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि "अनुमान है कि लगभग 10 से 12 लाख लोग हर दिन इन जन औषधि केंद्रों पर आते हैं, जिससे उन्हें महत्वपूर्ण बचत और आवश्यक औषधियों तक पहुंच मिलती है।"
देश में जन औषधि केंद्रों के नेटवर्क को मजबूत करने की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मंडाविया ने कहा कि खरीद प्रक्रिया को मजबूत बनाने एवं प्रस्तुत किए गए उत्पादों की श्रृंखला का विस्तार करने के अतिरिक्त नियमित आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क बनाए रखने के के साथ-साथ कड़ी गुणवत्ता जांच और नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए बहुत प्रयास किए गए। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि सरकार ने इन जन औषधि केंद्रों के व्यक्तिगत संचालकों को वित्तीय सहायता प्रदान की, जिसमें दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित संचालकों को अतिरिक्त सहायता भी शामिल है ताकि उन्हें ये केंद्र खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहा कि इससे छोटे उद्यमियों को वित्तीय स्वायत्तता मिलने के साथ ही साथ ही देश भर में जन औषधि केंद्रों का नेटवर्क और पहुंच मजबूत हुई है।
सिडबी और पीएमबीआई के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि "यह एमओयू जन औषधि केंद्रों के छोटे और नए उद्यमियों के लिए एक आशीर्वाद के रूप में उभरेगा।" देश में जन औषधि केंद्रों के नेटवर्क को और बढ़ाने, उसे मजबूत करने और आधुनिक बनाने में इस एमओयू की क्षमता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने मंत्रालय और सिडबी अधिकारियों से राज्यों और जमीनी स्तर पर लोगों को इस पहल के लाभों को उजागर करने का आग्रह किया ताकि इसके अधिकतम उपयोग के लाभ को सुनिश्चित किया जा सके। `
केंद्रीय मंत्री ने इस ऋण सहायता कार्यक्रम को सफल बनाने में शामिल व्यक्तियों के साथ-साथ इस पहल के कुछ लाभार्थियों को भी सम्मानित किया।
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी-एसआईडीबीआई) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री शिवसुब्रमण्यम रमन ने बताया कि ऋण सहायता कार्यक्रम छोटे व्यवसायों के लिए असुरक्षित कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करने के लिए जीएसटी और भारत के डिजिटल डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) दोनों का लाभ उठाता है। उन्होंने कहा कि “डीपीआई वर्तमान में पहचान आधार के माध्यम से पहचान और आधार से जुड़े यूपीआई के माध्यम से भुगतान की परतों पर आधारित है। आज हम उन करोड़ों छोटे व्यवसायों के लिए ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए अन्य दो परतों का उपयोग करते हुए एक तीसरी परत 'क्रेडिट लेयर' जोड़ रहे हैं, जो बैंकों से ऋण प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं और फिर साहूकारों द्वारा शोषण का शिकार बनते हैं।''
पृष्ठभूमि:
पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना ने सभी भारतीय नागरिकों के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण औषधियों का लाभ सफलतापूर्वक पहुंचाया है। माननीय प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता ने लगभग 11,000 जन औषधि केंद्रों के साथ पूरे देश को समाहित करके अपने बड़े पदचिन्हों को सफलतापूर्वक सुनिश्चित किया है और अब अगले 2 वर्षों में जन औषधि केंद्रों की संख्या को 25,000 तक बढ़ाकर अपनी भौगोलिक पहुंच बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
ये जन औषधि केंद्र जो निजी उद्यमियों द्वारा चलाए जाते हैं और प्रोत्साहन के रूप में सरकार के समर्थन से लगभग 2000 प्रकार की दवाएं और 300 प्रकार के शल्य चिकित्सा उपकरण प्रदान करने में सक्षम हैं। अनुमान है कि लगभग 10 से 12 लाख लोग प्रतिदिन जन औषधि केंद्रों पर आते हैं और आवश्यक दवाएं खरीदते समय अपना पैसा भी बचाते हैं।
अब जबकि लोग औषधियों की लागत पर नियमित रूप से बचत कर रहे हैं तो इससे ऐसे सभी परिवारों के लिए अपनी जेब से होने वाला व्यय भी बहुत कम हो गया है। कुल मिलाकर, भारतीय नागरिकों ने जन औषधि केंद्रों से दवाएं खरीदते समय पिछले 10 वर्षों की अवधि में 28,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है।
लघु उद्योग विकास बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) और फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) 02 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करके एक साथ इसलिए आए हैं ताकि जन औषधि केंद्र चलाने वाले उद्यमियों को संचालन-आधारित वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करने और उन्हें खुदरा चिकित्सा दुकाने खोलने हेतु ढांचागत स्थापना के लिए सहायता प्रदान की जा सके I
जन औषधि केंद्रों को कार्यशील पूंजी सहायता प्रदान करने के लिए एक पायलट ऋण कार्यक्रम के सफल समापन के बाद लगभग 11,000 वर्तमान और प्रस्तावित 15,000 जन औषधि केंद्रों को कार्यशील पूंजी की ऋण सुविधा प्रदान करने के लिए आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया है। सिडबी अत्यंत प्रतिस्पर्धी और किफायती ब्याज दर पर 2 लाख रुपये रुपये तक की क्रेडिट सीमा के लिए परियोजना ऋण की पेशकश करेगा। जो कार्यशील पूंजी के रूप में और आसान पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया के साथ काम करेगा।व्यवसाय करने में आसानी सुनिश्चित करते हुए पूरा पारिस्थितिकी तंत्र इसके लिए डिजिटल मोड पर काम करेगा।
परियोजना ऋण के लिए दूसरे समझौता ज्ञापन में परियोजना लागत का 80% अर्थात बहुत ही आकर्षक ब्याज दर और आसान पुनर्भुगतान शर्तों पर फिर से 4 लाख रुपये तक के वित्त पोषण की परिकल्पना की गई है। जिससे जन औषधि केंद्र की स्थापना के प्रारंभिक चरण में सहायक सहायता के रूप में फर्नीचर और फिक्स्चर, कंप्यूटर, एसी, रेफ्रिजरेटर आदि पर खर्च की सुविधा मिल सकेगी ।
सिडबी ने 2 समझौता ज्ञापनों (एमओयू )के माध्यम से इन सूक्ष्म और लघु उद्यमों को धन वितरित करते समय जीएसटी-सहाय प्रौद्योगिकी मंच का उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है और यह पूरी योजना के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा। दो संगठनों अर्थात सिडबी और पीएमबीआई के एक साथ आने से भविष्य में आने वाले उद्यमियों के लिए अब वित्तपोषण की सुविधा मिलेगी, जो निश्चित रूप से जन औषधि केंद्र के पहले से ही लोकप्रिय नेटवर्क के माध्यम से सस्ती और गुणवत्ता वाली औषधियां प्रदान करने के अपने उद्देश्य में सरकार के प्रयासों का लाभ उठाएगी।
रसायन और उर्वरक मंत्रालय के भेषज (फार्मास्यूटिकल्स) विभाग में सचिव श्री अरुणीश चावला, वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग में संयुक्त सचिव श्री भूषण कुमार सिन्हा, संयुक्त सचिव के साथ ही इस अवसर पर फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्री रवि दाधीच और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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(Release ID: 2013812)
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