उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
"कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और विनियमन" के लिए समिति की बैठक अयोजित
सभी कोचिंग संस्थानों पर लागू होने वाले दिशानिर्देश
कोचिंग संस्थानों द्वारा सफलता दर, चयन की संख्या आदि के बारे में झूठे दावों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश
Posted On:
09 JAN 2024 3:53PM by PIB Delhi
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में दिशानिर्देश तैयार करने के लिए गठित समिति की पहली बैठक 8 जनवरी, 2024 को आयोजित की। इस बैठक में समिति ने दिशानिर्देशों के मसौदे पर विचार-विमर्श किया।
इस बैठक में समिति के अध्यक्ष उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव और सीसीपीए के मुख्य आयुक्त श्री रोहित कुमार सिंह और सीसीपीए के अन्य सदस्य आयुक्त, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) दिल्ली, फिटजी, खान ग्लोबल स्टडीज और इकिगाई के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनके अलावा लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल हुए।
सचिव (उपभोक्ता मामले) एवं मुख्य आयुक्त (सीसीपीए) श्री रोहित कुमार सिंह ने कहा कि उपभोक्ता के हितों की सुरक्षा सीसीपीए की महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। उन्होंने विशेष रूप से कोचिंग क्षेत्र में विज्ञापनों से संबंधित विशिष्ट पहलुओं से निपटने में स्पष्टता की जरूरत पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि सीसीपीए दृढ़ता से उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने में विश्वास रखता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी भी सामान या सेवा के संबंध में कोई ऐसा गलत या भ्रामक विज्ञापन न दिया जाए जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन करता हो।
ये दिशानिर्देश सभी कोचिंग संस्थानों पर लागू होंगे, चाहे वे ऑनलाइन हों या भौतिक फॉर्म में हों, इसमें किसी प्रारूप या माध्यम की परवाह किए बिना सभी प्रकार के विज्ञापन शामिल होंगे। ये दिशानिर्देश ऐसी शर्तें निर्धारित करते हैं जब कोचिंग संस्थान द्वारा दिया गया कोई विज्ञापन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत परिभाषित भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा, जब उसमें अन्य बातों के साथ-साथ सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी [सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम (चाहे मुफ़्त हो या सशुल्क और पाठ्यक्रम की अवधि आदि) छिपाई गई हो।
ये दिशानिर्देश यह भी प्रावधान करते हैं कि कोचिंग संस्थान सफलता दर या चयन की संख्या और किसी भी अन्य प्रक्रिया के बारे में ऐसे झूठे दावे नहीं करेंगे जो उपभोक्ता के लिए गलतफहमी पैदा कर सकते हैं या उपभोक्ता की स्वायत्तता और पसंद को हानि पहुंचा सकते हों।
दिशानिर्देश यह भी बताते हैं कि क्या किया जाए और क्या न किया जाए, जिन्हें विज्ञापन जारी करने से पहले देखा जाना चाहिए:-
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कोचिंग संस्थान सफल उम्मीदवार के फोटो के साथ अपेक्षित जानकारी का उल्लेख करेगा:-
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कोचिंग संस्थान शत-प्रतिशत चयन या शत-प्रशित नौकरी की गारंटी या प्रारंभिक या मुख्य परीक्षा की गारंटी का दावा नहीं करेंगे।
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विज्ञापन में अस्वीकरण/प्रकटीकरण/महत्वपूर्ण जानकारी का फ़ॉन्ट का साइज वही होगा जो दावे/विज्ञापन में उपयोग किया गया है। विज्ञापन में ऐसी जानकारी प्रमुख और दृश्यमान स्थान पर होनी चाहिए।
यह भी स्पष्ट किया गया कि कोचिंग क्षेत्र द्वारा भ्रामक विज्ञापन के लिए जुर्माना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार नियंत्रित किया जाएगा। यह दिशानिर्देश केवल हितधारकों के लिए स्पष्टीकरण की नियमित प्रकृति में हैं जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के मौजूदा प्रावधानों के तहत नियंत्रित करना जारी रहेगा।
समिति ने पाया कि दिशानिर्देश जारी करने की तत्काल आवश्यकता है और बैठक में यथा विचार-विमर्श के अनुसार मसौदा जल्द से जल्द जारी किया जाना चाहिए।
सीसीपीए ने कोचिंग संस्थानों द्वारा भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की थी। इस संबंध में, सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापन के लिए 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया है और उनमें से 9 पर भ्रामक विज्ञापन के लिए जुर्माना लगाया है।
सीसीपीए को यह पता चला है कि कुछ कोचिंग संस्थान जानबूझकर सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम, पाठ्यक्रम की अवधि और उम्मीदवारों द्वारा भुगतान की गई फीस के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाकर उपभोक्ताओं को गुमराह करते रहते हैं। सीसीपीए ने यह भी देखा कि कुछ कोचिंग संस्थान सत्यापन योग्य साक्ष्य उपलब्ध कराए बिना ही शत-प्रतिशत चयन, शत-प्रतिशत नौकरी की गारंटी और प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा में सफलता की गारंटी जैसे दावे करने में भी शामिल हैं।
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एमजी/एआर/आरपी/आईपीएस/वाईबी
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