रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
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औषध विभाग की वर्षांत समीक्षा 2023


औषध विभाग ने चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और औषध उद्योग को मजबूत करने पर विशेष जोर दिया

देशभर में 10,006 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र खोले गए

वर्ष 2023 में उत्पाद संग्रह में 206 दवाएं और 13 सर्जिकल उपकरण जोड़े गए

Posted On: 29 DEC 2023 3:25PM by PIB Delhi

वर्ष 2023 में औषध विभाग में विभिन्न कार्यक्रम और पहल लागू किए गए। भारत सरकार की एक प्रमुख पहल 'प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना' ने गरीबों और वंचितों को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए 10000 खुदरा दुकानें खोलने का लक्ष्य हासिल कर लिया है। पीएलआई योजना ने औषधीय क्षेत्र में निवेश और उत्पादन बढ़ाकर भारत की विनिर्माण क्षमता को मजबूत किया है। इसके अलावा विभाग ने चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और औषधीय उद्योग को मजबूत करने पर भी विशेष जोर दिया।

  1. प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी)

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) विभाग की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) के नाम से जाने जाने वाले समर्पित आउटलेट के माध्यम से सभी को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। यह योजना औषधि विभाग के तहत एक स्वायत्त सोसायटी, फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है। पूरे देश भर में 30.11.2023 तक 10,006 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) खोले गए हैं।

योजना का उद्देश्य सभी के लिए सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं और सर्जिकल सामान उपलब्ध कराना है। इस तरह उपभोक्ताओं/मरीजों की जेब से होने वाले खर्च को कम करना लोगों के बीच जेनेरिक दवाओं को लोकप्रिय बनाना है।

पीएमबीजेपी के उत्पाद संग्रह  में 1965 दवाएं और 293 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं, जो सभी प्रमुख चिकित्सीय समूहों जैसे कि संक्रामक रोधी, एंटी.डायबिटीज, कार्डियोवास्कुलर, कैंसर रोधी, गैस्ट्रो.आंत्र दवाएं आदि को कवर करते हैं। यह सभी इन केंद्रों के माध्यम से बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। वर्ष 2023 में उत्पाद संग्रह में 206 दवाएं और 13 सर्जिकल उपकरण जोड़े गए हैं।

 

सुविधा सेनेटरी नैपकिन

महिलाओं के लिए किफायती कीमतों पर मासिक धर्म स्वास्थ्य सेवाओं की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरे देश में पीएमबीजेके के माध्यम से 1 रुपये प्रति पैड पर जन औषधि सुविधा सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 30.11.2023 तक इन केंद्रों के माध्यम से 47.87 करोड़ से अधिक जन औषधि सुविधा सेनेटरी पैड बेचे जा चुके हैं। 2023 में 30.11.2023 तक 15.87 करोड़ से अधिक जन औषधि सुविधा सेनेटरी पैड बेचे जा चुके हैं।

 

लोगों को हुई बचत

2022-23 में पीएमबीआई ने 1235.95 करोड़ रुपये की बिक्री की, जिससे लोगों को लगभग 7416 करोड़ रुपये की बचत हुई। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30.11.2023 तक पीएमबीआई ने 935.25 करोड़ रुपये की बिक्री की है, जिससे लोगों को लगभग 4680 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इस प्रकार पिछले 9 वर्षों में इस परियोजना के तहत कुल मिलाकर लगभग 23,000 करोड़ रुपये की बचत की गई है।

 

प्रगति रिपोर्ट

वित्तीय वर्ष

कामकाजी पीएमबीजेपी केंद्रों की संख्या

एमआरपी मूल्य पर बिक्री करोड़ रुपये में

साल में जोड़े गए

संचित

2022-23

694

9304

1235.95

2023-24

(30.11.2023 तक)

702

10006

935.25

 

केन्द्रों की व्यावहारिकता बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम

(i) केंद्रों में ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए दवाओं की पूरी शृंखला उपलब्ध कराने के लिए उत्पाद संग्रह का लगातार विस्तार किया जा रहा है। इसमें लगभग सभी पुरानी और गंभीर बीमारियों को शामिल किया गया है।

(ii) विभाग ने बाजार विस्तार सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभागों और संबंधित सरकारी अथॉरिटीज से विभिन्न सरकारी अस्पतालों में आम लोगों को किराया मुक्त स्थान देकर जन औषधि स्टोर खोलने का अनुरोध किया गया है।

(iii) लोगों के बीच जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए प्रिंट, आउटडोर, टीवी और सोशल मीडिया आदि जैसे विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्मों का नियमित रूप से उपयोग किया जा रहा है।

पीएमबीजेपी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ एकीकृत दृष्टिकोण भी अपना रही है। इसके प्रोत्साहन को लेकर पूरे भारत में स्टोर मालिकों, डॉक्टरों और विभिन्न महत्वपूर्ण गणमान्य व्यक्तियों के साथ कार्यशालाएं भी आयोजित की जा रही हैं।

 

जन औषधि दिवस समारोह (7 मार्च 2023) :

7 मार्च 2023 को 'जनऔषधि अच्छी भी और सस्ती भी' थीम के साथ 5वां जन औषधि दिवस मनाया गया। 1 मार्च 2023 को जन औषधि जन चेतना अभियान के साथ सप्ताह भर चलने वाला जागरूकता कार्यक्रम शुरू हुआ और 7 मार्च 2023 को जन औषधि दिवस के उत्सव के साथ समाप्त हुआ। इसमें देश भर में राज्य/केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए।

सप्ताह भर चलने वाले उत्सव के दौरान पीएमबीआई द्वारा सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करते हुए देश भर के विभिन्न स्थानों पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए। पीएमबीजेके मालिक, लाभार्थियों, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, नर्सों, फार्मासिस्टों, जन औषधि मित्रों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय कर सभी गतिविधियां और समारोह आयोजित किए गए।

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2. भारत में महत्वपूर्ण प्रारंभिक सामग्री (केएसएम), ड्रग इंटरमीडिएट्स (डीआई) और सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना :

 

भारत में महत्वपूर्ण प्रारंभिक सामग्रियों (केएसएम)/ड्रग इंटरमीडिएट्स और सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्रियों (एपीआई) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का उद्देश्य उनकी उच्च आयात निर्भरता को कम करने के लिए 41 चिह्नित थोक दवाओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है। योजना का कुल परिव्यय 6,940 करोड़ रुपये है और योजना की अवधि 2020-21 से 2029- 30 तक है। यह योजना 41 थोक दवाओं के निर्माताओं को आधार वर्ष के दौरान उनकी वृद्धिशील बिक्री पर छह साल के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देती है। किण्वन आधारित पात्र उत्पादों के लिए पहले चार वर्षों (2023-2024 से 2026-2027) के लिए प्रोत्साहन की दर 20% है, पांचवें वर्ष (2027-28) के लिए यह 15% है और छठे वर्ष (2028-2029) के लिए यह 5% है। रासायनिक संश्लेषण उत्पादों के लिए पूरे छह वर्षों (2022-2023 से 2027.2028) के लिए प्रोत्साहन की दर 10% है। भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आईएफसीआई) लिमिटेड इस योजना के लिए परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) है।

उत्पादों की सभी चार श्रेणियों में कुल 249 आवेदन प्राप्त हुए। 249 में से 48 आवेदनों को 3,938.57 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश और लगभग 9,618 व्यक्तियों के अपेक्षित रोजगार सृजन के साथ मंजूरी दे दी गई है। इस योजना के सफल कार्यान्वयन से यह उम्मीद की जाती है कि आने वाले वर्षों में योजना की कार्यान्वयन अवधि के दौरान अधिसूचित थोक दवाओं में आयात निर्भरता कम हो जाएगी।

 

सितंबर 2023 तक योजना के तहत हुई प्रगति इस प्रकार है :

 

स्वीकृत 48 परियोजनाओं में से 27 परियोजनाएं चालू हो चुकी हैं। 3,063 करोड़ रुपये का निवेश स्थापित हो चुका है और 2,777 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजित किया गया। चालू परियोजनाओं द्वारा की गई बिक्री 817.33 करोड़ रुपये की है जिसमें 252.62 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है।

वित्त वर्ष 2022-23 प्रदर्शन/बिक्री का पहला वर्ष है। इसमें त्रैमासिक/ अर्धवार्षिक प्रोत्साहन दावों के लिए पात्रता मानदंड प्राप्त करने और परियोजना प्रबंधन एजेंसी द्वारा सत्यापन के आधार पर आवेदकों को 4.34 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई।

 

कुछ चालू परियोजनाओं की झलक :

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संयंत्र: मेघमनी एलएलपी

 

उत्पाद: पैरा अमीनो फिनोल

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संयंत्र: सेंट्रिएंट फार्मास्यूटिकल्स इंडिया (पी) लिमिटेड

उत्पाद: एटोरवास्टेटिन

 

3. चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना:

 

चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना का वित्तीय परिव्यय 3420 करोड़ रुपये है। योजना का कार्यकाल 2020-21 से 2027-28 तक है। इसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में बड़े निवेश को आकर्षित करना है। योजना के तहत पात्र घरेलू निर्माताओं को पांच वर्षों की अवधि के लिए भारत में निर्मित चिकित्सा उपकरणों की बिक्री में वृद्धि पर 5% की दर से वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाना है और योजना के चार लक्ष्य खंडों के तहत कवर किया जाना है।

आईएफसीआई लिमिटेड इस योजना के लिए परियोजना प्रबंधन एजेंसी है।

 

उत्पादों की सभी चार श्रेणियों में कुल 64 (श्रेणी-ए में 42 और श्रेणी-बी में 22) आवेदन प्राप्त हुए थे। 64 आवेदनों में से 26 आवेदन (श्रेणी-ए में 19 और श्रेणी-बी में 7) को 1,330.44 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश और लगभग 7,950 व्यक्तियों के लिए अपेक्षित रोजगार सृजन के साथ मंजूरी दे दी गई है।

सितंबर 2023 तक योजना के तहत हुई प्रगति इस प्रकार है:

26 स्वीकृत परियोजनाओं में से 16 परियोजनाएं चालू हो चुकी हैं और 39 चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण शुरू हो गया है। 879 करोड़ रुपये का निवेश किया गया और 4,546 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजित किया गया। चालू परियोजनाओं से 3251.76 करोड़ रुपये की बिक्री की गई है, जिसमें 1654.09 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है।

वित्त वर्ष 2022-23 प्रदर्शन/बिक्री का पहला वर्ष था। इसमें त्रैमासिक/ अर्धवार्षिक प्रोत्साहन दावों के लिए पात्रता मानदंड प्राप्त करने और परियोजना प्रबंधन एजेंसी द्वारा सत्यापन के आधार पर आवेदकों को 12.80 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई।

 

4. औषधि के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना:

 

पीएलआई योजना इस क्षेत्र में निवेश और उत्पादन बढ़ाकर और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में उच्च मूल्य वाले सामानों के लिए उत्पाद विविधीकरण में योगदान देकर भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से लागू की जा रही है। योजना का कुल परिव्यय 15,000 करोड़ रुपये है और योजना की अवधि 2020-2021 से 2028-29 तक है।

 

योजना के तहत तीन उत्पाद श्रेणियों के तहत चिन्हित प्रॉडक्ट के उत्पादन के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाता है। श्रेणी 1 में ऐसी दवाएं शामिल हैं जैसे - बायो-फार्मास्यूटिकल्स, जटिल जेनेरिक दवाएं, वाली दवाएं या पेटेंट की समाप्ति के करीब आने वाली दवाएं, ऑरफेन दवाएं आदि। श्रेणी-2 में सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री, प्रमुख प्रारंभिक सामग्री, ड्रग इंटरमीडिएट्स आदि शामिल हैं। श्रेणी-3 में ऑटो-इम्यून दवाएं, कैंसर रोधी दवाएं, मधुमेह रोधी दवाएं, संक्रामक रोधी दवाएं, हृदय संबंधी दवाएं, साइकोट्रोपिक दवाएं, एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं, इन-विट्रो डिवाइस आदि शामिल हैं। इन उत्पादों से भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग के नवाचार, अनुसंधान एवं विकास और उत्पाद विविधीकरण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा फार्मास्युटिकल क्षेत्र के प्रमुख उद्योगों द्वारा किया गया निवेश आगामी वर्षों में मूल्य श्रृंखला में एमएसएमई के विकास और वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

उत्पाद श्रेणी 1 और 2 के लिए यह योजना चयनित आवेदकों को औषधीय सामग्री और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक चिकित्सा उपकरणों की बिक्री में वृद्धि (आधार वर्ष से अधिक) पर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है, जो आवेदकों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले सीमा निवेश और बिक्री मानदंड पर निर्भर करता है, वित्त वर्ष  2022-23 से वित्त वर्ष 2025-26 तक के लिए 10%,  वित्त वर्ष 2026-27 के लिए 8% और वित्त वर्ष 2027-28 के लिए 6% के दर पर है। उत्पाद श्रेणी 3 के लिए प्रोत्साहन वित्तीय वर्ष 2022-23 से वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5%, वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए 4% और वित्तीय वर्ष 2027-28 के लिए 3% के दर पर है। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) इस योजना के लिए परियोजना प्रबंधन एजेंसी है।

 

योजना के तहत 55 आवेदकों का चयन किया गया है। इसमें 17,275 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश वाले इन-विट्रो डायग्नोस्टिक्स (आईवीडी) उपकरणों के पांच आवेदक शामिल हैं।

 

सितंबर 2023 तक योजना के तहत हुई प्रगति इस प्रकार है:

25,813 करोड़ रुपये का निवेश स्थापित किया गया है और 56,171 लोगों के लिए रोजगार सृजित किया गया है। चयनित आवेदकों द्वारा 1,16,121 करोड़ रुपये की बिक्रीर की गई है, जिसमें 75,141 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है। इस योजना में विशेष श्रेणी के औषधीय/आईवीडी उपकरणों के निर्माण की परिकल्पना की गई है।

 

वित्त वर्ष 2022-23 प्रदर्शन/बिक्री का पहला वर्ष है। इसमें त्रैमासिक/ अर्धवार्षिक प्रोत्साहन दावों के लिए पात्रता मानदंड प्राप्त करने और परियोजना प्रबंधन एजेंसी द्वारा सत्यापन के आधार पर आवेदकों को 915 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई।

 

5. फार्मास्युटिकल उद्योग (एसपीआई) को मजबूत बनाना:

औषधि विभाग ने 500 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ 'फार्मास्युटिकल उद्योग को मजबूत बनाना' (एसपीआई) योजना लागू की। योजना की कार्यान्वयन अवधि वित्तीय वर्ष 21-22 से वित्तीय वर्ष 25-26 तक है।  इस योजना का उद्देश्य फार्मा एमएसएमई समूहों में मौजूदा बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए देश भर में मौजूदा फार्मा समूहों और एमएसएमई को उनकी उत्पादकता, गुणवत्ता और स्थिरता में सुधार करने के लिए सहायता प्रदान करना है। एसपीआई योजना के लिए सिडबी (SIDBI) को परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) के रूप में नियुक्त किया गया है।

यह योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है और इसमें निम्नलिखित उप-योजनाएं शामिल हैं :

i. सामान्य सुविधाओं के लिए फार्मास्युटिकल उद्योग को सहायता (एपीआई-सीएफ)

ii. फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना (पीटीयूएएस)

iii हानिकारक एवं चिकित्सा उपकरण संवर्धन एवं विकास योजना (पीएमपीडीएस)

 

i. सामान्य सुविधाओं के लिए फार्मास्युटिकल उद्योग को सहायता (एपीआई-सीएफ), सामान्य सुविधाएं बनाकर उनके निरंतर विकास के लिए मौजूदा औषधीय समूहों की क्षमता को मजबूत करना। इससे केवल गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि समूहों का भी सतत विकास सुनिश्चित होगा।

 

ii. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नियामक मानकों (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी या शेड्यूल-एम) को पूरा करने के लिए बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम फार्मा उद्यमों (एमएसएमई) को उनके पूंजी ऋण पर ब्याज छूट या पूंजी सब्सिडी की सुविधा प्रदान करने के लिए फार्मास्युटिकल तकनीक उन्नयन सहायता योजना (पीटीयूएएस) प्रदान किया जाएगा, जिससे मात्रा के साथ-साथ गुणवत्ता में भी वृद्धि में मदद मिलेगी। और

 

iii फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उपकरण संवर्धन और विकास योजना (पीएमपीडीएस) अध्ययन/सर्वेक्षण रिपोर्ट, जागरूकता कार्यक्रम, डेटाबेस के निर्माण और उद्योग को बढ़ावा देने के माध्यम से औषधीय और चिकित्सा उपकरण क्षेत्रों की वृद्धि और विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए है।

औषधि उद्योग के सुदृढ़ीकरण (एसपीआई) योजना की सामान्य सुविधाओं के लिए औषधि उद्योग को सहायता (एपीआई-सीएफ) उप योजना के तहत परियोजना प्रस्तावों के लिए आवेदन आमंत्रित करने को लेकर आवेदन मांगे गए थे। इसके िहसाब से सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 20 आवेदन/परियोजना प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। 20 आवेदन/परियोजना प्रस्तावों में से 17 आवेदन/परियोजना प्रस्ताव पात्र पाए गए। 30.11.2023 तक, 5 परियोजनाओं को अंतिम मंजूरी दी गई है, 3 परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है।

 

उप-योजना फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना (पीटीयूएएस) के तहत 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रचारात्मक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए। 30.11.2023 तक, 2 परियोजनाओं को ऋण पर पूंजीगत सब्सिडी के लिए अंतिम मंजूरी दी गई है।

 

उप-योजना फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उपकरण संवर्धन और विकास योजना (पीएमपीडीएस) के तहत, 30.11.2023 तक 8 परीक्षण पूरे हो चुके हैं, 6 परीक्षण अंतिम रूप में हैं। साथ ही इस योजना के तहत 10 कार्यक्रम/कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिनमें 2 मेगा इवेंट यानी 'इंडिया फार्मा 2023 और इंडिया मेडिकल डिवाइस 2023' और 'इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023' शामिल हैं।

 

6 इंडिया फार्मा 2023 और इंडिया मेडिकल डिवाइस 2023:

भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, औषधि विभाग ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के सहयोग से नई दिल्ली के अशोक होटल में 26 और 27 मई 2023 को फार्मास्यूटिकल्स और मेडिकल डिवाइस उद्योग इंडिया फार्मा 2023 और इंडिया मेडिकल डिवाइस पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के 8वें संस्करण का आयोजन किया। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा की उपस्थिति में सम्मेलन का उद्घाटन किया।

 

माननीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023, साथ ही चिकित्सा उपकरणों के लिए निर्यात संवर्धन परिषद का शुभारंभ किया। उन्होंने चिकित्सा उपकरणों के लिए परीक्षण सुविधाएं स्थापित करके चिकित्सा उपकरणों के समूहों में सामान्य बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने या स्थापित करने के उद्देश्य से 'आम सुविधाओं के लिए चिकित्सा उपकरण समूहों के लिए सहायता' (एएमडी-सीएफ) नामक एक नई योजना भी शुरू की।

 

वार्षिक प्रमुख सम्मेलन दो दिनों तक आयोजित किया गया था। इसमें 26 मई 2023 को भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए समर्पित 'सस्टेनेबल मेडटेक 5.0 : स्केलिंग एंड इनोवेटिंग इंडियन मेडटेक' और 27 मई 2023 को फार्मास्युटिकल क्षेत्र के लिए 'भारतीय फार्मा उद्योग : नवाचार के माध्यम से मूल्य प्रदान करना' विषय पर समर्पित था।

 

दो दिनों के दौरान कई विषयगत सत्रों में औषधि और चिकित्सा उपकरण उद्योगों के 100 से अधिक सीईओ ने भाग लिया, जिससे दुनिया भर से इस कार्यक्रम में भागीदारी हुई। इस कार्यक्रम में उद्योग जगत के सदस्यों, नीति आयोग, औषधि, स्वास्थ्य, डीपीआईआईटी और उच्च शिक्षा विभागों के सचिव, एनएपीए के अध्यक्ष, एमईआईटीवाई, एमओईएफसीसी से वरिष्ठ अधिकारियों और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर, एनआईपीईआर मोहाली, बीआईआरएसी, हेल्थकेयर सेक्टर स्किल काउंसिल से कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

 

इंडिया मेडटेक एक्सपो (आईएमटीई) 2023 :

 

आयुष विभाग की ओर से इंडिया मेडटेक एक्सपो (आईएमटीई) 2023 का पहला संस्करण गांधीनगर के हेलीपैड प्रदर्शनी केंद्र में 17 से 19 अगस्त 2023 तक 'भारत : अगला मेडटेक ग्लोबल हब' डिवाइस, डायग्नोस्टिक्स और डिजिटल के भविष्य विषय पर आयोजित किया गया था।  इस कार्यक्रम ने भारतीय चिकित्सा उपकरण पारिस्थितिकी तंत्र की ताकत और क्षमता को प्रदर्शित किया। आयोजन की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं :

 

(अ) इस आयोजन ने सभी हितधारकों को एक मंच पर ला दिया, जिससे भारत में क्षेत्र के विकास के लिए नेटवर्क बनाने और सहयोग तलाशने के अवसर पैदा हुए।

(ब)कार्यक्रम में, 4000 से अधिक क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित की गईं और 10000 से अधिक आगंतुकों ने EXPO-2023 का दौरा किया।

(स) एक्सपो में एमएसएमई, स्टार्टअप, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों, राज्य सरकारों, केंद्र और राज्य खरीद एजेंसियों, नियामक एजेंसियों आदि सहित वैश्विक और भारतीय कंपनियों की बड़ी भागीदारी देखी गई।

 

7. सामान्य सुविधाओं के लिए चिकित्सा उपकरण क्लस्टरों को सहायता (एएमडी-सीएफ):

 

20.03.2022 को स्थायी वित्त समिति ने सामान्य सुविधाओं के लिए चिकित्सा उपकरण क्लस्टरों को सहायता (एएमडी-सीएफ) योजना को मंजूरी दे दी। इस योजना में 12 क्लस्टरों और 12 परीक्षण प्रयोगशालाओं को सहायता करने का प्रावधान है। योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 300 करोड़ रुपये है। योजना का कार्यकाल वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2025-26 तक है।

एएमडी-सीएफ योजना का उद्देश्य चिकित्सा उपकरणों के लिए नई परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके चिकित्सा उपकरण समूहों को मजबूत करना है ताकि क्षेत्र के लिए गुणवत्ता और सतत विकास सुनिश्चित हो सके।

09.05.2023 को दिशानिर्देश जारी किए गए थे। योजना के कार्यान्वयन के लिए सिडबी को परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) के रूप में नियुक्त किया गया है।

 

8. बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने की योजना:

देश में बल्क ड्रग पार्कों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए, 20 मार्च, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 'बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देना' नामक योजना को मंजूरी दी गई। इसका उद्देश्य पार्कों में स्थित इकाइयों को विश्वस्तरीय सामान्य बुनियादी ढांचा सुविधाएं प्रदान करना है जो थोक दवाओं की विनिर्माण लागत को काफी कम करने में मदद करेगी और इस तरह से भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी। इससे घरेलू थोक दवा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और साथ ही आयात पर देश की निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी।

योजना के तहत, राज्य सरकार/राज्य निगम द्वारा प्रचारित किसी भी आगामी बल्क ड्रग पार्क में सामान्य बुनियादी सुविधाएं (सीआईएफ) के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 3000 करोड़ रुपये है। योजना का कार्यकाल वित्तीय वर्ष 2020-2021 से वित्तीय वर्ष 2024-2025 तक है। चयनित बल्क ड्रग पार्क को वित्तीय सहायता सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70% होगी। उत्तर पूर्वी राज्यों और पहाड़ी राज्यों (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख) के मामले में वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 90% होगी। एक बल्क ड्रग पार्क के लिए योजना के तहत अधिकतम सहायता 1000 करोड़ रुपये तक सीमित होगी।

 

योजना के तहत 13 राज्यों से प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। सभी प्रस्तावों के मूल्यांकन के बाद प्रस्तावित बल्क ड्रग पार्क में सामान्य बुनियादी सुविधाओं के निर्माण के लिए अनुदान सहायता प्रदान करने के लिए गुजरात, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश का चयन किया गया था। चयनित तीनों राज्यों को पहली किस्त जारी कर दी गई।

 

9. फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एफडीआई की उपलब्धियां :

औषध  भारत में विदेशी निवेश के लिए शीर्ष दस आकर्षक क्षेत्रों में से एक है। चिकित्सा उपकरणों में स्वचालित मार्ग के तहत 100% विदेशी निवेश की अनुमति है। ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में औषधि में स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक विदेशी निवेश की अनुमति है और ब्राउनफील्ड फार्मास्युटिकल परियोजनाओं के लिए 74% से अधिक और 100% तक विदेशी निवेश के लिए सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता होती है।

 

विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को मई 2017 में समाप्त करने के बाद औषध  विभाग को सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत विदेशी निवेश प्रस्तावों पर विचार करने की भूमिका सौंपी गई। इसके अलावा विभाग 2020 के प्रेस नोट 3 (दिनांक 17.04.2020) से उत्पन्न औषध क्षेत्र और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के सभी एफडीआई प्रस्तावों पर विचार करता है, जिसमें प्रस्तावों में निवेशक/अंतिम लाभार्थी भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से हैं।

 

वित्तीय वर्ष 2022-23 में औषध क्षेत्र (फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों दोनों में) में एफडीआई प्रवाह 19,077 करोड़ रुपये था। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अप्रैल 2023 से सितंबर 2023 तक एफडीआई प्रवाह 4,456 करोड़ रुपये रहा है। इसके अलावा औषध विभाग ने 1 अप्रैल, 2023 से 30 नवंबर 2023 के दौरान ब्राउनफील्ड परियोजनाओं के लिए 9,848 करोड़ रुपये के 6 एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी दी है।

 

10. राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (एनआईपीईआर):

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग के तत्वावधान में सात राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (एनआईपीईआर) हैं। राष्ट्रीय महत्व के ये संस्थान मोहाली, अहमदाबाद, गुवाहाटी, हाजीपुर, हैदराबाद, कोलकाता और रायबरेली में स्थित हैं। भारत में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी 2023 राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) रैंकिंग के अनुसार इन सात एनआईपीईआर में से पांच को शीर्ष 20 में स्थान दिया गया था। इनमें से दो ने शीर्ष दस रैंक में स्थान हासिल किया था। 'फार्मेसी' श्रेणी में एनआईपीईआर हैदराबाद ने शीर्ष रैंक हासिल की है।

 

अपनी स्थापना के बाद से इन एनआईपीईआर से 8704 से अधिक छात्र उत्तीर्ण हुए, जो उद्योग के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास और अकादमिक संस्थान में भी काम कर रहे हैं। वर्तमान कैलेंडर वर्ष में सात एनआईपीईआर में 1525 एमएस और पीएचडी छात्रों ने प्रवेश लिया है। शिक्षा-उद्योग आदान-प्रदान के तहत एनआईपीईआर ने उद्योगों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ 278 से अधिक एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस कैलेंडर वर्ष के दौरान 395 से अधिक पेटेंट दाखिल किए हैं। इनमें से 24 एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए और 31 पेटेंट दाखिल किया गया है। एनआईपीईआरएस ने अब तक विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में 7,325 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और इनमें से 596 शोध पत्र चालू वर्ष में प्रकाशित हुए हैं।

गुवाहाटी के कैंपस का निर्माण पूरा हो चुका है। एनआईपीईआर अहमदाबाद में 90% से अधिक निर्माण पूरा हो चुका है। हाजीपुर, हैदराबाद, कोलकाता और रायबरेली में अन्य चार एनआईपीईआर के परिसरों का निर्माण हाल ही में शुरू किया गया है।

सभी एनआईपीईआर को जारी गई धनराशि से अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। बेहतर बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं ने एनआईपीईआर को हर साल शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा घोषित राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद की है।

औषध विभाग ने एनआईपीईआर के सहयोग से अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 2023 में विभिन्न नई पहल की हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं :

 

(i) भारत में फार्मा-मेडीटेक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार पर राष्ट्रीय नीति : 25.07.2023 को हुई बैठक में  कैबिनेट ने भारत में फार्मा-मेडीटेक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार पर राष्ट्रीय नीति को मंजूरी दी। 18.08.2023 को नीति अधिसूचित की गई थी। यह नीति 26.09.2023 को माननीय रसायन और उर्वरक मंत्री द्वारा शुरू की गई थी।

 

(ii) फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की योजना (पीआरआईपी) : 25.07.2023 को हुई अपनी बैठक में कैबिनेट ने 5 साल यानी 2023-24 से 2027-28 की अवधि के लिए 5000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ फार्मा-मेडीटेक (पीआरआईपी) में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की योजना को मंजूरी दे दी है। 17.08.2023 को योजना अधिसूचित की गई थी। यह योजना 26.09.2023 को माननीय रसायन और उर्वरक मंत्री द्वारा शुरू की गई थी।

(iii) चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में मानव संसाधन विकास 'चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में मानव संसाधन विकास' पर एक नई योजना को 3 साल की अवधि के लिए 480 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है, जिसके तहत चिकित्सा उपकरणों में बहु-विषयक समर्पित पाठ्यक्रम चलाने के लिए सरकारी संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

 

चालू वर्ष के दौरान 7 एनआईपीईआर की उपलब्धियां इस प्रकार हैं :

(i) एनआईपीईआर-अहमदाबाद को गुणवत्ता प्रबंधन के लिए प्रतिष्ठित बीएससीआईसी प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया है, जो अपने छात्रों और हितधारकों को उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा और अनुसंधान प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

 

(ii) एनआईपीईआर-अहमदाबाद को चिकित्सा उपकरणों के लिए विशिष्ट बीएससीआईसी प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया है, जो अपने छात्रों और हितधारकों को चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में असाधारण शिक्षा और अनुसंधान प्रदान करने के प्रति अपने समर्पण को दर्शाता है।

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 (iii)  पूर्वोत्तर के उद्यमियों के लिए 20 अप्रैल 2023 को बायोनेस्ट एनआईपीईआर गुवाहाटी इन्क्यूबेशन सेंटर द्वारा मेंटरशिप सत्र का आयोजन किया गया।

(iv)  एनआईपीईआर गुवाहाटी द्वारा 27 और 28 जुलाई 2023 को बायोमेडिकल मेट्रोलॉजी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

 

(v) एनआईपीईआर रायबरेली ने 13 जनवरी 2023 को बायोटेक्नोलॉजी इग्निशन ग्रांट-22 पर एक सत्र आयोजित किया। इसमें आईआईटी कानपुर के स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर से डॉ. आत्मीयता ने अपने विचार रखे।

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 (vi) एनआईपीईआर रायबरेली ने 20 फरवरी 2023 को सीएसआईआर- सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ (सीडीआरआई, लखनऊ) के साथ संयुक्त रूप से अनुसंधान और अकादमिक सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

(vii) 1 फरवरी 2023 को एनआईपीईआर रायबरेली के फार्माकोलॉजी और टॉक्सिकोलॉजी विभाग द्वारा 'ड्रग डिस्कवरी एंड डेवलपमेंट इंटरफ़ेस' पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था।

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(viii) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायबरेली ने 'जैविक विज्ञान में हालिया रुझान और भविष्य की संभावनाएं' विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया।

(IX) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायबरेली ने 04 जुलाई 2023 को साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा प्रायोजित और एजिलेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) के तहत "एचपीएलसी पर एक दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण" का आयोजन किया था।

(X) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायबरेली ने 17 से 21 जुलाई, 2023 तक "नैनोमटेरियल्स के डिजाइन और लक्षण वर्णन" पर 5 दिवसीय "सर्टिफिकेट कोर्स और प्रशिक्षण" का आयोजन किया।

(XI) एनआईपीईआर रायबरेली ने 07-08-2023 को संयुक्त अनुसंधान और शिक्षण गतिविधियों पर सहयोग करने के लिए एम्स, रायबरेली के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता ज्ञापन राष्ट्रीय महत्व के दो संस्थानों के बीच ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देगा।

(XII) एनआईपीईआर मोहाली ने आजादी का अमृत महोत्सव को चिह्नित करने के लिए स्वास्थ्य और कल्याण विषय के तहत मोहाली के एक बहु-विशेषता आयुर्वेद और पंचकर्म केंद्र युक्ति हर्ब के सहयोग से एक आयुर्वेद स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया।

(XIII) एचपीएलसी पर छोटे और मध्यम औषध उद्योग के छात्रों और कर्मियों को शिक्षित/प्रशिक्षित करने के लिए एनआईपीईआर मोहाली में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

(XIV) एनआईपीईआर मोहाली ने छोटे अणु-टीबी दवा की खोज पर एक सेमिनार का आयोजन किया।

(XV) एनआईपीईआर मोहाली ने "राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता (एनआईपीएएम) - फार्मास्युटिकल विज्ञान में भूमिका" पर एक सेमिनार का आयोजन किया।

(XVI)  एनआईपीईआर मोहाली ने आईटीईसी कार्यक्रम के तहत "प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम का विकास" नामक विषय पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण आयोजित किया।

( XVII) एनआईपीईआर मोहाली ने विभिन्न स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रमों में नामांकित छात्रों के लिए एक सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।  प्रतिष्ठित पेशेवरों द्वारा प्रशिक्षण सत्र संचालित किए गए।

( XVIII)  एनआईपीईआर मोहाली ने ष् औषघि सांख्यिकी, डिजायन ऑफ एक्सपेरिमेंट कंटोल, लीन मेथोडोलाजी, प्रक्रिया में सुधार, शेल्फ लाइफ एक्सट्रपलेशन ष् पर एक कार्यशाला आयोजित की। इस कार्यशाला के माध्यम से छात्रों को सांख्यिकी के औद्योगिक परिप्रेक्ष्य से अवगत कराया गया। विभिन्न विषयों में फार्मास्युटिकल सांख्यिकी, डिजायन ऑफ एक्सपेरिमेंट/क्यूबीडी, आईसीएच क्यू8/क्यू9/क्यू10, नियंत्रण चार्ट/प्रक्रिया क्षमता, लीन मेथोडोलाजी, प्रक्रिया सुधार और शेल्फ लाइफ एक्सट्रपलेशन कवर किए गए।

(XIX) एनआईपीईआर हाजीपुर ने उभरते संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए रणनीतियों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।

( XX) आईपीईआर हाजीपुर ने एलसी-एचआरएमएस-आधारित मेटाबोलॉमिक्स पर 4 दिवसीय कार्यशाला और मैटेरियोविजिलेंस पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।

(XXI) एनआईपीईआर हाजीपुर ने ट्रांसडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण अपनाते हुए कैंसर और प्रतिरक्षा पर पहली अंतर्राष्ट्रीय बैठक आयोजित की।

 

(XXII) एनआईपीईआर हाजीपुर ने एक आईएसओ 7 (क्लास 10000)  क्लीन-रूम सुविधा बनाई है और असामान्य आनुवंशिक और तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए नए मॉडल के उपचारों के मूल्यांकन के लिए एक मंच के रूप में 3डी इन विट्रो मॉडल  (ऑर्गनोइड्स, ऑर्गेनोटाइपिक्स, स्फेरोइड्स और ऑर्गन-ऑन-ए-चिप) जैसे पशु मॉडल के विकल्प विकसित कर रहा है।

( XXIII)

एनआईपीईआर हैदराबाद ने फार्मा उद्योग में गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता  पर तीन महीने का छात्र प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल समापन के बाद छात्रों को प्रमाणपत्र दिए गए।

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(XXIV)

एनआईपीईआर हैदराबाद ने एनआईपीईआर हैदराबाद में पोषण पूरक परीक्षण क्षमता स्थापित करने के लिए युवा मामले और खेल मंत्रालय और एफएसएसएआई के साथ त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

(XXV)

एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग 2023 में एनआईपीईआर हैदराबाद ने फार्मेसी श्रेणी में पहला स्थान हासिल किया है।

(XXVI)

एनआईपीईआर हैदराबाद ने हैदराबाद के कान्हा शांति वनम में 14-16 सितंबर 2023 के दौरान " फार्माकॉन-2023 " - ड्रग्स, डिवाइसेस और डायग्नोस्टिक्स में नए क्षितिज पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।

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 (XXVII)

नई दिल्ली के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की तरफ से एनआईपीईआर कोलकाता को प्रचलित 'दुर्लभ रोग ' दवाओं के लिए कुशल प्रक्रिया विकास रणनीति बनाकर डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) जैसे एक्सॉन्डिस51, एलीग्लस्टैट और तेजाकाफ्टर पर काम करने के लिए 15 करोड़ रुपये के फंड की परियोजना मिली है।

(XXVIII)

एनआईपीईआर कोलकाता कैंसर रोधी दवा संवेदनशीलता जांच के साथ-साथ दवा खोज अध्ययन के उद्देश्य से रोगी व्युत्पन्न कैंसर ऑर्गेनॉइड विकसित करने के लिए कोलकाता के सीएनसीआई जैसे अस्पतालों के साथ सहयोग कर रहा है।

(XXIX)

एनआईपीईआर कोलकाता ने " कैंसर चिकित्सा विज्ञान में हालिया प्रगति " पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।

(XXX)

एनआईपीईआर कोलकाता ने 8-9 दिसंबर, 2023 को " चिटोसन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और 10वीं भारतीय चिटिन चिटोसन संगोष्ठी " का आयोजन किया।

आयुष विभाग जी20 इवेंट का सारांश

जी20 में भारत की अध्यक्षता में  हेल्थ ट्रैक के दौरान औषधि विभाग (डीओपी) ने फिजिकल और वर्चुअल दोनों प्रारूपों में आयोजित कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के आयोजन और नेतृत्व का कार्यभार संभाला।

 

24 मार्च 2023 को विभाग ने बिजनेस-20 (बी-20) के तहत 'चिकित्सीय विज्ञान पर सहयोगात्मक अनुसंधान' विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इसके बाद दूसरे एचडब्ल्यूजी (स्वास्थ्य कार्य समूह) के हिस्से के तहत 16 अप्रैल, 2023 को गोवा में 'डायग्नोस्टिक्स के लिए क्षेत्रीय विनिर्माण क्षमता का विस्तार' विषय पर फाइंड-यूनिटैड के साथ एक सह-ब्रांडेड कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके अलावा 18 अप्रैल, 2023 को आईएनएसए के सहयोग से साइंस-20 (एस20) पर एक वर्चुअल वेबिनार भी आयोजन किया गया था।

 

इसके अतिरिक्त तीसरे एचडब्ल्यूजी में विभाग ने 3 जून को 'भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए आम सहमति बनाना' विषय पर पाथ (पीएटीएच) के साथ एक सह-ब्रांडेड कार्यक्रम सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया। इसके अलावा 5 जून को 'मेडिकल काउंटरमेजर्स (एमसीएम) (डायग्नोस्टिक्स, वैक्सीन और थेरेप्यूटिक्स) में अनुसंधान और विकास पर वैश्विक सहयोग को मजबूत करना' विषय पर एक साइड इवेंट का आयोजन किया गया। इसमें जी20 सदस्य देशों, 10 आमंत्रित राज्यों और 22 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अलवा अन्य की भागीदारी हुई। भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग की नवीन ताकत और कारगर विनिर्माण क्षमताओं का उदाहरण देने के लिए जी20 प्रतिनिधियों के लिए हैदराबाद में जीनोम वैली में आईसीएमआर-एनएआरएफबीआर और भारत बायोटेक में फील्ड विजिट की योजना बनाई गई थी, साथ ही एमओएचएफडब्ल्यू और सीआईआई  के साथ संयुक्त रूप से एक औद्योगिक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधित्व के साथ 40 से अधिक प्रदर्शक शामिल हुए।

 

चौथी एचडब्ल्यूजी प्रतिनिधियों और मंत्रियों की बैठक में विभाग ने गुजरात और दिल्ली में 14 देशों और संगठनों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। इसके अतिरिक्त विभाग ने अहमदाबाद में जाइडस विनिर्माण केंद्र और टोरेंट आर एंड डी केंद्र का रणनीतिक क्षेत्र दौरा आयोजित किया। बाद में माननीय केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री (एचएमसीएफ) ने गुजरात में पीएमबीजेके (प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र) का उद्घाटन किया। इसके अलावा औषधि विभाग ने फिक्की के साथ एक सह-ब्रांडेड कार्यक्रम- मेड-टेक एक्सपो का आयोजन किया, जिसमें केंद्रीय विषय 'भारत: द नेक्स्ट मेडटेक ग्लोबल हब - डिवाइसेज, डायग्नोस्टिक्स और डिजिटल का भविष्य' के साथ भारत में विकसित हो रही चिकित्सा प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया। माननीय एचएमसीएफ द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। इसमें और ऑस्ट्रेलिया, जापान, मॉरीशस के स्वास्थ्य मंत्रियों सहित जी20 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसकी मेजबानी करने के साथ ही इंडोनेशियाई प्रतिनिधिमंडल के साथ उद्योग जगत पर बातचीत की गई। इन आयोजनों की सफलता को नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन और मोदी-बाइडेन संयुक्त वक्तव्य दोनों में रेखांकित किया गया था, जहां आयुष आपूर्ति को सुरक्षित करने, जोखिम कम करने और उसे मजबूत करने के लिए सहयोग के अवसरों को स्वीकार किया गया था।

 

11. राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए):

 

राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत औषधि विभाग के विशेषज्ञों का एक स्वतंत्र निकाय है। यह भारत सरकार द्वारा भारत के राजपत्र संख्या 159 दिनांक 29.08.97 में प्रकाशित प्रस्ताव के तहत गठित किया गया था। एनपीपीए के कार्यों में अन्य बातों के अलावा मौजूदा औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश (डीपीसीओ) के तहत अनुसूचित फॉर्मूलेशन की कीमतों का निर्धारण और संशोधन करना है। इसके साथ ही कीमतों की निगरानी और प्रवर्तन भी शामिल है। एनपीपीए औषधि नीति और दवाओं की सामर्थ्य, उपलब्धता और पहुंच से संबंधित मुद्दों पर सरकार को इनपुट भी देती है।

 

जनवरी से दिसंबर 2023 की अवधि के लिए प्रमुख उपलब्धियां और पहल निम्नलिखित हैं :

 

दवाओं की अधिकतम कीमत का निर्धारण : एनपीपीए डीपीसी, 2013 की अनुसूची- I में सूचीबद्ध फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमत तय करता है। डीपीसीओ 2013 में बाजार-आधारित दृष्टिकोण अपनाए गए हैं। एनपीपीए ने डीपीसीओ 2013 के तहत अब तक 915 फॉर्मूलेशन (एनएलईएम 2022 के तहत 700 फॉर्मूलेशन और एनएलईएम 2015 के तहत 215 फॉर्मूलेशन) की अधिकतम कीमतें तय की हैं। चालू कैलेंडर वर्ष में एनएलईएम 2022 के तहत तय किए गए इन 700 फॉर्मूलेशन में से  581 फॉर्मूलेशन के लिए अधिकतम कीमतें तय की गई हैं। एनएलईएम 2022 में सूचीबद्ध अनुसूचित फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमतों के निर्धारण से उपभोक्ताओं को 3588 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

 

एनएलईएम 2022 के तहत कैंसर रोधी दवाओं की कीमत में संशोधन :

 

आज तक 131 कैंसर रोधी फॉर्मूलेशन (उपशामक देखभाल सहित) की अधिकतम कीमतें प्रभावी हैं। एनएलईएम 2022 के तहत कैंसर रोधी फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमत तय करने के कारण लगभग 293.29 करोड़ रुपये की अनुमानित वार्षिक बचत हुई है।

 

दवाओं के खुदरा मूल्य का निर्धारण :

 

एनपीपीए डीपीसीओ, 2013 के अनुसार 'नई दवाओं' का खुदरा मूल्य तय करता है जो केवल आवेदक विनिर्माण/विपणन कंपनियों पर लागू होता है। एनपीपीए ने आज तक लगभग 2607 'नई दवाओं' की खुदरा कीमतें अधिसूचित की हैं। इनमें से चालू कैलेंडर वर्ष में 411 नई दवाओं की खुदरा कीमतें तय की गई हैं। इसके अलावा, 15.12.2023 को आयोजित 119वीं बैठक में प्राधिकरण द्वारा 19 नई दवाओं की खुदरा कीमतों को मंजूरी दे दी गई। हालांकि इस संबंध में अधिसूचना जारी की जानी है।

डीपीसीओ, 2013 के पैरा 32 के तहत दी गई छूट : वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 15.11.2023 तक, एनपीपीए ने डीपीसीओ, 2013 के पैरा 32(i) के तहत तीन कंपनियों को निम्नानुसार छूट प्रदान की है:

i. एसओ 3561 (ई) दिनांक 08.08.2023 के माध्यम से अधिसूचित "पैरासिटामोल इंजेक्शन (इंट्रामस्क्युलर) 250 मिलीग्राम / एमएल, 2 एमएल" के लिए मेसर्स ट्रोइका फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को पैरा 32 (i) के तहत छूट दी गई है।

ii. डीपीसीओ 2013 के पैरा 32 (i) और (ii) के तहत मेसर्स कैडिला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को उनके उत्पाद कोलेकैल्सीफेरॉल एक्वियस इंजेक्शन 6,00,000 IU/2ml (विटामिन डी3 इंजेक्शन) के लिए छूट दी गई है, जिसे एसओ 4662(ई) दिनांक 25.10.2023 के माध्यम से अधिसूचित किया गया है। 

iii.  डीपीसीओ 2013 के पैरा 32 (i) के तहत मेसर्स पैनासिया बायोटेक लिमिटेड को उनके उत्पाद ईज़ीफोरपोल (डीटीडब्ल्यूपी-एचआईबी-आईपीवी) वैक्सीन के लिए एसओ 4661(ई) दिनांक 25.10.2023 द्वारा अधिसूचित छूट दी गई।

साप्ताहिक सर्वेक्षणों के माध्यम से दवाओं की उपलब्धता की निगरानी करना : देश भर के विभिन्न स्थानों पर दवा की दुकानों पर उनके संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मूल्य निगरानी संसाधन इकाइयों (पीएमआरयू) द्वारा किए गए नियमित सर्वेक्षणों के माध्यम से खुदरा स्तर पर प्रमुख दवाओं की उपलब्धता की निगरानी की जा रही है। कैलेंडर वर्ष के दौरान 20.12.2023 तक पीएमआरयू द्वारा 50 सर्वेक्षण आयोजित किए गए।

निगरानी एवं प्रवर्तन गतिविधियां : 

सरकार डीपीसीओ 2013 के तहत अनुसूचित और गैर.अनुसूचित दवाओं की कीमतों की प्रभावी ढंग से निगरानी कर रही है। इसके अलावा राज्य औषधि नियंत्रकों, आम लोगों, खुले बाज़ार से लिए गए नमूने, बाजार आधारित डेटा से रिपोर्ट, शिकायत निवारण वेबसाइटों, 'फार्मा जन समाधान' और 'केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) के माध्यम से रिपोर्ट की गई शिकायतों के आधार पर उपभोक्ताओं से अधिक कीमत वसूलने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करती है। वर्ष 2023 के दौरान 1310 नमूने एकत्र किए गए और प्रथम दृष्टया मूल्य उल्लंघन के 603 मामले पाए गए।

 

-पहल (प्रस्ताव) : एनपीपीए ने आम जनता की शिकायतों के बेहतर निपटान के लिए निम्नलिखित ई-पहल शुरू की है:

. फार्मा सही दाम और फार्मा जन समाधान एपीपी

फार्मा सही दाम ऐप 2.0 एंड्रॉइड के साथ-साथ आईओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है, यहां दवाओं की कीमतों की खोज (ब्रांड के अनुसार या फॉर्मूलेशन के अनुसार) और अनुसूचित दवाओं की नवीनतम अधिकतम कीमतों की खोज आदि जैसी सुविधाएं मिलती हैं। यूजर एक ही फॉर्मूलेशन के विभिन्न ब्रांडों की कीमतों की तुलना कर सकते हैं और मेसेज के जरिए मूल्य विवरण आदि साझा कर सकते हैं। ऐप या दवा खोजने की सुविधा देने वाले उपकरण उपभोक्ताओं को यह सत्यापित करने की सुविधा देता है कि दवाएं अनुमोदित मूल्य सीमा के भीतर बेची जा रही हैं या नहीं और फार्मास्युटिकल कंपनी/केमिस्ट द्वारा अधिक कीमत के किसी भी मामले का पता लगाने में भी मदद करती है।

ओटीपी प्रमाणीकरण के जरिए उपयोगकर्ता शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं या शिकायत की स्थिति देख सकते हैं।  यदि कोई अधिकतम मूल्य का उल्लंघन होता है, तो खरीदार फार्मा जन समाधान/फार्मा सही दाम (http://www.nppaindia .nic.in/redressal.html) के माध्यम से कंपनी/केमिस्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकेगा।

एक लाख से अधिक लोगों ने 3+ रेटिंग के साथ ऐप को डाउनलोड किया है।

 

बी़  एकीकृत फार्मास्युटिकल डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली (आईपीडीएमएस)

इंटीग्रेटेड फार्मास्युटिकल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम एक एकीकृत प्रणाली है, जिसे 2015 में एनपीपीए द्वारा शुरू किया गया था। हालांकि 29 अगस्त 2022 को एक उन्नत उत्तरदायी क्लाउड-आधारित संस्करण आईपीडीएमएस 2.0 लॉन्च किया गया था। यह देश में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कीमतों की निगरानी और विनियमन के लिए ऑनलाइन सूचना संग्रह, प्रसंस्करण और संचार पोर्टल की एक प्रणाली है। इस कैलेंडर वर्ष के दौरान 20.12.2023 तक 298 कंपनियां और 52530 उत्पाद आईपीडीएमएस में पंजीकृत हुए।

उपभोक्ता जागरूकता, प्रचार और मूल्य निगरानी (सीएपीपीएम) योजना

सीएपीपीएम योजना के दो घटक हैं, (i) मूल्य निगरानी और संसाधन इकाइयां (पीएमआरयू) स्थापित करने में सहायता और (ii) सीएपीपीएम के लिए विज्ञापन और प्रचार। पीएमआरयू सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सोसायटी हैं, जिनके अपने मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन/उपकानून हैं और वे एनपीपीए की पहुंच बढ़ाने के लिए संबंधित राज्य औषधि नियंत्रकों की प्रत्यक्ष देखरेख में कार्य करते हैं। वर्ष 2023 के दौरान (20.12.2023 तक) पीएमआरयू 5 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों जैसे मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, असम और दादरा नगर हवेली और दमन दीव में स्थापित किए गए हैं। इनके साथ पीएमआरयू तीस राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद हैं।

 

सीएपीपीएम के तहत आईईसी गतिविधियां :

(अ) एनपीपीए ने बारह (12) ऑनलाइन वेबिनार और चार (4) जागरूकता अभियान आयोजित किए हैं। इन वेबिनार/अभियानों का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित/गैर-अनुसूचित फॉर्मूलेशन के मूल्य गतिविधि की निगरानी के संबंध में जागरूकता और मार्गदर्शन करना है। साप्ताहिक सर्वेक्षण, दवाओं के परीक्षण नमूनों का संग्रह/खरीद, आईपीडीएमएस के माध्यम से संभावित उल्लंघन के मामलों की रिपोर्टिंग, पीएफएमएस के माध्यम से व्यय वहन करने पर मार्गदर्शन और रिकॉर्ड/सहायक दस्तावेजों का रखरखाव स्थिर एवं गतिशील रिपोर्ट सहित मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना है।

 

(बी) गुजरात के गांधीनगर में हेलीपैड प्रदर्शनी केंद्र में 17 से 19 अगस्त 2023 तक चिकित्सा उपकरण क्षेत्र पर इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023 कार्यक्रम का आयोजन किया गया : भारत सरकार के औषधि विभाग ने इस क्षेत्र में भारत की यात्रा और अवसरों को प्रदर्शित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए गुजरात के गांधीनगर में 17 हेलीपैड प्रदर्शनी केंद्र में से 19 अगस्त 2023 तक चिकित्सा उपकरण क्षेत्र पर एक बड़े पैमाने पर कार्यक्रम 'इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023' कार्यक्रम का आयोजन किया।  आयोजन का मुख्य उद्देश्य फार्मा क्षेत्र को आगे विकास पथ पर ले जाने के लिए उद्योग, शिक्षा जगत, अनुसंधान संस्थानों, निवेशकों, राज्य सरकारों, मेडटेक पार्कों और सरकारी अफसरों को एक साथ लाना था। 17 अगस्त 2023 को आयोजित उद्घाटन समारोह में माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण एवं रसायन उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल उपस्थित थे। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल, औषधि विभाग की सचिव सुश्री एस. अपर्णा, एनपीपीए के अध्यक्ष श्री के.के. पंत सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। गणमान्य व्यक्तियों ने शीर्षक के साथ कॉफी टेबल बुक का भी अनावरण किया:

 

कॉफी टेबल बुक : कॉफ़ी टेबल बुक भारत की "दुनिया की फार्मेसी" बनने की प्रेरक कहानी को दर्शाती है। अतीत से भविष्य तक के दूरदर्शी लोगों पर प्रकाश डालता है जिनके सामूहिक प्रयासों ने जेनेरिक दवा उद्योग को आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल की एक महत्वपूर्ण आधारशिला में बदल दिया है। यह पुस्तक उन अनगिनत व्यक्तियों के अथक प्रयासों और अटूट समर्पण के प्रमाण के रूप में कार्य करती है जिन्होंने इस क्षेत्र के विकास, पहुंच और सफलता में योगदान दिया है।

 

(सी) (सी) इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023 में एनपीपीए द्वारा जागरूकता अभियान : एनपीपीए द्वारा पीएमआरयू गुजरात के अधिकारियों के साथ 17.08.2023 से 19.08.2023 तक गांधी नगरए गुजरात में तीन (3) दिवसीय जागरूकता अभियान 'इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023' चलाया गया। इस दौरान क्रिएटिव प्रदर्शित कर, एलईडी स्क्रीन पर टीवीसी चलाकर, ब्रोशर वितरण कर और लोगों के साथ बातचीत/चर्चा  के माध्यम से जानकारी दी गई। अभियान के दौरान डॉक्टरों, सरकारी अधिकारियों, फार्मास्युटिकल/मेडिकल डिवाइस निर्माता/विपणक, फार्मा छात्रों, स्टार्ट-अप और आम लोगों सहित आगंतुकों को फार्मास्युटिकल मूल्य निर्धारण, एनपीपीए के कार्यों, फार्मा सही दाम मोबाइल ऐप और आईपीडीएमएस 2.0 के बारे में जागरूक किया गया। अभियान के दौरान 250 से अधिक लोगों को कवर किया गया।

 

(डी) एक्सपायरी/निकट एक्सपायरी दवाओं के प्रबंधन पर वेबिनार :  भारत के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में चल रहे  'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत 14 अगस्त 2023 को एनपीपीए ने 'एक्स पायरी डेट के करीब या पहले ही समाप्त हो चुकी दवाओं को कैसे संभालें' विषय पर पीएमआरयू के साथ एक वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार का मुख्य उद्देश्य एक्सपायरी/निकट एक्सपायरी दवाओं के सुरक्षित और जिम्मेदार निपटान को सुनिश्चित करने के लिए पीएमआरयू के साथ सलाह और ज्ञान साझा करना था। लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के निदेशक, प्रोफेसर और फार्माकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एच. एस.  रेहान ने वेबिनार में इस बारे में जानकारी दी

 

एक्सपायर्ड दवाओं के उच्च प्रसार में योगदान देने वाले कारक

फार्मास्युटिकल अपशिष्ट के प्रकार

अप्रयुक्त/एक्सपायर दवाओं के खतरे

क्सपायरी/निकट एक्सपायरी दवाओं को संभालने में चुनौतियां

दवाओं की बर्बादी को कम करने की रणनीतियां

      दवाओं के सुरक्षित निपटान के तरीके

() विशेष अभियान 3.0 की इस अवधि के दौरान, एनपीपीए ने निम्नलिखित दो सर्वोत्तम विधाओं को अपनाया:

i. बची हुई/एक्सपायरी/निकट एक्सपायरी दवाओं के सुरक्षित और उचित निपटान को सुनिश्चित करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी)/ अस्पताल के परामर्श से एनपीपीए द्वारा 'दवाओं के भंडारण और निपटान पर दिशानिर्देश' तैयार किए गए और उपयोग के लिए एसडीसी और पीएमआरयू को संचारित किया गया। ये दिशानिर्देश पीएमआरयू को एक्सपायरी/निकट एक्सपायरी दवाओं के सुरक्षित और जिम्मेदार निपटान को सुनिश्चित करने और हमारे पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करेंगे।

ii.   एक्सपायर्ड/अप्रयुक्त दवाओं का उचित निपटान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने एलएचएमसी/अस्पताल, दिल्ली और मेडिफ्लो के सहयोग से वाईएमसीए, सांस्कृतिक केंद्र भवन, 1, जयसिंह रोड, नई में  एक्सपायर्ड/अप्रयुक्त दवाओं के संग्रह और उनके बाद के उचित निपटान के लिए एक बॉक्स रखने की पहल की गई।

 

 

(एफ) पीएमआरयू की ओर से आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम/ सेमिनार : भारत के 75 साल होने पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत 20.11.2023 तक पीएमआरयू द्वारा अपने-अपने राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में विभिन्न विषयों पर त्रिपुरा, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, मिजोरम, पंजाब, लद्दाख, कर्नाटक, झारखंड, नागालैंड, हरियाणा और गोवा में चौसठ (64) राज्यस्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन आयोजनों का उद्देश्य लोगों को एनएलईएम 2022 के तहत अधिकतम कीमतों के निर्धारण और स्वास्थ्य सेवा में इसके महत्व, डीपीसीओ, 2013 के प्रावधानों के तहत दवा मूल्य विनियमन, दवाओं को किफायती और सभी के लिए उपलब्ध कराने में एनपीपीए की भूमिका के बारे में जागरूक करना था।

पीएमआरयू, फार्मा सही दाम मोबाइल ऐप और आईपीडीएमएस 2.0 के कार्य।

().  एनपीपीए का न्यूज़लेटर : औषध संदेश

वर्ष के दौरान -न्यूज़लेटर के पांच अंक जारी किए गए। इसमें एनपीपीए की नियामक गतिविधियों सहित भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर औषध क्षेत्र में नवीनतम विकास की जानकारी शामिल किए गए थे। इसके अलावा इन अंकों में एक फार्मा विशेषज्ञ के लेख को भी शामिल किया गया और इन पांच अंकों में निम्नलिखित विशेषज्ञ लेखों को शामिल किया गया है :

माह

लेख का विषय

फरवरी, 2023

दवाओं की खोज और उपलब्धता

अप्रैल, 2023

भारत में स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन : दवाओं और उपकरणों के लिए मूल्य-आधारित मूल्य निर्धारण के लिए निहितार्थ

जून, 2023

बायोसिमिलर - भारतीय फार्मा सेक्टर के लिए उभरता अवसर

अगस्त, 2023

एमएसएमई और नवाचार

अक्टूबर, 2023

रोग के रूपरेखा में परिवर्तन-मरीजों में जागरूकता और कार्रवाई

 

डीपीसीओ 2013 और एनपीपीपी 2012 के कामकाज की समीक्षा पर कार्यशाला

एनपीपीए ने औषध विभाग के साथ समन्वय में 16.05.2023 को नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल की अध्यक्षता में फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइस एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ 'डीपीसीओ 2013 और एनपीपीपी 2012 के कामकाज की समीक्षा' विषय पर इंटरैक्टिव कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में फार्मास्युटिकल एवं मेडिकल डिवाइस एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ फार्मा, मेडिकल डिवाइस एवं एनपीपीपी 2012 से संबंधित बिंदुओं पर चर्चा की गई। इस कार्यशाला में लगभग 100 उद्योग हितधारकों ने भाग लिया।

चिकित्सीय उपकरण :

चिकित्सा उपकरण क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का आवश्यक और अभिन्न अंग है। भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का वर्तमान बाजार साइज 1.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र की वृद्धि मुख्य रूप से बढ़ती और वृद्ध होती जनसंख्याए प्रति व्यक्ति और खर्च योग्य आय में वृद्धि, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे की मांग, निवारक परीक्षण में वृद्धि और स्वास्थ्य सेवाओं और बीमा कार्यक्रमों के प्रसार से प्रेरित है। कोविड 19 महामारी के दौरान भारत के चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का योगदान और अधिक स्पष्ट हो गया जहां चिकित्सा उपकरणों और डायग्नोस्टिक किट जैसे वेंटिलेटर, आईआर थर्मामीटर, पीपीई किट और एन-95 मास्क, रैपिड एंटीजन टेस्ट किट और आरटी-पीसीआर किट आदि की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी क्षेत्र के महत्व को ध्यान में रखते हुए 2023 में पीएलआई और मेडिकल डिवाइस पार्कों के अलावाए चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए कुछ अतिरिक्त उल्लेखनीय हस्तक्षेप भी किए गए जो हैं :

 

i.   चिकित्सा उपकरणों के लिए निर्यात संवर्धन परिषद : चिकित्सा उपकरण उद्योग संघ चिकित्सा उपकरणों के लिए एक अलग निर्यात संवर्धन परिषद बनाना चाहते थे। चिकित्सा उपकरणों के लिए निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना 22 मई 2023 को औषध विभाग के तत्वावधान में येडा (वाईईआईडीए) ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश में मुख्यालय के साथ की गई थी। ईपीसी-एमडी का प्राथमिक उद्देश्य भारत से चिकित्सा उपकरणों और संबंधित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना और सुविधा प्रदान करना है।

ii. इंडिया मेडटेक एक्सपो आईएमटीइ 2023 :  इंडिया मेडटेक एक्सपो (आईएमटीइ) 2023 पहला संस्करण भारत सरकार के औषध विभाग द्वारा गुजरात के गांधीनगर में हेलीपैड प्रदर्शनी केंद्र में 17 से 19 अगस्त 2023 तक आयोजित किया गया था। इसके तहत सभी हितधारकों को एक मंच पर लाया गया, जिससे भारत में क्षेत्र के विकास के लिए नेटवर्क के अवसर पैदा करना और सहयोग का पता लगाया गया। कार्यक्रम में 4,000 से अधिक क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित की गईं और 10,000 से अधिक आगंतुकों ने इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023 का दौरा किया।

iii. राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 26.04.2023 को राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 को मंजूरी दी। नीति का उद्देश्य चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को सुविधाजनक बनाना और खास योजनाओं के माध्यम से अपने मिशन को प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करना है जो छह व्यापक क्षेत्रों को कवर करेगा। राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीतिए 2023 में चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए छह (6) खास योजनाओं का उल्लेख है :

  • विनियामक सुव्यवस्थितीकरण
  • बुनियादी ढांचे को सक्षम करना
  • अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को सुगम बनाना
  • इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करना
  • मानव संसाधन का विकास
  • ब्रांड को स्थापित करना और जागरूकता निर्माण

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एमजी/एएम/आरकेजे/एसएस


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