वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय वर्षान्त समीक्षा 2023: आर्थिक कार्य विभाग
Posted On:
27 DEC 2023 3:07PM by PIB Delhi
वर्ष 2023 'अमृत काल' के शुभारंभ का प्रतीक है- 15 अगस्त 2022 को अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से प्रारंभ होने वाली 25 वर्ष की अवधि , जो अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी तक एक अत्याधुनिक, समृद्ध, समावेशी और विकसित समाज के नेतृत्व का मार्ग प्रशस्त करती है और यह अपने मूल में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के भाव से परिपूर्ण है।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है। देश अपनी दूसरी तिमाही की 7.6 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ दुनिया में सबसे अग्रणी रहा और अप्रैल-जून तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत थी।
भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के रोडमैप के सभी कारकों को कार्यान्वित करते हुए, सरकार बृहद स्तर पर विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है और इसे सूक्ष्म स्तर पर सर्व-समावेशी कल्याण के साथ पूर्ण कर रही है, डिजिटल अर्थव्यवस्था और फिनटेक, प्रौद्योगिकी-सक्षम विकास, ऊर्जा पारेषण और जलवायु कार्रवाई तथा निवेश एवं विकास की एक बेहतर परिधि के साथ आगे बढ़ते हुए पूर्ण भरोसे के साथ इन क्षेत्रों को बढ़ावा दे रही है।
सरकार ने आर्थिक विकास को समर्थन देने और निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करने के लिए पूंजीगत व्यय के नेतृत्व वाली विकास रणनीति पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जिससे पिछले तीन वर्षों के दौरान पूंजी निवेश परिव्यय में काफी वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद के 2.15 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद का 2.7 प्रतिशत हो गया है।
ऐसी उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने कई साहसिक और महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया है। सरकार ने समग्र विकास प्रक्रिया में हाशिये पर और अब तक सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों को शामिल करने की भावना के साथ अपना सुधार अभियान संचालित किया है।
सरकार की नीतियों की सफलता तब और अधिक पुष्ट और रेखांकित होती है जब विश्व बैंक और आईएमएफ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन भारत को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती उभरती बाजार अर्थव्यवस्था (ईएमई) के रूप में मान्यता देते हैं और भारत द्वारा निरंतर निगरानी की जा रही सुदृढ और स्थिर वृद्धि की सराहना करते हैं।
भारत की 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक जी20 अध्यक्षता की मेजबानी के परिणामस्वरूप भी वर्ष 2023 अत्यंत महत्वपूर्ण है। जी20 में अब तक के सबसे बड़े प्रतिनिधित्व के तौर पर 43 प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों ने सितंबर 2023 में नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में भागीदारी की।
भारत के नेतृत्व में जी20 फाइनेंस ट्रैक ने जी20 स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह की व्यापक रिपोर्ट के माध्यम से बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को मजबूत करने सहित महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों का समाधान निकाला। डीईए ने क्रिप्टो-परिसंपत्तियों पर सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) ने अक्टूबर 2023 में क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर जी20 रोडमैप के रूप में अपनाए गए एक संश्लेषण पेपर को तैयार किया।
जी 20 की भारतीय अध्यक्षता के दौरान, भारत ने जी 20 के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। जी20 में दो समानांतर ट्रैक-फाइनेंस ट्रैक और शेरपा ट्रैक शामिल हैं। वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर वित्त ट्रैक का नेतृत्व करते हैं, जबकि शेरपा शेरपा ट्रैक का नेतृत्व करते हैं। नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी) के रूप में एक वैश्विक सहमति नेताओं के शिखर सम्मेलन का सर्वोच्च बिंदु थी।
विभाग ने समान प्रारूप के माध्यम से ऋण पुनर्गठन प्रयासों को सुविधाजनक बनाया और कमजोर अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए वैश्विक संप्रभु ऋण गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत की। जी20 सतत वित्त तकनीकी सहायता कार्य योजना (टीएएपी) जैसी पहल ने विशेष रूप से उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए स्थायी वित्त में क्षमता निर्माण को बढ़ाने के प्रयासों को रेखांकित किया।
बुनियादी ढांचा उप-क्षेत्रों की हार्मोनाइज्ड मास्टर लिस्ट (एचएमएल), नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) और प्रमुख डिलिवरेबल्स पर जी20 बुनियादी ढांचे पर कार्यकारी समूह की सहमति जैसी पहलों के माध्यम से बुनियादी ढांचे के विकास को भी बढ़ावा मिला। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देने के लिए डीईए के रणनीतिक उपायों में वीजीएफ योजना का विस्तार और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट प्रोजेक्ट डेवलपमेंट फंड (आईआईपीडीएफ) का पुनरुद्धार भी शामिल है।
डीईए ने वित्तीय क्षेत्र के सुधारों में भी भूमिका निभाई, जिसमें एनएसई आईएफएससी-एसजीएक्स कनेक्ट का शुभारंभ और टी+1 निपटान चक्र में परिवर्तन शामिल है, जिससे भारत वैश्विक प्रतिभूति बाजारों में अग्रणी बन गया है।
संक्षेप में, आर्थिक कार्य विभाग ने 2023 में एक सक्रिय और समावेशी दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया है, जिसने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मोर्चों पर स्थायी वित्त, जलवायु कार्रवाई, बुनियादी ढांचे के विकास और वित्तीय क्षेत्र के सुधारों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
2023 में वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:
सॉवरेन ग्रीन बांड:
केंद्रीय बजट 2022-23 में, सरकार ने घोषणा की कि 2022-23 में सरकार के समग्र बाजार ऋण भार के एक हिस्से के रूप में, हरित बुनियादी ढांचे के लिए संसाधन जुटाने के लिए सॉवरेन ग्रीन बांड जारी किए जाएंगे। प्राप्त राशि का सेक्टर परियोजनाओं में उपयोग किया जाएगा जो अर्थव्यवस्था की कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को कम करने में सहायता करती हैं।
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उपरोक्त बजट घोषणा के अनुसरण में, भारत सरकार द्वारा हरित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाने के लिए सॉवरेन ग्रीन बांड की रूपरेखा तैयार की गई है जो अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को कम करने में सहायता प्रदान करती है।
सरकार ने 2023 में अब तक सॉवरेन ग्रीन बांड जारी करके ₹16,000 करोड़ जुटाए हैं और इस आय को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, आवास एवं शहरी कार्य, रेलवे आदिमंत्रालयों/विभागों की पात्र योजनाओं/परियोजनाओं को आवंटित किया गया था। वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करके 20,000 करोड़ रुपये जुटाने का निर्णय लिया है।
महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र (एमएसएससी):
महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र (एमएसएससी) की शुरूआत महिलाओं के वित्तीय समावेशन के प्रति सरकार के समर्पण को दर्शाती है। कुल खोले गए खातों की संख्या 14,83,980 है जिनमें जुलाई 2023 तक 8,630 करोड़ रुपये की धनराशि जमा हैं। यह पहल तिमाही चक्रवृद्धि 7.5 प्रतिशत की आकर्षक ब्याज दर की पेशकश के साथ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है।
आज़ादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में भारत सरकार द्वारा महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र (एमएसएससी) का शुभारंभ किया गया था। एमएसएससी खाता बालिका सहित किसी भी आयु वर्ग की महिला द्वारा न्यूनतम ₹1000/- और अधिकतम 2 लाख रूपए की जमा राशि के साथ दो वर्ष की अवधि के लिए खोला जा सकता है। यह योजना मार्च 2025 तक दो वर्ष की अवधि के लिए उपलब्ध है। इस योजना के तहत अनुकंपा के आधार पर आंशिक निकासी और समय से पहले बंद करने की सुविधा भी उपलब्ध है। भारत सरकार ने एमएसएससी को संचालित करने के लिए डाक विभाग, सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और चार निजी क्षेत्र के बैंकों को अधिकृत किया है।
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वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के लिए अधिकतम जमा राशि 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी गई है।
डाकघर मासिक आय बचत योजना के लिए अधिकतम जमा सीमा एकल खाते के लिए 4.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 9 लाख रुपये और संयुक्त खाते के लिए 9 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दी गई है।
सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई)
सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई) वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग द्वारा प्रारंभ की गई एक बचत योजना है, जो विशेष रूप से बालिकाओं के लाभ के लिए बनाई गई है। यह योजना बालिकाओं के कल्याण को बढ़ावा देने और माता-पिता को उनकी शिक्षा और विवाह के खर्चों में बचत करने को प्रोत्साहन देने के लिए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के अंग के रूप में शुरू की गई थी। योजना के अंतर्गत अब तक 3.2 करोड़ खाते सक्रिय हैं।
2022 में राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष:
- एनआईआईएफ ने जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (जेबीआईसी) के साथ अपना पहले द्विपक्षीय कोष, भारत-जापान कोष की शुरूआत की; इसका उद्देश्य बहु-अरब डॉलर के ग्रीन-ट्रांजिशन फंड की स्थापना की दिशा में यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) के साथ मिलकर कार्य करना है।
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भारत की जी20 अध्यक्षता के अंतर्गत जी 20 फाइनेंस ट्रैक, 2023:
- भारत ने 1 दिसंबर, 2022 को इंडोनेशिया से जी 20 की अध्यक्षता ग्रहण की।
- "वसुधैव कुटुंबकम" या "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" की थीम के माध्यम से भारतीय जी 20 अध्यक्षता का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि 2023 में जी 20 विचार-विमर्श जन-केंद्रित और कार्य-उन्मुख हो।
- जी20 फाइनेंस ट्रैक के अंतर्गत, अध्यक्षता वर्ष के दौरान जी20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स (एफएमसीबीजी) की 4 बैठकों और उप-प्रमुखों की 5 बैठकों सहित कुल 35 बैठकों का आयोजन किया गया। एफएमसीबीजी की बैठकें 24-25 फरवरी, 2023 को बेंगलुरु, भारत; अप्रैल 12-13, 2023, वाशिंगटन डीसी, यूएस; जुलाई 17-18 गांधीनगर, भारत और 12-13 अक्टूबर, मराकेश, मोरक्को में आयोजित की गईं।
- फरवरी और जुलाई 2023 में एफएमसीबीजी बैठकों में, बैठकों के परिणामों सहित अध्यक्ष सारांश जारी किए गए। अक्टूबर 2023 में मराकेश में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक समूह की वार्षिक बैठक के अवसर पर आयोजित जी20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की चौथी और अंतिम बैठक में, जी20 एफएमसीबीजी ने सर्वसम्मति से जी20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नर्स विज्ञप्ति के फैसलों को अपनाया। यह विज्ञप्ति जी20 नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी) से मार्गदर्शन प्राप्त करती है और लीडर्स समिट में बनी सहमति से इसे महत्वपूर्ण रूप से लाभ मिला है।
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2023 में जी20 वित्त ट्रैक के प्रमुख परिणाम:
- वित्त ट्रैक के कुछ प्रमुख परिणामों की जानकारी इस प्रकार से है।
बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को मजबूत करने पर जी20 स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह की रिपोर्ट
- निम्न और मध्यम आय वाले देशों की बढ़ती विकास आवश्यकताओं के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों के विस्तार के साथ, वैश्विक विकास वित्तपोषण पर दबाव तेजी से बढ़ रहा है। इससे एमडीबी को मजबूत करने की मांग बढ़ गई है जो वैश्विक विकास वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- एमडीबी को मजबूत करने पर जी20 स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह (आईईजी) की स्थापना भारतीय अध्यक्षता में की गई थी ताकि विकास की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए एमडीबी किस प्रकार से मजबूत किया जा सके, इस दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके। रिपोर्ट दो खंडों में अर्थात खंड-1 जुलाई 2023 में और खंड-2 सितंबर 2023 में (लीडर्स शिखर सम्मेलन के बाद) प्रस्तुत की गई।
- नई दिल्ली लीडर्स डिक्लरेशन में, लीडर्स ने आईईजी के काम की सराहना की और खंड 2 के साथ खंड-1 की समीक्षा करने का आह्वान किया। यह अक्टूबर 2023 में जी20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों द्वारा किया गया था और आईईजी की रिपोर्ट का सभी जी20 सदस्यों ने सर्वसम्मति से स्वागत किया।
- रिपोर्ट का खंड-1 एमडीबी से (i) गरीबी उन्मूलन और साझा समृद्धि को बढ़ावा देने के अपने मूल आदेशों के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने; (ii) 2030 तक अपने स्थायी ऋण स्तर को तीन गुना करना और (iii) उनकी वित्तीय क्षमता बढ़ाने का आह्वान करता है। रिपोर्ट का खंड 2 अन्य विषयों के साथ- साथ एमडीबी को बेहतर, व्यापक और गतिशील बनाने, उनके परिचालन मॉडल को उपयुक्त रूप से संशोधित करने, अधिक निजी पूंजी जुटाने के लिए एक संपूर्ण संस्थान दृष्टिकोण विकसित करने और किफायती लागत पर वित्तपोषण बढ़ाने की सिफारिशें प्रदान करता है।
- इसके अलावा, इस रिपोर्ट की सिफारिशों पर आगामी ब्राज़ील की अध्यक्षता के तहत जी20 द्वारा विस्तार से चर्चा की जाएगी ताकि एमडीबी को बेहतर, व्यापक और अधिक प्रभावी एमडीबी बनाने में सक्षम बनाने के लिए इनमें से किन सिफारिशों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है इसका पता लगाया जा सके।
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क्रिप्टो-परिसंपत्तियों पर आईएमएफ-एफएसबी संश्लेषण पेपर:
- क्रिप्टो-परिसंपत्तियाँ एक दशक से अधिक समय से अस्तित्व में हैं और इनसे महत्वपूर्ण रूप से अस्थिरता प्रदर्शित हुई है। अस्थिरता के साथ-साथ, क्रिप्टो-परिसंपत्ति गतिविधियों की जटिलता में भी वृद्धि हुई हैं। अब तक, क्रिप्टो-परिसंपत्तियों और प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थानों, मुख्य वित्तीय बाजारों और बाजार के बुनियादी ढांचे के बीच सीधा संबंध सीमित रहा है। फिर भी, यदि वे भुगतान या खुदरा निवेश के मामले मे इसी तरह से आकर्षण हासिल करती रही तो इनमें विशिष्ट अधिकार क्षेत्रों में प्रणालीगत जोखिम के स्रोत के रूप में उभरने की क्षमता है। आईएमएफ ने व्यापक आर्थिक, कानूनी और वित्तीय अखंडता विचारों और मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों के निहितार्थ सहित उचित नीति प्रतिक्रिया के प्रमुख घटकों की रूपरेखा तैयार की है। समानांतर में, वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) और मानक-निर्धारण निकायों (एसएसबी) ने वित्तीय स्थिरता, वित्तीय अखंडता, बाजार अखंडता, निवेशक सुरक्षा, विवेकपूर्ण और क्रिप्टो-परिसंपत्तियों से उत्पन्न अन्य जोखिमों से निपटने के लिए नियामक और पर्यवेक्षी सिफारिशें और मानक प्रकाशित किए हैं।
- भारतीय जी20 अध्यक्षता के अनुरोध पर, आईएमएफ और एफएसबी ने एक सिंथेसिस पेपर तैयार किया है जिसका जी20 नई दिल्ली लीडर्स घोषणा में नेताओं द्वारा स्वागत किया गया। सामूहिक सिफारिशें अधिकारियों को क्रिप्टो-परिसंपत्ति गतिविधियों और बाजारों द्वारा उत्पन्न व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता जोखिमों का समाधान निकालने में सहायता करने के लिए व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, जिनमें स्थिर मुद्रा से जुड़े जोखिम और तथाकथित विकेन्द्रीकृत वित्त (डीएफआई) के माध्यम से संचालित जोखिम शामिल हैं।
- पेपर नीति कार्यान्वयन के लिए एक रोडमैप की भी रूपरेखा तैयार करती है जिसे अब अक्टूबर 2023 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नर्स विज्ञप्ति में क्रिप्टो संपत्तियों पर जी20 रोडमैप के रूप में अपनाया गया है। यह विस्तृत और कार्रवाई-उन्मुख रोडमैप अगले चरणों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करता है एवं मैक्रो-आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के समान लक्ष्यों को प्राप्त करने और क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए व्यापक वैश्विक नीति ढांचे के प्रभावी, सुदृढ़ और समन्वित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
- इसके अलावा, ब्राज़ील की अध्यक्षता के तहत, आईएमएफ और एफएसबी को क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर जी20 रोडमैप के कार्यान्वयन की प्रगति पर नियमित और व्यवस्थित अपडेट प्रदान करने का कार्य सौंपा गया है। यह ब्राज़ील की अध्यक्षता के बाद आगामी अध्यक्षताओं में भी जारी रहेगा।
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भविष्य के शहरों के वित्तपोषण के लिए जी20 सिद्धांत:
- भारत की जी20 अध्यक्षता ने भविष्य के शहरों को विकसित करने के लिए शहरी बुनियादी ढांचे के विषय पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसे कार्य-उन्मुख स्थलों के रूप में देखा जा सकता है जो अपने नागरिकों के जीवन पर सकारात्मक और स्थायी प्रभाव लाने और उनके संसाधनों की रचनात्मक क्षमता को अधिकतम करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- नई दिल्ली लीडर्स समिट के दौरान समर्थित भविष्यगत शहरों के वित्तपोषण के लिए जी20 सिद्धांतों का उद्देश्य स्थायी शहरी बुनियादी ढांचे की योजना और वित्तपोषण का मार्गदर्शन करना है। ये सिद्धांत एक प्रारूप प्रदान करते हैं जो सरकारों, एमडीबी और अन्य विकास वित्तपोषण संस्थानों को उनकी योजना और स्थायी शहरी बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में मार्गदर्शन करने की क्षमता रखते हैं। विकास के विभिन्न चरणों के आधार पर शहरों के विकास की पसंदीदा दिशा के आधार पर, इन सिद्धांतों के प्रमुख घटकों को चक्रीय अर्थव्यवस्था, निवेश दक्षता, निजी निवेश में वृद्धि, संस्थागत मजबूती और शहर प्रशासन की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए लागू किया जा सकता है।
- आगामी ब्राजील अध्यक्षता ने संकेत दिया है कि 2024 में वे जी20 सिद्धांतों से शहरी बुनियादी ढांचे में समावेशिता के मुद्दे को उठाएंगे और गरीबी और असमानता में कमी पर ध्यान केंद्रित करके इसपर और विस्तार से विचार-विमर्श करेंगे।
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जलवायु वित्त को समय पर और पर्याप्त रूप से जुटाने के लिए व्यवस्था:
- सभी स्रोतों से उपलब्ध वित्त के मामले में अभी तक देशों द्वारा स्थापित जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के पैमाने विशेष रूप से विकासशील देशों को निर्देशित प्रवाह को हासिल नहीं किया है। विकासशील देशों के लिए पर्याप्त, विश्वसनीय और अनुमानित, नए एवं अतिरिक्त जलवायु वित्त की उपलब्धता, यूएनएफसीसीसी और पेरिस समझौते (वित्त पर स्थायी समिति, यूएनएफसीसीसी के तहत एक निकाय) के तहत विकासशील देशों के जलवायु कार्यों के सफल कार्यान्वयन की कुंजी है। अनुमान लगाया गया है कि विकासशील देशों द्वारा उनके राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान और अन्य संचार में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 2030 तक 5.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से 11.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक के संसाधनों की आवश्यकता है।
- अब तक जी20 में जलवायु परिवर्तन पर वार्तालाप विकसित देशों से 100 अरब अमेरिकी डॉलर की अपनी जलवायु वित्त प्रतिबद्धता को पूरा करने के आह्वान पर केंद्रित था। 2023 में, जी20 ने एक कार्य-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाया और न्यून कार्बन विकास के लिए नीति पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से जलवायु वित्त के समय पर और पर्याप्त जुटाव के लिए एक व्यवस्था की पहचान करने और प्रारंभिक जलवायु प्रौद्योगिकियों के वित्तपोषण जैसे विशिष्ट मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया।
- भारतीय अध्यक्षता के अंतर्गत जलवायु वित्त के लिए संसाधनों के समय पर और पर्याप्त जुटाव का समर्थन करने की व्यवस्था के लिए की गई सिफारिशों का सितंबर 2023 में नई दिल्ली में लीडर्स समिट के दौरान जी20 नेताओं द्वारा स्वागत किया गया। इसमें सार्वजनिक वित्त पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, यह मिश्रित वित्तीय साधनों, तंत्रों और जोखिम-साझाकरण सुविधाओं के माध्यम से बहुत आवश्यक निजी वित्त का लाभ उठाने जैसे जलवायु कार्यों के एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक के रूप में है ताकि विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों पर विचार करते हुए महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी), कार्बन तटस्थता और शुद्ध-शून्य अनुकूलन और शमन दोनों प्रयासों को संतुलित तरीके से हल किया जा सके। यह परिणाम हरित और निम्न कार्बन प्रौद्योगिकियों के तीव्र विकास, प्रदर्शन और तैनाती के लिए अधिक निजी प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय समाधानों, नीतियों और प्रोत्साहनों पर भी केंद्रित है।
- इसके अलावा, जी20 की आगामी ब्राजील अध्यक्षता ने संकेत दिया है कि 2023 में जलवायु वित्त पर किया गया कार्य जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक गतिशीलता पर जी20 टास्क फोर्स के कार्य में योगदान देगा, जिसे ब्राजील 2024 में गठित करने की योजना बना रहा है।
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डीपीआई और नई वित्तीय समावेशन कार्य योजना 2024-26 के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ को आगे बढ़ाने के लिए जी20 नीति सिफारिशें:
- इस वर्ष, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक के रूप में जी20 चर्चाओं में एकीकृत किया गया है। सदस्यों ने समावेशी विकास और सतत विकास के समर्थन में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने में मदद करने में डीपीआई की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना।
- इस संदर्भ में, डीपीआई के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ को आगे बढ़ाने के लिए जी20 नीति सिफारिशें तैयार की गईं और जी20 द्वारा सर्वसम्मति से इसका समर्थन किया गया। दस्तावेज़ वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ को आगे बढ़ाने के लिए डीपीआई की क्षमता को अधिकतम करने में अधिकारियों की सहायता करने के लिए प्रमुख विचारों की एक श्रृंखला के साथ कार्रवाई-उन्मुख और अनुकूलन योग्य नीति सिफारिशों का एक सेट प्रदान करता है। यह अंतिम छोर तक वित्तीय समावेशन में तेजी लाने के लिए डीपीआई का लाभ उठाने में भारत और अन्य देशों द्वारा हासिल की गई सफलता को भी सामने लाता है और डीपीआई पर एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य बनाता है।
- वर्ष 2024-26 के लिए जी20 के तहत वित्तीय समावेशन एजेंडा का मार्गदर्शन करने के लिए, एक नई जी20 वित्तीय समावेशन कार्य योजना (एफआईएपी) भी तैयार की गई और नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में जी20 द्वारा सर्वसम्मति से इसका समर्थन किया गया। यह योजना 2024 से शुरू होने वाले तीन वर्षों के लिए ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर फाइनेंशियल इंक्लूजन (जीपीएफआई) द्वारा कार्यान्वित की जाएगी, जिसमें भारत नवनियुक्त सह-अध्यक्षों में से एक होगा। नया एफआईएपी कार्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके जी20 और इसके बाद व्यक्तिगत रूप से और एमएसएमई के वित्तीय समावेशन को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए एक कार्य-उन्मुख और दूरंदेशी प्रारूप प्रदान करता है, जो अन्य बातों के अलावा, डीपीआई सहित तकनीकी, नवाचार और डिजिटल बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है जिससे देशों को सार्वभौमिक वित्तीय समावेशन के करीब पहुंचने में सहायता मिलती है।
- इसके साथ-साथ, जी 20 तीनों आयामों समावेशी विकास और सतत विकास के समर्थन में डीपीआई सहित नवीन तरीकों के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से और एमएसएमई के लिए पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए अपना काम जारी रखेगा। 2026 तक जी20 का वित्तीय समावेशन कार्य एफआईएपी द्वारा निर्धारित किया जाएगा। नया एफआईएपी व्यक्तिगत रूप से और एमएसएमई के लिए "अंतिम छोर" तक पहुंच और गुणवत्ता समावेशन में सुधार के लिए डीपीआई का काम जारी रखेगा।
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वैश्विक ऋण कमजोरियों का प्रबंधन:
- कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में ऋण के मुद्दों में वृद्धि महत्वपूर्ण आर्थिक जोखिम पैदा करती है, जो संभावित रूप से सतत विकास की दिशा में उनकी प्रगति में बाधा डालती है।
- भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत, जी 20 सदस्यों ने निम्न और मध्यम आय वाले देशों में ऋण कमजोरियों को दूर करने के महत्व पर पुनः जोर दिया। कॉमन फ्रेमवर्क (ज़ाम्बिया, इथियोपिया, घाना) और कॉमन फ्रेमवर्क देशों (श्रीलंका) से परे दोनों के ऋण समाधान में प्रगति हासिल की गई है। जी20 ने ऋण समाधान के लिए समान प्रारूप में उल्लिखित सभी प्रावधानों को बनाए रखने और पूर्वानुमानित, समय पर, व्यवस्थित और समन्वित तरीके से इसके कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
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- इसके अतिरिक्त, ऋण पुनर्गठन प्रयासों में तेजी लाने, प्रमुख हितधारकों के बीच संचार को मजबूत करने और प्रभावी ऋण समाधान की सुविधा के लिए समान प्रारूप के भीतर और बाहर एक आम समझ को बढ़ावा देने के लिए आईएमएफ, विश्व बैंक और भारतीय जी20 अध्यक्षता की एक संयुक्त पहल, ग्लोबल सॉवरेन डेट राउंडटेबल (जीएसडीआर) का इस वर्ष की शुरुआत में ही शुभारंभ किया गया था।
- इसके अलावा, ब्राज़ील अध्यक्षता से वर्तमान में ऋण एजेंडे पर जारी गति के स्तर के बने रहने की उम्मीद है।
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जी 20 सतत वित्त तकनीकी सहायता कार्य योजना (टीएएपी):
- टीएएपी एक बहु-वर्षीय दस्तावेज़ है जिसमें क्षमता-निर्माण सेवाओं को बढ़ाने और उन्हें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरुप तैयार करने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने की सिफारिशें शामिल हैं। टीएएपी का उद्देश्य विशेष रूप से उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) एवं लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए स्थायी वित्त में क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता को बढ़ाना है। कार्य समूह ने जलवायु निवेश में डेटा-संबंधी बाधाओं पर नियंत्रण पाने के लिए स्वैच्छिक सिफारिशें भी तैयार की हैं।
- टीएएपी के लिए कार्यान्वयन व्यवस्था विशेष रूप से ईएमडीई और एसएमई में सहयोग को बढ़ावा देने, ज्ञान साझा करने और क्षमता निर्माण आवश्यकताओं को पूरा करके जी20 सतत वित्त टीएएपी के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देगा।
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बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देने की पहल
- बुनियादी उप-क्षेत्रों की सामंजस्यपूर्ण मास्टर सूची (एचएमएल) : अब तक, एचएमएल सूची में 5 श्रेणियों के तहत 37 बुनियादी उप-क्षेत्र अर्थात 1. परिवहन और रसद, 2. ऊर्जा, 3. जल और स्वच्छता, 4. संचार और 5. सामाजिक एवं वाणिज्यिक अवसंरचना शामिल हैं। एचएमएल में किसी भी क्षेत्र को शामिल करने से उसे आसान शर्तों पर बुनियादी ढांचा ऋण और बाह्य वाणिज्यिक ऋण (ईसीबी), बीमा कंपनियों और पेंशन फंड से लंबी अवधि के कोष तक पहुंच प्राप्त करने और उधार लेने के लिए पात्र होने में सहायता मिलती है।
इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) आदि।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट के पैरा-49 के अनुसार, बुनियादी ढांचे को परिभाषित करने वाली विशेषताओं/मापदंडों का व्यापक मूल्यांकन करने और अमृत काल के लिए वित्तपोषण ढांचा के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के ईएसी के अध्यक्ष श्री बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है।
विशेषज्ञ समिति ने हितधारकों के साथ कई बार विचार-विमर्श किया और अब यह सिफारिशों को अंतिम रूप दे रही है, समिति की अंतिम रिपोर्ट 31 दिसंबर 2023 तक आने की उम्मीद है।
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बी. राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी): बुनियादी ढांचा आर्थिक विकास के लिए प्रमुख सहायकों में से एक है। राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) में आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचा दोनों क्षेत्रों में 100 करोड़ रुपये से अधिक की ब्राउनफील्ड और ग्रीनफील्ड बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं। पाइपलाइन में भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और सरकार के 22 बुनियादी ढांचा मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित परियोजनाएं शामिल हैं।
एनआईपी का 6,835 परियोजनाओं के साथ शुभारंभ किया गया था और 2020-2025 के बीच 108.88 लाख करोड़ रुपये के कुल परियोजना परिव्यय के साथ 9,288 से अधिक परियोजनाओं पर कार्य के लिए इसका विस्तार किया गया है। परिवहन (42 प्रतिशत), ऊर्जा (25 प्रतिशत), जल और स्वच्छता (15 प्रतिशत) और सामाजिक बुनियादी ढाँचा (3 प्रतिशत) क्षेत्र एनआईपी के तहत अनुमानित बुनियादी ढाँचे के निवेश का लगभग 85 प्रतिशत है। एनआईपी परियोजनाओं की जानकारी भारत निवेश ग्रिड (आईआईजी) पोर्टल (https://indiainvestmentgrid.gov.in/) पर रखी गई हैं।
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सी. जी20 बुनियादी ढांचा कार्यकारी समूह: भारतीय जी 20 अध्यक्षता के तहत बुनियादी ढांचा कार्यकारी समूह चार प्रमुख प्रदेयों पर सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने अर्थात (i) भविष्य के शहरों के वित्तपोषण पर जी20 सिद्धांत, (ii) कल के शहरों के वित्तपोषण पर जी20/ओईसीडी रिपोर्ट, (iii) शहरी प्रशासन के क्षमता निर्माण पर जी20/एडीबी फ्रेमवर्क, और (iv) समावेशी शहरों को सक्षम बनाने पर जी 20/डब्ल्यूबी रिपोर्ट में सक्षम था।
डी. बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए विनियामक सुधार: सेबी ने आईएनवीआईटी के लिए कॉर्पोरेट प्रशासन और ऑडिट संबंधी निर्देशों की एक श्रृंखला पेश करने के लिए 2023 में आईएनवीआईटी विनियमों में और संशोधन किया। इससे देश के भीतर और बाहर के विभिन्न निवेशक वर्गों के लिए दीर्घकालिक अवधि में यह निवेश माध्यम और भी अधिक सुरक्षित, गुणात्मक और आकर्षक बनेगा।
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ई. भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड नॉन-बैंकिंग फाईनेंशियल कंपनियों (आईडीएफ-एनबीएफसी) के लिए अद्यतन दिशा-निर्देश प्रस्तुत किए हैं ताकि बुनियादी ढांचा क्षेत्र के वित्तपोषण में एनबीएफसी और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा बुनियादी ढांचा क्षेत्र के वित्तपोषण को नियंत्रित करने वाले नियमों को संरेखित करते हुए उन्हें प्रायोजक के बिना धन तक पहुंचने, प्रत्यक्ष ऋणदाताओं के रूप में टोल ऑपरेट ट्रांसफर परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और आईडीएफ की भूमिका बढ़ाने के लिए बाहरी वाणिज्यिक ऋण लेने में सक्षम बनाया जा सके।
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पीपीपी को बढ़ावा देने की पहल:
ए. वीजीएफ योजना: मौजूदा वीजीएफ योजना के तहत, यह देखा गया था कि योजना का लाभ लेने वाली अधिकांश परियोजनाएं सड़क आदि जैसे आर्थिक क्षेत्रों से थीं। स्वास्थ्य, शिक्षा आदि जैसे सामाजिक क्षेत्र में पीपीपी को बढ़ावा देने के लिए, इसका दायरा बढ़ाया गया था। मौजूदा वीजीएफ योजना का विस्तार किया गया और परियोजना क्षेत्र और रूपरेखा के आधार पर पीपीपी के लिए कैपेक्स के 80 प्रतिशत तक और पीपीपी के 50 प्रतिशत तक ओपेक्स के उच्च वीजीएफ समर्थन को शामिल करने के लिए 2020 में योजना को नया रूप दिया गया। 2023 के दौरान, ईसी ने तूतीकोरिन, तमिलनाडु सरकार में 7,055 करोड़ रुपए की टीपीसी और 1,450 करोड़ रुपए की भारत सरकार की वीजीएफ हिस्सेदारी के साथ वीओसी पोर्ट परियोजना के लिए 'सैद्धांतिक' स्वीकृति दे दी है। इसके अलावा, 2023 के दौरान, वीजीएफ योजना के तहत 410 करोड़ रुपए वितरित किये गये हैं।
बी. आईआईपीडीएफ का पुनरुद्धार: वर्तमान आईआईपीडीएफ को एक रिवाल्विंग फंड के रूप में तैयार किया गया था, जिसका भुगतान रिफंडेबल ऋण के रूप में किया जाता था। इन कड़े प्रावधानों के कारण पिछले 3-4 वर्षों में आईआईपीडीएफ के अंतर्गत एक भी प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ। आईआईपीडीएफ में सुधार करने के लिए, पीपीपी परियोजना की तैयारी हेतु पीपीपी परियोजना अधिकारियों को सहायता प्रदान करने के लिए मौजूदा फंड को नया रूप दिया गया और 03.11.2022 को केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में शुरू किया गया। 2023 के दौरान, 11 राज्यों की 16 परियोजनाएं, जिनकी टीए लागत 33.40 करोड़ रुपये है। आईआईपीडीएफ योजना के तहत वित्त पोषण के लिए मंजूरी दे दी गई है और कई पाइपलाइन चरण में हैं।
सी. टीए का पैनल बनाना: केंद्रीय और राज्य पीएसए की ओर से लंबे समय से पूर्व-योग्य लेनदेन सलाहकारों की एक सूची प्रदान करने और गुणवत्तापूर्ण पीपीपी परियोजना व्यवस्था का शुभारंभ करने के लिए लेनदेन सलाहकारों को शामिल करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की मांग की जा रही थी। तदनुसार, 12 टीए को आरएफक्यू प्रक्रिया के माध्यम से डीईए द्वारा सूचीबद्ध किया गया है और पैनल को 01.07.2022 को अधिसूचित किया गया है। इसके अलावा पैनल के उपयोग के लिए एक नियम-पुस्तिका भी जारी की गयी है। टीए पैनल ने राज्यों के बीच बेहतर योगदान दिया है और अब तक 40 से अधिक पीपीपी लेनदेन के लिए इसका उपयोग किया गया है।
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- पीपीपी पारिस्थितिकी तंत्र को समर्थन और मुख्यधारा में लाने के लिए नीतिगत उपाय और दस्तावेज जैसे- राज्य पीपीपी इकाइयों की स्थापना के लिए संदर्भ गाइड, पीपीपी परियोजना मूल्यांकन के लिए संदर्भ गाइड और परियोजना कार्यान्वयन मोड चयन-वाटरफॉल फ्रेमवर्क के लिए संदर्भ गाइड आदि तैयार और विकसित किए गए हैं।
- सूचना-प्रौद्यौगिकी नवाचार - आवेदन प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए पीपीपीआईइंडिया वेबसाइट और पीपीपीएसी, वीजीएफ, आईआईपीडीएफ के लिए सर्वोत्तम अभ्यास ऑनलाइन पोर्टल में पुनः सुधार किया गया।
- पीपीपी मूल्यांकन - पीपीपी के मूल्यांकन के लिए केंद्रीय नोडल प्राधिकरण के रूप में, डीईए में स्थित पीपीपीएसी ने 7,056.00 करोड़ रुपए की टीपीसी के साथ वीओसी पोर्ट पीपीपी परियोजनाओं का मूल्यांकन किया और 4,200 करोड़ रुपए के टीपीसी के साथ ऑपरेट मेंटेन ट्रांसफर (ओएमटी) रियायत के तहत बीएसएनएल के टेलीकॉम टॉवर परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण किया।
ज्ञान का प्रसार और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना:
- इस अवधि के दौरान, कुल 3 कार्यशालाएँ आयोजित की गईं इनमें दो राज्य आउटरीच कार्यशालाएँ और 'पीपीपी स्ट्रक्चरिंग टूलकिट' पर एक कार्यशाला शामिल है। इन कार्यशालाओं को अच्छी प्रतिक्रिया मिली और इसके परिणामस्वरूप पीपीपी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की योजनाओं के बारे में जागरूकता फैली और इसमें और गति का संचार हुआ।
वित्तीय क्षेत्र में सुधार
- ऑफशोर को ऑनशोर करने के लिए, एनएसई आईएफएससी-एसजीएक्स कनेक्ट (द कनेक्ट) का 29 जुलाई, 2022 को प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ किया गया था, यह 3 जुलाई, 2023 को पूरी तरह से कार्यान्वित हो गया है और अब एसजीएक्स निफ्टी डेरिवेटिव्स का विशेष रूप से एनएसई आईएफएससी पर कारोबार किया जाता है। परिवर्तन के बाद, सभी अमेरिकी डॉलर-मूल्य वाले निफ्टी डेरिवेटिव अनुबंधों का कारोबार विशेष रूप से एनएसई आईएफएससी पर किया जा रहा है। एनएसई IX (अक्टूबर 2023) पर निफ्टी डेरिवेटिव अनुबंधों का औसत दैनिक कारोबार 3.02 बिलियन था।
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- केंद्रीय बजट (2022-23) की घोषणा के अनुरूप, विदेशी संस्थानों की शाखाओं/परिसरों की स्थापना के लिए सक्षम नियम अधिसूचित किए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी और वॉलोन्गॉन्ग यूनिवर्सिटी गिफ्ट सिटी में अपना शाखा परिसर स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति पाने वाले पहले दो विदेशी विश्वविद्यालय बन चुके हैं। दोनों विश्वविद्यालयों के द्वारा 2024 में पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की आशा है।
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- गोल्ड स्पॉट एक्सचेंजों की स्थापना: सेबी ने 10 जनवरी 2022 को गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज के लिए रूपरेखा और अन्य आवश्यक नियम जारी किए। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने पहले ही अक्टूबर, 2022 में अपने प्लेटफॉर्म पर इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रसीद ट्रेडिंग शुरू कर दी है। ईजीआर सभी प्रकार के बाजार सहभागियों यानी खुदरा, वाणिज्यिक, संस्थागत आदि को पूरा करेगा।
टी+1 निपटान:
जनवरी 2023 में, भारत वैश्विक प्रतिभूति बाजार में टी+1 निपटान प्रणाली को अपनाने वाले शुरुआती व्यवस्थाओं में से एक और प्रमुख विकसित और उभरते बाजारों से काफी आगे रहा है। भारतीय प्रतिभूति बाजार की समाशोधन और निपटान प्रणाली ने चरणबद्ध कार्यान्वयन के आधार पर टी+1 निपटान चक्र में अपना ट्रांजिशन पूरा कर लिया है, जिसे नवंबर 2021 में प्रारंभ किया गया था।
अब तक, T+2 निपटान चक्र के तहत, भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेडों का निपटान दो कार्य दिवसों के भीतर किया जाता था। उदाहरण के लिए, यदि कोई निवेशक टी (व्यापार) दिन पर शेयर खरीदता/बेचता है, तो व्यापार का निपटान, यानी प्रतिभूतियों और फंडों का भुगतान और भुगतान दो कार्य दिवसों के भीतर यानी टी+2 दिन तक पूरा हो जाएगा। टी+1 निपटान चक्र के तहत, ऐसे व्यापार का निपटान एक कार्य दिवस के भीतर यानी टी+1 दिन तक हो जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिभूतियों की तेजी से डिलीवरी होगी।
टी+1 निपटान चक्र में आने से बाजार में तरलता बढ़ने से निवेशकों को लाभ होगा क्योंकि टी दिन पर किए गए ट्रेडों की प्रतिभूतियां/फंड अगले कार्य दिवस पर ही उपलब्ध होंगी। टी+1 निपटान चक्र के तहत फंड/प्रतिभूतियों का शीघ्र निपटान भी म्यूचुअल फंड के लिए तेजी से निपटान को सक्षम बनाएगा, जिससे खुदरा निवेशकों को लाभ होगा। इसके अलावा, टी+1 निपटान चक्र में ट्रेडिंग टर्नओवर में वृद्धि और निपटान जोखिम में कमी के इकोसिस्टम की शुरूआत शामिल है, जिससे प्रतिभूति बाजार का समग्र विकास होता है।
भारत उन कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन चुका है जो टी+2 से टी+1 निपटान में परिवर्तित हो चुकी है। छोटा निपटान चक्र (टी+1) खुदरा निवेशक के हित में है क्योंकि यह ब्रोकर द्वारा शेयरों का भुगतान न करने या डिलीवरी न करने के जोखिम को एक दिन कम कर देता है, जो वर्तमान प्रणाली में एक सुधार है। इसके अलावा, तेजी से व्यापार निपटान से दक्षता का स्तर बेहतर होता है और निवेशकों को सुरक्षा मिलती है।
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