शिक्षा मंत्रालय
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काशी तमिल संगमम का दूसरा चरण 17 से 30 दिसंबर 2023 तक आयोजित किया जाएगा


आईआईटी मद्रास ने पंजीकरण पोर्टल लॉन्च किया; तमिलनाडु और पुडुचेरी के लोगों से आवेदन आमंत्रित किए गए है

लगभग 1400 व्यक्ति विशिष्ट अनुभव के लिए वाराणसी की यात्रा करेंगे

इसका ध्येय क्षेत्र विशेष के ज्ञान का आदान-प्रदान करना और एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के उद्देश्य के लिए लोगों में परस्पर जुड़ाव को बढ़ावा देना है

Posted On: 28 NOV 2023 3:53PM by PIB Delhi

आईआईटी मद्रास द्वारा 27 नवंबर, 2023 को पंजीकरण पोर्टल के लॉन्च के साथ ही काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण का मंच पूरी तरह तैयार हो गया है। इस एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम का दूसरा संस्करण 17 दिसंबर से होना प्रस्तावित है। यह दिवस 30 दिसंबर 2023 तक आयोजित पवित्र तमिल मार्गली महीने का पहला दिन है। पहले संस्करण की तरह, यह कार्यक्रम जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के परस्पर जुड़ाव में सहायता प्रदान करके प्राचीन भारत के शिक्षा और संस्कृति के दो महत्वपूर्ण केंद्रों - वाराणसी और तमिलनाडु के बीच जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव करता है।

काशी तमिल संगमम (केटीएस) के दूसरे चरण में यह प्रस्तावित है कि तमिलनाडु और पुडुचेरी के लगभग 1400 लोग यात्रा में लगने वाले समय सहित 8 दिनों के एक गहन दौरे के लिए ट्रेन से वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा करेंगे। उन्हें लगभग 200-200 व्यक्तिओं के 7 समूहों में विभाजित किया जाएगा, जिसमें छात्र, शिक्षक, किसान और कारीगर, व्यापारी और व्यवसायी, धार्मिक व्यक्ति, लेखक और पेशेवर लोग शामिल होंगे। प्रत्येक समूह का नाम एक पवित्र नदी (गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी और कावेरी) के नाम पर रखा जाएगा।

ये प्रतिनिधि ऐतिहासिक, पर्यटन और धार्मिक रुचि के स्थानों की यात्रा करेंगे और अपने कार्यक्षेत्र  से संबंधित उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ बातचीत करेंगे। केटीएस 2.0 जागरूकता सृजन और पहुंच, लोगों में परस्पर जुड़ाव और सांस्कृतिक तन्मयता पर जोर देने वाला एक स्पष्ट प्रारूप होगा। इसमें सर्वोत्तम प्रथाओं में अभिज्ञान प्राप्त करने, शिक्षण को बढ़ावा देने और विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए स्थानीय समकक्षों (बुनकरों, कारीगरों, कलाकारों, उद्यमियों, लेखकों आदि) के साथ अधिक जुड़ाव और बातचीत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय इस कार्यक्रम के लिए नोडल मंत्रालय होगा जिसमें एएसआई, आईआरसीटीसी सहित रेलवे, पर्यटन, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण (ओडीओपी), एमएसएमई, सूचना और प्रसारण, एसडी एंड ई और उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों सहित संस्कृति मंत्रालय की भागीदारी होगी। पहले चरण  से मिली सीख का लाभ उठाने और अनुसंधान के लिए उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए, आईआईटी मद्रास तमिलनाडु और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में काम करेगा।

प्रतिनिधि यात्रा कार्यक्रम में 2 दिन जाने की यात्रा-2 दिन वापसी यात्रा बनारस की और 1-1 दिन की प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा शामिल होगी। तमिलनाडु और काशी की कला और संस्कृति, हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन और अन्य विशेष उत्पादों का प्रदर्शन करने वाले स्टॉल लगाए जाएंगे। वाराणसी के नमो घाट पर तमिलनाडु और काशी की संस्कृतियों के मिश्रण वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। इस अवधि के दौरान ज्ञान के विभिन्न पहलुओं जैसे साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापार आदान-प्रदान, एडुटेक और अन्य पीढ़ी की अगली तकनीक और अकादमिक आदान-प्रदान जैसे सेमिनार, चर्चा, व्याख्यान, आदि का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा विशेषज्ञों और विद्वानों, तमिलनाडु और वाराणसी से उपरोक्त विषयों/व्यवसायों के स्थानीय व्यावहारिक व्यवसायी भी इन आदान-प्रदानों में भाग लेंगे ताकि विभिन्न क्षेत्रों में आपसी शिक्षण से व्यावहारिक ज्ञान/नवाचार का एक समूह उभर सके।

आईआईटी मद्रास द्वारा 1 दिसंबर से 31 दिसंबर तक कार्यशालाओं, सेमिनारों, बैठकों और अन्य आउटरीच अभियान कार्यक्रमों के साथ तमिलनाडु के चिन्हित संस्थानों के तालमेल से समर्पित जागरूकता सृजन और आउटरीच गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।

आईआईटी मद्रास में आज लॉन्च किए गए केटीएस पोर्टल पर तमिलनाडु और पुडुचेरी के उन लोगों से आवेदन मांगे गए हैं जो इस कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं। प्रतिनिधियों का चयन इस उद्देश्य के लिए गठित चयन समिति द्वारा किया जाएगा।

काशी तमिल संगमम का पहला संस्करण पूरे सरकारी दृष्टिकोण के साथ 16 नवंबर से 16 दिसंबर 2022 तक आयोजित किया गया था। जीवन के 12 अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले तमिलनाडु के 2500 से अधिक लोगों ने 8 दिवसीय दौरे पर वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा की थी, जिसके दौरान उन्हें वाराणसी और उसके आसपास जीवन के विभिन्न पहलुओं का गहन अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला था।

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