सूचना और प्रसारण मंत्रालय
हमारा उद्देश्य वैश्विक स्तर पर दिलों को छूने की आकांक्षा रखने वाली भारतीय फिल्मों को नैतिक और भावनात्मक रूप से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत करना है: जूरी (भारतीय पैनोरमा- फीचर)
आईएफएफआई में भारतीय पैनोरमा से देश की सांस्कृतिक विविधता और दृश्य साक्षरता का विकास प्रतिबिंबित होता है: जूरी अध्यक्ष (भारतीय पैनोरमा फीचर फिल्म)
इंडियन पैनोरमा फीचर फिल्म्स के जूरी अध्यक्ष डॉ. टी एस नागाभराना ने कहा, “1979 से, मैं आईएफएफआई में भारतीय पैनोरमा का हिस्सा रहा हूं, और नौ फीचर फिल्मों के साथ इसके विकास का साक्षी बना हूं। पैनोरमा देश की सांस्कृतिक विविधता और दृश्य साक्षरता के विकास को दर्शाता है। एक सिनेमा प्रेमी के रूप में, यह यात्रा भारत के सिनेमाई परिदृश्य और सामाजिक परिवर्तनों के अमूल्य अध्ययन के रूप में काम करती है।” उन्होंने आज गोवा में भारत के 54वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान हुए एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान ये बातें कहीं।
अध्यक्ष ने कहा कि फिल्में दो ही तरह की होती हैं- अच्छी और बुरी। उन्होंने कहा, “एक अच्छी फिल्म वही है जो हमें छूती है, प्रेरित करती है, दो बार सोचने पर मजबूर करती है और मरते दम तक हमारे भीतर छाप छोड़ती है।”
चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए, अध्यक्ष ने कहा कि पूरी जूरी ने “सिनेमा भाषा” और फिल्म के सार के आधार पर फिल्मों का आलोचनात्मक विश्लेषण किया है।
उन्होंने कहा, “चाहे किस्मत वाले हों या नहीं, लेकिन फिल्म निर्माताओं के रूप में हमारे दृष्टिकोण निश्चित रूप से अलग-अलग होते हैं। फिर भी, सिनेमा के मर्म - उसकी भाषा और सार को समझने में ही कोई परिणाम निहित है। हमारे विचारों में अंतर के बीच, हममें से किसी ने भी एक-दूसरे की समझ पर सवाल नहीं उठाया।
हम सामग्री और कौशल को जरूरी मिश्रण के रूप में महत्व देते हुए सामूहिक रूप से गर्व करते हैं और जिम्मेदारी निभाते हैं। फिल्म निर्माण एक समर्पण की यात्रा के समान, तैयारी- एक तप (तपस) की मांग करता है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में, पुरानी परम्पराओं के बीच एक नया परिप्रेक्ष्य जरूरी है, जिसका उदाहरण 'आरारिरारो' जैसी फिल्मों में नजर आता है, जो सार्थक जुड़ाव के लिए मानवीय तत्वों पर जोर देती है।
भारत की कम बजट की फिल्मों के वैश्विक पहुंच हासिल करने पर विचार व्यक्त करते हुए जूरी ने कहा कि फिल्म का बजट कम महत्व रखता है; इसके विपरीत, सामग्री की भावनात्मक, नैतिक और सौंदर्यात्मक प्रतिध्वनि का ज्यादा असर होता है। हमारा लक्ष्य मार्केटिंग करना नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर सभी के दिलों को छूने के उद्देश्य से नैतिक और भावनात्मक रूप से भारतीय फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत करना है।
13 सदस्यों वाली फीचर फिल्म जूरी का नेतृत्व डॉ. टी एस नागाभराना करते हैं, जो कन्नड़ भाषा के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, अभिनेता, निर्माता हैं। उन्हें 10 राष्ट्रीय पुरस्कार और 18 राज्य पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। फीचर फिल्म जूरी में निम्नलिखित सदस्य शामिल हैं:
- डॉ. टी एस नागाभराना (अध्यक्ष)
- श्री ए कार्तिक राजा
- श्री अंजन बोस
- डॉ. इतिरानी सामंता
- श्री के पी व्यासन
- श्री कमलेश मिश्र
- श्री किरण गंती
- श्री मिलिंद लेले
- श्री प्रदीप कुर्बाह
- श्रीमती रमा विज
- श्री रोमी मैतेई
- श्री संजय जाधव
- श्री विजय पांडे
किसी भी भारतीय भाषा में डिजिटल/ वीडियो प्रारूप पर शूट की गई और 70 मिनट से अधिक अवधि की फीचर फिल्म या फिक्शन के रूप में बनाई गई फिल्में फीचर फिल्म इस अनुभाग के लिए पात्र हैं।
यहां देखें बातचीत: https://www.youtube.com/watch?v=cXW1uwVWfYE
जूरी के बारे में अधिक जानने के लिए: https://iffigoa.org/indian-panorama-jury/en
फीचर फिल्मों के बारे में ज्यादा जानने के लिए: https://iffigoa.org/indian-panorama-feature-2023/official-selections-features/en
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