मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

केंद्रीय मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला 7 से 9 अक्टूबर 2023 तक तमिलनाडु और पुडुचेरी में सागर परिक्रमा चरण-IX का शुभारंभ करेंगे


सागर परिक्रमा एक आउटरीच कार्यक्रम है, इसका उद्देश्य देश के संपूर्ण तटीय क्षेत्र में मछुआरा समुदाय तक पहुंचना है

Posted On: 05 OCT 2023 5:01PM by PIB Delhi

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला, राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन के साथ 7 अक्टूबर, 2023 को तमिलनाडु के रामनाड जिले के थोंडी में सागर परिक्रमा चरण-IX का शुभारंभ करेंगे। दोनों केंद्रीय मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति तमिलनाडु के आठ तटीय जिलों पुदुक्कोट्टई, तंजावुर, नागापट्टिनम, मयिलादुथुराई, कुड्डालोर, विलुप्पुरम, चेंगलपट्टू, चेन्नई और कराईकल तथा पुडुचेरी में कार्यक्रमों में भाग लेंगे।

सागर परिकामा चरण-IX की यात्रा के दौरान श्री परषोत्तम रूपाला, डॉ. एल. मुरुगन के साथ मछुआरों से बातचीत करेंगे और प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) तथा मछुआरों और लाभार्थियों के लिए राज्य की योजनाओं से संबंधित प्रमाण पत्र/स्वीकृतियां भी वितरित करेंगे।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी योजनाओं के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करेंगे।

दोनों मंत्री 07.10.2023 को नागापट्टिनम फिशिंग हार्बर, 08.10.2023 को पूम्पुहार फिशिंग हार्बर और कुड्डालोर फिशिंग हार्बर में आयोजित समारोहों में भी शामिल होंगे। परिक्रमा के दौरान, जागरूकता और लाभ के लिए योजनाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पीएमएमएसवाई योजना, राज्य योजनाओं, ई-श्रम, एफआईडीएफ, केसीसी पर साहित्य भी व्यापक रूप से प्रसारित किया जाएगा।

सागर परिक्रमा एक आउटरीच कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य देश के संपूर्ण तटीय क्षेत्र में मछुआरा समुदाय तक पहुंचना है। यह पहल मछुआरों की समस्याओं, अनुभवों और आकांक्षाओं को समझने तथा तटीय क्षेत्रों में मछुआरों के लिए उपलब्ध सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रारंभ की गई है।

सागर परिक्रमा चरण-IX में तमिलनाडु और पुडुचेरी के मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी, जिला अधिकारी, भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, भारतीय तट रक्षक, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज पोस्ट हार्वेस्ट प्रौद्योगिकी एवं प्रशिक्षण, केंद्रीय मत्स्य पालन नौटिकल एवं इंजीनियरिंग प्रशिक्षण संस्थान के अधिकारी भी भाग लेंगे।

मछुआरे, मछुआरों के प्रतिनिधि, मछली-किसान, उद्यमी, मछुआरा सहकारी समिति के नेता, पेशेवर, वैज्ञानिक और अन्य हितधारक तमिलनाडु के थोंडी, रामनाड जिले से चेन्नई और पुडुचेरी सहित अन्य जिलों से गुजरते हुए सागर परिक्रमा की यात्रा में विभिन्न कार्यक्रमों और बातचीत में शामिल होंगे।

केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में तालाबों और टैंकों के रूप में 1400 हेक्टेयर अंतर्देशीय जल क्षेत्र है जो मत्स्य पालन और संवर्धन दोनों के लिए उपयुक्त है। खारा जल झींगा पालन के लिए 800 हेक्टेयर खारा जल क्षेत्र उपलब्ध है।

तमिलनाडु की तटरेखा 1,076 किमी लंबी है, जो देश में दूसरी सबसे बड़ी है। राज्य समुद्री, खारे पानी और अंतर्देशीय मत्स्य संसाधनों से समृद्ध है जो मत्स्य पालन और संवर्धन के लिए उपयुक्त है। राज्य का समुद्री मछली उत्पादन (2021-22) 5.95 लाख मीट्रिक टन था, जिसमें से 6,559.64 करोड़ रुपये मूल्य के 1.14 लाख मीट्रिक टन का निर्यात हुआ। मत्स्य पालन उद्योग 5,830 मशीनीकृत और 45,685 पारंपरिक मछली पकड़ने के तरीके से 10.48 लाख समुद्री मछुआरों की आजीविका का समर्थन करता है जो सक्रिय रूप से मछली पकड़ने में लगे हुए हैं और 4,41,977 समुद्री मछुआरे तमिलनाडु मछुआरा कल्याण बोर्ड में नामांकित हैं।

तमिलनाडु की समृद्ध मत्स्य पालन जैव विविधता प्रत्यक्ष और सहायक गतिविधियों में दस लाख से अधिक लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करती है। वर्ष 2021-22 के दौरान राज्य कृषि सकल घरेलू उत्पाद में क्षेत्र का योगदान 5.78 प्रतिशत है। वर्ष 2021-22 के दौरान विदेशी मुद्रा में मत्स्य पालन क्षेत्र से राज्य का योगदान 6,559.64 करोड़ रुपये का रहा। यह योगदान 1.14 लाख मीट्रिक टन मछली और मत्स्य उत्पादों के निर्यात से संभव हुआ। मत्स्य पालन क्षेत्र मछुआरों के लिए आजीविका के स्रोत से समृद्ध एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है और यह समाज में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने के साथ-साथ पुडुचेरी में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और मूल्यवान विदेशी मुद्रा आय भी साझा कर रहा है।

सागर परिक्रमा के पहले आठ चरणों में गुजरात, दीव और दमन, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी और अंडमान और निकोबार सहित 8 तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 4,115 किलोमीटर की दूरी तय की गई है। यह यात्रा तटीय क्षेत्र के मछुआरों, मछली किसानों और अन्य संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने वाली भारत सरकार की एक विकासपरक पहल का प्रतीक है। इसका उद्देश्य मछली पकड़ने वाले समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना तथा सरकार द्वारा कार्यान्वित विभिन्न मत्स्य पालन योजनाओं और कार्यक्रमों, जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से उनके आर्थिक उत्थान को सुविधाजनक बनाना और मत्स्य पालन से संबंधित विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी का प्रसार करना और स्थायी संतुलन और समुद्री ईको-सिस्टम सुरक्षा पर फोकस के साथ जिम्मेदार मत्स्य पालन को बढ़ावा देना है।

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