मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

श्री परशोत्तम रूपाला ने गुजरात के नर्मदा में समावेशी विकास के अंतर्गत पशुधन के लिए 'ए-हेल्प' कार्यक्रम और पशु बांझपन शिविर का शुभारंभ किया


यह कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण, पशुधन उत्पादकता वृद्धि और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है: श्री रूपाला

Posted On: 14 AUG 2023 5:00PM by PIB Delhi

आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने आज गुजरात में पशु बांझपन शिविर के साथ '-हेल्प' (स्वास्थ्य और पशुधन उत्पादन के विस्तार के लिए मान्यता प्राप्त एजेंट) कार्यक्रम का शुभारंभ किया। भारत सरकार का पशुपालन और डेयरी विभाग समावेशी विकास के अंतर्गत पशुधन जागृति अभियान के हिस्से के रूप में इन पहलों का नेतृत्व कर रहा है। इस अवसर पर भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग में अतिरिक्त सचिव (सीडीडी) सुश्री वर्षा जोशी और कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एन.एच. केलावाला भी उपस्थित थे।

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केन्द्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने पशुधन क्षेत्र, विशेषकर गुजरात में पशुधन क्षेत्र के व्यापक विकास में पशुधन और महिलाओं द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। '-हेल्प' कार्यक्रम और पशु बांझपन शिविर महिलाओं को सशक्त बनाने, पशुधन उत्पादकता बढ़ाने और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का संकेत दे सकते हैं।

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'-हेल्प' कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को प्रशिक्षित एजेंटों के रूप में शामिल करके सशक्त बनाना है जो रोग नियंत्रण, राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के अंतर्गत कृत्रिम गर्भाधान, पशु टैगिंग और पशुधन बीमा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। श्री रूपाला ने बल देते हुए कहा कि यह प्रयास भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देते हुए महिला शक्ति के अनुकरणीय एकीकरण के रूप में कार्य करता है।

समावेशी विकास के अंतर्गत पशुधन जागृति अभियान स्वतंत्रता और प्रगति की भावना का उत्सव मनाते हुए चल रहे आजादी का अमृत महोत्सव के लिए सम्मान की बात है। इस अभियान का सार किसानों को ज्ञान और संसाधनों से लैस करना है जो पशुधन स्वास्थ्य, रोग प्रबंधन और पशुओं में बांझपन की चिंताओं का समाधान करते हैं।

इसे प्राप्त करने के लिए, राज्य पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, राज्य पशुपालन विभागों के निकट समन्वय से विभिन्न जिलों में कार्यशालाओं, जागरूकता शिविरों और संगोष्ठियों का नेतृत्व करेंगे। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य पशुधन के लिए रोग नियंत्रण, उचित पोषण और समय पर उठाए जाने वाले चिकित्सा कदम पर महत्वपूर्ण ज्ञान का प्रसार करना है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन जिलों में इच्छुक छात्र व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्रों में भी भाग लेंगे, जिससे वैज्ञानिक पशुधन प्रबंधन तकनीकों की उनकी समझ बढ़ेगी। ये शिविर कम से कम 250 किसानों और मालिकों को शामिल करना चाहते हैं, जो उन्हें अपने पशुधन के प्रजनन स्वास्थ्य और समग्र उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

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इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड के विशेषज्ञों के साथ सहयोग आवश्यक पोषक तत्वों की खुराक, खनिज मिश्रण, डीवार्मर (कृमि हरण) और दवाओं के प्रावधान को सुनिश्चित करके पहल के प्रभाव को और बढ़ाता है। यह समग्र दृष्टिकोण किसान समुदाय को सशक्त बनाना चाहता है, उन्हें राष्ट्र के अमूल्य पशुधन कल्याण और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान और मूर्त संसाधन दोनों प्रदान करता है।

विभाग का विजन स्पष्ट है। इन प्रयासों से ग्रामीण समुदायों पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की आशा है, उनकी सामाजिक-आर्थिक संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है और वैश्विक पशुधन बाजार में एक प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है। ज्ञान, संसाधनों और रणनीतिक योजना का संगम एक स्वस्थ, अधिक समृद्ध राष्ट्र के प्रति पशुपालन और डेयरी विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

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