विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
जी-20 अनुसंधान मंत्रियों का भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए अनुसंधान और नवाचार प्रणालियों में बदलाव लाने का संकल्प
जी-20 अनुसंधान मंत्रियों का टिकाऊ नीली अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए निरंतर समुद्री अवलोकन, निगरानी और पूर्वानुमान प्रणालियों के लिए क्षमता विकसित करने की आवश्यकता पर जोर
Posted On:
05 JUL 2023 4:43PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में जी-20 अनुसंधान मंत्रियों की बैठक आज मुंबई में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। जी-20 के सदस्य देशों और आमंत्रित देशों के अनुसंधान मंत्रियों ने भारत की अध्यक्षता में रिसर्च एंड इनोवेशन इनिशिएटिव गैदरिंग (आरआईआईजी) द्वारा चिन्हित चर्चा के चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का अनुमोदन और समर्थन करते हुए समावेशी और सतत विकास को सक्षम करने के लिए अनुसंधान और नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका की फिर से पुष्टि की। साथ ही उन्होंने 21वीं सदी की बदलती दुनिया और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए अनुसंधान और नवाचार प्रणालियों में बदलाव लाने के हरसंभव प्रयासों का समर्थन करने का संकल्प लिया।
‘न्यायसंगत समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार' के व्यापक विषय के तहत बैठकों की एक श्रृंखला के माध्यम से प्राथमिकता वाले क्षेत्रों- सतत ऊर्जा के लिए सामग्री; सर्कुलर बायोइकोनॉमी; ऊर्जा स्त्रोतों में बदलाव के लिए पर्यावरणीय-नवाचार; और टिकाऊ नीली अर्थव्यवस्था, पर संलग्नताओं और चर्चाओं के आधार पर बैठक के बाद एक "परिणाम दस्तावेज़ और अध्यक्षता का सारांश" जारी किया गया।
सतत विकास के लिए जीवनशैलियों को बढ़ावा देने वाली भारत की लाइफ जैसी पहलों को अपनाने के महत्व को स्वीकार करते हुए जी-20 अनुसंधान मंत्रियों ने सशक्त, समावेशी और टिकाऊ भविष्य हासिल करने की दिशा में प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने सामाजिक और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के समाधान विकसित करने के लिए चिन्हित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में मुक्त, न्यायसंगत और सुरक्षित वैज्ञानिक सहयोग के लिए अपनी प्रतिबद्धता की भी पुन: पुष्टि की। उन्होंने स्वीकार किया कि सतत विकास की तलाश में स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग का दायरा बढ़ाने तथा सभी के लिए किफायती, विश्वसनीय और टिकाऊ ऊर्जा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
बैठक के दौरान, सर्कुलर और टिकाऊ जैव-अर्थव्यवस्था की सहायता के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान की ओर से निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करते हुए कच्चे माल से लेकर तैयार उत्पादों तक सभी औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं में नवाचार की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई। मंत्रियों ने टिकाऊ नीली अर्थव्यवस्था या महासागर आधारित अर्थव्यवस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उन्नत अंतरराष्ट्रीय समन्वय और सहयोग के माध्यम से अधिक और बेहतर निरंतर तटीय व महासागरीय अवलोकन, निगरानी और पूर्वानुमान प्रणालियों के लिए क्षमता विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
जी-20 मंत्रियों ने मोबिलिटी कार्यक्रमों के माध्यम से अनुसंधान और उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की गतिशीलता को प्रोत्साहित करने के प्रति भी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान आरआईआईजी बैठकों ने अनुसंधान और नवाचार क्षेत्र के हितधारकों को विचारों को साझा करने व सामाजिक-आर्थिक समानता प्राप्त करने के लिए नई साझेदारी बनाने हेतु एक मंच प्रदान किया। सभी जी-20 अनुसंधान मंत्रियों ने शेरपा ट्रैक के तहत रिसर्च एंड इनोवेशन इनिशिएटिव गैदरिंग (आरआईआईजी) को एक औपचारिक कार्य समूह, यानी, जी-20 अनुसंधान और नवाचार कार्यसमूह (आरआईडब्ल्यूजी) का दर्जा देने की सिफारिश करने पर सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की।
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