विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू में सीएसआईआर-आईआईआईएम की भांग अनुसंधान परियोजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की


सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू की भांग (कैनाबिस) अनुसंधान परियोजना भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसमें न्यूरोपैथी, कैंसर और मिर्गी के लिए निर्यात गुणवत्ता वाली औषधि का उत्पादन करने की क्षमता है: डॉ. जितेंद्र सिंह

डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार इस तरह की महत्वपूर्ण परियोजना के लिए सीएसआईआर-आईआईआईएम, भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आईआईएम), आईआईटी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) आदि जैसे संस्थानों के बीच तालमेल जरूरी है ताकि इसमें शामिल विभिन्न तकनीकी पक्षों को खोजा जा सके

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस परियोजना में सीएसआईआर-आईआईआईएम, जम्मू-कश्मीर के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और अन्य हितधारकों को एक कार्यशाला आयोजित करने का निर्देश दिया ताकि इसमें शामिल चुनौतियों और मुद्दों का मौके पर ही निवारण किया जा सके

Posted On: 08 JUN 2023 4:06PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू का 'भांग अनुसंधान योजना' भारत में अपनी तरह का पहला है, जिसमें न्यूरोपैथी, कैंसर और मिर्गी के निर्यात गुणवत्ता वाली दवा का उत्पादन करने की बड़ी क्षमता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर-आईआईआईएम और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।

बैठक के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, सीएसआईआर-आईआईआईएम और इंडसस्कैन के बीच वैज्ञानिक समझौते पर हस्ताक्षर करना न केवल जम्मू-कश्मीर के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए ऐतिहासिक था क्योंकि इसमें इस प्रकार की औषधियों का उत्पादन करने की क्षमता है जिन्हें भारत से बाहर  विदेश में   निर्यात किया जाना है। डॉ. सिंह ने आगे कहा कि इस तरह की परियोजना से जम्मू-कश्मीर में भारी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

इस परियोजना के लिए सीएसआईआर-आईआईआईएम की सराहना करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, सीएसआईआर-आईआईआईएम भारत की सबसे पुराना वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान है, जिसका 1960 के दशक पुदीने की वैज्ञानिक विशेषताओं की खोज से लेकर वर्तमान बैंगनी क्रांति (पर्पल रिवोल्यूशन) के केंद्र के रूप में अनूठा इतिहास रहा है। अब सीएसआईआर-आईआईआईएम की भांग अनुसंधान परियोजना इसे भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान के मामले में और अधिक प्रतिष्ठित बनाने जा रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि इस तरह की महत्वपूर्ण परियोजना के लिए, अनुसार  इस तरह की महत्वपूर्ण परियोजना के लिए सीएसआईआर-आईआईआईएम, भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आईआईएम), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) आदि जैसे संस्थानों के बीच तालमेल जरूरी है ताकि इसमें शामिल विभिन्न तकनीकी पक्षों जैसे - आईआईएम के माध्यम से लागू की जा सकने योग्य विपणन रणनीतियों की तलाश, एम्स के माध्यम से नैदानिक ​​परीक्षण, आईआईटी के माध्यम से तकनीकी सहायता आदि कार्य किए जा सकें क्योंकि ये सभी संस्थान केवल जम्मू में कुछ किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं जो अब भारत में शिक्षा का केंद्र है।

बैठक के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस परियोजना में सीएसआईआर-आईआईआईएम, जम्मू-कश्मीर के विज्ञानं और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और अन्य हितधारकों को एक कार्यशाला आयोजित करने का भी निर्देश दिया ताकि इसमें शामिल चुनौतियों और मुद्दों का मौके पर ही निवारण किया जा सके और परियोजना कार्य बढे  पर पर रुके नहीं।

इस बैठक में सीएसआईआर-आईआईआईएम के निदेशक, डॉ. जबीर अहमद, जम्मू-कश्मीर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) आयुक्त श्री सौरभ भगत, डीजी कोड्स जम्मू-कश्मीर, श्री  शादी लाल पंडिता, आबकारी आयुक्त जम्मू-कश्मीर, श्री पंकज कुमार शर्मा, डॉ. शक्ति गुप्ता, निदेशक एम्स जम्मू, डॉ. शशि सुदन शर्मा, प्राचार्य जीएमसी जम्मू, डॉ. सौरभ सरन, प्रधान  वैज्ञानिक सीएसआईआर-आईआईआईएम, डॉ. पी पी सिंह, प्रधान वैज्ञानिक सीएसआईआर- आईआईआईएम, इंजी. एबी रहीम, मुख्य वैज्ञानिक सीएसआईआर- आईआईआईएम के अलावा सीएसआईआर-आईआईआईएम के अतिरिक्त डीएसटी जम्मू-कश्मीर के अन्य अधिकारियों ने भाग लिया ।

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