संस्‍कृति मंत्रालय

भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत संस्कृति कार्यकारी समूह (सीडब्ल्यूजी) “संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए डिजिटल तकनीकों का दोहन” पर एक वैश्विक विषयगत वेबिनार का आयोजन करेगा

Posted On: 19 APR 2023 6:47PM by PIB Delhi

भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत संस्कृति कार्यकारी समूह (सीडब्ल्यूजी) संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए डिजिटल तकनीकों का दोहन पर एक वैश्विक विषयगत वेबिनार का आयोजन करेगा। यह वेबिनार संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित इस श्रृंखला की चार वेबिनार में अंतिम होगी, जिन्हें सीडब्ल्यूजी के ज्ञान भागीदार (नॉलेज पार्टनर) के रूप में यूनेस्को (पेरिस) द्वारा सुगम बनाया जा रहा है।

यह वेबिनार 20 अप्रैल 2023 को दोपहर 12.30 बजे से रात 8.30 बजे तक होगा। इसमें सीडब्ल्यूजी द्वारा व्यक्त और जी20 सदस्यता से समर्थित प्राथमिकता वाले क्षेत्र पर एक समावेशी संवाद को बढ़ावा देना और एक विशेषज्ञ संचालित दृष्टिकोण से गहन चर्चा शुरू करने का प्रयास किया जाएगा। इसका उद्देश्य जी20 सदस्यों, अतिथि राष्ट्रों और संबंधित अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों द्वारा दीर्घकालिक संरक्षण के लिए सांस्कृतिक विरासत संपत्ति का डिजिटलीकरण करने के लिए डिजिटल कौशल में सुधार और क्षमता निर्माण पर चर्चा करना और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना है।

वैश्विक विषयगत वेबिनार में विशेषज्ञ उभरती प्रौद्योगिकियों के प्रभाव और इनसे व्यापक दर्शकों के स्मृति संस्थानों तक पहुंचने के लिए पैदा हुए नए अवसरों और उन्हें नए और गहराई से जोड़ने के तरीकों पर चर्चा होगी। इनमें आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल और संवर्धित वास्तविकता (अगमेंटेड रियल्टी) और रोबोटिक्स आदि शामिल हैं।

उदाहरण के लिए, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस से स्मृति संस्थानों को बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण और वर्गीकरण करने में मदद मिल सकती है, जिससे डिजिटल अभिलेखागार (आर्काइव) व्यवस्थित होते हैं और उन तक पहुंचना आसान हो जाता है। वर्चुअल और संवर्धित वास्तविकता से मंत्रमुग्ध करने वाला अनुभव मिल सकता है जिससे आगंतुक ऐतिहासिक कलाकृतियों और सांस्कृतिक विरासत स्थलों के साथ अधिक आकर्षक और व्यक्तिगत तरीके से जुड़ने में सक्षम हो जाते हैं। रोबोटिक्स का उपयोग कलाकृतियों और सांस्कृतिक वस्तुओं की प्रतिकृतियां बनाने के लिए किया जा सकता है, जिससे संस्था की भौतिक सीमाओं से परे उनका संरक्षण और प्रसार हो सके।

हालांकि, डिजिटल तकनीकों की निरंतर बदलती प्रकृति भी स्मृति संस्थानों के लिए विशेष रूप से डिजिटल संरक्षण के क्षेत्रों में चुनौतियां प्रस्तुत करती है। इस चुनौती के लिए संस्कृति के अंकीकरण और डिजिटलीकरण के लिए एक सक्रिय, संदर्भ केंद्रित और वैश्विक ढांचे की आवश्यकता है। हमारे संस्कृति के साथ जुड़ने के तरीके को बदलने के लिहाज से उभरती प्रौद्योगिकियों की क्षमता बहुत अधिक है और स्मृति संस्थानों को संस्कृति के अंकीकरण और डिजिटलीकरण के लिए विभिन्न हितधारकों विशेष रूप से निजी प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच सहयोग के अवसरों की खोज करके सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रसार के अपने मिशन को प्राप्त करने के लिए इन तकनीकों का लाभ उठाने में सक्रिय होने की आवश्यकता है।

आगामी वेबिनार में तीन खंडों में विचार व्यक्त किए जाएंगे। इन्हें विशेष रूप से विषय वस्तु- संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए डिजिटल तकनीकों का दोहन के अहम पहलुओं की खोज और विचार विमर्श के लिए तैयार किया गया है। इन खंडों का उद्देश्य ज्ञान साझा करना और अच्छी प्रथाओं का आदान-प्रदान करना, खामियों और प्राथमिकताओं की पहचान करना और सीडब्ल्यूजी को सिफारिशें उपलब्ध कराना होगा।

इसमें तीन खंडों में विचार व्यक्त किए जाएंगे और विशेषज्ञों को संबंधित टाइम जोन पर बोलने का मौका दिया जाएगा। वेबिनार को आईसीओएम, आईसीओएमओएस और यूएनआईटीएआर के प्रतिनिधियों द्वारा विषय पर विशेषज्ञता के साथ संचालित किया जाएगा। इसका यूनेस्को (पेरिस) के यूट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण किया जाएगा। इससे पहले पहली, दूसरी और तीसरी प्राथमिकता पर वैश्विक विषयगत वेबिनार क्रमशः 28 मार्च, 13 और 19 अप्रैल को हो चुकी हैं।

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