वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत का कुल निर्यात 750 अरब डॉलर के अब तक के सबसे उच्च स्तर को पार कर गया: श्री पीयूष गोयल


अत्यधिक चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक स्थिति के बीच निर्यात का ऐतिहासिक स्तर हासिल किया: श्री गोयल

प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त 5 प्रण, 2047 में एक विकसित भारत @ 100 की ओर ले जाएंगे: श्री गोयल

पिछले 9 वर्षों में पूरा ध्यान निरंतर और स्थाई आर्थिक विकास के लिए आधार विकसित करने पर केंद्रित किया गया है: श्री गोयल

भारत को आत्मनिर्भर बनाना अपने द्वार बंद करने के बारे में नहीं है, बल्कि उन्हें पहले से अधिक खोलने के बारे में है: श्री गोयल

Posted On: 28 MAR 2023 8:05PM by PIB Delhi

केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग , उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और वस्‍त्र मंत्री, श्री पीयूष गोयल ने घोषणा की कि भारत का कुल निर्यात, जिसमें सेवाओं और व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात शामिल है, आज 750 अरब डॉलर को पार कर गया है। यह अब तक का सर्वकालिक उच्च स्तर है और 750 अरब डॉलर की यह उपलब्धि आजादी के 75वें वर्ष में हासिल हुई है जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।

अपने संबोधन में, श्री गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे निर्यात 2020-21 के 500 अरब डॉलर से बढ़कर बेहद चुनौतीपूर्ण समय में इस आंकड़े तक पहुंचा है।

माननीय मंत्री ने आज नई दिल्ली में एसोचैम के वार्षिक सत्र 2023: भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूती, में दिए अपने मुख्य भाषण में कहा कि माल और सेवा दोनों क्षेत्रों में मजबूत प्रगति दर्ज हुई है। उन्होने कहा कि इस तथ्य को देखते हुए कि पूरी दुनिया में मंदी है, अधिकांश विकसित देशों के लिए मुद्रास्फीति अब तक के उच्चतम स्तर पर है, ब्याज दरें बढ़ रही हैं और बाकी दुनिया में निराशा की भावना है, भारत का प्रदर्शन हमें गर्व से भर देता है।

माननीय मंत्री ने याद किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से कहा था कि हमें औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए और अपनी जड़ों और अपनी ताकत को पहचानना चाहिए। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त किए गए 5 प्रण 2047 में भारत@100 की ओर ले जाएंगे जब हम अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएंगे और उन्होने कहा कि हम सभी को इन 5 प्रण की भावना के साथ कर्तव्य पर ध्यान रखते हुए काम करने की आवश्यकता है।

माननीय मंत्री ने कहा कि कार्यक्रम का विषय "भारत @ 100: समावेशी और सतत वैश्विक विकास का मार्ग प्रशस्त करना" देश के युवाओं और एक उभरते हुए युवा भारत की आकांक्षाओं के साथ जुड़ा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि लोग भारत को वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने में दुनिया का नेतृत्व करने वाली एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भी भारत को कई मोर्चों पर एक नेतृत्व के रूप में देखती है।

उन्होंने कहा कि एसोचैम को भारत@100 की यात्रा में आगे बढ़कर नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि अधिक से अधिक परिवारों की बुनियादी जरूरतें पूरी हों और जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, विकास को अन्य कारकों के साथ साथ न केवल आर्थिक प्रगति बल्कि सामाजिक प्रगति और इंसानों के विकास से जुड़े संकेतकों के संदर्भ में भी मापा जाएगा। उन्होंने महसूस किया कि देश में 80 करोड़ से अधिक लोग इस आपस में जुड़ी दुनिया में इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं, हमारे पास एक नया आकांक्षी भारत है और हमारे देश के युवा आज अधिक की मांग कर रहे हैं और हमें नए भारत के नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

माननीय मंत्री ने कहा कि घरेलू बाजार मजबूती के साथ लगातार बढ़ रहा है और पिछले 9 वर्षों में ध्यान ऐसे आधार को तैयार करने पर केंद्रित किया गया है जो अगले कई वर्षों तक अर्थव्यवस्था के निर्बाध और लगातार जारी रहने वाले विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एक विकासशील देश के विकसित देश बनने की यात्रा के पहले दशक में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पूंजी को आकर्षित करने के लिए मजबूत आधार, आर्थिक ढांचे और स्थिर नियामक प्रक्रियाओं के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया। माननीय मंत्री ने कहा कि भारत ऐसी ही यात्रा से गुजर रहा है और भारत भाग्यशाली है जो कि अपने बड़े घरेलू बाजार पर भरोसा रख सकता है और साथ ही पूरी दुनिया तक पहुंच बना सकता है।

माननीय मंत्री ने इस तथ्य पर जोर दिया कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार का प्रयास द्वार बंद करने के बारे में नहीं है बल्कि उन्हें इस लक्ष्य के साथ और खोलने के बारे में है जहां प्रतिस्पर्धी और तुलनात्मक लाभ अंतरराष्ट्रीय व्यापार को तय करें । उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रत्येक देश वैश्विक व्यापार में अपनी जगह पाएगा और पूरी दुनिया एक स्थायी तरीके से प्रगति करेगी। माननीय  मंत्री ने कहा कि नीति निर्माताओं को उन उद्योगों या क्षेत्रों, जिनमें भारत सबसे अधिक लागत प्रतिस्पर्धी है, उसे दूसरों पर बढ़त हासिल है और जिसमें विशिष्ट एवं कुछ अलग कारक हैंका पता लगाने के लिए  संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को देखने और ऐसे उद्योगों या क्षेत्रों के विकास पर जोर देने की जरूरत है।  उन्होंने अपनी बात को यह कहते हुए स्पष्ट किया कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत विशाल निर्यात क्षमता का दोहन करके वैश्विक नेतृत्व हासिल कर सकता है।

उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों जैसे कि नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन, पीएम गति शक्ति, यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म जैसी ऐसी पहलों में प्रौद्योगिकी को आधार बनाकर निर्माण किया गया। उन्होंने आगे सराहना की कि कैसे यूपीआई ने वित्तीय भुगतान के बुनियादी ढांचे का लोकतंत्रीकरण किया है और डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क ई-कॉमर्स को बढ़ावा देगा।

माननीय मंत्री ने कहा कि भारत की मजबूत वृहद अर्थव्यवस्था, मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार, अपेक्षाकृत कम मुद्रास्फीति और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उद्यमशीलता की भावना  न केवल आयातित वस्तुओं में कमी लाने में बल्कि लागत प्रभावी अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए घरेलू इकोसिस्टम को एक साथ लाई है। उन्होंने कहा कि भारत की नव रचना करने की क्षमता, अनुसंधान एवं विकास, निरीक्षण की भावना और अलग हटकर सोचने की क्षमता को आज दुनिया देख रही है और यह सब भारत की नई भावना को दर्शाता है।

माननीय मंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ भारत द्वारा हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का तीनों देशों के उद्योग जगत ने स्वागत किया है और मीडिया प्लेटफॉर्मों पर इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। माननीय मंत्री ने कहा कि गति, गुणवत्ता और हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के परिणामस्वरूप प्राप्त सही निष्पक्ष संतुलन की सभी वर्गों द्वारा सराहना की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के व्यापार को और विस्तार देने के एफटीए की एक श्रृंखला चर्चा के विभिन्न चरणों में है और अर्थव्यवस्था के लिए बदलाव लाने वाले अवसरों को प्रदान करेगी।

माननीय मंत्री ने कहा कि यह भारत का बेहद खास समय है और उन्होने प्रधानमंत्री के उस दृष्टिकोण की सराहना की जिसमें कहा गया था कि यह समय है, यह सही समय है। उन्होंने आगे कहा कि जी20 की अध्यक्षता ने भारत को विश्व स्तर पर खुद को स्थापित करने के लिए एक अनूठा अवसर दिया है और  उद्योग और कारोबारियों के द्वारा दुनिया भर में भारत के व्यापार को प्रदर्शित करने के लिए इसका लाभ उठाया जाना चाहिए।

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