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प्रधानमंत्री ने 'पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान' विषय पर बजट-उपरांत वेबिनार को संबोधित किया



 “छोटे कारीगर स्थानीय शिल्प के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; पीएम विश्वकर्मा योजना उन्हें सशक्त बनाने पर केंद्रित है”

"पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपराओं को बनाए रखते हुए उनका विकास करना है"

 “कुशल शिल्पकार आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना के प्रतीक हैं और हमारी सरकार इन्हें नए भारत का विश्वकर्मा मानती है”

"भारत की विकास यात्रा के लिए गांव को विकसित करने के क्रम में इसके प्रत्येक वर्ग को सशक्त बनाना आवश्यक है"

"हमें राष्ट्र के विश्वकर्माओं की जरूरतों के अनुरूप अपनी कौशल-अवसंरचना को फिर से तैयार करने की आवश्यकता है"

"आज के विश्वकर्मा कल के उद्यमी बन सकते हैं"

पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान (पीएम विकास) योजना उन स्थानीय पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की पहचान करने के लिए सरकार की एक परिवर्तनकारी पहल है जो अब तक किसी भी लक्षित कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थेः श्री नारायण राणे  

यह योजना स्थानीय रचनात्मक उद्योगों को सहायता प्रदान करेगी और वित्तीय समावेशन व लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हुए सशक्त एवं समावेशी अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने की प्रक्रिया को मजबूती देगीः श्री राणे

Posted On: 11 MAR 2023 7:46PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 'पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान' विषय पर बजट-उपरांत वेबिनार को संबोधित किया। यह वेबिनार कारीगरों और शिल्पकारों को समग्र रूप से सहायता प्रदान करने के लिए नई घोषित योजना पीएम विकास को पूरी तरह से समर्पित था।

वेबिनार को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि सभी हितधारकों ने इन चर्चाओं में भाग लिया है। उन्होंने कहा कि बजट के सिद्धान्तों पर चर्चा करने के बजाय, हितधारकों ने बजट के प्रावधानों को लागू करने के व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा की है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का वेबिनार करोड़ों भारतीयों के कौशल और विशेषज्ञता के प्रति समर्पित है। कौशल भारत मिशन और कौशल रोजगार केंद्र के माध्यम से करोड़ों युवाओं को कौशल प्रदान करने और रोजगार के अवसर सृजित करने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने एक विशिष्ट और लक्ष्य-केन्द्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना या पीएम विश्वकर्मा, इसी सोच का परिणाम है। इस योजना की आवश्यकता और 'विश्वकर्मा' नाम के औचित्य के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय लोकाचार में भगवान विश्वकर्मा की उच्च स्थिति और उन लोगों के सम्मान की एक समृद्ध परंपरा रही है, जो औजार के साथ अपने हाथों से काम करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां कुछ क्षेत्रों के कारीगरों पर कुछ ध्यान दिया गया, वहीं बढ़ई, लुहार, मूर्तिकार, राजमिस्त्री और अन्य कारीगर, जैसे कई वर्ग, जो समाज के अभिन्न अंग हैं, तथा बदलते समय के साथ देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं, की उपेक्षा की गई।

गांधी जी की ग्राम स्वराज की अवधारणा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कृषि के साथ-साथ ग्रामीण जीवन में इन व्यवसायों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "भारत की विकास यात्रा के लिए गांव का विकास जरूरी है और इसके लिए गांव के हर वर्ग को सशक्त बनाना आवश्यक है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से रेहड़ी विक्रेताओं को मिलने वाले लाभ के समान, पीएम विश्वकर्मा योजना से कारीगरों को फायदा होगा।

प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा की जरूरतों के अनुरूप, कौशल अवसंरचना प्रणाली को फिर से तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने मुद्रा योजना का उदाहरण दिया, जहां सरकार बिना किसी बैंक गारंटी के करोड़ों रुपये का कर्ज उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना द्वारा हमारे विश्वकर्मा को अधिकतम लाभ प्रदान किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वकर्मा साथियों के लिए प्राथमिकता के आधार पर डिजिटल साक्षरता अभियान की आवश्यकता पर बल दिया।

हाथ से बने उत्पादों के निरंतर आकर्षण का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार देश के प्रत्येक विश्वकर्मा को समग्र संस्थागत सहायता प्रदान करेगी। यह आसान ऋण, कौशल, तकनीकी सहायता, डिजिटल सशक्तिकरण, ब्रांड प्रचार, विपणन और कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा, "योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को बनाए रखते हुए, उन्हें विकसित करना है।" हमारा उद्देश्य है कि आज के विश्वकर्मा कल के उद्यमी बनें। इसके लिए, उनके व्यापार मॉडल में स्थायित्व आवश्यक है।"

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि कारीगर और शिल्पकार मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनते हैं, तो उन्हें मजबूत किया जा सकता है और उनमें से कई हमारे एमएसएमई क्षेत्र के लिए आपूर्तिकर्ता और उत्पादक बन सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने सभी हितधारकों से पीएम विकास के क्रियान्वयन के लिए एक मजबूत रूपरेखा तैयार करने का अनुरोध किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार देश के दूर-दराज इलाकों में लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है और उनमें से कई लोगों को पहली बार सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अधिकांश कारीगर दलित, आदिवासी, पिछड़े समुदायों से हैं या महिलाएं हैं और उन तक पहुंचने व उन्हें लाभ प्रदान करने के लिए एक व्यावहारिक रणनीति की आवश्यकता होगी। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, "इसके लिए, हमें मिशन मोड में समयबद्ध तरीके से काम करना होगा।’’

प्रधानमंत्री के विशेष संबोधन के बाद चार समानांतर ब्रेकआउट सत्र हुए जिनमें (i) डिजिटल लेन-देन और सामाजिक सुरक्षा को प्रोत्साहन समेत किफायती वित्तपोषण तक पहुंच  (ii) उन्नत कौशल प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरणों व प्रौद्योगिकी तक पहुंच  (iii) घरेलू और वैश्विक बाजारों के साथ जुड़ने के लिए विपणन सहायता (iv) योजना की संरचना, लाभार्थियों की पहचान और क्रियान्वयन का ढांचा, शामिल थे। पैनल में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ कारीगर, केंद्रीय मंत्रालयों व राज्य सरकारों के अधिकारी और बैंकों, अन्य वित्तीय संस्थानों, निजी संगठनों, संघों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग द्वारा डिजिटल लेन-देन और सामाजिक सुरक्षा को प्रोत्साहन समेत किफायती वित्तपोषण तक पहुंच विषय पर पहले ब्रेकआउट सत्र का संचालन किया गया जोकि किफायती ऋण तक पहुंच, ऋण के प्रकार, डिजिटल लेन-देन और सामाजिक सुरक्षा को प्रोत्साहन पर केंद्रित था। पैनलिस्टों में विशेषज्ञ कारीगर श्री धनलकोटा राव (विशेषज्ञ सुनार), श्री गणेश डोइफोडे (चमड़ा विशेषज्ञ) और श्री रोहित धीमान (विशेषज्ञ बढ़ई) शामिल थे। अन्य पैनलिस्टों में श्री प्रवीण सोलंकी (सचिव, कुटीर और ग्रामीण उद्योग गुजरात सरकार), श्री सुनील मेहता (सीईओ, इंडियन बैंक एसोसिएशन), श्री वी. सत्य वेंकट राव (उप-प्रबंध निदेशक, सिडबी) और श्री गौतम जैन (प्रबंध निदेशक, वेदिका क्रेडिट कैपिटल लिमिटेड) शामिल थे। विभिन्न हितधारकों से जो महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए, उनमें ब्याज अनुदान की आवश्यकता, न्यूनतम गारंटी शुल्क के साथ क्रेडिट गारंटी फंड से सहायता के रूप में बिना जमानत के ऋण, महिला उद्यमियों के लिए विशेष प्रावधान, डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित करने और पेंशन व बीमा आदि के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के महत्व जैसे विषय शामिल थे। किफायती ऋण की उपलब्धता से जुड़ी बाधाएं छोटे उद्यमियों द्वारा सामना की जाने वाली एक महत्वपूर्ण चुनौती और कम ब्याज दर पर बिना जमानत के ऋण प्रदान करने व शुरुआती ऋण को चुकाने पर अतिरिक्त ऋण प्रदान करने एवं ऋण प्राप्त करने के लिए न्यूनतम दस्तावेज उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर विस्तार से विचार किया गया। इस चर्चा से कुछ प्रमुख बिंदु उभर कर सामने आए।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा उन्नत कौशल प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरणों व प्रौद्योगिकी तक पहुंचविषय पर दूसरे ब्रेकआउट सत्र का संचालन किया गया जिसमें उन्नत कौशल प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरणों व प्रौद्योगिकी की व्यवस्था और घरेलू एवं वैश्विक बाजारों के साथ संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता पर चर्चा की गई। पैनलिस्टों में विशेषज्ञ कारीगर श्री मनसुख भाई प्रजापति, विशेषज्ञ कुम्हार और मिट्टीकूल (बिना बिजली के चलने वाला मिट्टी से बना रेफ्रिजरेटर) के आविष्कारक, श्री शादाब खान (विशेषज्ञ लाख चूड़ी निर्माता) और श्री नरेश विश्वकर्मा (विशेषज्ञ लुहार) शामिल थे। अन्य पैनलिस्टों में श्री मनु श्रीवास्तव (एसीएस, मध्य प्रदेश सरकार), श्री राजीव सक्सेना (संयुक्त सचिव, वस्त्र मंत्रालय) और श्री अनिल कुमार पीपल (वरिष्ठ निदेशक, एईआईटीवाई) शामिल थे। इस सत्र में प्रशिक्षण प्रदान करने में विशेषज्ञ कारीगरों और शिल्पकारों की भागीदारी, उन्हें आधुनिक और तकनीकी रूप से कुशल टूलकिट व मशीनरी प्रदान करने का महत्व, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों से निपटने एवं कच्चे माल के बैंकों की स्थापना आदि सहित कई सुझाव प्राप्त हुए। प्रतिभागियों ने कौशल प्रशिक्षण में भाग लेने वाले कारीगरों के लिए मजदूरी मुआवजा प्रदान करने की आवश्यकता और अन्य मंत्रालयों/विभागों में मौजूदा योजनाओं के साथ पीएम-विकास के समन्वय की संभावना विचार-विमर्श किया।

वस्त्र मंत्रालय द्वारा घरेलू और वैश्विक बाजारों के साथ जुड़ने के लिए विपणन सहायता विषय पर तीसरे ब्रेकआउट सत्र का संचालन किया गया। इस सत्र में कारीगरों को दी जाने वाली विपणन सहायता, उत्पादों के लिए बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज, प्रमाणीकरण और पैकेजिंग की व्यवस्था करने तथा अपने बाजारों के अवसरों को बेहतर बनाने पर केंद्रित था। पैनलिस्टों में विशेषज्ञ कारीगर शुभम सतपुते (चमड़ा विशेषज्ञ), श्री बिहारी लाल प्रजापति (विशेषज्ञ कुम्हार) और श्री एम. मणिकंदन (विशेषज्ञ मूर्तिकार) शामिल थे। अन्य पैनलिस्टों में श्री अभिषेक चंद्र (विशेष सचिव, त्रिपुरा सरकार), श्री इरफान आलम (निदेशक, खादी इंडिया पोर्टल), श्रीमती प्राची भूचर (मीशो ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म), श्री पी. गोपालकृष्णन (अध्यक्ष, एचईपीसी) और श्री राजकुमार मल्होत्रा (अध्यक्ष, ईपीसीएच) शामिल थे। इस सत्र में विपणन गतिविधियों को बढ़ावा देने, वस्तुओं की पकैजिंग, वैश्विक बाजार से संपर्क को बेहतर बनाना, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाना आदि के लिए विपणन एजेंसी/इकाई की स्थापना को लेकर विभिन्न महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए।

एमएसएमई मंत्रालय द्वारा योजना की संरचना, लाभार्थियों की पहचान और क्रियान्वयन का ढांचा विषय पर चौथे ब्रेकआउट सत्र का संचालन किया गया जोकि मुख्य रूप से योजना के क्रियान्वयन ढांचे, हितधारकों की भूमिका, ब्याज दर, गारंटी कवरेज, अन्य योजनाओं के साथ समन्वय, लाभार्थियों की पहचान के लिए व्यवस्था आदि पर केंद्रित था। पैनलिस्टों में विशेषज्ञ कारीगर पद्मश्री श्री वी के मुनुसामी (मिट्टी के बर्तनों और टेराकोट के विशेषज्ञ कलाकार), श्री विश्वनाथन आचार्य (पारंपरिक कारीगरों के लिए अन्वेषक व समन्वयक) और सुश्री केविसेडेनुओ मार्गरेट जिन्यू (विशेषज्ञ डिजाइनर) शामिल थे। अन्य पैनलिस्टों में श्री अमित मोहन प्रसाद (अपर मुख्य सचिव, यूपी), सुश्री मुदिता मिश्रा (अपर आयुक्त हस्तशिल्प, वस्त्र मंत्रालय), श्री मुकेश कुमार बंसल (संयुक्त सचिव, डीएफएस), श्री कृष्ण कुमार द्विवेदी (संयुक्त सचिव एवं सीवीओ, एमएसडीई), श्री विनीत कुमार (सीईओ, केवीआईसी) और सुश्री शालिनी पांडे (निदेशक, एमओएचयूए) शामिल थे। इस सत्र में लाभार्थियों की पहचान, ऋण सहायता, डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहन, सामाजिक सुरक्षा का महत्व, कौशल प्रशिक्षण, उपकरण एवं प्रौद्योगिकी तक पहुंच, विपणन और लॉजिस्टिक सहायता, क्रियान्वयन ढांचा, केन्द्र/ राज्य सरकार के विभागों/एजेंसियों की भूमिका, निगरानी ढांचा और एमआईएस प्रणाली को लेकर विभिन्न हितधारकों से सुझाव प्राप्त हुए।

ब्रेकआउट सत्र के बाद समापन सत्र की सह-अध्यक्षता वस्त्र मंत्रालय की सचिव श्रीमती रचना शाह और एमएसएमई के सचिव श्री बी.बी. स्वैन ने की। ब्रेकआउट सत्रों के संचालकों में डॉ. रजनीश, एएस एंड डीसी (एमएसएमई), श्री नीलांबुज शरण (वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय), सुश्री शुभ्रा (व्यापार सलाहकार और डीसी (हस्तशिल्प और हथकरघा, वस्त्र मंत्रालय) और श्री मुकेश कुमार बंसल, संयुक्त सचिव (वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय) शामिल थे। पैनल के सदस्यों ने संबंधित सत्रों में हुई चर्चाओं से निकले बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया। एमएसएमई के सचिव श्री बी.बी स्वैन ने इस पहल के महत्व पर जोर दिया जो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

समापन सत्र में बोलते हुए, एमएसएमई मंत्री श्री नारायण राणे ने प्रधानमंत्री को उनके प्रेरक संदेश और विचारों के लिए धन्यवाद दिया, जो हमें अमृतकाल की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने इस वेबिनार में भाग लेने वाले विशेषज्ञ कारीगरों और शिल्पकारों समेत सभी पैनलिस्टों को धन्यवाद दिया और योजना की संरचना तैयार करने के लिए अपने सुझाव एवं विचार व्यक्त किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान (पीएम विकास) योजना पर 2023 की बजट घोषणा उन स्थानीय पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की पहचान करने के लिए सरकार की एक परिवर्तनकारी पहल है जो अब तक किसी भी लक्षित कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थे। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि यह योजना स्थानीय रचनात्मक उद्योगों को सहायता प्रदान करेगी और वित्तीय समावेशन व लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हुए सशक्त एवं समावेशी अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने की प्रक्रिया को मजबूती देगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि एमएसएमई मंत्रालय के अधिकारी पीएम-विकास योजना को डिजाइन करने और लागू करने के लिए प्रभावी एवं समयबद्ध कार्य योजना के लिए सभी हितधारकों से मिले सुझावों पर आगे विचार-विमर्श करेंगे।

समापन सत्र के बाद वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल का संबोधन हुआ। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि सरकार द्वारा आयोजित बजट-उपरांत वेबिनार ने नीतिगत चर्चा को और समृद्ध बनाया है। उन्होंने अन्य मंत्रालयों/विभागों में मौजूदा योजनाओं के साथ पीएम विकास योजना के समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस योजना के कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के महत्व के बारे में भी बताया। इस सत्र में एमएसएमई राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा और वस्त्र राज्य मंत्री श्री दर्शना विक्रम जरदोश भी उपस्थित थीं।

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