विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
नवीनतम भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिए लोक सेवकों का क्षमता निर्माण किया जाएगा : केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
डॉ. सिंह ने हैदराबाद में एनआईजीएसटी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इंफॉर्मेटिक्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी) का दौरा करते हुए संकाय सदस्यों और प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की और इसकी समीक्षा बैठक की
डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (एनजीपी) 2022 के अनुसार, भू-स्थानिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में ऑनलाइन पाठ्यक्रम आईजीओटी (iGoT) कर्मयोगी मंच के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने हैं
केंद्रीय मंत्री ने कहा - सरकार द्वारा उल्लिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एनआईजीएसटी की पुनर्गठन प्रक्रिया चल रही है और क्षमता विस्तार एवं प्रशिक्षण गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्रवाई शुरू की गई है
Posted On:
16 FEB 2023 3:21PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज घोषणा की है कि प्रौद्योगिकी संचालित शासन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अभिरुचि को ध्यान में रखते हुए, लोक (सिविल सेवकों) के क्षमता निर्माण में ऐसी नवीनतम भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी को शामिल किया जाएगा जो हमारे लिए और साथ ही विश्व भर में उपलब्ध नवीनतम प्रौद्योगिकियों में से एक है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह कहते हुए कि वह हमेशा से ही कामकाज और पूरी सरकार की अवधारणा में व्यापक एकीकरण के बारे में कहते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज वह अपने से जुड़े दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों, अर्थात् कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी (डीएसटी) के बीच एकीकरण को देखकर बहुत प्रसन्न हैं।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि राष्ट्रीय भू-सूचना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इंफॉर्मेटिक्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी – एनआईजीएसटी), हैदराबाद के पास सिविल सेवा के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों में पर्याप्त क्षमता और विशेषज्ञता उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (नेशनल जिओस्पैचियल पालिसी – एनजीपी) 2022 के अनुसार, भू-स्थानिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में ऑनलाइन पाठ्यक्रम आईजीओटी (iGoT) कर्मयोगी मंच के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने हैं।
मंत्री महोदय ने हैदराबाद में संस्थान की सुविधाओं का दौरा किया और वहां संकाय सदस्यों एवं प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की। एनआईजीएसटी और इसकी विभिन्न सुविधाओं, संचालित पाठ्यक्रमों आदि के बारे में केंद्रीय मंत्री के समक्ष एक विस्तृत प्रस्तुति भी दी गई।
राष्ट्रीय भू-सूचना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इंफॉर्मेटिक्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी – एनआईजीएसटी) में अपनी बातचीत के दौरान डॉ. सिंह ने कहा कि एनआईजीएसटी आधारभूत भू-स्थानिक प्रणाली (जीआईएस), ड्रोन सर्वेक्षण और मानचित्रांकन (मैपिंग), जीआईएस विश्लेषण, भूमि सर्वेक्षण, भू सम्पत्ति मानचित्रांकन (कैडस्ट्राल मैपिंग), वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली (ग्लोबल नेविगेशनल सॅटॅलाइट सिस्टम – जीएनएसएस) डिजिटल मैपिंग, लिडार (एलआईडीएआर) मैपिंग, उपयोगिता (यूटिलिटी) मैपिंग, त्रि –आयामी नगरीय (3डी-सिटी) मैपिंग, जियोइड मॉडलिंग, निरंतर संचालित सन्दर्भ केंद्र (कंटीन्यूअस ऑपरेटिंग रेफेरेन्स स्टेशन – सीओआरएस) नेटवर्क आदि द्वारा सर्वेक्षण के क्षेत्रों में दक्षताओं और भूमिका आधारित शिक्षा के साथ सिविल सेवा प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ा सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (एनजीपी), 2022 ने राष्ट्रीय विकास और आर्थिक समृद्धि का समर्थन करने के लिए भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र विकास के लिए व्यापक रूपरेखा निर्धारित की है। उन्होंने कहा कि इसने पूरे देश में भू-स्थानिक कौशल और ज्ञान मानकों को विकसित करने पर जोर दिया है क्योंकि नीति में भू-स्थानिक पेशेवरों, उनके प्रशिक्षण और भू-स्थानिक और संबद्ध प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता बताई गई है। उन्होंने यह भी कहा कि एनजीपी भू- स्थानिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेष पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एनआईजीएसटी को उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ़ एक्सेलेंस - सीओई) में विकसित करने के बारे में स्पष्ट रूप से बात करता है।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार द्वारा उल्लिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एनआईजीएसटी के पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है और डिजिटल कक्षाएं (क्लासरूम), प्रयोगशाला (लैब), क्षेत्रवार उपकरण (फील्ड इंस्ट्रूमेंट्स), प्रयोगात्मक क्षेत्र (प्रैक्टिकल फील्ड) सर्वेक्षण अभ्यास, छात्रावास सुविधाएं आदि सहित सुविधाओं के आधुनिकीकरण के साथ क्षमता विस्तार और प्रशिक्षण गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्रवाई शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने शासी परिषदों (बोर्ड ऑफ गवर्नर्स), मूल्यांकन परिषद (इवैल्यूएशन बोर्ड) और पाठ्य समिति (बोर्ड ऑफ स्टडीज) के साथ नई संस्थागत शासन प्रणाली को मंजूरी देकर कार्यान्वित किया है। इन बोर्डों में प्रमुख विशेषज्ञ, प्रमुख संस्थानों के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञ, उद्योग विशेषज्ञ और भारतीय सर्वेक्षण विभाग (सर्वे ऑफ़ इंडिया– एसओआई) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि बोर्ड ऑफ स्टडीज ने वर्तमान तकनीक और उपयोगकर्ताओं की कार्यात्मक आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम और पाठ्यक्रम मॉड्यूल में संशोधन किया है। इसी तरह, मूल्यांकन बोर्ड ने भी सभी प्रशिक्षणों के लिए मूल्यांकन और मूल्यांकन प्रक्रियाओं को संशोधित करने के साथ ही संकाय विकास कार्यक्रम, परामर्श, प्रौद्योगिकी समाधानों का उपयोग आदि शुरू किया है।
राष्ट्रीय भू-सूचना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इंफॉर्मेटिक्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी –एनआईजीएसटी) को पहले भारतीय सर्वेक्षण और मानचित्रण संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सर्वे एंड मैपिंग–आईआईएसएम) के रूप में जाना जाता था। भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत एक सर्वेक्षण और मानचित्रण प्रशिक्षण संस्थान है, जो पिछले 50 वर्षों में थाईलैंड, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, सऊदी अरब और ओमान जैसे विभिन्न देशों एवं केंद्र और राज्य के मंत्रालयों /एजेंसियों, सुरक्षा एजेंसियां, निजी उद्योग आदि में अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण के लिए जाना जाता है।
*****
एमजी / एएम / एसटी /वाईबी
(Release ID: 1899911)
Visitor Counter : 662