अणु ऊर्जा विभाग
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि देश में 22 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर कार्यरत हैं
माननीय मंत्री ने कहा, पहली बार कैबिनेट ने 2017 में एक लाख पांच हजार करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 10 स्वदेशी रिएक्टरों को मंजूरी दी
1947 से 2013-14 तक परमाणु संयंत्रों से सिर्फ 3533.3 करोड़ यूनिट बिजली प्राप्त हुई, जबकि पिछले साढ़े 8 वर्षों में 1200 करोड यूनिट प्राप्त कर इसे 4711.2 करोड़ यूनिट तक पहुंचा दिया गया: डॉ. जितेंद्र सिंह
Posted On:
09 FEB 2023 7:36PM by PIB Delhi
2014 के बाद जब श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला, तब से भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता में भारी उछाल देखा गया। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2013-14 में यदि वार्षिक परमाणु ऊर्जा उत्पादन 3533.3 करोड़ यूनिट था, तो 2021-22 के नवीनतम वर्ष में यह 4711.2 करोड़ यूनिट है, जो साढ़े आठ साल की एक छोटी अवधि के भीतर लगभग 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि है।
यह बात आज यहां राज्यसभा में परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कही ।
माननीय मंत्री ने भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन में बढ़त को मदद देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लीक से हटकर लिए गए कई फैसलों का हवाला दिया। उदाहरण के लिए उन्होंने कहा, अगर इस सरकार के आने से पहले देश में केवल 22 रिएक्टर थे, तो प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने 2017 में 1,05,000 करोड़ रुपये की कुल लागत पर 7,000 मेगा वाट की कुल क्षमता वाले 11 स्वदेशी दाबानुकूलित भारी जल रिएक्टरों को एक साथ स्वीकृति दी थी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इतना ही नहीं एक अन्य क्रांतिकारी फैसले में जैसा कि अंतरिक्ष विभाग के मामले में किया गया, जिसे निजी क्षेत्र के लिए खोला गया था, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के साथ संयुक्त उद्यमों को भी अनुमति दी । 2015 में इस पर निर्णय के बाद, न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के वर्तमान में दो संयुक्त उद्यम है जिसमें से एक नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी ) और दूसरा इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के साथ है।
इसके अलावा, डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि अतीत में जहां भारत के परमाणु प्रतिष्ठान ज्यादातर दक्षिण भारतीय राज्यों या पश्चिम में महाराष्ट्र और गुजरात तक ही सीमित थे, वहीं मोदी सरकार देश के अन्य हिस्सों में भी इसके विस्तार को बढ़ावा दे रही है। इस संदर्भ में, उन्होंने हरियाणा के गोरखपुर में आगामी परमाणु ऊर्जा संयंत्र का उदाहरण दिया, जो निकट भविष्य में चालू हो जाएगा।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, डॉ जितेंद्र सिंह ने गर्व के साथ कहा कि यूरेनियम -233 का उपयोग करने वाला दुनिया का पहला थोरियम आधारित परमाणु संयंत्र "भवानी" तमिलनाडु के कलपक्कम में स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से स्वदेशी और अपनी तरह का पहला संयंत्र होगा। उन्होंने कहा कि प्रायोगिक थोरियम संयंत्र "कामिनी" कलपक्कम में पहले से मौजूद है।
एमजी/एएम/एसएस/एजे
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