वित्त मंत्रालय
औद्योगिक क्षेत्र सकल मूल वृद्धि (जीवीए) वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में 3.7 प्रतिशत दर्ज की गई
वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद के भाग के रूप में निजी अंतिम उपयोग व्यय (पीएफसीई) वित्त वर्ष 2015 से सभी छमाहियों में सर्वाधिक रहा
वित्त वर्ष 2021 की तुलना में वित्त वर्ष 2022 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में 76 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 21.3 बिलियन अमरीकी डॉलर पर रहा
वित्त वर्ष 2021 में भारतीय औषधि निर्यात में 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई
सितंबर, 2022 में औषधि क्षेत्र में कुल विदेशी निवेश 20 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक हुआ
भारत अब तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मोबाइल बाजार
भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन विनिर्माता
विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के लिए उद्योग जगत की साख में वृद्धि
अगले पांच वर्षों में उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के कारण लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की संभावना
भारत के आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्राप्त करने और वैश्विक मूल श्रृंखला में प्रमुख देश बनने की दिशा में उद्योग 4.0 भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा
Posted On:
31 JAN 2023 1:41PM by PIB Delhi
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 31 जनवरी, 2023 को संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2022-23’ पेश करते हुए बताया कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र सकल मूल वृद्धि (जीवीए) वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में 3.7 प्रतिशत दर्ज की गई है। यह पिछले दशक की पहली छमाही में 2.8 प्रतिशत की औसत वृद्धि से अधिक है।
औद्योगिक क्षेत्र का सारांश
संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में उद्योग क्षेत्र में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। वित्त वर्ष 2022 में यह 10.3 प्रतिशत थी। यह निवेश मूल्य के दबाव, आपूर्ति श्रृंखला में बाधा और चीन में लॉकडाउन के प्रभाव से आवश्यक निवेश में कमी तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीमे होने के कारण हुआ है।
समीक्षा में पीएलआई योजना से विनिर्माण क्षमता में वृद्धि, निर्यात में तेजी, आयात पर निर्भरता में कमी और रोजगार सृजन में वृद्धि को रेखांकित किया गय है। समीक्षा के अनुसार निवेश मूल्य में आसानी और मांग की स्थितियों मे वृद्धि से ओवरऑल औद्योगिक वृद्धि में मदद मिलेगी।
औद्योगिक विकास के लिए मांग में प्रोत्साहन
समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में जीडीपी के हिस्से के रूप में निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) वित्त वर्ष 2015 के बाद सबसे अधिक थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में निर्यात प्रोत्साहन में मजबूत दिखाई दी, जबकि जीडीपी के हिस्से के रूप में वस्तु और सेवा निर्यात वित्त वर्ष 2016 के बाद वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में सर्वाधिक था।
समीक्षा में मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में निर्यात में वृद्धि में कमी आने की चेतावनी दी गई है। घरेलू खपत में मजबूत वृद्धि और निवेश में सुधार से औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि जारी रहेगी।
चित्र IX.1: उत्पादन क्षेत्र में बढ़ता निजी निवेश
समीक्षा में वित्त वर्ष 2023 में अप्रैल से दिसंबर के बीच नये निवेश की घोषणा वित्त वर्ष 2020 की इसी अवधि की तुलना में पांच गुना अधिक होने पर बल दिया गया है। इसमें कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग बढ़ रहा है, जिससे नये निवेश से अतिरिक्त क्षमता तैयार होगी।
उद्योग की आपूर्ति प्रतिक्रिया
क्रेता के विनिर्माता सूचकांक (पीएमआई) जुलाई, 2021 से 18 महीनों के लिए विस्तारित क्षेत्र बना हुआ है और इसके उप-सूचकांकों ने निवेश लागत दबावों की आसान गति, आपूर्तिकर्ता वितरण समय में सुधार, मजबूत निर्यात आदेश और भविष्य के आउटपुट का संकेत समीक्षा में प्रमुखता से दिया गया है।
पीएमआई विनिर्माण में वृद्धि जारी
समीक्षा के अनुसार कोयला, उर्वरक, इस्पात, बिजली, रिफाइनरी उत्पाद, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस के आठ प्रमुख उद्योगों में उत्पादन की मांग पूरा करना महत्वपूर्ण है।
समीक्षा के अनुसार उत्पादन आउटपुट की निरंतर वृद्धि समग्र औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) उत्पादक टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं में दबी हुई खपत मांग की साथ दिखाई दी। पूंजीगत वस्तुओं और बुनियादी ढांचे की वस्तुओं के उत्पादन में मजबूत वृद्धि अगले वित्त वर्ष में निजी क्षेत्र में निवेश की शुरुआत का संकेत है।
उद्योग के लिए बैंक ऋण में मजबूत वृद्धि
समीक्षा के अनुसार उद्योग जगत के सकल ऋण में जनवरी, 2020 की तुलना में बढ़कर जुलाई, 2022 में दोहरे अंकों में वृद्धि हुई। इसके अनुसार आपात ऋण संबद्ध गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) की घोषणा के बाद एमएसएमई क्षेत्र के ऋण में भी महत्वपूर्ण वृद्धि दिखाई दी।
विनिर्माण क्षेत्र में लचीला एफडीआई प्रवाह
विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई निवेश वित्त वर्ष 2021 के 12.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 21.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जबकि एफडीआई में निवेश महामारी पूर्व के स्तर से ऊपर रहा है।
2022-23 के दौरान अप्रैल से सितंबर, 2022 में क्षेत्रवार एफडीआई निवेश
औद्योगिक समूह की विशेषताएं
1) सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)
समीक्षा के अनुसार एमएसएमई का विनिर्माण क्षेत्र में योगदान वित्त वर्ष 2021 की तुलना में कुछ कम होकर 36 प्रतिशत पर आ गया। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के माध्यम से सरकार ने एमएसएमई पर महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
समीक्षा के अनुसार महामारी के झटके से एमएसएमई क्षेत्र की बहाली इन इकाइयों के जीएसटी भुगतान रुझान से स्पष्ट है। वित्त वर्ष 2022 में क्षेत्र द्वारा किय गया भुगतान वित्त वर्ष 2020 में महामारी के पहले स्तर को पार कर गया।
2. इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग
समीक्षा के अनुसार नवंबर, 2022 में इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं में सकारात्मक निर्यात वृद्धि दिखाई दी। इसके अनुसार मोबाइल फोन के मामले में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है।
वित्त वर्ष 2015 में जहां 6 करोड़ मोबाइल फोन बनते थे, वित्त वर्ष 2022 में इनकी संख्या 31 करोड़ हो गई।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में तेज वृद्धि
3) कोयला उद्योग
वित्त वर्ष 2023 में कोयला का उत्पादन बढ़कर 911 मिलियन टन होने का अनुमान है। पिछले वर्ष की तुलना में यह लगभग 17 प्रतिशत अधिक है। कोयला उद्योग के वित्त वर्ष 2026 तक एक बिलियन टन और 2030 तक 1.5 बिलियन टन तक पहुंचने की आशा है।
4) इस्पात उद्योग
आर्थिक समीक्षा में मौजूदा वित्त वर्ष में इस्पात क्षेत्र के प्रदर्शन में मजबूती को रेखांकित किया गया है। अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान तैयार इस्पात का कुल उत्पादन और उपभोग 88 मिलियन टन और 86 मिलियन टन पर पहुंच गया है। यह पिछले चार वर्ष की अवधि में वृद्धि को प्रदर्शित करता है।
वित्त वर्ष 2020 के महामारी-पूर्व के स्तर की तुलना में लोहे और इस्पात का निर्यात अधिक रहा है।
इस्पात उत्पादन और खपत में वृद्धि (अप्रैल से दिसंबर)
5) वस्त्र उद्योग
चालू वित्त वर्ष में वस्त्र उद्योग वित्त वर्ष 2022 की तुलना में निर्यात में धीमी गति का सामना कर रहा है। इसी अवधि के दौरान रेडीमेड गारमेंट के निर्यात में साल दर साल आधार पर 3.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
वस्त्र उद्योग की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के लिए सरकार ने सात पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन और अपैरल (पीएम मित्रा) पार्कों की स्थापना को स्वीकृति दी और 10,683 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अगले पांच वर्षों के लिए वस्त्र पीएलआई योजना की शुरूआत की।
6) औषधि उद्योग
समीक्षा के अनुसार भारतीय औषधि निर्यात में वित्त वर्ष 2021 में 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसके अनुसार भारत का घरेलू औषधि बाजार के वर्ष 2021 में 41 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 2024 तक 65 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने की आशा है। इसके वर्ष 2030 तक 130 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
सितंबर, 2022 में औषधि क्षेत्र में संचयी एफडीआई 20 बिलियन अमरीकी डॉलर को पार कर गई। इसके अलावा एफडीआई अंतर्वाह पांच वर्षों में चार गुना बढ़कर सितंबर, 2022 तक 699 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
7) ऑटो मोबाइल उद्योग
आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारत दिसंबर, 2022 में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर बिक्री के मामले में तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मोबाइल बाजार बन गया है। 2021 में भारत सबसे बड़ा दोपहिया और तिपहिया वाहन निर्माता तथा यात्री कार के मामले में चौथा सबसे बड़ा निर्माता था।
घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार के 2022 और 2030 के बीच 49 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने की आशा है और इसके 2030 तक 10 मिलियन इकाइयों की वार्षिक बिक्री तक पहुंचने की आशा है। इससे 2030 तक 5 करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
नवाचार को प्रोत्साहन
समीक्षा के अनुसार वर्ष 2016 से 2021 के दौरान पेटेंट की घरेलू फाइलिंग में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो ज्ञान आधारित व्यवस्था की ओर भारत के अग्रसर होने का संकेत है।
डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप (सेल्फ-रिपोर्टेड) से 9 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित हुई हैं। पिछले तीन वर्षों में सृजित की गई नई नौकरियों की औसत संख्या की तुलना में 2022 में 64 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
उद्योग 4.0
समीक्षा के अनुसार उद्योग 4.0 के अंतर्गत क्लाउड कम्प्यूटिंग, आईओटी, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) जैसी नई तकनीकों को विनिर्माण प्रक्रियाओं में एकीकृत करता है, जिससे मूल्य श्रृंखला प्रभावित होती है। सरकार द्वारा की गई समर्थ (स्मार्ट एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग एंड रैपिड ट्रांसफॉर्मेशन हब) उद्योग भारत 4.0 शामिल है। इसका उद्देश्य जागरुकता कार्यक्रमों और प्रदर्शन के माध्यम से भारतीय विनिर्माण इकाइयों के लिए तकनीकी समाधान को बढ़ावा देना है।
मेक इन इंडिया 2.0
समीक्षा के अनुसार मेक इन इंडिया 2.0 इस समय 27 क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है। इनमें 15 विनिर्माण क्षेत्र और 12 सेवा क्षेत्र हैं।
उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना
पीएलआई योजना से अगले पांच वर्ष के दौरान लगभग चार लाख करोड़ रुपये के निवेश की आशा है। इससे भारत में 60 लाख नौकरियों के अवसर सृजित होने की संभावना है। यह योजना 14 क्षेत्रों में फैली है। इसके वित्त वर्ष 2023 में वार्षिक विनिर्माण निवेश में 15 से 20 प्रतिशत वृद्धि की आशा है।
समीक्षा के अनुसार लगभग वित्त वर्ष 2022 के दौरान 47,500 करोड़ रुपये (6 बिलियन अमरीकी डॉलर) का वास्तविक निवेश हुआ। उत्पादन/बिक्री 3.85 लाख करोड़ रुपये (47 बिलियन अमरीकी डॉलर) का रहा, जबकि 3 लाख के आसपास रोजगार के अवसर सृजित हुए।
समीक्षा के मुताबिक थोक औषधि चिकित्सा उपकरण, दूरसंचार, दुग्ध उत्पाद और खाद्य प्रसंस्करण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सौ से अधिक एमएसएमई पीएलआई योजना के लाभार्थी हैं।
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