मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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पशुपालन और डेयरी विभाग के केंद्रीय सचिव ने गोवा में क्षेत्रीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

Posted On: 24 NOV 2022 6:05PM by PIB Delhi

पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में आज गोवा में एक क्षेत्रीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक के दौरान दक्षिण और पश्चिमी राज्यों के पशुपालन और डेयरी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की प्रगति पर चर्चा की।

सचिव (एएचडी) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पशुधन क्षेत्र 2014-15 से 2020-21 (स्थिर मूल्यों पर) की अवधि के दौरान 7.93% की उच्च चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से लगातार बढ़ रहा है। इसके अलावा पशुधन क्षेत्र ने वर्ष 2020-21 के दौरान कुल कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र जीवीए (स्थिर कीमतों पर) में लगभग 30% का योगदान दिया है।

इस बैठक में सचिव ने राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही सभी पशुपालन और डेयरी योजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के पास पड़ी किसी भी अव्ययित शेष राशि को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। केंद्रीय सचिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि एकल नोडल खाता, केंद्रीय नोडल एजेंसी खाते खोलने, पीएफएमएस के साथ उनकी मैपिंग, अप्रयुक्त शेष राशि पर ब्याज से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर हल करने की आवश्यकता है, ताकि भारत सरकार चालू वर्ष के दौरान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को धन जारी करने में सक्षम हो सके। उन्होंने देश भर में एफएमडी और ब्रुसेला के खिलाफ टीकाकरण की स्थिति, मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) के संचालन, दूध की स्थिति, चारे की कमी और इसकी कीमतों आदि की भी समीक्षा की।

उन्होंने उल्लेख किया कि स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधान के माध्यम से पशुधन का संरक्षण विभाग के लिए एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है। हाल ही में देश में गांठदार त्वचा रोग और अन्य गंभीर जूनोटिक रोग फैलते देखे गए हैं। इस प्रकार देश में पशु रोगों के नियंत्रण और उन्मूलन के लिए विभाग ने दिसंबर, 2022 तक एफएमडी और फरवरी, 2023 तक गांठदार त्वचा रोग के खिलाफ टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पशुधन और डेयरी किसानों तक योजना के लाभों को बेहतर ढंग से पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा, राज्य सरकारों और जिला अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी के साथ राज्यों में जागरूकता अभियान आयोजित किए जाएं।

एमजी/एएम/एबी /वाईबी  


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