जल शक्ति मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा 2022 : पेयजल और स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय


जल जीवन मिशन के तहत 10.8 करोड़ ग्रामीण परिवारों को पेयजल के कनेक्शन दिए गए

एसबीएम-जी (द्वितीय चरण) के तहत 2022 में 1 लाख से अधिक गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया गया, इसका लक्ष्य 2024-25 तक सभी गांवों को ओडीएफ से ओडीएफ प्लस में बदलना है

जल जीवन मिशन (जेजेएम): 2022 की मुख्य विशेषताएं

जल जीवन मिशन 2024 तक हर ग्रामीण परिवार को नल का जल सुविधा प्रदान करने के सरकार के संकल्प को पूरा करने की राह पर है

Posted On: 27 DEC 2022 7:40PM by PIB Delhi

भारत सरकार राज्यों के साथ साझेदारी में 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से जल आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए जल जीवन मिशन (जेजेएम) को लागू कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जब लाल किले की प्राचीर से जल जीवन मिशन की घोषणा की थी, तब कुल 19.35 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17%) ग्रामीण परिवारों के घरों में नल से जलापूर्ति की सुविधा थी। भारत सरकार ने 2024 तक शेष 16.12 करोड़ परिवारों को नल का जल की सुविधा प्रदान करने का संकल्प लिया है। 21 दिसंबर 2022 तक, 10.76 करोड़ (55.62%) से अधिक ग्रामीण परिवारों को पर्याप्त मात्रा में और निर्धारित गुणवत्ता के साथ नियमित आधार पर पेयजल के कनेक्शन प्रदान किए जा रहे हैं। चार राज्यों अर्थात् गोवा, तेलंगाना, गुजरात तथा हरियाणा और 3 केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी, दमन एवं दीव और दादरा एवं नगर हवेली और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को हर घर जल के रूप में दर्ज किया गया है, अर्थात इन राज्यों के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से जल की आपूर्ति हो रही है। पंजाब (99.93%), हिमाचल प्रदेश (97.17%) और बिहार (95.76%) 'हर घर जल' का दर्जा पाने की कगार पर हैं।

  • देश भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में जल जीवन मिशन (जेजेएम) ने 19 अगस्त 2022 को 10 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल के माध्यम से सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराकर एक नया मील का पत्थर हासिल किया है।
  • गोवा, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, पुडुचेरी, दमन एवं दीव और दादरा एवं नगर हवेली और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में, प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से जलापूर्ति हो रही है।
  • अब तक, देश के 125 जिलों और 1,61,704 गांवों को "हर घर जल" के रूप में दर्ज किया गया है।
  • मध्य प्रदेश का बुरहानपुर जिला जुलाई, 2022 में भारत का पहला 'हर घर जल' प्रमाणित जिला बना।
  • अगस्त, 2022 में गोवा पहला 'हर घर जल' प्रमाणित राज्य और दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव भारत का पहला 'हर घर जल' प्रमाणित केंद्र शासित प्रदेश बना।
  • गोवा के सभी 2.63 लाख ग्रामीण परिवारों और दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव के 85,156 घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
  • सितंबर, 2022 में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह भारत का पहला 'स्वच्छ सुजल प्रदेश' बना।
  • अब तक, देश भर में 8.73 लाख (84.83%) स्कूलों और 9.02 लाख (80.79%) आंगनवाड़ी केंद्रों को पीने और मध्याह्न भोजन पकाने और हाथ धोने के लिए पीने योग्य नल का जल उपलब्ध करा दिया गया है।
  • अब तक, 5.18 लाख ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति / पानी समितियों का गठन किया गया है, और निरंतर पेयजल आपूर्ति प्रबंधन के लिए 5.09 लाख ग्राम कार्य योजनाएं (वीएपी) विकसित की गई हैं।
  • अब तक, 1.95 लाख गांवों में 16.22 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के माध्यम से जल गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
  • वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, प्रयोगशालाओं में 27.16 लाख से अधिक पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया है और फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके 57.99 लाख नमूनों का परीक्षण किया गया है।
  • केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 अक्टूबर, 2022 को 'स्वच्छ भारत दिवस' की पूर्व संध्या पर भारत के राष्ट्रपति को स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 और जेजेएम कार्यात्मकता आकलन 2022 की पहली प्रतियां भेंट कीं।
  • उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने जल जीवन सर्वेक्षण (जेजेएस) टूलकिट और डैशबोर्ड 2023 का शुभारंभ किया।
  • जल जीवन मिशन माताओं और बहनों को घरेलू इस्तेमाल के लिए पानी लाने के सदियों पुराने कठिन परिश्रम से मुक्ति दिलाने और उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रयासरत है।

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हर घर जल प्रमाणन:

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एक बार जब किसी गांव को हर घर जल घोषित कर दिया जाता है, तो उस गांव की ग्राम पंचायत एक विशेष ग्राम सभा आयोजित करती है और गांव के सभी सदस्यों की सहमति से एक प्रस्ताव पारित करती है कि उनके गांव के सभी घरों, स्कूलों, आंगनवाड़ी और सार्वजनिक संस्थानों में नल का जल कनेक्शन काम कर रहा है और इस तरह खुद को 'हर घर जल प्रमाणित' घोषित करती है। अब तक, 56 जिले, 413 प्रखंड (ब्लॉक), 34,452 पंचायतें, और 49,928 गांव 'हर घर जल' प्रमाणित हैं, मतलब, सभी घरों में नल का जल कनेक्शन है।

जेई-एईएस प्रभावित जिलों में पीने योग्य नल का जल कनेक्शन की उपलब्धता

भारत सरकार जल जीवन मिशन के तहत सभी घरों में पीने योग्य नल का जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) - एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (1) (एईएस) प्रभावित जिलों को प्राथमिकता देती है। 5 राज्यों में जेई/एईएस से प्रभावित 61 जिलों में, नल का जल कनेक्शन पाने वाले परिवारों की संख्या 8 लाख (2.69%) से बढ़कर 147.14 लाख (49.29%) हो गई जिसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों की ग्रामीण आबादी के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ।

 

आकांक्षी जिलों में पीने योग्य नल का जल कनेक्शन की उपलब्धता

देश में 112 आकांक्षी जिले हैं जिनमें से 8 जिलों में सभी ग्रामीण परिवारों को 100% नल का जल कनेक्शन प्रदान कर दिया गया है। आज आकांक्षी जिलों में कुल 2.77 करोड़ घरों में से 1.49 करोड़ घरों (53.99%) को नल का जल मिल रहा है, जो इसकी शुरूआत के समय केवल 21.66 लाख (7.83%) था।

 

सार्वजनिक संस्थानों (स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों) में पेयजल आपूर्ति का प्रावधान:

बच्चों के लिए स्वच्छ जल उनकी बेहतरी और समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। जल जीवन मिशन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो रहा है, क्योंकि स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों (डे केयर) में प्राथमिकता के आधार पर पेयजल की आपूर्ति की जा रही है, जिससे बच्चों में पानी से संबंधित बीमारियों के मामलों में काफी कमी आएगी। शिशुओं और छोटे बच्चों में जल जनित रोगों की संभावना कम होगी और खुले में शौच की समाप्ति के परिणामस्वरूप अतिसार (डायरिया) रोग के कारण बच्चों की मृत्यु की घटनाओं में कमी आएगी।

बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और उनके कल्याण पर ध्यान देने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा 2020 में 'गांधी जयंती' पर स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पीने, खाना पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए पाइप जलापूर्ति का प्रावधान करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया था।

सरकार के निरंतर अथक प्रयास के परिणामस्वरूप 8.72 लाख (84.83%) से अधिक स्कूलों और 9.02 लाख (80.79%) आंगनवाड़ी केंद्रों में नल का जल की आपूर्ति सुनिश्चित हुई है। 4 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों ने स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में 100% नल का जल कनेक्शन सुनिश्चित कर दिया है। शेष राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं ताकि हमारे बच्चों को सुरक्षित पेयजल मिल सके जो शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।

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जल गुणवत्ता निरीक्षण और निगरानी की स्थिति

जल गुणवत्ता सुनिश्चित करना जल जीवन मिशन के मुख्य उद्देश्यों में से एक है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपूर्ति किया गया पानी पर्याप्त गुणवत्ता का है, इस कार्यक्रम के तहत जल स्रोत और घर तक पहुंचे पानी के नमूनों के नियमित परीक्षण को बढ़ावा दिया जाता है। देश में कुल 2,074 जल परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं। इनमें से 1,005 प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता मिली हुई है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं में आम जनता नाममात्र दरों पर पानी के नमूनों का परीक्षण करवा सकते हैं। 2022-23 में, अब तक प्रयोगशालाओं में 27 लाख से अधिक पानी के नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है।

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महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, प्रत्येक गांव में कम से कम पांच महिलाओं को ग्राम स्तर पर पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। अभी तक 1.95 लाख गांवों में 16.21 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके 57.99 लाख से अधिक पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया है।

ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) का गठन और ग्राम कार्य योजना (वीएपी):

इस कार्यक्रम के तहत 5.17 लाख से अधिक ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी)/पानी समितियों का गठन किया गया है। पानी समिति स्थानीय जल स्रोतों सहित गांव में जल आपूर्ति प्रणाली के प्रबंधन और नियमित संचालन और रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है। अब तक, 5.08 लाख ग्राम कार्य योजनाएं विकसित की गई हैं, जिनमें आवश्यक जल आपूर्ति योजना के प्रकार, लागत अनुमान, कार्यान्वयन कार्यक्रम, ओ एंड एम व्यवस्था और आंशिक पूंजी लागत के लिए प्रत्येक घर से योगदान का विवरण है।

जल जीवन मिशन के लिए धन आवंटन:

'हर घर जल' कार्यक्रम के तहत जल जीवन मिशन का अनुमानित परिव्यय 2019-2024 के पांच साल की अवधि के लिए 3.6 लाख करोड़ रुपये है। 15वें वित्त आयोग ने जल आपूर्ति और स्वच्छता को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में चिन्हित किया है और 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायत राज संस्थानों (आरएलबी/पीआरआई) को 2.36 लाख करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की है। तदनुसार, फंड का 60% यानी 1.42 लाख करोड़ रुपये का उपयोग विशेष रूप से पीने के पानी, वर्षा जल संचयन और खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) गांव के स्वच्छता और रखरखाव के लिए किया जाना है। देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में यह भारी निवेश आर्थिक गतिविधियों को गति दे रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है। इसके साथ ही गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहा है। यह एक प्रगतिशील कदम है जिसके जरिए गांवों को बेहतर स्वच्छता के साथ पीने योग्य पानी की आपूर्ति की जा रही है।

भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 21 पात्र राज्यों को 2022-23 में अब तक 22,975.34 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

भारत सरकार द्वारा केंद्रीय निधि उपलब्ध केंद्रीय निधियों के उपयोग और राज्य के हिस्से के मिलान के आधार पर जारी की जाती है। ऑनलाइन निगरानी के लिए एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) और जेजेएम-डैशबोर्ड स्थापित किया गया है। सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से पारदर्शी ऑनलाइन वित्तीय प्रबंधन का भी प्रावधान किया गया है।

जेजेएम के तहत वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22, और 2022-23  में आवंटित केंद्रीय धन, आहरित धन और उपयोग किए गए धन का विवरण नीचे दिया गया है:

(राशि करोड़ रुपये में)

साल

                      केंद्रीय

राज्य के हिस्से के तहत उपयोगिता

 

प्रारंभिक शेष

 

धनराशि आवंटित

 

राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा निकाली गई राशि

 

फंड की उपयोगिता

 

2019-20

2,436.37

 

11,139.21

 

9,951.81

 

5,998.99

 

4,066.88

 

2020-21

6,431.85

 

23,033.02

 

10,917.90

 

12,542.03

 

7,803.36

 

2021-22

4,812.91

 

92,308.77

 

40,009.80

 

25,516.01

 

18,532.80

 

2022-23

19,319.03

 

1,00,789.77

 

22,975.34

 

26,543.59

 

18,418.52

 

 

कौशल निर्माण:

जेजेएम का उद्देश्य राजमिस्त्री, यांत्रिकी, प्लंबर, पंप ऑपरेटर, तकनीशियन, उपयोगिता प्रबंधकों और जल परीक्षण प्रयोगशाला प्रभारी के रूप में काम करने के लिए लोगों की क्षमता का निर्माण करना है। देश भर में प्रमुख बुनियादी ढांचे के विकास कार्य के साथ कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रम शक्ति के लिए सभी स्तरों पर रोजगार के बहुत सारे अवसर सृजित हो रहे हैं। स्थानीय लोगों को राजमिस्त्री, प्लंबर, पंप ऑपरेटर, मोटर मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन और फिटर के रूप में प्रशिक्षित किया गया।

प्रमुख संसाधन केंद्रों के माध्यम से क्षमता निर्माण:

विभिन्न हितधारकों के क्षमता निर्माण और और उनके कौशल को बढाने के लिए 100 प्रतिष्ठित सरकारी और गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थान/एजेंसियां/फर्म/संगठन/थिंक टैंक/प्रशिक्षण संस्थान आदि प्रमुख संसाधन केंद्र (केआरसी) के रूप में कार्यरत हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान जेजेएम के तहत पेयजल के विभिन्न पहलुओं पर विभिन्न हितधारकों और लगभग 4,000 लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए 104 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

कार्यान्वयन सहायता एजेंसियां (आईएसए):

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कार्यान्वयन सहायता एजेंसियों (आईएसए) को शामिल करके पंचायतों को सहायता प्रदान कर रहे हैं ताकि सामुदायिक संघटन के लिए भागीदारी ग्रामीण मूल्यांकन के तहत वीडब्ल्यूएससी के गठन की सुविधा मिल सके, ग्राम कार्य योजना तैयार करने में सहायता और बुनियादी ढांचे के निर्माण के बाद की गतिविधियों को पूरा किया जा सके। इस तरह की सहायता के लिए करीब 14 हजार आईएसए लगे हुए हैं जो सक्रिय रूप से फील्ड में काम कर रहे हैं।

 

राष्ट्रीय वॉश (डब्ल्यूएएसएच) विशेषज्ञ:

राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता और गुणवत्ता केंद्र को जल जीवन मिशन (जेजेएम) के कार्यान्वयन में असलियत का पता लगाने और राज्यों को तकनीकी सहायता के लिए राष्ट्रीय वॉश विशेषज्ञों (एनडब्ल्यूई) की सूची बनाने और उनकी तैनाती का काम सौंपा गया है। अब तक 46 एनडब्ल्यूई को पैनल में रखा गया है। वर्ष के दौरान, जेजेएम के तहत किए गए कार्यों की असलियत का पता लगाने के लिए 62 टीमों ने लगभग 1,035 गांवों का दौरा किया है। जेजेएम के कार्यान्वयन की स्थिति के आधार पर, एनडब्ल्यूई तीन श्रेणियों अर्थात् संतोषजनक, संतोषजनक लेकिन सुधार की आवश्यकता है और असंतोषजनक जिसमें तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, में जेजेएम के कार्यान्वयन की प्रगति के संदर्भ में गांवों को स्टार रेटिंग और राज्यों को फीडबैक प्रदान कर रहे हैं। दौरा पूरा होने के बाद एनडब्ल्यूई संबंधित राज्य के अधिकारियों को अपनी प्रतिक्रिया प्रदान करते हैं।

 

रूरल वॉश पार्टनर्स फोरम (आरडब्ल्यूपीएम):

पेयजल और स्वच्छता विभाग ने एक मंच स्थापित किया है, जहां जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए क्षेत्र के भागीदारों के साथ विकास भागीदार मिल सकते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हुए भारत सरकार तथा राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। ग्रामीण वॉश पार्टनर्स फोरम का दूसरा कार्यक्रम 2 नवंबर को आयोजित किया गया था और इसकी अध्यक्षता केंद्रीय जल मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने की थी।

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क्षेत्र भागीदार (सेक्टर पार्टनर्स):

पानी को हर किसी की जिम्मेदारी बनाने के लिए जल जीवन मिशन सभी के लिए दीर्घकालिक पेयजल सुरक्षा प्राप्त करने के लिए साझेदारी बनाने और विभिन्न संस्थानों/व्यक्तियों के साथ मिलकर काम करने का प्रयास करता है। 212 स्वैच्छिक संगठनों (वीओ), गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), सामाजिक सेवा और दान संगठनों, और पेशेवरों/व्यक्तियों को पहले से ही पानी के क्षेत्र में काम कर रहे इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में 'सेक्टर पार्टनर्स' के रूप में मान्यता दी गई है ताकि चुनौतियों का समग्र रूप से समाधान किया जा सके।

 

प्रोफेसर चेयर्स और उत्कृष्टता केंद्र:

उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान करने और ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता क्षेत्र में क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए आईआईएम बेंगलुरु, आईआईटी जोधपुर, आईआईटी गुवाहाटी, टीआईएसएस मुंबई और आईआईटी कानपुर में जेजेएम के विभिन्न फोकस क्षेत्रों पर 5 (पांच) जल जीवन मिशन प्रोफेसर चेयर स्थापित किए गए हैं। जेजेएम के तहत पीने के पानी पर विभिन्न क्षेत्रीय चुनौतियों पर अनुसंधान, अध्ययन और सहायता प्रदान करने के लिए आईआईटी मद्रास और आईआईटी गांधी नगर में भी 2  उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं।

 

जल जनित रोगों में कमी

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक ग्रामीण घर तक सुरक्षित और पीने योग्य जल की उपलब्धता के साथ जल जनित बीमारी में भारी कमी आई है। पिछले तीन वर्षों में जल जनित रोगों में कमी का विवरण इसके साथ सारणीबद्ध है।

साल

जलजनित रोग

 

2019

177 लाख

 

2020

89 लाख

2021

59 लाख

स्रोत: राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी)

 

22 October - Doctor Kremer Post

 

पीने के पानी की आपूर्ति और पानी की गुणवत्ता के लिए प्रौद्योगिकियों का उपयोग

जल जीवन मिशन (i) जल आपूर्ति व्यवस्था की कार्यशील अवधि में सुधार के लिए  जलभृत पुनर्भरण, वर्षा जल संचयन, जल निकायों की भंडारण क्षमता में वृद्धि, जलाशयों, डी-सिल्टिंग आदि जैसे स्रोत बनाए रखने के उपायों के कार्यान्वयन (ii) जल बजट और लेखा परीक्षा (iii) संचालन और रखरखाव (iv) गंदा जल प्रबंधन (v) जल गुणवत्ता निरीक्षण और निगरानी (vi) शिविरों में संक्रमणकालीन सेवाएं प्रदान करने के लिए पहले से तैनात आपातकालीन जल आपूर्ति किट (vii) सौर आधारित जल सौर ऊर्जा का उपयोग जैसे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए उठाए गए कदमों (viii) एससीएडीए के लिए आईओटी जैसी तकनीकों पर काम के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित रखा है। रिमोट सेंसिंग और जीआईएस, डिज़ाइन सॉफ़्टवेयर का उपयोग जल लेखांकन, जल गुणवत्ता नियंत्रण, जल उपयोग दक्षता, जल संसाधन योजना और प्रभाव मूल्यांकन के माध्यम से जलवायु लचीलापन बनाने में किया गया है। 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 118 गांवों में आईओटी पायलट लागू किए जा रहे हैं। जल उपचार, जल गुणवत्ता और निगरानी, आईओटी-आधारित बैटरी वाहन, और ग्रामीण भारत में जल उपचार संयंत्रों के हाइड्रोलिक डिजाइन के लिए सॉफ्टवेयर के लिए तकनीकी समिति द्वारा पानी से संबंधित 25 नवीन परियोजनाओं की सिफारिश की गई है।

 

गैर-राजस्व जल को कम करना:

जल आपूर्ति वितरण प्रणाली और गैर-राजस्व जल में वास्तविक और स्पष्ट नुकसान को कम करने के लिए समुदायिक जल लेखापरीक्षा और जल सुरक्षा योजना महत्वपूर्ण है। आईओटी-आधारित तकनीक, जल मीटरिंग, जल कनेक्शन में प्रवाह नियंत्रण वाल्व को लगाने, जल बजट, सामुदायिक निगरानी, जल संरक्षण के उपाय और जल संबंधी विभिन्न कार्यक्रमों के साथ सम्मिलन, दीर्घकालिक जल सुरक्षा के लिए आईईसी गतिविधियों आदि पर काम किया जा रहा है ताकि सभी के लिए जल आपूर्ति प्रबंधन को मजबूत किया जा सके।

 

शिकायत निवारण तंत्र:

जलापूर्ति से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए विभाग में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। लोग केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं। सेवाओं के वितरण प्रणाली में सुधार करने और विभाग को नागरिकों की जरूरतों के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिए सेवाओं के वितरण के संबंध में प्राप्तकर्ताओं और हितधारकों से लगातार प्रतिक्रिया और सुझाव लिए जा रहे हैं।

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जल जीवन सर्वेक्षण (जेजेएस) टूलकिट - 2023 और जेजेएस-2023 डैशबोर्ड का शुभारंभ

भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने 21 अक्टूबर, 2022 को 'जल जीवन सर्वेक्षण' टूलकिट और डैशबोर्ड लॉन्च किया। जल जीवन सर्वेक्षण 2023 लॉन्च करने का उद्देश्य राज्यों/जिलों के अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन और बेहतर जल सेवा वितरण के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

'स्वच्छ जल से सुरक्षा': पानी की गुणवत्ता पर अभियान स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल के महत्व पर जागरूकता पैदा करने में मदद करेगा और ग्रामीण घरों में आपूर्ति किए गए पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने में भी मदद करेगा। अभियान 2 अक्टूबर, 2022 को शुरू किया गया था और यह 26 जनवरी, 2023 तक जारी रहेगा।

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हाल के वर्षों में सरकार जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और लोगों की बुनियादी जरूरतों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए 'गति के साथ बड़े पैमाने' पर काम कर रही है। सभी के लिए आवास, हर घर में बिजली, हर परिवार को शौचालय, स्वच्छ रसोई गैस, वित्तीय समावेशन, सामाजिक सुरक्षा, सभी के लिए सस्ती स्वास्थ्य सेवा, सड़कें, ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी आदि जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाली विभिन्न सरकारी पहलों के कारण लोगों, विशेष रूप से गांवों में रहने वालों की अपेक्षाएं बढ़ी हैं। अब लोगों की आकांक्षा अपने घरों और सार्वजनिक संस्थानों में पीने योग्य नल का जल की आपूर्ति पाना है ताकि ग्रामीण-शहरी विभाजन को पाटा जा सके। ग्रामीण भारत की इस आकांक्षा को पूरा करने और उनके जीवन को आसान बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) की घोषणा की।

15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से घोषित जल जीवन मिशन को 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पर्याप्त दबाव के साथ निर्धारित गुणवत्ता की पर्याप्त मात्रा में नल का जल की आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी में लागू किया जा रहा है। जेजेएम यह सुनिश्चित कर रहा है कि 'कोई भी छूटा नहीं है'। जेजेएम का प्रयास है कि सबसे गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों के साथ-साथ पहले से वंचित सभी को सुनिश्चित नल जल आपूर्ति हो।

जेजेएम को जो बात अनूठी बनाती है, वह यह है कि इसकी शुरूआत से पहले ग्रामीण भारत में जलापूर्ति की बुनियादी इकाई गांव/बस्ती थी। परिवर्तनकारी कार्यक्रम होने के नाते 'जल जीवन मिशन' ने अब घरों को जलापूर्ति की बुनियादी इकाई बना दिया है। यह देश में महिलाओं के लिए विशेष रूप से ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि जेजेएम उन्हें सबसे खराब मौसम की स्थिति में भी दूर से घर के लिए पानी लाने के सदियों पुराने कठिन परिश्रम से मुक्त करेगा। इस प्रकार, जेजेएम उनके स्वाभिमान को बहाल करेगा और इस प्रकार उनके लिए पर्याप्त समय और ऊर्जा बचाएगा जिसे वे अपना आत्म-विकास बढ़ाने में लगा सकते हैं।

(अधिक जानकारी के लिए जेजेएम डैशबोर्ड देखें: https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx )

 

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण): 2022 की मुख्य विशेषताएं

एसबीएम-जी (द्वितीय चरण) ओडीएफ व्यवहार को सुदृढ़ करता है और गांवों में ठोस और तरल अपशिष्ट के सुरक्षित प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है

2022 में 1 लाख से अधिक गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया गया

एसबीएम-जी (द्वितीय चरण) का लक्ष्य 2024-25 तक सभी गांवों को ओडीएफ से ओडीएफ प्लस में बदलना है

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) [एसबीएम (जी)] एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को शुरू किया था। इसका मुख्य उद्देश्य देश के सभी ग्रामीण परिवारों को शौचालय उपलब्ध कराकर महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 तक देश को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाना था। देश के सभी गांवों ने 2 अक्टूबर, 2019 तक खुद को ओडीएफ घोषित कर दिया था। ओडीएफ का परिणाम प्राप्त करने के बाद, एसबीएम (जी) के चरण- II को 1 अप्रैल, 2020 से ओडीएफ स्थिति को बनाए रखने पर ध्यान देने के साथ शुरू किया गया है और जिसका अंतिम उद्देश्य ठोस तथा तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) के साथ सभी गांवों को कवर करना यानी 2024-25 तक सभी गांवों को ओडीएफ से ओडीएफ प्लस में बदलना है। कार्यक्रम के तहत यह भी सुनिश्चित करना है कि कोई भी छूटे नहीं। एसबीएम (जी) चरण- II का कुल कार्यक्रम परिव्यय 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

भौतिक उपलब्धियों के संदर्भ में, 2 अक्टूबर, 2014 से देश भर में इस कार्यक्रम के तहत अब तक 11.09 करोड़ से अधिक आईएचएचएल और 2.18 लाख सीएससी का निर्माण किया जा चुका है, जैसा कि आईएमआईएस पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट किया गया है। 2022 में, 23,34,560 आईएचएचएल और 19,169 सीएससी का निर्माण 1 जनवरी, 2022 से 20 दिसंबर, 2022 के बीच किया गया है। 1,24,677 गांवों को 1 जनवरी, 2022 से 20 दिसंबर, 2022 तक खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) प्लस घोषित किया गया है। एसबीएम (जी) को लागू करने में 1 जनवरी, 2022 से 20 दिसंबर, 2022 तक कुल 3028 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है।

 

  • 1 जनवरी, 2022 से 20 दिसंबर, 2022 के बीच 1,24,677 गांवों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) प्लस घोषित किया गया।
  • 20 दिसंबर, 2022 तक 1,25,810 गांवों को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से और 1,12,427 गांवों को तरल अपशिष्ट प्रबंधन से कवर किया गया है।
  • 1 जनवरी, 2022 से 20 दिसंबर 2022 तक 23,34,560 व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) और 19,169 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) का निर्माण किया गया है।
  • तरल अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता देने के लिए सुजलाम अभियान शुरू किया गया। सुजलाम 1.0 और सुजलाम 2.0 अभियानों के तहत 23 लाख से अधिक सोख्ता गड्ढों का निर्माण किया गया।
  • एसबीएम (जी) की गोबरधन पहल के तहत, जनवरी 2022 से 96 सामुदायिक/क्लस्टर स्तर के बायोगैस संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
  • एसबीएम-जी क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की क्षमता को मजबूत करने के लिए जनवरी, 2022 से 2191 मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • 15 सितंबर, 2022 से 2 अक्टूबर, 2022 तक स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) अभियान का आयोजन किया - श्रमदान गतिविधियों में 9.81 करोड़ लोगों ने भाग लिया और 14.80 लाख पुराने अपशिष्ट स्थलों की सफाई की।
  • सिंगल पिट टॉयलेट को ट्विन पिट टॉयलेट में रेट्रोफिट करने की एक सरल ऑन-साइट पद्धति के माध्यम से मल कीचड़ के सुरक्षित निपटान को बढ़ावा देने के लिए, 2 अक्टूबर 2022 को 'रेट्रोफिट टू ट्विन पिट अभियान' लॉन्च किया गया।
  • राज्यों, जिलों और पंचायतों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करने और एसबीएम-जी चरण II की प्रगति का पता लगाने के लिए 2 नवंबर 2022 को स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण (एसएसजी) 2023 लॉन्च किया गया।

 

 

ओडीएफ प्लस घोषित गांव

आकांक्षी

उभरता हुआ

 

आदर्श

 

कुल

85,832

 

19,718

 

42,115

 

1,47,665

 

 

एसबीएम (जी) के कार्यान्वयन के लिए उपयोग की गई निधि

                     रु. करोड़ में

साल

खर्च की गई राशि

2014-15 से 2021-22

78,361.92

2022-23

1716.22

 

  • सुजलाम जैसे अभियानों के माध्यम से तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एलडब्ल्यूएम) को प्राथमिकता दी गई है। सुजलाम 1.0 और सुजलाम 2.0 अभियानों के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 23 लाख से अधिक सोख्ता गड्ढों का निर्माण किया गया है।
  • केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में स्वच्छता और जल आपूर्ति विभागों के प्रभारी राज्य मंत्रियों के क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किए गए।
  • क्षमता सुदृढ़ीकरण के लिए, डीएम/डीसी सहित राज्य/जिला/ब्लॉक/जीपी स्तरों पर विभिन्न हितधारकों के लिए विभिन्न उन्मुखीकरण/प्रशिक्षण/कार्यशालाएं आयोजित की गईं। जनवरी, 2022 से अब तक 2191 मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
  • भारत स्वच्छता गठबंधन (आईएसी) के सहयोग से डीडीडब्ल्यूएस द्वारा 29 जुलाई, 2022 को नई दिल्ली में 75 मॉडल ओडीएफ प्लस ब्लॉक विकसित करने के लिए एक लाइटहाउस पहल शुरू की गई थी।
  • रूरल वॉश पार्टनर्स फोरम (आरडब्ल्यूपीएफ) की बैठक 22 अगस्त, 2022 को इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। आरडब्ल्यूपीएफ ने नवाचार, ज्ञान उत्पादों, वित्तपोषण और क्षमता निर्माण के माध्यम से एसबीएम-जी और जेजेएम के कार्यान्वयन में राज्यों को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, जिससे प्रभाव संचालित परिणाम सामने आए।
  • गोबरधन: गोबरधन स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के दूसरे चरण का एक महत्वपूर्ण घटक है। इसका उद्देश्य गांवों में स्वच्छता सुनिश्चित करना और पशु अपशिष्ट सहित जैव-अपशिष्ट, कृषि-अवशेषों को जैव-घोल और बायोगैस में परिवर्तित करके धन और ऊर्जा उत्पन्न करना और ग्रामीणों के जीवन में सुधार करना है। डीडीडब्ल्यूएस गोबरधन के कार्यान्वयन का समन्वय भी कर रहा है: बायोगैस/कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) क्षेत्र के लिए एक सक्षम वातावरण प्रदान करने के लिए विभिन्न विभागों/मंत्रालयों को शामिल करते हुए वेस्ट टू वेल्थ पहल। जनवरी 2022 से, एसबीएम (जी) के तहत कुल 96 समुदाय/क्लस्टर स्तर के बायोगैस संयंत्र पूरे किए जा चुके हैं।

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  • एसबीएम-जी का मासिक समाचार पत्र "स्वच्छता समाचार" अगस्त, 2022 में लॉन्च किया गया था।
  • स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) अभियान 15 सितंबर, 2022 से 2 अक्टूबर, 2022 तक पूरे देश में आयोजित किया गया था। अभियान के तहत, श्रमदान गतिविधियों में 9.81 करोड़ लोगों ने भाग लिया और 14.80 लाख पुराने अपशिष्ट स्थलों को साफ किया गया। ओडीएफ प्लस घटकों पर राज्यों द्वारा आयोजित सरपंच संवाद में 1.68 लाख सरपंच शामिल हुए और 1.59 लाख ग्राम पंचायतों ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया।
  • 2 अक्टूबर, 2022 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में "स्वच्छ भारत दिवस" ​​का आयोजन किया गया। भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई थी। इस अवसर पर ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह; जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, जल शक्ति और जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री श्री विश्वेश्वर टुडू, जल शक्ति और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल भी उपस्थित थे। राष्ट्रपति ने स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण (एसएसजी), 2022 और जल जीवन मिशन (जेजेएम) - कार्यात्मकता आकलन की रिपोर्ट जारी की। उन्होंने एसएसजी 2022 और जेजेएम- कार्यात्मकता आकलन के तहत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और जिलों को भी सम्मानित किया और उन्हें पुरस्कार प्रदान किए। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने भी विभिन्न अभियानों और प्रतियोगिताओं के तहत कलाकारों/विजेताओं को विभिन्न पुरस्कार दिए। इस कार्यक्रम में राज्य मंत्रियों, केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों, और विकास भागीदार संगठनों, पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के सदस्यों और अन्य हितधारकों, मीडियाकर्मियों सहित 1,500 से अधिक लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
  • 2 अक्टूबर 2022 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा रेट्रोफिट टू ट्विन पिट अभियान शुरू किया गया। यह अभियान सिंगल पिट टॉयलेट को ट्विन पिट टॉयलेट में रेट्रोफिट करने की एक सरल ऑन-साइट कार्यप्रणाली के माध्यम से मल कीचड़ के सुरक्षित निपटान को बढ़ावा देगा। 2 अक्टूबर से 19 नवंबर (योजना चरण) के अभियान के पहले चरण के दौरान, राज्यों ने 97% गांवों का आधारभूत मूल्यांकन पूरा कर लिया है। पहचान किए गए सिंगल पिट शौचालयों और सेप्टिक टैंकों को 26 जनवरी 2023 तक कार्यान्वयन चरण में रेट्रोफिट किया जाना है।

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स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2023 (एसएसजी 2023) का शुभारंभ: डीडीडब्ल्यूएस ने राज्यों, जिलों और ग्राम पंचायतों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करने और एसबीएम-जी चरण II की प्रगति का पता लगाने के उद्देश्य से 2 नवंबर 2022 को स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण (एसएसजी) 2023 की शुरुआत की है। एसएसजी 2023 के तहत ग्राम पंचायत और जिला स्तर पर मूल्यांकन किया जाएगा। एसएसजी 2023 को अधिक सहभागी बनाने के लिए, ग्राम पंचायतें ओडीएफ प्लस मापदंडों पर ग्राम स्व-मूल्यांकन करेंगी। ग्राम स्व-मूल्यांकन पूरा होने के बाद, ग्राम पंचायतों द्वारा ब्लॉक स्तर पर साथी सत्यापन किया जाएगा। तीनों स्तरों पर सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायतों की पहचान करने के लिए ब्लॉक स्तर पर चुने गए गांवों का जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन किया जाएगा। 20 दिसंबर, 2022 तक, 1,80,610 से अधिक ग्राम पंचायतों ने स्व-मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू कर दी है और 3.26 लाख से अधिक गांवों ने आधारभूत स्व-मूल्यांकन पूरा कर लिया है। तीसरे पक्ष की एजेंसी को नियुक्त करके ओडीएफ प्लस संकेतकों पर प्रगति और गांवों के प्रत्यक्ष अवलोकन के आधार पर जिलों के प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों को मासिक और तिमाही प्रगति के लिए सम्मानित किया जा रहा है। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों, जिलों और पंचायतों को 2 अक्टूबर 2023 को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा।

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एसबीएम (जी) के तहत पात्र परिवारों (सभी बीपीएल परिवारों) और पहचान किए गए गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) के परिवारों (एससी/एसटी, छोटे और सीमांत किसान, वासभूमि के साथ भूमिहीन मजदूर, शारीरिक रूप से विकलांग, और महिला प्रधान परिवार) को व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) के निर्माण के लिए 12000/- रुपये (राज्य के हिस्से सहित) का प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। राज्यों के पास अतिरिक्त राज्य हिस्सा प्रदान करके उच्च प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की छूट है। कार्यक्रम के तहत, ग्राम पंचायतों को सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) के निर्माण और गांवों में ठोस तथा तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) के लिए संपत्तियों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है।

केंद्र और राज्यों के बीच फंड शेयरिंग अनुपात निम्नानुसार है:

  • 8 उत्तर पूर्वी राज्यों और 3 हिमालयी राज्यों / उत्तराखंड,  हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 90:10
  • अन्य राज्यों के लिए 60:40
  • अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के लिए, केंद्र द्वारा 100% हिस्सा वहन किया जाता है

एसबीएम (जी) चरण- II के प्रमुख घटक हैं:

(i) किसी भी छूटे हुए या नए बने परिवारों के लिए व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों (आईएचएचएल) का निर्माण

(ii) गांवों में जरूरत के आधार पर सामुदायिक स्वच्छता परिसर (सीएससी) का निर्माण

(iii) ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) - जैविक अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, गंदा जल प्रबंधन और मल कीचड़ प्रबंधन

(iv) सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) और क्षमता निर्माण

ओडीएफ प्लस प्रगति को निम्नानुसार तीन श्रेणियों में दर्ज किया जा रहा है:

  1. आकांक्षी-उदीयमान: वह गांव जो अपनी ओडीएफ स्थिति को बनाए हुए है और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था करता है।
  2. उदय-उज्जवल: वह गांव जो ओडीएफ स्थिति को कायम रखे हुए है और उसके पास ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था है।
  3. आदर्श-उत्कृष्ट: वह गांव जो ओडीएफ स्थिति को बनाए हुए है; ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था है; सार्वजनिक स्थानों पर दृश्य स्वच्छता यानी कम से कम कचरा, न्यूनतम स्थिर अपशिष्ट जल और कोई प्लास्टिक कचरा जहां तहां नहीं होता है। ओडीएफ प्लस आईईसी संदेशों को प्रदर्शित करता है।

स्वच्छता राज्य का विषय है और यह कार्यक्रम राज्य सरकारों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है। भारत सरकार कार्यक्रम दिशानिर्देश, सलाह और अनुदान सहायता जारी करके गांवों में समग्र स्वच्छता में सुधार के प्रयासों को पूरा करने के लिए राज्यों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। कार्यक्रम को भारत सरकार और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं और वित्त पोषण के विभिन्न कार्यक्षेत्रों के बीच सम्मिलन के एक नवीन मॉडल के रूप में तैयार किया गया है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एसबीएम (जी) के लिए बजटीय प्रावधानों के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही धनराशि के अलावा, ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी), मनरेगा और राजस्व सृजन मॉडल आदि विशेष रूप से ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 15वें वित्त आयोग के अनुदानों से धन का मिलान किया जाता है।

 

[1]https://www.niti.gov.in/aspirational-districts-programme

[2] जल और स्वच्छता (2021-22 से 2025-26) पर ग्रामीण स्थानीय निकायों/पीआरआई के लिए 15वें वित्त आयोग के बंधे हुए अनुदान के उपयोग के लिए नियमावली

[3] https://ejalshakti.gov.in/JJM/JJMReports/Financial/JJMRep_StatewiseAllocationReleaseExpenditure.aspx

[4] https://ejalshakti.gov.in/JJM/JJMReports/Financial/JJMRep_StatewiseAllocationReleaseExpenditure.aspx

 

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