कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव, अपर सचिव और उद्यान-विज्ञान आयुक्त ने नासिक, महाराष्ट्र में सहयाद्री फारमर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड तथा राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान का दौरा किया

Posted On: 27 DEC 2022 8:46PM by PIB Delhi

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव श्री मनोज आहूजा, अपर सचिव डॉ. अभिलाष लिखी और उद्यान-विज्ञान आयुक्त श्री प्रभात कुमार ने आज नासिक, महाराष्ट्र में मोहादी गांव और तालुका डिनडोरी स्थित सहयाद्री फारमर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड तथा चितेगांव स्थित राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान का दौरा किया। उन्होंने वहां किसानों से बातचीत भी की। भारत सरकार द्वारा शुरू किये गये संकुल विकास कार्यक्रम की प्रायोगिक परियोजना के रूप में अंगूरों से जुड़े 12 संकुलों में नासिक को चुना गया है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने सहयाद्री फारमर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के किसान सदस्यों के अंगूरों के खेतों का दौरा किया। उन्होंने किसानों से बातचीत की, ताकि बेहतर अंगूरों के उत्पादन के लिये जरूरी बातों और चीजों को समझा जा सके। किसानों ने बेहतर अंगूरों के उत्पादन से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया तथा मौसम के उतार-चढ़ाव से पैदा होने वाली समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। भारत में महाराष्ट्र अंगूरों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है तथा महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा अंगूर नासिक में होते हैं।

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दौरे का मुख्य उद्देश्यः

  1. महाराष्ट्र की अग्रणी एफपीओ और पहले नंबर की अंगूर निर्यातक कंपनी सहयाद्री फारमर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के कामकाज को समझना।
  • II. किसानों से बातचीत करना, ताकि संकुल-विशेष के लिये कार्य करने के जरिये किसानों की आय बढ़ाई जा सके।
  1. बागवानी मूल्य श्रृंखला से जुड़ी समस्याओँ, उत्पादन पूर्व से उत्पादन, फसल के उपरांत प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स से जुड़े मूल्य संवर्धन, विपरण व ब्रैंडिंग सम्बंधी मुद्दों का समाधान करना तथा स्वदेशी व निर्यात बाजारों में प्रतिस्पर्धा तेज करने के लिये एकीकृत प्रारूप बनाना।
  • IV. फसल और उसकी कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिये फसल कटाई के बाद उपज के लिये अवसंरचना के विकास/विस्तार/उन्नयन, मूल्य संवर्धन और बाजार से संपर्क की व्यवस्था।
  1. फसल सम्बंधी विशेष संकुलों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिये नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों तथा व्यवहारों को लागू करने की सुविधा।

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने संकुल विकास कार्यक्रम (सीडीपी) लॉन्च किया है। यह राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) द्वारा कार्यान्वित एक केंद्रीय कार्यक्रम है। कार्यक्रम का उद्देश्य पहचान किए गए बागवानी समूहों के समग्र विकास और विकास को सक्षम बनाना है, ताकि उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके और उन्हें राष्ट्रीय एवं वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में शामिल किया जा सके। सीडीपी से मूल्य श्रृंखला के लगभग 10 लाख किसानों और संबंधित हितधारकों को लाभ होगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लक्षित फसलों के निर्यात में सुधार करना है। संकुल फसलों की प्रतिस्पर्धी क्षमता 20 प्रतिशत बढ़ाने के लिए संकुल-विशिष्ट ब्रांड बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सीडीपी के सभी 53 संकुलों में इसके लागू हो जाने पर 10 हजार करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश की उम्मीद है। संभावना है कि इस कार्यक्रम को सरकार की अन्य पहलों जैसे कि कृषि अवसंरचना निधि के साथ मिला दिया जाये। उल्लेखनीय है कि यह पहल फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के लिए परियोजनाओं में निवेश की मध्यम-दीर्घावधि वित्तपोषण सुविधा है। इसे मंत्रालय की प्रमुख योजना का लाभ मिलेगा, ताकि 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और प्रोत्साहन हो सके।

अधिकारियों ने सहयाद्री किसान सुविधा केंद्र का दौरा किया, जहां किसानों को सभी कृषि सुविधायें मिलती हैं, जैसे उर्वरक, कीटनाशक, मशीनरी, मिट्टी, पानी और वृक्षों की कलम आदि के लिए परीक्षण प्रयोगशाला सुविधा। एफपीओ, विभिन्न फलों में कीटनाशक अवशेषों का परीक्षण भी कर रहा है। यह एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जो किसानों को एक स्थान पर समाधान और सलाह देता है। इसके बाद अधिकारियों ने कपास उत्पादकों से जुड़ी मूल्य श्रृंखला की पहल भी देखी, जिसके तहत एफपीओ द्वारा कपास से कपड़ा बनाने की निर्माण इकाई चलाई जा रही है। उन्होंने निर्माण इकाई के श्रमिकों से बातचीत की, जिन्होंने एफपीओ के साथ अपनी आजीविका के अनुभवों को साझा किया।

इसके बाद अधिकारियों ने सहयाद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के आरएंडडी फार्मों का दौरा किया और आगे के मूल्यांकन के लिए आरएंडडी फार्म में उगाए जा रहे अंगूरों की विभिन्न आयातित किस्मों को देखा। उन्होंने सैम एग्री कंपनी के मालिक और श्रमिकों के साथ बातचीत की, जिन्होंने अनार के दानों के निर्यात के बारे में और पैकेजिंग की क्षमता की जानकारी साझा की।

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सहयाद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी, इनक्यूबेशन सेंटर के माध्यम से क्षेत्र में विभिन्न एफपीओ की सहायता के लिए प्रशिक्षण भी देती है। इसके जरिये  एफपीसी के लिए क्षमता निर्माण और विकास कार्यक्रम सम्बंधी समाधान मिलते हैं। मंत्रालय के अधिकारियों ने सहयाद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के निदेशक मंडल से एफपीओ के कामकाज को समझने के लिए बातचीत की। इस अवसर पर सहयाद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के अध्यक्ष और महाप्रबंधक श्री विलास विष्णु शिंदे ने प्रस्तुतिकरण भी दिया। किसान सदस्यों ने यह भी जानकारी दी कि प्रौद्योगिकीय व वित्तीय समर्थन देने के लिये एफपीओ किसान सदस्यों को क्या समाधान प्रदान करता है। इसके विषय में किसान सदस्यों ने अधिकारियों को अवगत कराया।

गोडम, सेंसार्टिक्स और वासाटोगो नामक स्टार्ट-अप, नासिक में सहयाद्री किसान उत्पादक कंपनी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ये स्टार्ट-अप नासिक क्षेत्र में प्याज के वैज्ञानिक भंडारण, मौसम और मिट्टी से संबंधित जानकारी और बागवानी क्षेत्र में कार्यरत हैं। इन्होंने भी अपने अनुभव और सफलता की कहानियां साझा कीं। "कर्ता शेतकारी" (सशक्त किसान) के अनूठे कार्यक्रम पर भी चर्चा हुई। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कृषक समुदाय के भीतर उद्यमी मानसिकता विकसित करना है।

कृषि एंव किसान कल्याण सचिव ने स्टार्ट-अप के साथ बातचीत की और उन्हें आईसीएआर परियोजनाओं का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने अनार की खेती में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त किस्मों के विकास और निर्यात को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। अपर सचिव ने किसानों को मधुमक्खी पालन परियोजनायें शुरू करने का सुझाव दिया।

बाद में सभी अधिकारियों ने केंद्र सरकार व महाराष्ट्र सरकार के अफसरों के साथ प्याज और लहसुन तथा एनएबीएल मान्यता प्राप्त कीटनाशक अवशेष विश्लेषण प्रयोगशाला पर अनुसंधान गतिविधियों को देखने के लिए एनएचआरडीएफ, चितेगांव, नासिक का दौरा किया। उन्होंने अनुसंधान क्षेत्र में विभिन्न परीक्षणों का निरीक्षण किया, प्याज और लहसुन पर अखिल भारतीय नेटवर्क अनुसंधान परियोजना (एआईएनआरपीओजी) के तहत परीक्षणों सहित परिसर में 83 प्याज जर्मप्लाज्म, न्यूक्लियस और ब्रीडर के बीज उत्पादन, विभिन्न प्रकार के प्याज भंडारण के रखरखाव का निरीक्षण किया। उन्होंने एनएबीएल प्रयोगशालाओं का भी दौरा किया। कीटनाशक अवशेषों का विश्लेषण (पीआरए), शराब परीक्षण, मिट्टी और पौधों का विश्लेषण, प्लांट फिजियोलॉजी, बायो-कंट्रोल प्रयोगशाला का अवलोकन करने के अलावा वैज्ञानिकों के साथ बातचीत भी की।

कृषि एवं किसान कल्याण सचिव ने प्याज की 14 किस्मों और लहसुन की 18 किस्मों जैसे एग्रीफाउंड डार्क रेड, एग्रीफाउंड लाइट रेड, एनएचआरडीएफ रेड, एनएचआरडीएफ रेड-2, एनएचआरडीएफ रेड-4, एनएचआरडीएफ फुरसुंगी और यमुना पर्पल तक की लहसुन की विभिन्न किस्मों के विकास में ए एनएचआरडीएफ के योगदान की सराहना की। एनएचआरडीएफ प्याज और लहसुन की बीज श्रृंखला को बनाए रखने वाली एकमात्र एजेंसी है। एनएचआरडीएफ ने संगठित प्याज उत्पादन में 80 प्रतिशत और लहसुन की गांठ के उत्पादन में 100 प्रतिशत योगदान दिया है। एनएचआरडीएफ सालाना लगभग 25-30 मीट्रिक टन बायो-एजेंट्स का उत्पादन कर रहा है और विभिन्न योजनाओं के तहत इन बायो-एजेंट्स को किसानों को वितरित कर रहा है। कीटनाशक अवशेषों के विश्लेषण का प्रमाण पत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य है क्योंकि कीटनाशक अवशेष विश्लेषण प्रयोगशाला एनएबीएल, आईसीएआर, एनआरसी-पुणे, एपीडा और डीएमआई द्वारा मान्यता प्राप्त है। एनएचआरडीएफ के निदेशक डॉ. पी.के. गुप्ता ने उपलब्धियों के साथ-साथ देश में कृषि क्षेत्र में एनएचआरडीएफ के योगदान के बारे में जानकारी दी। श्री। एनएचआरडीएफ प्रबंधन समिति के सदस्य संजय होल्कर ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और एनएचआरडीएफ, नासिक के प्रभारी डॉ. आर.सी. गुप्ता ने गणमान्य व्यक्तियों को धन्यवाद दिया।

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