उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
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खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की वर्षांत समीक्षा-2022


प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कुल लगभग 1118 एलएमटी खाद्यान्न आवंटित किया गया

291 जिलों में से 250 जिलों (26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में) ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पोषणयुक्त चावल लिया, शेष मार्च 2024 तक इस दायरे में लाए जाएंगे

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना के तहत 93 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी ट्रांजेक्शन दर्ज किए गए जिसमें राज्यों के अंदर और राज्यों के मध्य लेनदेन के जरिए 177 एलएमटी से अधिक खाद्यान्न का वितरण हुआ

मानवीय सहायता के रूप में अफगानिस्तान को 40,063 मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति

शुगर सीजन 2021-22 के लिए किसानों को 1,14,981 करोड़ रुपये का भुगतान, 97 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2021-22 के दौरान पेट्रोल के साथ मिश्रित कुल एथेनॉल का 87 प्रतिशत से अधिक की आपूर्ति करने के लिए चीनी मिलों/डिस्टिलरी को ₹18000 करोड़ से अधिक की आय

Posted On: 12 DEC 2022 4:14PM by PIB Delhi

उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) ने 2022 के दौरान यह सुनिश्चित किया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई), एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी) और विभिन्न योजनाओं के तहत पोषणयुक्त चावल का वितरण, लक्षित सार्वजनिक वितरण सहित केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ सभी लाभार्थियों तक पहुंचे।

इसके अलावा, विभाग किसानों से खाद्यान्न भी खरीदता है और विभिन्न देशों को मानवीय सहायता प्रदान कर रहा है।

विभाग की कुछ प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई)

कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक व्यवधान के कारण गरीबों को होने वाली कठिनाइयों को दूर करने और खाद्य सुरक्षा पर कोविड-19 महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए, मार्च 2020 में सरकार ने लगभग 80 करोड़ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले परिवारों (पीएचएच)) लाभार्थियों को पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम- जीकेएवाई) के अंतर्गत 5 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह के आधार पर अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न (चावल/गेहूं) के वितरण की घोषणा की थी। अब तक, इस योजना के तहत विभाग ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कुल लगभग 1118 एलएमटी खाद्यान्न आवंटित किया है। वर्तमान में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पीएमजीकेएवाई का सातवां चरण (अक्टूबर-दिसंबर, 2022) चालू है। विवरण इस प्रकार हैं:

चरण

खाद्यान्न का आवंटन (लाख एमटी में)

अधिकतम वित्तीय बोझ (करोड़ में)

पीएमजीकेएवाई-I (अप्रैल-जून, 2020)

120

44,834

पीएमजीकेएवाई-II (जुलाई-नवंबर, 2020)

201

68,351

पीएमजीकेएवाई-III (मई और जून, 2021)

80

26,602

पीएमजीकेएवाई-IV (जुलाई-नवंबर, 2021)

199

67,266

पीएमजीकेएवाई-V (दिसंबर,2021 - मार्च,2022)

159

53,344

पीएमजीकेएवाई-VI (अप्रैल-सितंबर, 2022)*

239

85,838

पीएमजीकेएवाई-VII (अक्टूबर-दिसंबर, 2022)

120

44,762

कुल

1118

390997

 

माननीय प्रधान मंत्री की चावल की पोषकता और इसका दायरा बढ़ाने पर घोषणा

माननीय प्रधानमंत्री ने 75वें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2021) को अपने संबोधन में सभी सरकारी योजनाओं में पोषणयुक्त चावल की आपूर्ति कर पोषण प्रदान करने की घोषणा की। घोषणा के अनुसार, भारत सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) और आईसीडीएस और पीएम पोषण सहित भारत सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं में  राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को चरणबद्ध तरीके से पोषणयुक्त चावल की आपूर्ति को मंजूरी दे दी है।

वित्त वर्ष 2021-22 में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आईसीडीएस और पीएम पोषण को कवर करते हुए पहले चरण का कार्यान्वयन शुरू हो गया था. आईसीडीएस और पीएम पोषण के तहत लगभग 17.51 ​​लाख मीट्रिक टन पोषणयुक्त चावल का वितरण किया गया है.

पहले चरण के साथ 112 आकांक्षी और शारीरिक विकास में जुड़ी समस्या वाले 250 उच्च दबाव वाले जिले  (कुल 291 जिलों) में टीपीडीएस और ओडब्ल्यूएस को शामिल करते हुए दूसरे चरण पर कार्यान्वयन अप्रैल, 2022 से शुरू हो गया है। 291 जिलों में से 250 जिलों ने (26 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में) टीपीडीएस, आईसीडीएस और पीएम पोषण के तहत पोषणयुक्त चावल उठाया है, और लगभग 16.79 एलएमटी चावल राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 13.11.2022 तक प्राप्त कर लिया गया है।

तीसरे चरण का कार्यान्वयन वर्ष 2023-24 से शुरू होगा जहां दूसरे चरण के साथ देश के शेष जिलों को मार्च 2024 तक योजना में शामिल कर लिया जाएगा।

 

"सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल की पोषकता और उसका वितरण" पर केंद्र प्रायोजित पायलट योजना

देश में एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए, भारत सरकार ने 2019-20 से 3 साल की अवधि के लिए "फोर्टिफिकेशन ऑफ राइस एंड इट्स डिस्ट्रीब्यूशन अंडर पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम" पर केंद्र प्रायोजित पायलट योजना को मंजूरी दी। पंद्रह राज्य सरकारों यानी आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश ने पायलट योजना के कार्यान्वयन के लिए सहमति दी और अपने संबंधित जिलों (1 जिला प्रति राज्य) की पहचान की। इनमें से 11 राज्यों- आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और झारखंड ने पायलट योजना के तहत अपने चिन्हित जिलों में पोषणयुक्त चावल का वितरण किया। पायलट योजना 31.03.2022 को समाप्त हो गई।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) में सुधार

सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एनएफएसए के तहत 100 प्रतिशत राशन कार्ड/लाभार्थियों के आंकड़े डिजिटल हुए। लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर करने वाले लगभग 19.5 करोड़ राशन कार्डों का विवरण राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पारदर्शिता पोर्टल पर उपलब्ध हैं।

99.5 प्रतिशत से अधिक राशन कार्ड आधार (परिवार का कम से कम एक सदस्य) से जुड़े ।

लाभार्थियों को सब्सिडी वाले खाद्यान्न के पारदर्शी और सुनिश्चित वितरण के लिए देश में लगभग 99.8 प्रतिशत (कुल 5.34 लाख में से 5.33 लाख) उचित मूल्य की दुकानें (एफपीएस) इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ़ सेल (ईपीओएस) उपकरणों का उपयोग करके स्वचालित तरीके से काम कर रही हैं।

एनएफएसए के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को मासिक आवंटित खाद्यान्न का लगभग 90 प्रतिशत वितरण बायोमेट्रिक/आधार प्रमाणित।

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना की प्रगति

अगस्त 2019 में सिर्फ 4 राज्यों के बीच पोर्टेबिलिटी के साथ शुरुआत करते हुए, अब तक सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (देश भर में) में ओएनओआरसी योजना को शुरू किया गया है, जिसमें लगभग 80 करोड़ एनएफएसए लाभार्थी यानी देश की लगभग सौ प्रतिशत एनएफएसए आबादी शामिल है। छत्तीसगढ़ राज्य और असम राज्य क्रमशः फरवरी 2022 और जून 2022 के महीने में ओएनओआरसी मंच से जुड़े थे।

अगस्त 2019 में ओएनओआरसी योजना की शुरुआत के बाद से, देश में ओएनओआरसी योजना के तहत 93 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेनदेन दर्ज किए गए हैं, जिसमें 177 एलएमटी से अधिक खाद्यान्न वितरित किए गए हैं, जिसमें राज्यों के अंदर और राज्यों के मध्य दोनों तरह के लेनदेन शामिल हैं।

वर्ष 2022 के दौरान पहले 11 महीनों में लगभग 39 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेनदेन किए गए, जिसमें एनएफएसए और पीएमजीकेएवाई के इंटर-स्टेट और इंट्रा-स्टेट पोर्टेबिलिटी लेनदेन सहित 80 एलएमटी से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया। वर्तमान में एनएफएसए और पीएमजीकेएवाई खाद्यान्न वितरण सहित हर महीने 3.5 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेनदेन दर्ज किए जा रहे हैं।

 

खाद्यान्नों का संचलन

2022 के दौरान (जनवरी, 2022 से अक्टूबर, 2022 तक), 153 कंटेनरीकृत रेक का संचालन, माल ढुलाई में लगभग 343 लाख रुपये की बचत ।

एफसीआई चावल के लिए आंध्र प्रदेश के निर्दिष्ट डिपो से केरल और अंडमान और निकोबार के निर्दिष्ट डिपो तक तटीय नौवहन और सड़क संचलन से जुड़े मल्टी-मोडल परिवहन भी कर रहा है। 2022 के दौरान (यानी जनवरी, 2022 से अक्टूबर, 2022 तक) 39000 मीट्रिक टन खाद्यान्न परिवहन के पारंपरिक साधन की तुलना में लागत प्रभावी तरीके से एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया था।

इसके अलावा, एफसीआई ने एनएफएसए और पीएमजीकेएवाई की आवश्यकता को पूरा करने के लिए जनवरी, 2022 से अक्टूबर, 2022 तक 513.08 एलएमटी की अनुमानित मात्रा के साथ खाद्यान्न के कुल 15019 रेक भेजे हैं।

मोटे अनाज की खरीद, आवंटन, वितरण और निपटान के लिए संशोधित दिशा-निर्देश

मोटे अनाज की खरीद/वितरण में कुछ राज्यों को आ रही दिक्कतों को दूर करने और केंद्रीय पूल के तहत मोटे अनाज की खरीद को बढ़ाने के लिए परिपत्र दिनांक-28.03.2022 द्वारा वितरण अवधि/शेल्फ लाइफ को बढ़ाया गया है। मोटे अनाज के वितरण की अवधि पहले के 3 माह से बढ़ाकर 6-10 माह कर दी गई है। इससे इन वस्तुओं की खरीद और खपत में वृद्धि होगी क्योंकि राज्य के पास इन वस्तुओं को टीपीडीएस/ओडब्ल्यूएस में वितरित करने के लिए अधिक समय होगा।

खरीद कार्यों में ई-गवर्नेंस

भारत सरकार ने एक एप्लिकेशन ईको-सिस्टम के विकास के लिए एमटीपी (मिनिमम थ्रेशोल्ड पैरामीटर्स) की शुरुआत की है, जिसमें निगरानी और रणनीतिक निर्णय लेने के लिए न्यूनतम थ्रेशोल्ड पैरामीटर्स के साथ सभी राज्य के खरीद पोर्टलों को एकीकृत करके खरीद के संबंध में आवश्यक जानकारी को एकल स्रोत पर उपलब्ध कराया गया है, जिससे एकरूपता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। एमटीपी में आधार को जोड़ने के साथ किसानों का ऑनलाइन पंजीकरण, भूमि रिकॉर्ड का एकीकरण, डिजीटल रूप में मंडी का कामकाज, किसानों को एमएसपी हस्तांतरण, चावल/गेहूं वितरण प्रबंधन, बिलों का ऑटोमैटिक तरीके से तैयार होना आदि शामिल हैं। ऑनलाइन खरीद प्रणाली ने बिचौलियों से खरीद को काफी हद तक समाप्त कर दिया है और इसके परिणामस्वरूप किसानों तक एमएसपी का फायदा बेहतर तरीके से पहुंचा है।

खाद्यान्न की खरीद (धान/गेहूं):

मौजूदा खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2022-23 के दौरान, 04.12.2022 तक, 339.88 एलएमटी धान (चावल के मामले में 227.82 एलएमटी) की खरीद की गई है, जिससे 70015.19 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य के साथ 29,98,790 किसान लाभान्वित हुए हैं। रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2022-23 के दौरान, 187.92 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई, जिससे 17,83,192 किसान लाभान्वित हुए, जिनका एमएसपी मूल्य 37,866.13 करोड़ रुपये था।

मोटे अनाज की खरीद

केएमएस 2022-23 के दौरान, विभाग ने दिनांक-07.12.2021/28.03.2022 के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार मोटे अनाज की खरीद के लिए विभिन्न राज्य सरकारों की खरीद योजना को मंजूरी दी, जिसका विवरण इस प्रकार है:

मोटे अनाज केएमएस 2022-23 की स्वीकृत मात्रा को दर्शाने वाला विवरण

30.11.2022 तक

मीट्रिक टन (एमटी) में आंकड़े

क्रमांक

राज्य

कमोडिटी

मात्रा (एमटी में)

1.

हरियाणा

बाजरा

मक्का

1,60,000

5000

2.

कर्नाटक

ज्वार

रागी

2,00,000

5,00,000

3.

महाराष्ट्र

ज्वार

बाजरा

मक्का

रागी

16063

2279

42379

354

4.

मध्य प्रदेश

ज्वार

बाजरा

40,000

1,40,000

5.

उत्तर प्रदेश

मक्का

बाजरा

1,00,000

50,000

6.

गुजरात

मक्का

बाजरा

10,000

20,000

7.

तमिलनाडु

रागी

17,000

8.

कुल

 

13,03,075

 

खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू)(ओएमएसएस (डी))

कैलेंडर वर्ष 2022 के लिए खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) (ओएमएसएस (डी)) के माध्यम से अब तक कुल 0.10 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 1.22 लाख मीट्रिक टन चावल खुले बाजार में बेचा जा चुका है।

आरएमएस 2022-23 में गेहूं की कम खरीद और कम स्टॉक उपलब्धता को देखते हुए इस वर्ष बिक्री कम रही है, गेहूं की बिक्री दिनांक 07.07.2022 के पत्र द्वारा निलंबित कर दी गई है। चावल की बिक्री दिनांक 07.09.2022 के निर्देशानुसार अगले आदेश तक प्रति राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में 10000 मीट्रिक टन तक सीमित है। 

ओएमएसएस (डी) नीति के तहत, प्रवासी मजदूरों/कमजोर समूहों के लिए राहत कार्यों/राहत शिविर चलाने में लगे सभी धर्मार्थ/गैर-सरकारी संगठनों आदि को  खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए विशेष छूट को  कैलेंडर वर्ष 2022 की शेष अवधि या फिर अगले आदेश जो भी पहले प्रभावी होता है, तक के लिए बढ़ाया जाता है, जिसमें गेहूं 22 रुपये प्रति किलो और चावल 23 रुपये प्रति किलो की दर पर उपलब्ध है। यह योजना सामुदायिक रसोई के लिए भी विस्तारित है।

योजना के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में दिनांक 25.03.2021 तक 1126 संस्थाओं द्वारा 10422 मीट्रिक टन चावल और 230 संस्थाओं द्वारा 1246 मीट्रिक टन गेहूं लिया गया था।

इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान, 34 संगठनों ने 847 मीट्रिक टन चावल और 6 संगठनों ने 10 मीट्रिक टन गेहूं लिया है। हालाँकि, कैलेंडर वर्ष 2022 की शेष अवधि के दौरान 11.10.2022 तक  किसी भी संगठन द्वारा कोई मात्रा नहीं उठाई गई है।

मानवीय खाद्य सहायता

मानवीय सहायता के रूप में अफगानिस्तान को 40063 मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति

मानवीय सहायता के रूप में तिमोर लेस्टे को 2000 मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल की आपूर्ति

मोजाम्बिक को मानवीय सहायता के रूप में 500 मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल की आपूर्ति

चीनी क्षेत्र

भारतीय चीनी उद्योग एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग है जो लगभग  5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके परिवारों की आजीविका पर असर डालता है और लगभग 5 लाख श्रमिकों को सीधे चीनी कारखानों से रोजगार मिला है। परिवहन, मशीनरी से जुड़े कारोबार और कृषि के जरूरी सामानों की आपूर्ति से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में भी रोजगार सृजित होता है। भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता भी है। आज भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये है।

चीनी सीजन 2021-22 में देश में 521 चीनी कारखाने चालू थे, जिनमें 260 एलएमटी की घरेलू खपत के मुकाबले लगभग 360 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त पेराई क्षमता थी। अतिरिक्त स्टॉक को समाप्त करने के लिए, सरकार  चीनी के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए चीनी मिलों को भी सहायता प्रदान करती रही है। शुगर सीजन 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में लगभग 6.2 एलएमटी, 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया। चीनी सीजन 2020-21 में 60 एलएमटी के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 70 एलएमटी का निर्यात किया गया है। घरेलू बाजार में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ मूल्य वृद्धि, यदि कोई हो, को नियंत्रित करने के लिए चीनी बाजार की सक्रिय रूप से निगरानी करने के लिए, डीजीएफटी, वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार ने चीनी के निर्यात को 01 जून 2022 से विनियमित किया है,  जिसके तहत चीनी निदेशालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग चीनी और चीनी मिलों के निर्यातकों को निर्यात रिलीज ऑर्डर जारी करेगा। हालांकि, चीनी सीजन 2021-22 में, भारत ने 110 एलएमटी से अधिक चीनी का निर्यात किया है और दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है।

सरकार द्वारा 29.11.2022 तक किए गए उपायों के परिणामस्वरूप  चीनी सीजन 2021-22 के लिए कुल 118271 करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य बकाया में से किसानों को 114981 करोड़ रुपये चुका दिये गए, इस प्रकार, 97 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया चुकाया गया है।

पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण योजना

एथेनॉल एक कृषि-आधारित उत्पाद है जिसका उपयोग ईंधन के रूप में पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण और हैंड सैनिटाइज़र बनाने सहित कई अन्य औद्योगिक उपयोगों के लिए किया जाता है। यह चीनी उद्योग के एक उप-उत्पाद जिसे  मोलैसिज कहते हैं के साथ-साथ स्टार्चयुक्त खाद्यान्न से बनाया जाता है। गन्ने के अधिशेष उत्पादन के वर्षों में, जब कीमतें गिरती हैं, चीनी उद्योग किसानों को गन्ने के मूल्य का समय पर भुगतान करने में असमर्थ हो जाती है, ऐसे में अतिरिक्त चीनी की समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए, सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ना एथेनॉल निर्माण में इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ ईंधन ग्रेड इथेनॉल के 10 प्रतिशत सम्मिश्रण और 2025 तक 20 प्रतिशत सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है।

वर्ष 2014 तक, मोलैसिज-आधारित डिस्टिलरी की एथेनॉल आसवन क्षमता 200 करोड़ लीटर से कम थी। एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में केवल 1.53 प्रतिशत के सम्मिश्रण स्तर के साथ ओएमसी को एथेनॉल की आपूर्ति केवल 38 करोड़ लीटर थी। हालांकि, पिछले 7 ½ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत परिवर्तनों के कारण, मोलैसिज-आधारित आसवन की क्षमता दोगुनी हो गई है और वर्तमान में यह 605 करोड़ लीटर है। अनाज आधारित आसवन की क्षमता वर्तमान में लगभग 307 करोड़ लीटर है। 2013-14 से 2020-21 तक ईंधन ग्रेड एथेनॉल का उत्पादन और ओएमसी को इसकी आपूर्ति 8 गुना बढ़ गई है।

एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (दिसंबर-नवंबर) 2021-22 के दौरान, 10 प्रतिशत सम्मिश्रण लक्ष्य प्राप्त होने की उम्मीद है, जिसके लिए पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण के लिए 400 करोड़ लीटर से अधिक एथेनॉल की आपूर्ति की गई है। इसके परिणामस्वरूप चीनी मिलों/डिस्टिलरीज को ₹18000 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है, जिससे उनके नकदी प्रवाह और वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है। देश में एथेनॉल उत्पादन की मौजूदा क्षमता (31.10.2022 तक) बढ़कर 925 करोड़ लीटर हो गई है।

इसके अलावा, सम्मिश्रण लक्ष्यों को पूरा करने और निवेश के अवसरों को बढ़ाने के लिए, सरकार ने चीनी मिलों और डिस्टिलरी को अपनी इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर विभिन्न एथेनॉल ब्याज सबवेंशन योजनाएं शुरू की हैं, जिसके लिए सरकार उन्हें बैंकों से ऋण प्राप्त करने की सुविधा प्रदान कर रही है, जिसके लिए ब्याज सबवेंशन @ 6 प्रतिशत या बैंकों द्वारा लगाए गए ब्याज का 50 प्रतिशत, जो भी कम हो, सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। मोलैसिज आधारित फीड स्टॉक की कमी को ध्यान में रखते हुए, सरकार विभिन्न फीडस्टॉक्स जैसे मक्का, टूटे हुए खाद्यान्न और एफसीआई के पास उपलब्ध चावल से एथेनॉल उत्पादन को भी बढ़ावा दे रही है। यह भारत को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बनाने में मदद करेगा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करेगा और साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।

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एमजी/एएम/एसएस/डीवी


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