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आईएफएफआई 53 इंडियन पैनोरमा फिल्म मेजर ने एनएसजी स्पेशल एक्शन ग्रुप कमांडो एवं 26/11 आतंकी हमले के बलिदानी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी


संदीप के माता-पिता पहले दर्शक थे, यह उनकी प्रतिक्रियाएं हैं जो वास्तव में हमारे लिए मायने रखती हैं; वे वास्तव में अभिभूत थे: शशि किरण टिक्का, निर्देशक

एनएसजी कमांडोज़ के होटल पहुंचने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड द्वारा नागरिकों की जान बचाने की सच्ची कहानी हम बयां करना चाहते थे: मुख्य अभिनेता और पटकथा लेखक अदिवी शेष

Posted On: 27 NOV 2022 8:59PM by PIB Delhi

दिनांक 26 नवंबर, 2008- एक ऐसा दिन जिसे कोई भी भारतीय कभी नहीं भूल सकता। एक ऐसा दिन जब भारत आतंकवादी हमलों से थर्रा उठा था जिसने उसकी वाणिज्यिक राजधानी मुंबई को हिलाकर रख दिया था। एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन जब मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, आतंकवाद-रोधी दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विजय सालस्कर और कई अन्य सुरक्षाकर्मियों ने हमारे नागरिकों की रक्षा करते हुए देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

जब हम मुंबई आतंकी हमलों की 14वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, बलिदानी मेजर संदीप उन्नीकृष्णन पर बनी एक हिंदी फिल्म ने 53वें आईएफएफआई में भाग लेने वाले भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को देश की दिल दहला देने वाली पीड़ा और ड्यूटी पर हमारे भाइयों द्वारा दिखाई गई वीरता और नागरिकों को बचाने के प्रति उनके समर्पण के बारे में बताया । तेलुगु निर्देशक शशि किरण टिक्का की भारतीय पैनोरमा फिल्म मेजर को आज भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में प्रदर्शित किया गया, जिसमें देश के वीर सपूतों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।

पीआईबी द्वारा आयोजित आईएफएफआई टेबल वार्ता में मीडिया और प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए निदेशक ने कहा कि फिल्म संदीप की कहानी बताने की चाहत से बनाई गई है, जो एक सैनिक होने के अलावा एक महान व्यक्ति हैं । "इस फिल्म के लिए हमने व्यापक शोध किया । शोध मुख्य रूप से मेजर संदीप के माता-पिता का था। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और सातवीं बिहार रेजीमेंट में संदीप के साथियों से हमारी मुलाकात हुई। हम उस स्कूल में भी गए जहां संदीप ने पढ़ाई की और उनकी बेंच पर भी जाकर बैठे। जितना अधिक मैंने संदीप को एक व्यक्ति के रूप में जानना शुरू किया, उतना ही बेहतर मैं उनके साथ जुड़ सका।"

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निर्देशक और उनकी टीम के लिए एसिड टेस्ट उनके लिए अब तक की सबसे कठिन स्क्रीनिंग थी, जो कि बैंगलोर में स्वर्गीय मेजर के माता-पिता के सामने फिल्म की स्क्रीनिंग थी । "यह एक भावनात्मक क्षण था । संदीप के माता-पिता फिल्म के पहले दर्शक थे, यह उनकी प्रतिक्रिया है जो वास्तव में हमारे लिए मायने रखती है। वे वास्तव में फिल्म से प्रभावित हुए थे।"

फिल्म के पटकथा लेखक अदिवी शेष ने फिल्म में संदीप की भूमिका भी निभाई । उन्हें इस भूमिका के लिए क्यों चुना गया ? आईएफएफआई टेबल वार्ता सत्र को संबोधित करते हुए अदिवी शेष ने बताया कि मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के साथ उनके चेहरे और शारीरिक समानता के कारण ही संदीप के माता-पिता ने यह फिल्म करने की अनुमति दी थी। "इस महान व्यक्ति के जीवन को श्रद्धांजलि देने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता। मलयालम-डब संस्करण व्यावसायिक कारणों के बजाय संदीप के परिवार को श्रद्धा स्वरूप किया गया है ।"

सवालों का जवाब देते हुए अदिवी शेष ने विस्तार से बताया कि यह फिल्म 26/11 की घटना पर नहीं है, बल्कि मेजर संदीप की कहानी पर है, जो उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को सामने लाती है । "हमने मेजर संदीप की यात्रा पर ध्यान केंद्रित किया, ऐसा इसलिए कि हम एनएसजी कमांडोज़ के होटल पहुंचने के बाद अपने नागरिकों की जान बचाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की सच्ची कहानी कहना चाहते थे । बहुत सी फिल्में आतंकवादियों के दृष्टिकोण से बनी हैं, उनमें वह बताया गया जैसा महसूस किया गया।"

निर्देशक ने होटल मुंबई जैसी फ़िल्मों से अपनी असहमति व्यक्त की, जो 'एनएसजी को उन लोगों के रूप में दर्शाती है जो हमले के अंत में आए थे।'

अदिवी शेष ने आगे बताया कि लक्ष्य दर्शकों को मेजर संदीप के बारे में पीड़ा देना नहीं था, बल्कि दर्शकों को उन अलग अलग भावनात्मक रंगों को जिलाना और उनका अनुभव करना था जो मेजर संदीप ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में महसूस की होंगी, उस वक़्त जब उन्होंने आतंकवादियों के विरुद्ध देश की रक्षा की थी और इस तरह उन्होंने खुद को देश के दिलों में हमेशा के लिए अंकित कर लिया।

फिल्म सारांश

मेजरमेजर संदीप उन्नीकृष्णन के जीवन से प्रेरित फिल्म है, जिन्होंने 2008 में मुंबई में 26/11 के हमलों के दौरान आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी । उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के इलीट स्पेशल एक्शन ग्रुप में सेवा की और लोगों की जान बचाई । ताजमहल पैलेस होटल में हुए हमलों के दौरान अनेक नागरिकों को बंधक बनाया गया था ।

यह फिल्म खतरनाक आतंकी हमले को दर्शाती है और यह बताती है कि कैसे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने बहादुरी से लोगों की जान बचाई और इस प्रक्रिया में दुर्भाग्य से अपनी जान गंवा दी।

निर्देशक एवं निर्माता के बारे में

शशि किरण टिक्का एक भारतीय फिल्म निर्देशक हैं, जो मुख्य रूप से तेलुगु फिल्म उद्योग से ताल्लुक रखते हैं । उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म थ्रिलर फ़िल्म गुडाचारी (2018) थी ।

सोनी पिक्चर्स इंटरनेशनल प्रोडक्शंस, सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट के मोशन पिक्चर ग्रुप की स्थानीय भाषा की प्रोडक्शन शाखा है, जो दुनिया भर के 13 वैश्विक क्षेत्रों में सालाना 30 से अधिक फिल्में रिलीज करती है ।

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