सूचना और प्रसारण मंत्रालय
iffi banner

सुपरह्यूमन और अभिनेता के विरोधाभास को मंच पर उद्घाटित करती है रिहर्सल: निर्देशक खुसनोरा रोज़मातोवा


सुपरह्यूमन का सार परिपूर्णता की तलाश है

विख्‍यात जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे के अनुसार, सुपरह्यूमन वास्‍तविक लक्ष्‍य होने की जगह, भविष्य में एक आदर्श के तौर पर मनुष्य की निरंतरता है। सूफी दर्शन में भी इसी दर्शन को स्वीकार किया गया है। मनुष्य हमेशा से क्षणिक रहा है, जिस पर पार पाने की आवश्‍यकता है। सुपरह्यूमन का सार परिपूर्णता की तलाश है।

गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के इंटरनेशनल पैनोरमा खंड के तहत प्रदर्शित फिल्म 'रिहर्सल' का कथानक इसी मूलभूत दर्शन के इर्द-गिर्द घूमता है।

निर्देशक खुसनोरा रोज़मातोवा ने आज "इफ्फी टेबल टॉक्स" को संबोधित करते हुए कहा कि यह फिल्म पूर्व और पश्चिम दोनों के सुपरह्यूमन के दर्शन से प्रेरित है। "रिहर्सल" ओरज़ू के माध्यम से सुपरह्यूमन की विलक्षणता को प्रकट करती है, जो थिएटर में काम करता है। उन्होंने कहा, "उनका नाटक एक महापुरुष के जन्म के बारे में बताता है, क्योंकि जब किसी महापुरुष का जन्म होता है, तो लोग उत्पीड़न, पीड़ा से बच जाते हैं और विधाता से एकाकार हो जाते हैं।"

भारतीय सिनेमा के बारे में एक सवाल के जवाब में खुसनोरा ने कहा कि उज्बेकिस्तान में राज कपूर की फिल्मों के गाने काफी लोकप्रिय हैं। उन्होंने कहा कि उज्बेकिस्तान में ज्यादा महिला फिल्मकार नहीं हैं और अब यह चलन धीरे-धीरे बदल रहा है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Rehearsal-1U0M5.jpg

निर्देशक खुसनोरा रोज़मातोवा "इफ्फी टेबल टॉक्स" को संबोधित करती हुई

53वें इफ्फी में कल इंटरनेशनल पैनोरमा खंड में फिल्म 'रिहर्सल' दिखाई गई।

रिहर्सल- फिल्म के बारे में

मूल शीर्षक: रेपितितिसिया

निर्देशक और पटकथा लेखक: ख़ुसनोरा रोज़मातोवा

निर्माता: रुस्तम दज्मिलोव

डीओपी: इस्लोम रिसोउलोव

संपादक: तैमूर कियासोव

कलाकार : तोहिर सैदोव, एल्मिरा रहीम जोनोवा, ज़रीफ़ा जी'अफ़ुरोवा, मुस्लिमा मुहम्मदी येवा

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Rehearsal-2PD5D.jpg

सारांश : ओरज़ू थिएटर में काम करता है। फिल्म एक दृश्य के साथ शुरू होती है जहां निर्देशक एक पुराने सिनेगॉग में एक धार्मिक कथा, जिसके कारण इब्राहीम ने इस्‍माइल की कुर्बानी दी थी, का जिक्र करते हुए अपने बेटे का खतना करता है। एक नया नाटक एक महापुरुष के जन्म की बात करता है क्योंकि जब किसी महापुरुष का जन्म होता है, तो लोग उत्पीड़न, पीड़ा से बच जाते हैं और विधाता से एकाकार हो जाते हैं। ओरज़ू नायक है लेकिन यह स्पष्ट है कि महापुरुष के विचार की फिलहाल आवश्यकता नहीं है, क्योंकि लोग अभी उसके लिए तैयार नहीं हैं।

पूरी बातचीत यहां देखें :

***

 

एमजी/एएम/आरके/एसके

iffi reel

(Release ID: 1878721) Visitor Counter : 240


Read this release in: English , Urdu , Marathi , Tamil