सूचना और प्रसारण मंत्रालय
आईएफएफआई-53 बचपन के सपनों और गतिशील शक्तियों को प्रदर्शित करेगा
आईएफएफआई में यूनिसेफ के सहयोग से छह बाल फिल्में दिखाई जाएंगी
अमेरिका के मशहूर लेखक जेस लैयर ने कहा है कि बच्चे कोई ऐसी चीज नहीं हैं, जिसे ढाला जा सके, बल्कि लोगों को खुद को उजागर करना है। भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) का 53वां संस्करण बचपन और उसके सामाजिक-आर्थिक संदर्भों को आकार देने वाले सपनों, गतिशील शक्तियों और बारीकियों को सामने लाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
कैपरनॉम
आईएफएफआई- 53 में यूनिसेफ के सहयोग से छह बाल फिल्मों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की है। इनमें बिखरे हुए बचपन की एक मार्मिक कहानी कैपरनॉम से लेकर बच्चों के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की बच्ची म्होनबेनी एजुंग की कहानी नानी तेरी मोरनी भी शामिल है, जिसने अपनी दादी को डूबने से बचाया और अपने डर पर जीत प्राप्त की।
इस श्रृंखला की एक और फिल्म सुमी है, जिसे ग्रामीण भारत के परिदृश्य में स्थापित किया है। यह हाशिए पर रहने वाली 12 वर्षीय सुमति की एक 'आशावादी और प्रेरक कहानी' है, जो अपने गांव से कई किलोमीटर दूर अपने विद्यालय जाने के लिए साइकिल पाने का सपना देखती हैं। अपनी इस सामान्य जरूरत को पूरा करने के लिए वह संघर्ष, महत्वाकांक्षा, प्रतिबद्धता और मित्रता की बुनियाद पर एक असाधारण यात्रा करती हैं।
नानी तेरी मोरनी
एक अन्य क्लासिक 2021 की एक बंगाली फीचर ड्रामा फिल्म- दो दोस्त है। यह भारत में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराए जाने के बाद बढ़ते धार्मिक विभाजन की पृष्ठभूमि में दो 8 वर्षीय लड़कों की कहानी है।
इनके अलावा इस बैनर के तहत आईएफएफआई-53 में अन्य दो फिल्मों- उड़ जा नन्हे दिल और धनक को प्रदर्शित किया जाना है।
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एमजी/एएम/एचकेपी
(Release ID: 1877605)
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