राष्ट्रपति सचिवालय
जनजातीय गौरव दिवस पर राष्ट्रपति ने उलिहातु में भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की; शहडोल में जनजातीय समागम को संबोधित किया
Posted On:
15 NOV 2022 5:24PM by PIB Delhi
जनजातीय गौरव दिवस पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज सुबह (15 नवंबर, 2022) झारखंड के उलिहातु गांव का दौरा किया और भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इसके बाद, राष्ट्रपति मध्य प्रदेश के शहडोल पहुँचीं, जहां उन्होंने जनजातीय समागम को संबोधित किया।
सभा को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में देश की सर्वाधिक जनजातीय आबादी रहती है। इसलिए प्रदेश में इस समागम का आयोजन करना उचित है।
राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय के हित में सब कुछ बलिदान करने की भावना जनजातीय समाज की विशेषता रही है। हमारे स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न विचारधाराओं और गतिविधियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में जनजाति समुदायों के संघर्षों की कई धाराएँ भी शामिल हैं। झारखंड के भगवान बिरसा मुंडा और सिद्धू-कान्हू, मध्य प्रदेश के तांतिया भील तथा भीमा नायक, आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू, मणिपुर की रानी गाइदिन्ल्यू और ओडिशा के शहीद लक्ष्मण नायक जैसे महान व्यक्तित्वों ने जनजातीय गौरव के साथ-साथ देश के गौरव को भी बढ़ाया है। मध्य प्रदेश के क्रांतिकारी योद्धाओं में किशोर सिंह, खज्या नायक, रानी फूल कुंवर, सीताराम कंवर, महुआ कोल, शंकर शाह और रघुनाथ शाह के नाम शामिल हैं। 'छिंदवाड़ा के गांधी' के रूप में सम्मानित, श्री बादल भोई ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए अहिंसा का मार्ग चुना था। राष्ट्रपति ने ऐसे सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि मध्य प्रदेश के चंबल, मालवा, बुंदेलखंड, बघेलखंड और महाकौशल क्षेत्रों की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने में जनजातीय समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जनजातीय राजाओं के शासनकाल में कभी समृद्धि से भरा यह क्षेत्र एक बार फिर आधुनिक विकास की प्रभावशाली गाथाएं लिखेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश जनजातीय क्षेत्र वन और खनिज संपदा से समृद्ध रहे हैं। हमारे जनजातीय भाई-बहन प्रकृति पर आधारित जीवन यापन करते हैं और सम्मानपूर्वक प्रकृति की रक्षा करते हैं। इस प्राकृतिक सम्पदा को शोषण से बचाने के लिए उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बहादुरी से संघर्ष किया था। वन संपदा का संरक्षण काफी हद तक उनके बलिदान से ही संभव हो सका। आज के जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के दौर में सभी को जनजातीय समाज की जीवन शैली और वन संरक्षण के प्रति उनके संकल्प से सीख लेने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदाय मानवता और प्रकृति को समान महत्व देता है। वे व्यक्ति की अपेक्षा समुदाय को, प्रतिस्पर्धा की अपेक्षा सहयोग को और विशिष्टता की अपेक्षा समानता को प्राथमिकता देते हैं। पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता जनजातीय समाज की विशेषता रही है। सामान्य जनसंख्या की तुलना में, जनजातीय समाज में लिंगानुपात बेहतर है। जनजातीय समाज की ये विशेषताएं सभी के लिए अनुकरणीय हैं।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि केंद्र और राज्य सरकारों ने पिछले कुछ वर्षों में जनजातीय समुदायों के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि समग्र राष्ट्रीय विकास और जनजातीय समुदाय का विकास आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए जनजातीय समुदायों की अस्मिता को बनाए रखने, उनमें आत्मगौरव की भावना जगाने और साथ ही उन्हें विकास का लाभ देने के प्रयास किये जा रहे हैं। समरसता की भावना से जनजातीय क्षेत्रों का विकास, सभी के लिए हितकर है।
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