पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
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पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने विशेष अभियान 2.0 के हिस्से के रूप में नवाचार पहलों की शुरूआत की


एससीडीपीएम 2.0 के विशिष्ट बिंदुओं के बारे में अधिकारियों को जागरूक बनाने के लिये विभिन्न ऑफलाइन और ऑनलाइन प्रोत्साहन पद्धतियों को अपनाया जा रहा है

अधिक पारदर्शिता के साथ लंबित मामलों के शीघ्र समाधान और कामकाज में सुधार करने पर जोर

Posted On: 21 OCT 2022 12:36PM by PIB Delhi

पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने भारत सरकार के लंबित मामलों के निस्तारण के लिये विशेष अभियान (एससीडीपीएम 2.0) के तहत अनेक पहलें की हैं। मंत्रालय ने लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे और स्वच्छता में सुधार लाने पर विशेष ध्यान दिया है, ताकि रिकार्डों का बेहतर प्रबंधन हो, कार्य कुशलता में सुधार आये, पारदर्शिता बढ़े और भविष्य में अधिक निरंतरता के साथ काम करने का रास्ता तैयार हो सके।

एससीडीपीएम 2.0 के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुये, मंत्रालयों/विभागों और उनके सम्बद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों सहित समस्त क्षेत्रीय/बाहरी कार्यालयों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सभी प्रमुख बंदरगाह तथा अधीनस्थ/सम्बद्ध कार्यालय अपने-अपने दफ्तरों और परिसरों में विभिन्न लंबित मामलों को निपटाने और स्वच्छता में सुधार लाने के कदम उठा रहे हैं। निर्धारित लक्ष्य और उनकी प्रगति के बारे में विवरण को नियमित रूप से एससीडीपीएम 2.0 विशेष अभियान पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। सभी प्रमुख बंदरगाह और मंत्रालय के सम्बद्ध कार्यालय स्वच्छ भारत 2.0 अभियान के तहत विभिन्न पहलें कर रहे हैं।

जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (जेएनपीए), अपलिफ्ट इंडिया एसोसिएशन और उनके साथी संगठन हमसफर फाउंडेशन के साथ मिलकर ट्रक ड्राइवरों के कुशलक्षेम के लिये काम कर रहा है तथा उन्हें निशुल्क स्वास्थ्य सुरक्षा योजना सहित सुरक्षित वाहन चालन प्रौद्योगिकी से परिचित करा रहा है। दिसंबर, 2022 तक लगभग 10 हजार ट्रक ड्राइवर इस योजना के तहत लाभान्वित होंगे।

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) ने 612 एमटी कॉपर-स्लैग, 210 एमटी औद्योगिक कचरे, 400 एमटी स्टील स्क्रैप का निस्तारण किया है। श्रमदान अभियान 11 अक्टूबर, 2022 को शुरू हुआ, जिसमें लगभग 400 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। परिणामस्वरूप यार्ड में लगभग 1500 वर्ग मीटर हिस्से की सफाई की गई और उसका बेहतर बंदोबस्त किया गया। एनआईआईएसटी की सहायता से सीएसएल अपशिष्ट से सम्पदा मिशन के तहत औद्योगिक कचरे को उपयोगी उत्पादों में भी बदल रहा है। उल्लेखनीय है कि साल भर में लगभग 8000 एमटी कॉपर-स्लैग कचरा पैदा होता है, जिससे कई समस्यायें होती हैं।

बेहतर काम करते हुये श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट अथॉरिटी (एसएमपीए) ने पैडल स्टीमर को क्रूज पर्यटन के लिये एक अनोखे अंदाज में तैयार किया है। इसमें निचले डेक पर संग्रहालय, फ्लोटिंग रेस्त्रां/कॉन्फ्रेंस/एडूटेनमेंट आदि की सुविधायें हैं। क्रूज को स्वयं चलाया जा सकता है।

विशाखापत्तनम पोर्ट अथॉरिटी (वीपीए) के अधिकारियों और कर्मचारियों ने दैनिक आधार पर विशाखापत्तनम तटीय क्षेत्र की सफाई शुरू की है। इस दौरान उन्होंने 233.25 टन कचरा जमा किया, जिसमें 73.55 टन प्लास्टिक कचरा और 159.70 टन अन्य कचरा शामिल है। वीपीए के कर्मचारी नियमित रूप से वीपीए कार्यालय परिसरों/कार्यस्थलों की सफाई करते हैं, जो हर शुक्रवार को चार बजे सायं से छह बजे सायं तक की जाती है।

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इनलैंड वॉरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्लूएआई) ने सप्ताह में एक दिन तय किया है, जिस दिन वह रिकार्डों के रख-रखाव और लंबित मामलों का जायजा लेता है। जहाजों के साप्ताहिक रख-रखाव का फैसला भी किया गया है।

 

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वीओ चिदम्बरानार पोर्ट अथॉरिटी ने अनेक गतिविधियां चलाई हैं: 6000 पौधों का रोपण, 16.13 एकड़ जमीन से खर-पतवार दूर करना, जमीन को समतल करना, साधारण बल्बों की जगह एलईडी लाइटें लगाना आदि। इसके अलावा 31 लाख रिकार्डों का डिजिटलीकरण किया गया, जिसका कुल खर्च 36 लाख रुपये आया। छह ई-कारों को काम पर लगाया गया और ई-कार चार्जिंग प्रणाली लगाई गई।

न्यू मैंगलोर पोर्ट अथॉरिटी (एनएमपीए) ने कचरे के स्व-प्रबंधन की व्यवस्था की है। इसके तहत कृमियों के जरिये कचरे को उच्च गुणवत्ता वाली खाद में बदलने की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। अतिरिक्त कम्पोस्ट खाद को बेच दिया जायेगा। पत्तन प्राधिकरण ने कचरा स्व-प्रबंधन की व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत कृमियों के जरिये कचरे को उच्च गुणवत्ता वाली खाद में बदलने की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

 

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· पहले बंदरगाह में नगर निकाय द्वारा निर्धारित स्थानों पर कचरे को फेंका जाता था, जिसके लिये प्रतिदिन तीन हजार रुपये का खर्च आता था।

· केपेक्स के सहयोग से 50 लाख रुपये की कृमियों द्वारा कचरे को खाद में बदलने की तकनीक अपनाने के बाद बंदरगाह हर वर्ष 4.50 लाख रुपये की आय कर रहा है।

· हर महीने 1.5 टन खाद तैयार की जाती है, जिसे बंदरगाह क्षेत्र में पौधों और बागबानी के लिये इस्तेमाल किया जाता है। इसके कारण एनएमपीए को अब बाजार से खाद नहीं खरीदनी पड़ती।

· जो अतिरिक्त कम्पोस्ट खाद बच जाती है, उसे बाजार में बेचकर आय अर्जित की जाती है।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के मीडिया विभाग ने भी सभी कर्मचारियों और एजेंसियों को जागरूक करने के लिये विशेष अभियान 2.0 के बारे में वीडियो बनाये हैं। यह है उनका लिंकः

 

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